सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी शेयर किया जा रहा है जिसमें टोपी पहने कुछ लोग एक दान पेटी से पैसे बोरियों में ट्रांसफर कर रहे हैं. फिर इन बोरों को दूसरे कमरे में ले जाकर फ़र्श उड़ेल दिया जाता है. इसके बाद मुस्लिम धर्म से जुड़ी टोपी पहने कई लड़के, इन पैसो को गिनने में लग जाते हैं.

ये वीडियो शेयर करते हुए यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि मस्जिदों को बहुत ज़्यादा दान मिलता है जिस पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है जबकि मंदिरों के दान पर टैक्स लगाया जाता है और मस्जिदों द्वारा इन पैसों का इस्तेमाल ‘जिहाद’ के लिए किया जाता है. कुछ लोगों ने दावा किया कि जो पैसा असल में शिरडी साईं बाबा मंदिर का था, उसे मस्जिदों ने ले लिया.

ट्विटर यूज़र चंद्रशेखर गलगले (@cgalgale) ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा: “देखिये, मस्जिदों मे कितना पैसा आता है, इस पैसे पर टॅक्स नही है, सिर्फ मंदिर के पैसों पे टॅक्स लगता है, मंदिरों के पैसों से मौलवीयों को वेतन और पेंशन देती है सरकार, मस्जिद मे दिया हुआ दान हींदूओं के विरुद्ध जेहाद में प्रयोग होता है. हिंदू आँख बंद किये जातीवाद मे जी रहा है.” इस ट्वीट को आर्टिकल लिखे जाने तक 1 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. (आर्काइव लिंक)

एक और ट्विटर यूज़र, बबलू जैन (@BabluJa13567737) ने 8 जून को यही वीडियो शेयर करते हुए लिखा: “शिरडी सांई की झोली में डाली गई हिन्दुओं की कमाई कहाँ जा रही है खुद ही देख लो.” ये आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 2 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. (आर्काइव)

कई और यूज़र्स ने भी ये वीडियो ऐसे ही दावों के साथ ट्वीट किया है. इस लिस्ट में ‘@mini_razdan10‘, ‘@Mahaveer_VJ‘, और ‘@Im_jyotii_‘ शामिल हैं.

This slideshow requires JavaScript.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल वीडियो को करीब से देखने पर, ऑल्ट न्यूज़ ने दो चीजें नोटिस कीं. पहली, जिन बोरियों में बॉक्स से पैसे ट्रांसफ़र किए जा रहे थे, उन पर बंगाली में कुछ लिखा हुआ था. और दूसरी, करेंसी बिल भारतीय रुपये में नहीं थे, ये बांग्लादेशी टका में थे.

This slideshow requires JavaScript.

इसे ध्यान में रखते हुए हमने की-वर्ड्स सर्च किया और हमें कई न्यूज़ रिपोर्ट्स और वीडियो कवरेज मिले. इन रिपोर्ट्स में वीडियो को बांग्लादेश के ‘पगला मस्जिद’ से संबंधित बताया गया है. हमें बांग्लादेशी अखबार ‘द डेली स्टार’ के यूट्यूब चैनल पर 6 मई का एक वीडियो मिला. बंगाली में लिखे टाइटल का हिंदी अनुवाद है: “पगला मस्जिद के 8 दान पेटियों में 19 बोरे.” वायरल वीडियो को लंबे वीडियो से क्लिप किया गया है. वीडियो के लंबे वर्ज़न में वायरल वीडियो वाला हिस्सा 14 सेकेंड, 52 सेकेंड, 1 मिनट, और 1 मिनट 7 सेकेंड पर दिखता है. इसमें ये भी बताया गया है कि मस्जिद इन पैसों की गिनती करने के लिए हर तीन महीने में एक बार अपनी दान पेटी खोलती है. रमज़ान के ठीक चार महीने बाद ये डब्बे खोले गए और उसी वक्त ये वीडियो लिया गया था.

कई और न्यूज़ आउटलेट्स ने भी ऐसी ही रिपोर्ट पब्लिश कीं. ‘SOMOY TV’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आठ दान पेटियों की कुल राशि 5,59,07,689 टका थी. दानपेटी में विदेशी मुद्रा के सिक्के और सोने के गहने भी मिले. 19 बोरे की नोटों की गिनती में ज़िला स्तर के अधिकारी, मस्जिद के सदस्य, रूपाली बैंक के सहायक महाप्रबंधक, हाफिजिया मदरसा के 100 से ज़्यादा छात्र और कुछ शिक्षक सहित 200 से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था.

इस साल की शुरुआत यानी, जनवरी में पगला मस्जिद को दान पेटियों से 4,18,16,744 टका मिले थे. बांग्ला अखबार आनंदबाज़ार पत्रिका ने भी इस पर खबर दी थी.

पगला मस्जिद, किशोरगंज में नरसुंदा नदी के तट पर स्थित है. ये बांग्लादेश की एक लोकप्रिय मस्जिद है. सभी धर्मों और जातियों के लोग यहां उदारता से दान करते हैं और ये मानते हैं कि इस मस्जिद में प्रार्थना करने से उनकी मनोकामना पूरी होगी.

यानी, भारत में सांप्रदायिक दावों के साथ जो वीडियो शेयर किया जा रहा है, वो असल में बांग्लादेश का है. वायरल दावा भ्रामक है कि इन पैसे को मंदिर से लिया गया है.

साथ ही, ये दावा झूठा है कि टैक्स का भुगतान सिर्फ मंदिरों को करना पड़ता है और मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों को टैक्स नहीं देना पड़ता. 2021 में ऑल्ट न्यूज़ ने एक फैक्ट चेक रिपोर्ट में बताया था कि चूंकि धार्मिक स्थलों को अक्सर ट्रस्टों द्वारा मैनेज किया जाता है, इसलिए प्रोडक्ट्स की बिक्री या अन्य इस्तेमाल के लिए संपत्ति को किराए पर देने से जो आय मिलती है उन पर टैक्स लगता है. छूट प्राप्त करने के लिए, ट्रस्ट को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12AA के तहत रजिस्टर्ड होने की ज़रूरत होती है. कुल मिलाकर, छूट और टैक्स के प्रावधान सभी धार्मिक स्थलों के लिए मौजूद हैं.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged: