इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (BBIL) को कोविड-19 वैक्सीन (BBV152 कोविड वैक्सीन) या ‘Covaxin’ के क्लिनिकल ट्रायल को तेज़ करने के लिए कहा है. ये वैक्सीन दोनों संस्थाओं ने मिलकर तैयार की है. इस ख़बर के सामने आने के बाद, एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल हो रही है कि वैक्सीन की पहली ख़ुराक “BBIL के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. वीके श्रीनिवास” को दी गई.
Dr V. K.Srinivas , Vice President, Bharat biotech, taking Corona vaccine clinical trial
After taking the first dose that he said he is the first person in India to take vaccine developed by his team in Bharat Biotech.
Look at the confidence that they have in their product. pic.twitter.com/erNdwtjByy
— Ravi Vallabhaneni (@ravivallabha) July 3, 2020
ये तस्वीर ट्विटर और फ़ेसबुक पर धड़ल्ले से शेयर हो रही है.
ARE WE SEEING HISTORY BEING CREATED?
(Disclaimer: these pics were sent to me, and not taken by me. Hence, can’t vouch…
Posted by Srikant Sastri on Thursday, 2 July 2020
इसे व्हॉट्सऐप पर भी सर्कुलेट किया जा रहा है.
दावा:
1. ये तस्वीर BBV152 कोविड वैक्सीन की ख़ुराक दिए जाने के वक़्त की है.
2. BBV152 वैक्सीन नसों के जरिए दी जा सकती है.
नतीजा:
ग़लत.
फ़ैक्ट-चेक
1. भारत बायोटेक ने खारिज किया कि ये तस्वीर BBV152 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की है.
ऑल्ट न्यूज़ को ईमेल पर जवाब देते हुए, भारत बायोटेक ने लिखा, “व्हॉट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कुछ तस्वीरें और संदेश शेयर किए जा रहे हैं. इन्हें भारत बायोटेक की तरफ़ से जारी नहीं किया गया है. ये तस्वीर एक रूटीन प्रक्रिया की है, जिसमें प्रोडक्शन स्टाफ़्स की टेस्टिंग के लिए उनका ब्लड लिया जा रहा है.”
इसके अलावा, एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में, भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक, डॉ. कृष्णा एला, ने बताया कि इंसानों पर इस वैक्सीन का ट्रायल अगले 10 दिनों में शुरू होगा.
2. BBV152 को नसों (veins) के जरिए नहीं दिया जा सकता है
BBV152 को क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए ICMR के क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री में पंजीकृत किया गया था. रजिस्ट्रेशन डॉक्युमेंट के अनुसार, वैक्सीन को शरीर में पहुंचाने का जरिया मांसपेशियां हैं.
इंट्रा-मसक्युलर वैक्सीन को cubital fossa में नहीं लगाया जाता है. क्योंकि वहां पर मांसपेशियों की कमी होती है. cubital fossa का इस्तेमाल ऊपरी नसों (nerves), धमनियों और veins तक पहुंचाने के लिए किया जाता है. साथ ही साथ, जैसा कि तस्वीर में दिख रहा है, उस व्यक्ति ने अपने बांह में रक्त के बहाव को रोकने वाला रबर बैंड पहन रखा है. इस बैंड का इस्तेमाल पेशेंट की बांह पर दबाव डालकर ब्लड निकालने के लिए किया जाता है. ये एक कम्प्रेशन प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल वैक्सीन लगाने के लिए नहीं किया जाता है. इस बैंड का प्रयोग ब्लड का बहाव रोकने या ब्लड को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है ताकि इसे नसों (veins) के जरिए निकाला जा सके. और मांसपेशियों के जरिए वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया में ब्लड के बहाव को नियंत्रित करने की ज़रूरत नहीं होती.
वैक्सीन लगाने के अलग-अलग तरीक़े क्या हैं?
वैक्सीन, इंजेक्शन को तीन माध्यमों से शरीर में पहुंचाया जा सकता है, इंजेक्शन के जरिये मुंह के जरिए (उदाहरण के लिए, रोटावायरस वैक्सीन) और नाक के रास्ते स्प्रे के माध्यम से (उदाहरण के लिए, फ़्लू वैक्सीन).
इंजेक्शन लगाने के तीन अलग-अलग रूट हैं – मांसपेशियां, त्वचा के नीचे से और चमड़ी के रास्ते. ये वैक्सीन के पॉइंट ऑफ़ एंट्री और शरीर के किस हिस्से में असर की ज़रूरत है, इस पर निर्भर करता है. Subcutaneous injection में वैक्सीन subcutis में दी जाती है, ये मांसपेशी के ऊपर और चमड़ी के नीचे की सतह होती है. Intradermal injection में वैक्सीन epidermis में लगाई जाती है. ये चमड़ी का सबसे ऊपरी हिस्सा होता है. नीचे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लिया गया एक ग्राफ़िक लगा है. इसमें इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन लगाने के तीनों माध्यमों के बारे में विस्तार से बताया गया है.
इंट्रा-मसक्युलर इंजेक्शन के माध्यम से वैक्सीन दिए जाने के कुछ उदाहरण हैं – हेपटाइटिस बी वैक्सीन और चेचक-खसरा की वैक्सीन.
निष्कर्ष:
टेस्टिंग के लिए ब्लड निकालने की एक रूटीन प्रक्रिया को इस ग़लत दावे के साथ शेयर किया गया कि ये Covaxin की पहली ख़ुराक दिए जाने की तस्वीर है, जो भारत बायोटेक के डॉ. वी के श्रीनिवास को दी गई. इसके अलावा, वैक्सीन के पंजीकरण दस्तावेज के मुताबिक़, BBV152 को मांसपेशियों के जरिए दिया जाना है. जबकि तस्वीर में नसों (veins) के जरिए ब्लड निकाला जा रहा है.
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