16 अप्रैल को दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के मौके पर निकाली गई शोभा यात्रा के दौरान धार्मिक हिंसा भड़की थी. हिंसा के बाद 20 अप्रैल को दिल्ली नगर निगम ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए कई मकानों व निर्माण पर बुलडोज़र चलवा दिया. इसमें एक मस्जिद के दरवाजे पर भी बुलडोज़र चला. इसके बाद मीडिया और सोशल मीडिया पर अलवर में रोड चौड़ीकरण प्रोजेक्ट के तहत दुकान और मकान हटाए जाने की घटना के वीडियोज़ शेयर करते हुए ये झूठा दावा किया गया कि ये कार्रवाई दिल्ली में मस्जिद को हुए नुकसान का बदला लेने के लिए की गई है. न्यूज़ 18 ने प्रमुखता से ये दावा चलाया था, इस मामले पर ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल यहां पढ़ी जा सकती है.
‘टाइम्स नाउ नवभारत’ ने 22 अप्रैल 2022 को एक शो ‘न्यूज़ की पाठशाला’ में दावा किया कि ‘जहांगीरपुरी के बुलडोज़र का बदला राजस्थान में लिया गया’. यहां ये जानना ज़रूरी है कि 17 और 18 अप्रैल को राजस्थान के अलवर में प्रशासन ने दुकान और मकान हटाने की कार्रवाई की थी जबकि जहांगीरपुरी में बुलडोज़र 20 अप्रैल को चला था. शो के ऐंकर सुशांत सिन्हा ने दावा किया कि राजस्थान के अलवर में भंवरी देवी का घर तोड़ दिया गया. लेकिन बगल में ही मौजूद ‘ज़ाकिर खान मेटर्स’ नाम की दुकान पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुशांत सिन्हा ने प्रशासन पर सांप्रदायिक रूप से भेदभाव करने का आरोप लगाया.
टाइम्स नाउ नवभारत चैनल के ब्रॉडकास्ट का एक छोटा सा हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल है. रिपोर्ट में वायरल वीडियो का हिस्सा 8 मिनट 49 सेकंड के बाद दिखता है. चैनल ने दावा किया कि ‘ज़ाकिर खान मेटर्स’ नाम की दुकान को छोड़कर उसके आस-पास की हिन्दू व्यक्तियों की दुकानें तोड़ दी गयीं. अलवर से ये ग्राउंड रिपोर्ट भंवर पुष्पेंद्र कर रहे थे.
भाजपा आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने टाइम्स नाउ नवभारत का वीडियो ट्वीट करते हुए दावा किया कि ये अशोक गहलोत की सरकार द्वारा लिया गया एक सांप्रदायिक एक्शन है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
If this isn’t communal profiling and targeted action by the Ashok Gehlot government, then what is? pic.twitter.com/6JGgfSmoOB
— Amit Malviya (@amitmalviya) April 26, 2022
अलवर से भाजपा सांसद योगी बालकनाथ ने भी ये वीडियो ट्वीट किया. और आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने भेदभाव करते हुए कार्रवाई की है. (आर्काइव लिंक)
अलवर, राजस्थान में सौ सौ फुट दोनों तरफ हिंदुओं के मकान दुकान तोड़ दिए गए पर बीच में बीस फुट की ज़ाकिर खान की दुकान की कील तक नहीं चटकाई, इसको कहते हैं कांग्रेसी सेक्युलेरिज्म वाली इस्लामी सरकार … pic.twitter.com/O2fA0dOUJ3
— Yogi Balaknath (@MahantBalaknath) April 26, 2022
भाजपा के नेशनल जनरल सेक्रेटरी कैलाश विजयवर्गीय ने भी ये वीडियो इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट किया है. (आर्काइव लिंक)
अलवर (राजस्थान) में दोनों तरफ कई फुट तक हिंदुओं के मकान और दुकान तोड़ दिए गए परन्तु बीच में बीस फुट की ज़ाकिर खान की दुकान को छोड़ दिया गया।
हिंदुओ पर सितम, मुस्लिमों पर रहम Ashok Gehlot जी यह तुष्टिकरण की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है?
जनता Indian National Congress को इसका ज़वाब अवश्य देगी।
Posted by Kailash Vijayvargiya on Monday, 25 April 2022
फ़ेसबुक से लेकर ट्विटर पर ये वीडियो इसी दावे के साथ वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्ट में ‘ज़ाकिर खान मेटर्स’ दुकान का बोर्ड दिखता है. बोर्ड पर 3 मोबाइल नंबर हैं. इन नंबर्स पर कॉल करने पर ऑल्ट न्यूज़ की बात ज़ाकिर खान से हुई. उन्होंने हमें बताया कि ये दुकान उनकी नहीं है. वो सिर्फ किरायेदार है. ज़ाकिर ने कहा, “इस दुकान के मालिक ने 2007 का एक नोटिस दुकान के बाहर चिपका रखा था. इसमें कलेक्टर के आदेश से बताया गया है कि ये बाधित नहीं है. और इसी वजह से इस दुकान को नहीं तोड़ा गया.”
उन्होंने साथ में ये भी बताया कि मीडिया संगठन द्वारा इस तरह से ख़बर चलाए जाने से वो मानसिक रूप से परेशान हुए थे.
