द वायर के वरिष्ठ पत्रकार करण थापर के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू को एक हफ्ते से ज़्यादा हो गया. लेकिन अभी तक किसी भी मेनस्ट्रीम न्यूज़ चैनल ने पुलवामा हमले के संबंध में मोदी सरकार के खिलाफ़ सत्यपाल मलिक द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई चर्चा नहीं की है.
14 अप्रैल को प्रसारित इस इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने कहा कि जब फ़रवरी, 2019 में पुलवामा हमले के बाद उन्होंने सरकारी एजेंसियों की कुछ महत्वपूर्ण विफलताओं की ओर इशारा किया, जिसकी वजह से 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों की मौत हुई थी, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने उन्हें इस मामले पर चुप रहने के लिए कहा था.
जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले इसके अंतिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक से करण थापर ने कई मुद्दों पर बातचीत की जिसमें 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करना, पुलवामा हमला, अनुच्छेद 370 हटा देना, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री, भ्रष्टाचार मामले पर पीएम की योजना, आदि शामिल हैं.
इंटरव्यू में 13 मिनट 1 सेकेंड पर करण थापर ने पूछा कि हज़ारों CRPF जवानों के एक बड़े काफिले (78 वाहनों) को सड़क मार्ग से यात्रा करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है और इस तरह तो वो आसान टारगेट बन सकते हैं. अपनी जवाब में और इसी विषय पर किए गए सवालों के जवाब में सत्यपाल मलिक ने तीन पॉइंट बनाए जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के नज़रिए से बेहद महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए.
A. CRPF ने जवानों को ले जाने के लिए पांच एयरक्राफ्ट मांगे गए थे. इसे गृह मंत्रालय ने मना कर दिया गया था. तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह थे.
B. जब सत्यपाल मलिक ने पीएम मोदी और NSA डोभाल से कहा कि ‘हमारी ग़लती’ की वजह से ये हमला संभव हुआ है, और अगर एयरक्राफ्ट दिया जाता तो इससे बचा जा सकता था, पीएम और NSA दोनों ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा. (पीएम ने कहा, “तुम अभी चुप रहो.”)
C. इस घटना का सोर्स पाकिस्तान था, लेकिन ये प्रशासन और देश की खुफ़िया व्यवस्था की भारी विफलता थी कि 10-12 दिनों से कश्मीर की सड़कों पर भारी मात्रा में विस्फोटकों से लदी एक कार का पता नहीं चल सका.
इस हमले के समय राज्य के संवैधानिक प्रमुख, और 2017 से 2022 के बीच कुल मिलाकर चार राज्यों के राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा किए गए दावे, चाहे ये सच हों या झूठ, विश्वसनीय हों या बेतुके, राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण से निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण हैं.
नीचे की स्लाइड्स में उनके सटीक शब्द पढ़े जा सकते हैं:
पाठक ध्यान दें कि करण थापर के इंटरव्यू से एक सप्ताह पहले 8 अप्रैल को सत्यपाल मलिक ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट प्रशांत टंडन के साथ एक इंटरव्यू में उपस्थित हुए थे जहां उन्होंने इसी तरह के आरोप लगाए थे.
इस चर्चा में 9 मिनट पर पुलवामा हमले की बात आती है. सत्यपाल मलिक कहते हैं कि रक्षा मंत्री से एयरकाफ्ट के लिए अनुरोध किया गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया गया था. उनका ये भी कहना है कि हमले के दिन पुलवामा में 8-10 लिंक मिलती हैं कहीं पे एक जिप्सी भी नहीं खड़ी थीं. और काफिले के कुछ रूट ‘लॉक’ नहीं थे. जब प्रशांत टंडन ने पूछा कि ये कैसे हो सकता है, तो सत्यपाल मलिक एक शब्द में जवाब देते हैं: “लापरवाही; अक्षमता.” वो उसी दिन पीएम मोदी के साथ फ़ोन पर हुई बातचीत के बारे में भी बात करते हैं, लेकिन ये ज़िक्र नहीं करते कि पीएम ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा था.
प्राइम-टाइम डिबेट्स पर कोई शो नहीं
डिफ़ेंस, कश्मीर में आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा सामान्य तौर पर टीवी न्यूज़ पर बहस के पसंदीदा विषयों में से एक है जो हर रात प्राइम टाइम पर मेनस्ट्रीम के न्यूज़ चैनलों द्वारा होस्ट किए जाते हैं. इन शो में रिटायर्ड सैन्य अधिकारी और स्वघोषित रक्षा विशेषज्ञ नियमित रूप से भाग लेते हैं. उनमें से नियमित रूप से, कई सालों तक कश्मीर में सेवा करने वाले और कारगिल युद्ध के अनुभवी, मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी, मेजर (रिटायर्ड) गौरव आर्य, कर्नल (रिटायर्ड) RSN सिंह और अन्य शामिल होते हैं. हालांकि, एक भी मेनस्ट्रीम न्यूज़ चैनल ने भारत में सबसे घातक आतंकवादी हमलों में से एक के बारे में सत्यपाल मलिक के आरोपों पर कोई बहस नहीं की.
