द इकॉनमिक टाइम्स ने 16 फ़रवरी को रिपोर्ट किया कि दक्षिण अफ़्रीका ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की 10 लाख डोज़ सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया को लौटाने वाला है. रिपोर्ट में कहा गया, “दक्षिण अफ़्रीका, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया से खरीदी गयी कोविड-19 वैक्सीन की 10 लाख डोज़ वापस लौटाने जा रहा है. इकॉनमिक टाइम्स को ये सूचना इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने दी. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ऑक्सफ़ोर्ड-ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के ट्रायल के बाद पता चला कि ये कोविड-19 के नए वेरिएंट के कम और मध्यम स्तर के मामलों में ‘बहुत कम प्रभावशाली’ है.”
अब इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया गया है.
रॉयटर्स ने इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट को जगह देते हुए लिखा, “मंगलवार को द इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण अफ़्रीका सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया से खरीदी गयी 10 लाख कोविड-19 वैक्सीन लौटाने जा रहा है. एक हफ़्ते पहले ही भारत ने कहा था कि वो वैक्सिनेशन प्रोग्राम में ऐस्ट्राज़ेनेका के टीके लगाये जाने पर रोक लगाएगा.”
रॉयटर्स की ये रिपोर्ट कई अन्य मीडिया आउटलेट्स ने रीपब्लिश की. इनमें इंटरनेशनल बिज़नेस टाइम्स, द हिन्दू, द वायर साइंस, द वायर, NDTV, पाकिस्तान के ट्रिब्यून और ARY न्यूज़, जापान का Nikkei Asia, कनाडा का फ़ाइनेंशियल पोस्ट, अमेरिका के मेट्रो और याहू मनी शामिल हैं. फ़ोर्ब्स ने भी ET को कोट करते हुए ये रिपोर्ट पब्लिश की.
असल घटनाक्रम
2021 के जनवरी की शुरुआत में दक्षिण अफ़ीका के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (SII) से ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के 15 लाख डोज़ मंगवाने की जानकारी दी थी. 10 लाख डोज़ की पहली खेप अफ़्रीका ने 1 फ़रवरी, 2021 को प्राप्त की. फ़रवरी के उसी हफ़्ते में एक अध्ययन में पता चला कि दक्षिण अफ़्रीका में कोरोना के नए वेरिएंट 501.V2 पर ये वैक्सीन कारगर नहीं है. इसके बाद 16 फ़रवरी को कई मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्ट किया कि दक्षिण अफ़्रीकी सरकार ने SII से 10 लाख डोज़ वापस लेने कहा है. ठीक उसी दिन दक्षिण अफ़्रीका के स्वास्थ्य मंत्री ज़्वेली मखीज़ ने इन रिपोर्ट्स के दावों को ख़ारिज किया और बताया कि सरकार SII को ऐस्ट्राज़ेनेका की 10 लाख डोज़ वापस नहीं करने जा रही है. उन्होंने कहा कि SII से ख़रीदी गयीं वैक्सीन अफ़्रीकन यूनियन को दी जायेंगी और “दी गयी कीमत बेकार नहीं जाएगी.” दक्षिण अफ़्रीका ने 16 फ़रवरी को जॉनसन ऐंड जॉनसन वैक्सीन की पहली डिलीवरी प्राप्त की और 40 हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों को इसका टीका भी लग चुका है.
हम इस आर्टिकल में अपने पाठकों को दक्षिण अफ़्रीका के वैक्सीन प्राप्त करने का पूरा घटनाक्रम विस्तार से बतायेंगे ताकि समझने में आसानी हो सके.
दक्षिण अफ़्रीका ने 7 जनवरी को SII से ऐस्ट्राज़ेनेका के 15 लाख डोज़ लेने की बात तय की. दक्षिण अफ़्रीका स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, पहली 10 लाख डोज़ जनवरी में और बाकी 5 लाख डोज़ फ़रवरी में पहुंचनी थीं. दोनों देशों की बातचीत के बाबत डॉक्युमेंट में एक ज़रूरी बात थी, “हम जनता को ये भी बताना चाहते हैं कि ये प्राप्ति प्रत्यक्ष तौर से स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही है. इससे पूरी प्रक्रिया को लेकर विश्वसनीयता मजबूत होती है क्योंकि सारी बातचीत और रकम अदायगी सरकार और निर्माता के बीच हो रही है.”
BREAKING: South Africa has secured 1.5 million AstraZeneca #Covid19vaccine doses from the Serum Institute in India. 1 million will arrive in January and 500 000 in February. The country’s 1.25 million health workers will be prioritised. 1/2 pic.twitter.com/x4oyXXn9bv
— Mia Malan (@miamalan) January 7, 2021
दक्षिण अफ़्रीका ने 1 फ़रवरी को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया से ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की 10 लाख डोज़ प्राप्त कीं. स्वास्थ्य मंत्री ने पहली खेप पहुंचने पर एक वीडियो भी ट्वीट किया था.