आगे, ऑल्ट न्यूज़ ने इस दुकान के मालिक मनीष दीक्षित से भी बात की. मनीष दीक्षित पेशे से वकील है. उन्होंने कहा, “ये मेरी पेरेंटल प्रॉपर्टी है. 2005 में भी रोड चौड़ीकरण को लेकर कार्रवाई हुई थी. उस वक़्त भी प्रशासन ने कई दुकानें तोड़ी थी. हमने ये ज़मीन कस्टोडियन डिपार्ट्मन्ट से खरीदी थी. हमारी दुकान अवरोध में नहीं थी. इस कारण मैंने राजगढ़ कोर्ट में सूट फ़ाइल किया था. उस वक़्त ही मेरा सूट फ़ाइनल डिक्री हो गया था. और कोर्ट ने जजमेंट दिया था कि ये दुकान अवरोध में नहीं है. कोर्ट ने हमें इस प्रॉपर्टी से बेदखल न करने और इसे नहीं तोड़ने का आदेश दिया था. ये फैसला आज भी प्रभावी है.” मनीष दीक्षित ने ऑल्ट न्यूज को 2007 के कोर्ट के आदेश की कॉपी भी भेजी. इसमें साफ तौर पर लिखा है कि इसे हटाया न जाए. ये आदेश 1 दिसंबर 2007 को जारी किया गया था.
मनीष दीक्षित ने आगे कहा, “नगरपालिका ने 2017 में भी नोटिस दिया था और हमसे प्रॉपर्टी डॉक्युमेंट्स मांगे थे. हमने उन्हें कागज़ात दिखाए थे. 2018 में भी ऐसी प्रोसेस फ़ॉलो की गयी थी. उस समय भी हमने उन्हें डॉक्युमेंट्स दे दिए थे. उसके बाद हाल में हमें 6 अप्रैल 2022 को फिर से नोटिस मिला था. मैंने 11 अप्रैल 2022 को नगरपालिका को इसका जवाब दिया था. और उन्हें कोर्ट का आदेश भेजा था. 17 अप्रैल को दुकान और मकान हटाए जाने की कारवाई हुई थी. तब मैंने अपनी दुकान के बाहर कोर्ट का ऑर्डर लगा दिया था.”
मनीष दीक्षित ने हमें दुकान के बाहर लगाए गए नोटिस की तस्वीरें भी भेजी.
मनीष दीक्षित ने बताया कि ज़ाकिर का परिवार राजगढ़ में एक मात्र मुस्लिम परिवार है. और ये लोग करीब 20 साल से उनकी दुकान के किराएदार हैं. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को किरायानामा की कॉपी भी भेजी. इसमें साफ लिखा है कि ये दुकान मनीष दीक्षित की है. और ज़ाकिर के पिता पप्पू खान ने इसे किराये पर लिया है.
मनीष दीक्षित ने हमें ये भी बताया कि उन्होंने टाइम्स नाउ नवभारत के रिपोर्टर भंवर पुष्पेंद्र से बात की थी. वीडियो पब्लिश होने के बाद उन्होंने भंवर को बताया था कि ये दुकान उनकी है. और वो एक हिन्दू है. जबकि चैनल ने कार्यक्रम में ये दुकान एक मुस्लिम व्यक्ति की बताई है. लेकिन आर्टिकल लिखे जाने तक चैनल ने झूठा दावा चलाने को लेकर कोई माफ़ी नहीं मांगी है.
इसके अलावा, मनीष दीक्षित ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय के फ़ेसबुक पोस्ट के कमेंट में इस मामले की असलियत बताई थी. मनीष द्वारा कैलाश विजयवर्गीय की पोस्ट पर किये गए कमेंट्स आप नीचे तस्वीर में देख सकते हैं. उन्होंने अपना नाम फ़ेसबुक पर सोनू दीक्षित रखा है.
टाइम्स नाउ नवभारत के 29 अप्रैल के एक शॉ के दौरान, एंकर सुशांत सिन्हा ने कहा था कि ज़ाकिर खान मेटर्स नाम की दुकान पिछले कई सालों से ये दुकान ज़ाकिर खान के पास है. भले ही उसका मालिक कोई भी हो. उन्होंने कहा कि इस दुकान के पास स्टे है. सुशांत ने कहा कि भंवर ने वहां और लोगों से भी बात की जिन्होंने कहा कि कागज़ात उनके पास भी हैं. लेकिन उनकी नहीं सुनी गई और उनकी दुकाने तोड़ दी गई.
कुल मिलाकर, राजस्थान के अलवर में रोड चौड़ीकरण के तहत घर और दुकान हटाए जाने की घटना को टाइम्स नाउ नवभारत ने बिना क्रॉस वेरिफ़ाई किये सांप्रदायिक रंग देकर चलाया. चैनल ने झूठा दावा किया कि प्रशासन ने हिंदुओं की दुकानों को अवरोध बताते हुए तोड़ दिया. लेकिन एक मुस्लिम व्यक्ति की दुकान को कुछ नहीं किया. जबकि जांच करने पर ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये दुकान एक हिन्दू व्यक्ति की है जिसे एक मुस्लिम ने किराये पर लिया है. और कोर्ट के आदेश के अनुसार, ये अतिक्रमण नहीं है, इस वजह से नहीं तोड़ा गया था.
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