उत्तर बिहार की हालत बाढ़ की वजह से बेहद खराब होती जा रही है. इससे जुड़े फ़ोटोज़ और वीडियोज़ सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं. इसी क्रम ने एक ट्विटर यूज़र ने एक तस्वीर ट्वीट की और बताया कि ये हिंदुस्तान अख़बार में छपी थी. तस्वीर के कैप्शन के मुताबिक, “ये बंदरा के सकरी-चांदपुरा की तस्वीर है. बागमती की बाढ़ से टापू बने गांव में ये परिवार हफ़्ते भर से यू हीं गुजर-बसर कर रहा है.” एक और यूज़र ने इस तस्वीर को बिहार बाढ़ की बताकर शेयर किया है.
Due to flood, the family has been living like this for a week. #Bihar pic.twitter.com/ni29j1ORNU
— زماں (@Delhiite_) July 30, 2020
हमने पाया कि हिन्दुस्तान अख़बार में 30 जुलाई, 2020 को मुज़फ़्फ़रपुर एडिशन के तीसरे पन्ने पर इस तस्वीर को जगह मिली है. शीर्षक है, “बाढ़ से एसकेएमसीएच पर खतरा.” ध्यान देने वाली बात है कि तस्वीर के कैप्शन के अलावा इस पूरे लेख में कहीं भी इस परिवार के बारे में बात नहीं की गयी है.
फ़ैक्ट-चेक
इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर कई ऐसे वेबसाइट्स के लिंक मिले जहां इसे बांग्लादेश का बताया गया है. ग्लोबल सिटिज़न के 2015 के आर्टिकल में इस तस्वीर को बांग्लादेश का बताया गया है. यानी जो तस्वीर कम से कम 2015 से इंटरनेट पर मौजूद है, वो बिहार में हाल में आई बाढ़ की बताकर अख़बार में छपी है.
पर्मा कल्चर न्यूज़ नाम की एक वेबसाइट पर ये तस्वीर 2014 में पब्लिश की गयी है. ये आर्टिकल बांग्लादेश में सैंडबार क्रॉपिंग पर लिखी गयी है. इस तस्वीर का श्रेय बांग्लादेश में प्रैक्टिकल ऐक्शन नाम के संगठन से जुड़ी संस्था शीरी (Stimulating Household Improvements Resulting in Economic Empowerment) को दिया गया है.
प्रैक्टिकल एक्शन एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो विकासशील देशों में गरीबों के उत्थान का काम करती है. बांग्लादेश में भी इसने काफ़ी काम किया है. शीरी बांग्लादेश की एक सरकारी संस्था है. इस जानकारी के आधार पर हमने की वर्ड सर्च से ये तस्वीर शीरी की वेबसाइट पर ढूंढने की कोशिश की. इसके मीडिया सेक्शन में फ़्लिकर का एक लिंक दिया गया है जिसमें शीरी के काम की सभी फ़ोटोज़ हैं. यहां हमें प्रैक्टिकल ऐक्शन, बांग्लादेश (PAB) नाम का एक एल्बम मिला. इस एल्बम में 272 फ़ोटोज़ हैं.
इस एल्बम में वो तस्वीर भी है, जिसे अभी बिहार की बताकर शेयर किया जा रहा है. बताया गया है कि ये तस्वीर 22 सितम्बर, 2011 को ली गयी थी.
प्रैक्टिकल ऐक्शन ने बांग्लादेश के तटीय इलाके में गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने का काम किया है. वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के अनुसार ये काम दो चरणों में किया गया – पहले चरण का समय था अप्रैल 2009 से मार्च 2012 और दूसरा अप्रैल 2015 से दिसम्बर 2015 तक चला.
इस तरह कम से कम 9 साल पुरानी बांग्लादेश की तस्वीर को हिंदुस्तान अख़बार ने बिहार के एक गांव की बताकर प्रकाशित कर दी. हमने पाया कि बागमती और बूढ़ी गंडक नदी में उफान से बंदरा के कई घर डूब गए हैं. ETV भारत की एक खबर के अनुसार गोपालगंज के बघेजी गांव में कई परिवार ऊंचे स्थानों और छतों का सहारा लिए हुए हैं और उन्हें अभी तक प्रशासन से कोई मदद नहीं पहुंची है.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.