टाइम्स नाउ और रिपब्लिक जैसे चैनलों ने सत्यपाल मलिक के खुलासों का ज़िक्र तक नहीं किया. ये खास तौर पर हैरान करने वाला है क्योंकि दोनों चैनलों ने पुलवामा हमले, इसके पीड़ितों और अपराधियों पर अनगिनत स्टोरीज़ और डिबेट्स चलाए हैं. ऊपर बताए गए रक्षा विशेषज्ञों को राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर इन दो चैनलों की प्राइम-टाइम बहस में अक्सर पैनलिस्ट के रूप में देखा जाता है.
रिपब्लिक, टाइम्स नाउ के यूट्यूब चैनल पर की-वर्ड्स सर्च करने से ऐसी सैकड़ों डिबेट्स और बुलेटिन सामने आते हैं.
टाइम फ़िल्टर का इस्तेमाल करते हुए ट्विटर पर एक सर्च करने से पता चलता है कि 14 अप्रैल को टाइम्स नाउ की संपादक नविका कुमार और कार्यकारी संपादक राहुल शिवशंकर ने प्राइम-टाइम डिबेट/शो में बंगाल में हुए अमित शाह के भाषण पर ध्यान केंद्रित किया था. भाषण में अमित शाह ने ममता सरकार के पतन की भविष्यवाणी की थी. साथ ही प्राइम टाइम में ये भी बताया गया सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल और गैंगस्टर अतीक अहमद को समन भेजा है. (नीचे स्क्रीनशॉट)
उसी दिन, रिपब्लिक भारत के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के प्राइम-टाइम डिबेट में भारत में बीबीसी की जांच, दिल्ली में कथित शराब घोटाले और गैंगस्टर अतीक अहमद पर चर्चा गई.
टाइम्स ग्रुप के हिंदी न्यूज़ चैनल नवभारत टाइम्स ने सत्यपाल मलिक के पुलवामा खुलासे पर कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस को कवर किया.
कुछ मीडिया हाउसेस ने सत्यपाल मलिक के खुलासे पर बात की
हालांकि किसी मेनस्ट्रीम न्यूज़ चैनल ने सत्यपाल मलिक के उन दावों पर कोई डिबेट नहीं की जिनमें CRPF को एयरक्राफ्ट की अस्वीकृति, इंटेलिजेंस की विफलता और पुलवामा हमले के बाद पीएम द्वारा चुप रहने के लिए कहना शामिल है. लेकिन कई आउटलेट्स ने इंटरव्यू पर छोटे बुलेटिन चलाए और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को कवर किया.
इंडिया टुडे ने सत्यपाल मलिक की टिप्पणियों पर कांग्रेस और भाजपा की प्रतिक्रियाओं पर 1 मिनट 8 सेकेंड का बुलेटिन चलाया.
आजतक के ऐंकर शुभंकर मिश्रा ने 3 मिनट 32 सेकेंड का बुलेटिन पेश किया. उन्होंने कहा कि सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. एयरक्राफ्ट के मना करने से लेकर पीएम द्वारा उन्हें फिलहाल चुप रहने की सलाह को शब्दशः पेश किया गया. बुलेटिन में सत्यपाल मलिक के खुलासे पर कांग्रेस और भाजपा की प्रतिक्रिया भी शामिल थी.
न्यूज़ तक ने 3 मिनट 52 सेकेंड का शो किया. इसने पुलवामा हमले के अलावा मलिक द्वारा इंटरव्यू में दिए गए कई पॉइंट को कवर किया. प्रेजेंटर ने उनके सटीक शब्दों को कोट किया और स्क्रीन पर दिखाया, जिसमें पीएम द्वारा कथित रूप से इस्तेमाल किया गया वाक्यांश भी शामिल था: “तुम अभी चुप रहो.”
इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के हिंदी अखबार जनसत्ता ने अपनी वेबसाइट पर 2 मिनट 47 सेकेंड की एक वीडियो रिपोर्ट अपलोड की.
अमर उजाला ने भी अपने यूट्यूब चैनल पर 3 मिनट 24 सेकेंड की वीडियो रिपोर्ट अपलोड की है. इसमें पुलवामा और पीएम मोदी पर शब्दशः सत्यपाल मलिक की टिप्पणियों को कोट किया गया. इसमें राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी शामिल थीं.
टाइम्स ग्रुप के चैनल मिरर नाउ ने सत्यपाल मलिक के आरोपों पर 2 मिनट 28 सेकेंड का बुलेटिन चलाया. उन्होंने इस मामले पर कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस को भी दिखाया.
ज़ी सलाम, ABP मराठी और लाइव हिंदुस्तान ने भी सत्यपाल मलिक की टिप्पणियों और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को कवर किया.
