एक धुंधली सी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है. तस्वीर में दिख रहा है कि कुछ लोग ज़मीन पर बेसुध गिरे पड़े हैं. इसे शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के शासन में 12 जनवरी 1998 को किसानों ने अपनी खराब स्थिति को लेकर आंदोलन शुरू किया था जिनपर तत्कालीन सरकार ने 300 राउंड गोलियां चलवाई. इसमें 27 किसानों की मौत हो गई और आंदोलन खत्म कर दिया गया.

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (+91 7600011160) पर इस तस्वीर के बारे में फ़ैक्ट-चेक करने की कई रीक्वेस्ट आयी हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए ये दावा कई सालों से किया जा रहा है. 2020 में Vedic Tribe नामक पेज ने इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर पोस्ट की थी.

डीडी न्यूज़ के ऐंकर अशोक श्रीवास्तव ने भी 2021 में वायरल तस्वीर इसी दावे के साथ ट्वीट की थी.

दैनिक भास्कर ने भी अपनी वीडियो रिपोर्ट में इस तस्वीर को 1998 के मुलताई गोलीकांड से जोड़कर चलाया.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल तस्वीर को रिवर्स-इमेज सर्च किया. हमें एक आर्टिकल मिला जिसे Digit Eye नाम की वेबसाइट पर पब्लिश किया गया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ये तस्वीर 2007 में आंध्र प्रदेश के खम्मम ज़िले के मुदिगोडा गांव में पुलिस गोलीबारी में मारे गए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) कार्यकर्ताओं की है. इस आर्टिकल में वायरल तस्वीर की कलर कॉपी भी मौजूद है. इससे साफ पता चलता है कि वायरल तस्वीर को एडिट कर ब्लैक एंड व्हाइट बनाया गया है.

हमने कलर तस्वीर को रिवर्स-इमेज सर्च किया तो हमें इससे जुड़ी जानकारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के अखबार People’s Democracy की वेबसाइट पर 2007 में प्रकाशित मिली. इस रिपोर्ट में वायरल तस्वीर का कलर वर्ज़न भी है. इसमें साफ तौर पर बताया गया है कि ये आंध्र प्रदेश के मुदिगोडा गांव में पुलिस गोलीबारी में हुई मौत से जुड़ी तस्वीर है.

2021 में नवभारत टाइम्स ने 1998 की घटना पर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. इसमें लिखा है, “मुलताई गोलीकांड 12 जनवरी 1998 को हुआ था. उस समय मध्य प्रदेश में कांग्रेस का राज था और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे. 12 जनवरी 1998 को मुलताई स्थित तहसील कार्यालय को किसानों ने दोपहर 1 बजे घेर लिया था. मुआवजे की मांग को लेकर किसान तहसील कार्यालय पर पथराव कर रहे थे. उसके बाद पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस और लाठीचार्ज शुरू कर दिया. कहा जाता है कि बेकाबू किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बिना किसी सूचना के फायरिंग शुरू कर दी. इसमें 17 किसानों की मौत हुई थी. लेकिन स्थानीय लोगों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा है कि 24 किसानों की मौत हुई थी, जिसमें एक स्कूली बच्चा भी शामिल था.

कुल मिलाकर, कई सोशल मीडिया यूज़र्स, पत्रकार और दैनिक भास्कर ने 2007 में आंध्र प्रदेश के मुदिगोडा गांव में पुलिस गोलीबारी में हुई मौत से जुड़ी तस्वीर, 1998 में बैतूल के किसानों पर पुलिसिया अत्याचार का दृश्य बताकर शेयर किया.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).