अस्थायी क्लासरूम में पढ़ रहे बच्चों की एक तस्वीर सोशल मीडिया में इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि ये भारत की है.

समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने ये तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ‘प्रधानमंत्री जी आप कैसा भारत गढ़ रहे हैं जहाँ तन ढकने को कपड़े तक नहीं हैं बच्चों के पास। #आत्मनिर्भर_भारत.’ इस ट्वीट में आईपी सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा बहुप्रचारित आत्मनिर्भर भारत की राह पर की जा रही प्रगति पर सवाल उठाया. डिलीट किये जाने से पहले इस ट्वीट को 40 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया.

ट्विटर बायो में खुद को समाजवादी पार्टी से जुड़े एक छात्र नेता बताने वाले पुनीत यादव ने ये तस्वीर शेयर करते हुए IP सिंह जैसे टेक्स्ट का ही इस्तेमाल किया. (आर्काइव लिंक)

तेलंगाना राज्य अक्षय ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष और भारत राष्ट्र समिति के सदस्य वाई सतीश रेड्डी ने भी इसे शेयर किया था. 200 से ज़्यादा रीट्वीट और 4 हज़ार से ज़्यादा बार देखे जाने के बाद उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर लिया.

कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने आईपी सिंह का स्क्रीनशॉट फ़ेसबुक पर शेयर किया.

फ़ैक्ट-चेक

रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमने देखा कि इस तस्वीर को सबसे पहले 2015 में कंबोडिया स्थित दैनिक द नोम पेन्ह पोस्ट ने पब्लिश किया गया था. कैप्शन के मुताबिक, तस्वीर को एक फ़ेसबुक पोस्ट से लिया गया है. ब्राउज़र पर ट्रांसलेशन को इनेबल करने के बाद स्क्रीनशॉट लिया गया था. इस आर्टिकल की तस्वीर और वायरल तस्वीर को अलग-अलग ऐंगल से लिया गया है.

हमें एक और वेबसाइट/ब्लॉग भी मिला जिसमें कहा गया था कि ये तस्वीर कंबोडिया की है. इसे 2015 में भी पब्लिश किया गया था. ब्लॉग में एक ही बच्चे की कई तस्वीरें हैं – जिसमें वायरल तस्वीर भी शामिल है.

2020 में ये तस्वीर इंडोनेशिया में वायरल हुई थी. इंडोनेशियाई स्वतंत्रता दिवस के आस-पास ग़लत दावे के साथ सरकार को टारगेट किया गया था. इसे इंटरनेशनल फ़ैक्ट-चेकिंग नेटवर्क के सिग्नेटरी Cek Fakta ने खारिज किया था. द नोम पेन्ह पोस्ट के अलावा, उन्होंने माइग्रेंट टुडे नामक एक पोर्टल का हवाला दिया. माइग्रेंट टुडे की जानकारी अब मौजूद नहीं है. यहां तक ​​कि आर्काइव लिंक से भी तस्वीर लोड नहीं होती है.

कुल मिलाकर, इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के आधार पर ये कहा जा सकता है कि ये तस्वीर भारत की नहीं है. कई मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ये कंबोडिया की तस्वीर हो सकती है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.