The arrival of the first one million #COVID19 vaccines from the Serum Institute of India was a historic moment for South Africa. Watch a few highlights here: pic.twitter.com/mbpDtZl2El
— Dr Zweli Mkhize (@DrZweliMkhize) February 2, 2021
द न्यू यॉर्क टाइम्स ने 7 फ़रवरी को रिपोर्ट किया, “दक्षिण अफ़्रीका ने रविवार को ऐस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. सबसे पहले यहां पाए गये ज़्यादा खतरनाक वेरिएंट वाले ये संक्रामक वायरस जिन भी लोगों में कम या मध्यम स्तरीय प्रभाव में मौजूद पाए गये, उनपर वैक्सीन कारगर नहीं हो पायी.”
ये भी बताना ज़रूरी है कि वैक्सीन के अध्यनन के परिणाम की समीक्षा अन्य विश्लेषकों से नहीं करवाई गयी थी. इसके अलावा, ये अध्ययन 2,000 प्रतिभागियों पर किया गया था जिनकी औसत उम्र 31 थी. यूनिवर्सिटी ऑफ़ द विटवॉटर्सरैंड के वैक्सीनोलॉजी के प्रोफ़ेसर और अध्ययन की जांच के चीफ़ अधिकारी शबीर माधी के मुताबिक, इस वैक्सीन ने कोरोना के कम और निम्न स्तर के प्रभाव वाले मामलों में 75% असर दिखाया था. लेकिन दक्षिण अफ़्रीका में नए स्ट्रेन B.1.351 के आने के बाद ये असर सिर्फ़ 22% तक सीमित रहा, जिसमें 42 सिम्प्टोमैटिक मामलों पर प्रयोग किये गए थे. हालांकि ये भी नोट किया गया कि इस प्रयोग में एक पक्के परिणाम तक पहुंचने के लिए मरीज़ों की संख्या काफ़ी कम थी.
द ग्लोब के अफ़्रीका के संवाददाता ज्यॉफ़्री यॉर्क ने शबीर माधी को कोट किया था कि दक्षिण अफ़्रीका में पाए गए नए वेरिएंट वैक्सीन के विरुद्ध कारगर नहीं है. साथ ही, ट्रायल में ये साफ़ नहीं हो पाया कि गंभीर मामलों में वैक्सीन असर करेगी या नहीं और न ही इसे (ऐस्ट्राज़ेनेका) गंभीर मामलों पर प्रयोग के लिए लाया गया.
शबीर माधी ने 7 फ़रवरी को ये भी साफ़ किया कि 10 लाख डोज़, जो पहुंच चुकी हैं, उन्हें नामंज़ूर करना लापरवाही होगी. उनके मुताबिक ये कभी न कभी काम में ज़रूर आएंगी. उन्होंने कहा, “वैक्सीन आम-तौर पर 6 महीने में एक्स्पायर होती हैं. जो ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन भारत से लायी गयी हैं, उनपर अप्रैल तक की एक्स्पायरी डेट है. लेकिन साथ ही सप्लायर के साथ इस दिक्कत को सुलझाने के लिए बातचीत जारी है.”
दक्षिण अफ़्रीका की सिटी प्रेस ने 13 फ़रवरी को रिपोर्ट किया, “दक्षिण अफ़्रीका और भारत के बीच वैक्सीन की खेप बदलने से इनकार करने को लेकर गंभीर गहमा-गहमी जारी है. सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने भेजी गयी कोविड-19 वैक्सीन बदलकर नयी एक्सपायरी डेट वाली वैक्सीन देने से इनकार कर दिया है.” दक्षिण अफ़्रीका के न्यूज़ चैनल Newzroom Afrika ने भी 14 फ़रवरी को इस रिपोर्ट को कोट किया. लेकिन हमें इस दावे को स्थापित करने वाली कोई अन्य रिपोर्ट नहीं मिली.
द इकॉनमिक टाइम्स ने 16 फ़रवरी को रिपोर्ट किया, “दक्षिण अफ़्रीका सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया से ख़रीदी गयी कोविड-19 वैक्सीन की 10 लाख डोज़ वापस लौटने जा रहा है. इकॉनमिक टाइम्स को ये सूचना इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने दी.” इसके बाद रायटर्स ने इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट (जिसे अब अपडेट किया जा चुका है) कोट करते हुए आर्टिकल पब्लिश किया. ये रिपोर्ट कई मीडिया आउटलेट्स ने रीपब्लिश की. कनाडा के एमपी डॉन डेवीज़ ने भी ये दावा ट्वीट किया था जिसके मुताबिक़ दक्षिण अफ़्रीका ने SII को 10 लाख वैक्सीन डोज़ वापस लेने कहा था.
