सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक शख्स को हथौड़ा लेकर ट्रेन की खिड़की तोड़ते हुए देखा जा सकता है. यूज़र्स ये दावा कर रहे हैं कि ये एक ‘जिहादी’ या ‘आतंकवादी’ का काम है.

एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट भीकू म्हात्रे (@MumbaichaDon) ने ये वीडियो शेयर करटे हुए लिखा कि इसमें दिख रहा व्यक्ति “रेल जिहादी” था.

राईटविंग प्रॉपगैंडा हैंडल द जयपुर डायलॉग्स  (@JaipurDialogues) ने डॉ. माउथ मैटर्स (@GanKanchi) नामक एक यूज़र के ट्वीट को रिशेयर करते हुए लिखा, “जिहादी व्यवस्थित रूप से हमारे रेलवे को नष्ट कर रहे हैं, हम इसके बारे में क्या कर रहे हैं?”

इसी तरह,एक्स हैंडल “Rubika J. Liaquat Satire” (@RubikaLiaqat) ने भी वीडियो शेयर किया. ये ट्वीट 2.7 लाख से ज़्यादा दर्शकों तक पहुंचा और इसे लगभग 1 हज़ार बार रिशेयर किया गया.

 Squint Neon (@TheSquind), रौशन सिन्हा  (@MrSinha_) प्रॉपगेंडा आउटलेट सुदर्शन न्यूज़ के पत्रकार  सागर कुमार (@KumaarSaagar), Kreately.in (@KreatelyMedia) सहित कई राईटविंग X अकाउंट ने दावे को आगे बढ़ाया.

फ़ैक्ट-चेक

हमने देखा कि मंथिरा मूर्ति M (@RoboMoorthy) नामक एक यूज़र ने @GanKanchi के ट्वीट का जवाब देते हुए बताया कि वीडियो में टूटी हुई खिड़की को बदलने की एक नियमित प्रक्रिया की जा रही थी. मंथिरा मूर्ति के एक्स बायो के मुताबिक, वो एक वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर, डिप्टी इंचार्ज- तिरुनेलवेली कोचिंग डिपो और वंदे भारत एक्सप्रेस, तिरुनेवेली जंक्शन रेलवे स्टेशन के प्रभारी हैं.

दक्षिणी रेलवे के मदुरै डिवीजन में तिरुनेलवेली में एक रेल कोच डिपो है.

मंथिरा मूर्ति ने बाद में ट्वीट हटा दिए, लेकिन उनके ट्वीट के स्क्रीनशॉट नीचे देखे जा सकते हैं:

पहले ट्वीट में उन्होंने कहा, ”…ये टूटे हुए खिड़की के शीशे को बदलने की प्रक्रिया में से एक है. वो टूटे हुए शीशे को हटाने की कोशिश कर रहा है.” इसके साथ, उन्होंने प्रक्रिया मैनुअल का एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जहां “दूसरे स्टेप” में ज़िक्र किया गया था कि किसी को “बाहरी कांच को हथौड़े से तोड़ना होगा” और “धीरे-धीरे दरारें विकसित करनी होंगी.”

दूसरे ट्वीट में मंथिरा मूर्ति ने बताया कि वीडियो में ऐसा कोई संकेत नहीं था कि जिससे लगे कि इसमें दिख रहा व्यक्ति एक अनअथॉरिटीज व्यक्ति था.

हमें वेरिफ़ाईड एक्स हैंडल ट्रेन ऑफ़ इंडिया (@trainwalebhaiya) का एक ट्वीट भी मिला. यहां यूज़र ने भी यही बात कही थी. ये भी ज़िक्र किया कि ये प्रक्रिया रखरखाव डिपो में हुई थी और वो व्यक्ति ट्रेन को नुकसान नहीं पहुंचा रहा था बल्कि उसे बदलने के लिए पहले से ही टूटे हुए शीशे को तोड़ रहा था. (आर्काइव)

