भाजपा नेता राजकुमार ठुकराल ने फ़ेसबुक पर दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया. इसमें लिखा है, “शिक्षा विभाग ने मांगी जानकारी – स्कूलों में सरस्वती मंदिर किस आदेश से बनाया.” उन्होंने इसे शेयर करते हुए लिखा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने “तुगलकी” आदेश पारित किया.

उन्होंने लिखा कि थानों से मंदिरों को हटाने की प्रक्रिया के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार ने स्कूलों में सरस्वती मंदिर की मौजूदगी पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. उन्होंने कांग्रेस पर “एक वर्ग” को खुश करने के लिए तुष्टिकरण का आरोप भी लगाया.

राजस्थान के भाजपा विधायक कन्हैया लाल चौधरी ने भी फ़ेसबुक पर इस क्लिपिंग को शेयर करते हुए दावा किया है कि गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को स्कूलों में हिंदू देवी सरस्वती के मंदिर के अस्तित्व पर आपत्ति है.

ट्विटर पर कई यूज़र्स ने इसी तरह के दावों के साथ ये तस्वीर ट्वीट की है.

अख़बार की ये क्लिप ऐसे समय में शेयर की जा रही है जब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर राजस्थान के अलवर में हिंदू देवता शिव के 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ने का आरोप लगाया है. राजस्थान भाजपा ने दावा किया कि गहलोत सरकार ने मंदिर तोड़कर, दिल्ली के जहांगीरपुरी में हाल ही में किए गए अभियान का ‘बदला’ लिया था. ध्यान दें कि जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाए जाने से करीब 2-3 दिन पहले अलवर में मंदिर तोड़ा गया था.

फ़ैक्ट-चेक

पुलिस स्टेशन से मंदिरों को हटाना

अक्टूबर 2021 को द हिंदू में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (पुलिस हाउसिंग), A पोन्नुचमी ने एक सर्कुलर में कहा कि ‘राजस्थान धार्मिक स्थान और भवन अधिनियम 1954’ के तहत सार्वजनिक स्थानों के धार्मिक इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता है. ये सर्कुलर पुलिस थानों में जनभागीदारी से पूजा स्थलों के निर्माण में बढ़ोतरी की वजह से जारी किया गया था.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया‘ से बात करते हुए पोन्नुचमी ने कहा कि उन्हें पुलिस भवनों के अंदर सार्वजनिक भागीदारी से मंदिरों के निर्माण के बारे में शिकायतें मिली थीं. इसलिए इस आदेश से सभी वरिष्ठ अधिकारियों को कानून का सख्ती से पालन करने की याद दिलाई गई. पुलिस ने ये भी स्पष्ट किया कि ये आदेश पहले से मौजूद संरचनाओं को प्रभावित नहीं करेगा.

ऑल्ट न्यूज़ ने DGP एमएल लाठेर से संपर्क किया जिन्होंने हमें बताया कि ये एक पुराना आदेश था जो 2021 में पारित किया गया था. उन्होंने आगे बताया कि राजस्थान धार्मिक स्थान और भवन अधिनियम 1954 के अनुसार, बिना पूर्व अनुमति के सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी धार्मिक निर्माण नहीं किया जा सकता है. ये आदेश सभी धर्मों की धार्मिक संरचनाओं पर लागू होता है.

इसलिए, ये दावा कि सरकार ने राजस्थान के पुलिस थानों से मंदिरों को हटाने का आदेश दिया है, भ्रामक है. ADGP द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को ये याद दिलाने के लिए सर्कुलर जारी किया गया था कि सार्वजनिक स्थानों का धार्मिक उपयोग अवैध है. इसके अलावा, ये आदेश पुलिस थानों के अंदर मौजूदा संरचनाओं पर लागू नहीं होता.

स्कूलों में हिंदू देवी सरस्वती के मंदिर

ये ध्यान रखना जरुरी है कि भाजपा नेताओं द्वारा शेयर की गई दैनिक भास्कर क्लिप में एक उपशीर्षक है. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि भीलवाड़ा के मुख्य ज़िला शिक्षा अधिकारी (CDEO) द्वारा जारी सर्कुलर सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत एक अनुरोध पर आधारित था. आर्टिकल में ये नहीं कहा गया है कि सरकार ने स्कूलों में सरस्वती मंदिरों की मौजूदगी पर आपत्ति जताई है. लेकिन एक निजी व्यक्ति द्वारा RTI अनुरोध दायर कर इसके बारे में जानकारी मांगी गई है.

की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें एक न्यूज़ रिपोर्ट मिली जिसके मुताबिक, सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 के तहत 14 फ़रवरी को मोतीलाल सिंघानिया ने भीलवाड़ा के स्कूलों में स्थापित सरस्वती मूर्तियों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी. ये RTI भीलवाड़ा के चीफ़ डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफ़िसर (CDEO) के पास दायर की गई थी. सिंघानिया की RTI के आधार पर CDEO ने 22 मार्च को पत्र जारी कर ज़िले के सभी चीफ़ ब्लॉक एजुकेशन ऑफ़िसर (CBEO) से मामले की जानकारी मांगी थी. CDEO द्वारा जारी परिपत्र की एक कॉपी इस रिपोर्ट में देखी जा सकती है. ये ट्विटर पर भी मौजूद है.

ऑल्ट न्यूज़ ने भीलवाड़ा के CDEO ब्रह्मा राम चौधरी से संपर्क किया जिन्होंने बताया कि RTI के आधार पर, 22 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया गया था. उन्होंने कहा, “हमारे पास स्कूलों में स्थापित सरस्वती मूर्तियों का डेटा नहीं था. इसलिए एक सर्कुलर जारी किया गया था. इन मूर्तियों की स्थापना सरकारी आदेशों के अनुसार नहीं की जाती है. बल्कि इनकी स्थापना स्कूल समितियों को मिल रहे सुझावों पर आधारित होती है. ये उन समितियों पर निर्भर है कि वे सुझावों को स्वीकार करें या नहीं. इस मामले में सरकार की कोई सहभागिता नहीं है.”

ब्रह्मा राम चौधरी ने कहा, “हमारे विभागों के पास इस मामले का डेटा नहीं था. इसलिए 23 अप्रैल को हमने RTI का जवाब जारी किया. हमने उसी दिन पहले जारी सर्कुलर [CBEO से जानकारी मांगना] को भी खारिज कर दिया था.

नीचे, 22 मार्च को जारी सर्कुलर को खारिज करने और RTI की रिक्वेस्ट पर दिए गए जवाब की एक कॉपी देखी जा सकती है.

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कुल मिलाकर, भीलवाड़ा के CDEO के एक RTI अनुरोध के आधार पर ब्लॉक अधिकारियों को जारी किए गए एक सर्कुलर को भाजपा नेताओं ने इस ग़लत दावे के साथ शेयर किया कि राजस्थान में गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने स्कूलों में सरस्वती मंदिरों पर आपत्ति जताई.

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