अंग्रेजी प्रिंट मीडिया में द टेलीग्राफ़ और द इंडियन एक्सप्रेस ने सत्यपाल मलिक के इंटरव्यू को प्रमुखता से कवर किया. 15 अप्रैल को ये द टेलीग्राफ़ पर पेज 1 लीड था. अगले दिन भी उनकी पेज 1 लीड से जुड़ी स्टोरी थी. पहले वाले में उन्होंने पुलवामा पर सत्यपाल मलिक के बयान को संक्षेप में बताया, और दूसरे में इन गंभीर आरोपों पर पीएम की चुप्पी पर सवाल उठाया.
इंडियन एक्सप्रेस के कोलकाता वर्जन ने 16 अप्रैल को पेज 1 की लीड के ठीक नीचे इस स्टोरी को छापा. हेडलाइन में सत्यपाल मलिक को पीएम की कथित सलाह: “चुप रहो” को हाईलाइट किया गया. अखबार ने उसी दिन पेज 4 पर दो संबंधित रिपोर्ट्स भी पब्लिश कीं.
उनमें से एक के टाइटल का हिंदी अनुवाद है, ‘पुलवामा हमला: CRPF जांच में इंटेलिजेंस की विफलता. बड़ा काफ़िला’ इसमें बताया गया कि CRPF द्वारा एक आंतरिक जांच में “बड़े पैमाने पर इंटेलिजेंस की विफलता और इतने बड़े काफिले पर हमले” का प्रमुख कारण था. सोर्स के मुताबिक, CRPF की जांच में पाया गया था कि IED हमलों के बारे में कई इनपुट थे, लेकिन काफिले के बारे में कुछ खास शेयर नहीं किया गया था. सेना की आवाजाही के लिए सुरक्षा की तैयारियों में कमजोरियों में से एक के रूप में इतने बड़े काफिले को हरी झंडी दिखाना भी शामिल है. सरकार ने हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में तैनात सभी सैनिकों के लिए हवाई यात्रा को मंजूरी दे दी.”
द हिंदू के कोलकाता वर्जन ने 15 अप्रैल को सत्यपाल मलिक की टिप्पणी को लेकर विपक्ष द्वारा पीएम मोदी को निशाना बनाने पर पहले पन्ने की स्टोरी छापी.
‘डिफ़ेंस जर्नलिस्ट’ ने सत्यपाल मलिक के खुलासों को कम कर के आंकने के लिए ट्विटर का सहारा लिया
15 अप्रैल को यानी, इंटरव्यू प्रसारित होने के एक दिन बाद, अक्सर रक्षा से संबंधित मामलों को कवर करने वाले इंडिया टुडे के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक, शिव अरूर ने सत्यपाल मलिक की बातों को गंभीरता से लेने वालों पर कटाक्ष करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया.
The same idiots that rallied around Yashwant Sinha are rallying around Satyapal Malik 🥳
— Shiv Aroor (@ShivAroor) April 15, 2023
‘कॉनफ्लिक्ट, नेशनल सिक्योरिटी और स्ट्रेटेजिक अफ़ेयर्स’ को कवर करने वाले, TV9 नेटवर्क के एक कार्यकारी संपादक आदित्य राज कौल जिनका ताल्लुक कश्मीर से है, ने इस पूरे मुद्दे पर सत्यपाल मलिक की चुप्पी पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि अचानक किया गया ये खुलासा किसी भी ‘प्रमुख पद’ की पेशकश नहीं किए जाने पर ‘राजनीतिक बदला’ हो सकता है.
Controversial statements by #SatyapalMalik in an interview to Karan Thapar on The Wire on #Pulwama. Question is if he knew this all this while why did he not immediately reveal it in public in 2019 itself and instead we saw him become Governor of three beautiful states of India…
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) April 15, 2023
ये ध्यान देने वाली बात है कि संगठनों के भीतर अपने शीर्ष पदों के आधार पर, दोनों अपने-अपने चैनलों द्वारा किए गए संपादकीय विकल्पों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. और अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दोनों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर पूर्व गवर्नर की टिप्पणियों को ज़रूरी नहीं समझा.
सत्यपाल मलिक को राजनीतिक गलियारों में विवादित बयान देने और राजनीतिक निष्ठा बदलने के लिए जाना जाता है. उन्होंने 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से बागपत के विधायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था. जब लोक दल का गठन हुआ, तो वे पार्टी में शामिल हो गए. तब से वो कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, लोक दल (अजीत) और भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. उन्हें अगस्त 2018 में जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया था.
18 अप्रैल को एक तीखे एडीशनल में बिजनेस स्टैंडर्ड ने कहा कि सत्यपाल मलिक के कुछ दावों को “सरकार से तत्काल, पूरा स्पष्टीकरण मिलने की ज़रूरत है”. साथ ही ये भी बताया कि “माननीय अपवादों के साथ, मेनस्ट्रीम के ज़्यादातर प्रेस ने इंटरव्यू को अनदेखा करने का विकल्प चुना, ये शायद सेल्फ़-सेंसरशिप का संकेत है जिसे मीडिया ने खुद पर लागू करने के लिए चुना है.”
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