सोशल मीडिया पर वायरल कई तस्वीरों का सेट इस दावे के साथ प्रसारित किया जा रहा है कि ये भारतीय वायुसेना के कारण पाकिस्तानी क्षेत्र में हुए विनाश को दर्शाती हैं। इन वायरल तस्वीरों के लिए यह कैप्शन इस्तेमाल किया गया है, “पुलवामा की तो तस्वीर बहुत देखी जरा आज पाकिस्तान का भी हाल देखो!!!!”

पहली तस्वीर

यह तस्वीर, फेसबुक ग्रुप ‘आई सपोर्ट अमित शाह’ समेत, कई यूजर्स द्वारा शेयर की गई है। यह अक्टूबर 2005 के कश्मीर के भूकंप को दर्शाती है। यह तस्वीर पाकिस्तान के बालाकोट शहर में ली गई थी। BBC रिपोर्ट के अनुसार, “इस भूकंप से पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र, अफगानिस्तान और भारत प्रभावित हुए थे। अनुमानित रूप से 75,000 लोग मारे गए, अधिकांशतः पाकिस्तान शासित कश्मीर में।”

 

 

दूसरी तस्वीर

 

 

यह तस्वीर भी 2005 के कश्मीर भूकंप की है। इसका मूल फोटो हमें गेट्टी इमेजेज पर मिला।

 

तीसरी तस्वीर

उपरोक्त तस्वीर भी 2005 के भूकंप की ही है। गेट्टी इमेजेज के भंडार में इसकी भी मूल तस्वीर है।

चौथी तस्वीर

यह तस्वीर, दूसरी तस्वीरों की तरह, व्हाट्सएप्प पर व्यापक रूप से प्रसारित है। मगर यह भारत और पाकिस्तान के बीच के हालिया टकराव को नहीं दर्शाती है। यह तस्वीर 3 नवंबर 2014 को ली गई थी, जब भारत-पाक सीमा पर एक पाकिस्तानी तालिबानी ग्रुप ने बमबारी की थी। इसकी मूल तस्वीर हमें अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट में मिली।

 

पांचवीं और छठी तस्वीरें

ये दोनों तस्वीरें, चौथी तस्वीर की तरह, एक ही आत्मघाती बम हमले की हैं। इनकी मूल तस्वीरें हमने CNN और Dawn पर पाईं।

सातवीं तस्वीर

हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ इस तस्वीर की सटीक उत्पत्ति का पता लगाने में असमर्थ रहा, मगर हम यह जान गए कि यह 2015 जितनी पुरानी है। एक ब्लॉग — worthefforts.blogpost.com — ने इसे 2015 के गुरदासपुर, पंजाब के आतंकी हमले के रूप में पोस्ट किया था। चूंकि यह तस्वीर पुरानी है, इसलिए यह भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान में चल रही तकरार का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती है।

आठवीं तस्वीर

इसकी मूल तस्वीर हमने 8 जुलाई 2015 के ट्रिब्यून के एक लेख में पाई, जिसमें उस घटना का विवरण इस रूप में किया गया था — “कुर्रम एजेंसी के आदिवासियों ने 2005 के बाद से पूरे प्रांत में आतंकवाद के कारण अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देकर यौम-ए-शुहदा (शहीदों का दिन) मनाया।” – (अनुवाद) द ट्रिब्यून, पाकिस्तान के कुर्रम जिले के मुख्यालय शहर परचिनार में पढ़ा जाता है।

नौवीं तस्वीर

हमने पाया कि यह तस्वीर पुरानी, 19 दिसंबर 2014 की है। इसे गेट्टी इमेजेज द्वारा अपलोड किया गया और पाकिस्तान के हंगू में सैन्य कार्रवाई में मारे गए कथित तालिबानी आतंकवादियों के रूप में विवरण दिया गया था।

दसवीं और ग्यारहवीं तस्वीरें

 

हालांकि हम नीचे वाली तस्वीर की सटीक उत्पत्ति का पता लगाने में असमर्थ रहे, मगर हमने यह पता लगा लिया कि यह काफी पुरानी, 2016 की तस्वीर है। यह तस्वीर एक ब्लॉग ‘myopenionsblog.wordpress.com‘ पर थी। चूंकि यह पुरानी है, इसलिए यह स्पष्ट है कि यह वर्तमान तकरार का चित्रण नहीं कर सकती है।

ऊपर वाली तस्वीर आउटलुक में पाई गई, जहां इसका विवरण “हंदवाड़ा के वंदरबल गांव में मुठभेड़ के दौरान मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों के शव के साथ पोज देते सेना के जवान” के रूप दिया गया था।

 

ऑल्ट न्यूज़ ने उपरोक्त में से सभी तस्वीरों की सामान्य गूगल सर्च से पहचान कर ली। पुलवामा हमले के बाद भ्रामक सूचनाओं में बढ़ोतरी और उसके बाद की तकरार के इस समय में, यह जरूरी है कि सोशल मीडिया यूजर्स खुद से सत्यापन का अभ्यास करें और कोई भी तस्वीर/ वीडियो/ संदेश तभी फॉरवर्ड करें जब विश्वसनीय पाएं।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.