Concerning: South Africa asks Indian Serum Institute to take back 1 million vaccine doses after it paused its rollout following a small clinical trial that showed minimal protection against mild to moderate illness from the 501Y.V2 coronavirus variant dominant in the country 1/2
— Don Davies MP (@DonDavies) February 16, 2021
उसी दिन ज्यॉफ़्री यॉर्क ने सूचित किया कि ये रिपोर्ट ग़लत है और सरकार ने भी इसकी पुष्टि की है. दक्षिण अफ़्रीका के स्वास्थ्य मंत्री ज़्वेली मखीज़ ने भी जानकारी दी कि ये 10 लाख डोज़ अन्य अफ़्रीकी देशों को दिए जाएंगे जहां नया वेरिएंट नहीं पाया गया है. मीडिया ने संसद में दिए गये उनके बयान को कोट करते हुए लिखा, “ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के जो डोज़ेज़ हमने खरीदे थे, उसे अफ़्रीकन यूनियन को ऑफ़र किया गया है, जिसके सदस्यों में हम भी शामिल हैं. AU ये डोज़ उन देशों को पहुंचाएगा जिन्होंने वैक्सीन लेने में दिलचस्पी दिखाई है. हम आश्वासन देते हैं कि अदा की गयी रकम बेकार नहीं जाएगी.”
उन्होंने जॉनसन ऐंड जॉनसन वैक्सीन मिलोने को लेकर भी ट्वीट करते हुए लिखा, “हमें जॉनसन ऐंड जॉनसन वैक्सीन की 80 हज़ार डोज़ की पहली खेप मिल चुकी है और इसी हफ्ते टीके लगने शुरू होंगे.” दक्षिण अफ़्रीका को 16 फ़रवरी को जॉनसन ऐंड जॉनसन वैक्सीन की 80 हज़ार डोज़ मिली थीं.
नेशनल डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ के उप महानिदेशक अनबन पिल्लई ने 25 फ़रवरी को जानकारी दी कि एक एन्सेम्बल स्टडी (कई अध्ययनों को मिलाकर प्राप्त किये गए नतीजे) के मुताबिक, जॉनसन ऐंड जॉनसन वैक्सीन कोरोना के मध्यम से लेकर गंभीर स्तर के मामलों में 57 प्रतिशत कारगर है. 24 फ़रवरी को स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ जारी किया था जिसके मुताबिक, दक्षिण अफ़्रीका में कुल 41,809 स्वास्थयकर्मियों को कोरोना के टीके लगाये जा चुके हैं. ये भी दोहराया गया कि ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन अफ़्रीकन यूनियन को दी जायेगी, SII को नहीं लौटाई जायेगी. इसके अलावा, ऐस्ट्राज़ेनेका पर किये गये अध्ययन के मुताबिक, ये दक्षिण अफ़्रीका के वेरिएंट पर प्रभावशाली नहीं थी. इसलिए, इस अध्ययन के आधार पर अन्य वैरिएंट पर इसके प्रभाव पर सवाल नहीं किये जा सकते हैं.
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, WHO की COVAX पहल के तहत घाना को ऑक्सफ़ोर्ड-ऐस्ट्राज़ेनेका की 6 लाख डोज़ मुहैया करवाई गयी.
दक्षिण अफ़्रीका के स्वास्थ्य मंत्री की सफ़ाई के बाद द इकॉनमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट अपडेट कर ली और अब इसकी हेडिंग में लिखा है, “दक्षिण अफ़्रीका ने सीरम को 10 लाख डोज़ लौटाने वाली बात से इनकार किया (South Africa denies asking Serum to take back 1 million vaccine doses).” ET ने तो अपनी रिपोर्ट अपडेट कर ली. लेकिन रॉयटर्स और उसकी रिपोर्ट रीपब्लिश करने वाले अन्य मीडिया आउटलेट्स ने कोई बदलाव नहीं किया है. हालांकि, इन मीडिया आउटलेट्स ने इस मामले में अपडेट पर अलग से रिपोर्ट लिखी हैं, लेकिन पहले वाली ग़लत रिपोर्ट को सही नहीं किया गया है. ये रिपोर्ट लिखे जाने तक सिर्फ़ द वायर साइंस ने रिपोर्ट अपडेट की है.
पतंजलि ने कहा कि WHO ने कोरोनिल को दे दी मंज़ूरी, मीडिया ने बगैर जांचे ख़बर चलाई
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.