कक्षा दसवीं और बारहवीं के लिए महाराष्ट्र की SSC और HSC परीक्षाओं के रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म्स को लेकर तब गहमा-गहमी मच गयी जब भाजपा से महाराष्ट्र के विधायक अतुल भटखलकर ने दावा किया कि स्टेट बोर्ड ने फ़ॉर्म से ‘हिन्दू’ ऑप्शन वाली उप-श्रेणी हटा दी है.

टाइम्स नाउ ने बिना इसके बारे में पता किये रिपोर्ट कर दिया. चैनल ने लिखा, “महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 10वीं और 12वीं के फ़ॉर्म से ‘हिन्दू’ का विकल्प हटा दिया है. प्रदेश सरकार ने अगली बोर्ड परीक्षाओं के लिए जारी नए फ़ॉर्म्स में हिन्दू की जगह ‘ग़ैर-अल्पसंख्यक’ शब्द लिखा है.”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अतुल भटखलकर ने शिवसेना को चेतावनी दी है कि अगर 24 घंटों के अंदर एग्ज़ाम फ़ॉर्म्स पर वापिस ‘हिन्दू’ का विकल्प नहीं डाला तो वो पूरे राज्य में इन फ़ॉर्म्स को जलाने का मोर्चा शुरू कर देंगे.

इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर किया जाने लगा

अतुल भटखलकर का आरोप जल्द ही ट्विटर पर तेज़ी से शेयर होने लगा. नीचे ट्विटर यूज़र आकाश RSS का ट्वीट है जिसे रेल मंत्री पियूष गोयल भी फ़ॉलो करते हैं. ये यूज़र अक्सर ग़लत सूचनाएं शेयर करता रहता है.

एक अन्य यूज़र @Ocjain4 जिसे भाजपा नेता कपिल मिश्र फ़ॉलो करते हैं, ने भी इस दावे को शेयर किया.

ये दावा कि महाराष्ट्र सरकार ने SSC और HSC एग्जाम के फ़ॉर्म्स से ‘हिन्दू’ का विकल्प हटा दिया है, फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

इस रिपोर्ट में नीचे लिखे दावों का फ़ैक्ट-चेक किया जा रहा है:

1. क्या ये अगले बोर्ड एग्ज़ाम के लिए नया फ़ॉर्म है?

2. क्या धर्म की श्रेणी में ‘हिन्दू’ का विकल्प हटा दिया गया है?

ये फ़ॉर्म 2014 से ही प्रयोग में है

महाराष्ट्र में 2014 से 2019 तक भाजपा और शिवसेना की गठबंधन की सरकार थी. महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी ऐंड हायर एजुकेशन की अध्यक्ष शकुन्तला काले ने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बताया था, “इस फ़ॉर्म का ड्राफ्ट 2013 में तैयार किया गया था और 2014 की परीक्षाओं से ही प्रयोग में है.”

जब उनसे पूछा गया कि भाजपा ने अपनी सरकार रहते इसे क्यों नहीं बदला तो भटखलकर ने दावा किया कि ‘हिन्दू’ शब्द की जगह ‘ग़ैर-अल्पसंख्यक’ हाल में लिखा गया है, “कुछ लोगों को ‘खुश करने’ और वोट बैंक बचाने के लिए ऐसे ऐंटी-हिन्दू फ़ैसले लगातार लिए जा रहे हैं.”

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि भटखलकर का दावा पूरी तरह ग़लत है.

महाराष्ट्र बोर्ड, पुणे की वेबसाइट पर अपलोड किये गये SCC के 2017 के एक फ़ॉर्म को देखने पर पता चलता है कि भाजपा की सरकार रहते हुए भी फ़ॉर्म पर ‘ग़ैर-अल्पसंख्यक’ का विकल्प था. लिंक में एक सर्कुलर भी दिया है जिसकी तारीख 9/9/2017 लिखी है.

ऐसा ही HSC का 2017 का फ़ॉर्म भी यहां देख सकते हैं.

हमने महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की वेबसाइट पर भी SSC और HSC एग्ज़ाम के सैंपल फ़ॉर्म्स देखे. इन फ़ॉर्म्स को बनाने की तारीख 2017 लिखी है.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 3 सितम्बर, 2013 की रिपोर्ट में भी यही बताया गया है कि ये फ़ॉर्म 2014 से ही प्रयोग में हैं. इसमें लिखा है, “अगले अकेडमिक इयर से SSC और HSC के फ़ॉर्म्स में अलग कॉलम होगा जिसमें कैंडिडेट्स अगर अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं तो लिख सकते हैं.”

विकल्प में ‘हिन्दू’ इसलिए नहीं है क्योंकि हिन्दू अल्पसंख्यक समुदाय नहीं है

सरसरी तौर पर देखने से ही ये समझ में आ जाता है कि ये दावा निराधार है. फ़ॉर्म के 11वें पॉइंट में विद्यार्थियों से उनका अल्पसंख्यक समुदाय चुनने को कहा गया है. अगर वो किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं आते हैं तो ‘ग़ैर-अल्पसंख्यक’ का विकल्प चुनते हैं. देश में हिन्दू धर्म बहुसंख्यक समुदाय में आता है इसलिए कैंडिडेट्स से अल्पसंख्यक समुदाय के बारे में पूछते हुए ‘हिन्दू’ विकल्प में रखना अटपटा है.

शकुन्तला काले ने रिपोर्ट में कहा था, “इस कॉलम को जोड़ना केंद्र और राज्य सरकार के अल्पसंख्यक विभागों के नियमानुसार है. इसलिए राज्य सरकार ने जिन अल्पसंख्यक समुदायों की सूची बनाई है उसे इस श्रेणी में डाला गया है. जो स्टूडेंट्स इन केटेगरी में नहीं आते हैं उनके लिए ग़ैर-अल्पसंख्यक का विकल्प है.”

भाजपा विधायक अतुल भटखलकर का ये दावा कि शिवसेना सरकार ने महाराष्ट्र में SSC और HSC के नए फॉर्म्स से ‘हिन्दू’ धर्म का विकल्प हटा दिया है, बिल्कुल ग़लत और बेबुनियाद है. फ़ॉर्म में ‘ग़ैर-अल्पसंख्यक’ का कॉलम 2014 से ही है, जब महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ भाजपा की गठबंधन वाली सरकार हुआ करती थी. इस दावे को टाइम्स नाउ ने भी प्रमोट किया और भटखलकर के आरोपों के बारे में कोई वेरिफ़िकेशन नहीं किया. भाजपा के अन्य समर्थकों ने भी इस दावे को सोशल मीडिया पर शेयर किया.


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