ऑल्ट न्यूज़ को एक स्क्रीनशॉट के फ़ैक्ट-चेक की रिक्वेस्ट आई है. चॉकलेट कंपनी कैडबरी के इस स्क्रीनशॉट में लिखा है, “प्लीज़ ध्यान दें, अगर हमारे प्रॉडक्ट की सामग्री में जिलेटिन लिखा है, तो ये पूरी तरह से हलाल है और इसे गौ मांस से बनाया जाता है.”

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2021 में भी हुआ था शेयर

17 जुलाई को मधु पूर्णिमा कीश्वर ने ये स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए लिखा था, “अगर ये सही है तो हिंदुओं को हलाल गौमांस खिलाने के लिए मजबूर करने पर कैडबरी पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए”. ये स्क्रीनशॉट RSS सदस्य राजेश गेहानी ने भी ट्वीट किया.

भाजपा समर्थक अरुण पुदुर ने भी ये दावा किया. बता दें कि अरुण ने पहले भी कई बार सोशल मीडिया पर गलत जानकारियां शेयर की हैं.

ऐसे ही कई यूज़र्स ने ये स्क्रीनशॉट ट्विटर और फ़ेसबुक शेयर कर भारत में गौमांस वाले खाद्य उत्पादों के बेचे जाने पर चिंता जताई.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल स्क्रीनशॉट ध्यान से देखने पर ऑल्ट न्यूज़ को मालूम चला कि ये कैडबरी ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट है न कि भारत का. तस्वीर में दिख रहा टेक्स्ट, कि उत्पादों में अगर जिलेटिन है तो वो हलाल है, ये बात कैडबरी ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट पर मौजूद है.

कैडबरी इंडिया (@DairyMilkIn) ने जुलाई 2021 में ट्वीट कर इस वायरल दावे को खारिज किया. बयान के मुताबिक, “ट्वीट में शेयर किया स्क्रीनशॉट भारत में मिलने वाले Mondelez/Cadbury उत्पादों से जुड़ा नहीं है. भारत में बनने और बेचे जाने वाले सभी खाद्य उत्पाद 100% शाकाहारी हैं. पैकेट पर दिया गया हरा सिम्बल इसकी पुष्टि करता है”. कैडबरी ने मधु कीश्वर समेत और भी वायरल ट्वीट्स पर जवाब देते हुए यही बात बताई. लेकिन अभी तक मधु किश्वर और अरुण पुदुर ने अपना ट्वीट डिलीट नहीं किया है.

ऑल्ट न्यूज़ ने अमेज़न इंडिया पर दिए गए कैडबरी के उत्पादों को देखा. लेकिन हमें ऐसा एक भी प्रॉडक्ट नहीं मिला जिसमें हरे रंग का सिम्बल न हो. नीचे कैडबरी बोर्नविल कोको डार्क चॉकलेट के डीटेल का स्क्रीनशॉट है.

हरे रंग के निशान की विस्तृत जानकारी

फ़ूड सेफ़्टी और स्टैन्डर्ड (पैकेजिंग एंड लेबलिंग) नियम 2011 के तहत, पोषण संबंधी सूचनाओं के सेक्शन में, “हर शाकाहारी खाद्य उत्पाद के पैकेट पर इससे जुड़ी जानकारी निशान और रंग के ज़रिए दिखाना ज़रूरी है कि ये उत्पाद शाकाहारी है. निशान में हरे रंग का गोला बना होना चाहिए.”

इसमें शाकाहारी खाने को इस तरह परिभाषित किया गया है – “ऐसा कोई भी खाने का सामान जो नियम संख्या 1.2.1(7) के अनुसार मांसाहार की श्रेणी में नहीं आता है.” मांसाहारी खाने की व्याख्या इस प्रकार है, “कोई भी ऐसा खाना जिसमें जानवर जैसे पक्षी, ताज़ा पानी या समुद्र के जानवर या उनके अंडे या उनके किसी और हिस्से या पूरे शरीर का इस्तेमाल किया गया हो. लेकिन इनमें दूध या उससे जुड़े उत्पादों को अलग रखा गया है.”

2019 में फ़ूड सेफ़्टी एंड स्टैन्डर्ड अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (FSSAI) ने ऐसे खाद्य पदार्थों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी की थी जिन्हें बनाये जाने के दौरान जानवरों से जुड़ी चीज़ों का इस्तेमाल किया गया था लेकिन उनकी पैकेजिंग पर हरे रंग का निशान बना हुआ था. इनमें दवाईयां भी शामिल थीं. ये मुंबई के FnBnews ने रिपोर्ट किया था और इसका आर्टिकल FSSAI ने अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड किया था.

यहां गौर करें कि रिपोर्ट में किसी भी कंपनी का नाम नहीं बताया गया है. FSSAI ने फ़ूड सेफ़्टी एंड स्टैन्डर्ड ऐक्ट 2006 के तहत संबंधित राज्य अधिकारियों को इसपर कार्रवाई का निर्देश दिया था.

पहले भी कैडबरी को लेकर कई देशों में गलत जानकारियों के आधार पर कंपनी पर निशाना साधा गया है. 2017 में ऑल्ट न्यूज़ ने कैडबरी उत्पादों के HIV संक्रमित होने के दावे का फ़ैक्ट-चेक किया था.

कुल मिलाकर, दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों ने कैडबरी ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट शेयर कर झूठा दावा किया कि भारत में कैडबरी के उत्पादों में गाय के मांस का उपयोग किया गया है. ऐसे ही पहले भी हिमालया कंपनी पर निशाना साधा गया था.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.