बाद के ट्वीट में यूज़र ने एक ऐसा ही वीडियो शेयर किया जिसमें एक आदमी ट्रेन की खिड़की के शीशे पर हथौड़ा मारकर दरारों का जाल बना रहा है और फिर पूरे शीशे को हटा रहा है. यूज़र ने कहा कि ये मानक प्रक्रिया और प्रोटोकॉल है. (आर्काइव)

इसे साबित करने के लिए, ऑल्ट न्यूज़ ने भारतीय रेलवे के पूर्व कर्मचारी नीलांशु सिंह से भी बात की, जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक कोचिंग कॉम्प्लेक्स में काम करते थे. उन्होंने हमें बताया, “वीडियो में साफ दिख रहा है कि ट्रेन पिट लाइन पर है (नीचे नीलांशु सिंह द्वारा दी गई तस्वीर है). पिट लाइनें एक कोचिंग कॉम्प्लेक्स में मौजूद होती हैं जहां ट्रेनों का रखरखाव या मरम्मत की जाती है. और जो हम वीडियो में देख सकते हैं वो शीशे को हथौड़े से मारने/तोड़ने की प्रकिया है. ये शीशा बदलने की प्रक्रिया के रूप में किया जाता है. मैं चार साल तक रेलवे में था और मेरी पोस्टिंग कोचिंग कॉम्प्लेक्स में ही थी. पहले हम AC कोचों के लिए भी यही काम करते थे, अगर किसी खिड़की में दरार या रिसाव हो जाता था तो इस तरह हम इसे नए शीशे से बदल देते हैं… पिट लाइनें आम तौर पर ऊंची होती हैं और उनके बीच में हमारे पास पटरियां होती हैं. उन ऊंचे प्लेटफ़ॉर्म पर लोग काम करते हैं. यही वीडियो में दिख रहा है.”

एक सबंधित की-वर्डस सर्च से हमें एक यूट्यूब वीडियो मिला जिसमें दिखाया गया है कि वंदे भारत ट्रेनों में खिड़की के शीशे कैसे बदले जाएं. ये वीडियो 19 मार्च 2024 को अपलोड किया गया था. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि वंदे भारत की खिड़की के शीशे को बदलने के लिए सबसे पहले उसे हथौड़े से मारना है.

इंडिया टुडे ग्रुप ने वीडियो में दिख रहे शख्स की पहचान की.

इंडिया टुडे ग्रुप के अलग-अलग आउटलेट्स ने वायरल वीडियो पर रिपोर्ट पब्लिश की. उनके पत्रकारों ने वीडियो में दिख रहे व्यक्ति की पहचान आरा, बिहार के मनीष कुमार के रूप में की. मनीष कुमार ने लल्लनटॉप से ​​बातचीत में ये माना कि वीडियो में वही है. पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी प्रदीप शर्मा ने आउटलेट को बताया कि वीडियो इंटीग्रेटेड कोचिंग डिपो कांकरिया में अहमदाबाद-मुंबई वंदे भारत के रखरखाव के दौरान बनाया गया था.

उन्होंने लल्लनटॉप को बताया, “वंदे भारत के विंडो ग्लास को यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए Toughned ग्लास का बनाया जाता है ताकि कोई बाहरी वस्तु टकराने पर यात्रियों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो, अनुरक्षण के समय विंडो ग्लास में Crack होने पर उसे नुकीले हथौड़े की सहायता से तोड़ कर निकाला जाता है. यह काम एक संविदा श्रमिक द्वारा किया जा रहा था. उसी दौरान अन्य संविदा श्रमिक द्वारा यह वीडियो बनाया गया.”

कुल मिलाकर, ये साफ है कि वंदे भारत एक्सप्रेस की खिड़की का शीशा तोड़ने वाले एक व्यक्ति का वायरल वीडियो ‘आतंकवाद’ या ‘जिहाद’ नहीं है. ये किसी ट्रेन की टूटी हुई कांच की खिड़की को बदलने के बुनियादी प्रोटोकॉल और प्रक्रिया का एक हिस्सा मात्र है.

अंकिता महालनोबिश ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

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