27 सितंबर को दुनिया भर में सुर्खियां बटोरने वाली एक खबर में दावा किया गया कि काबुल विश्वविद्यालय के चांसलर मोहम्मद अशरफ़ ग़ैरत ने एक ट्वीट में कहा, “जब तक सभी के लिए एक असल इस्लामी माहौल नहीं बनाया जाता, तब तक महिलाओं को विश्वविद्यालय या काम पर आने की अनुमति नहीं होगी. इस्लाम सबसे पहले है.”
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कथित ट्वीट को आधार बनाकर रिपोर्ट पब्लिश की. इस रिपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान स्थित द न्यूज़ ने भी एक रिपोर्ट छापी.
सबंधित ट्वीट नीचे दिया गया है.
Folks!
I give you my words as the chancellor of Kabul University:as long as real Islamic environment is not provided for all, women will not be allowed to come to universities or work. Islam first.
— Mohammad Ashraf Ghairatمحمد اشرف غیرت (@MAshrafGhairat) September 27, 2021
ट्वीट से ऐसा लगता है कि तालिबान अपने उस बयान से मुकर गया है जो वहां के नये शिक्षा मंत्री अब्दुल बक़ी हक्कानी ने महिलाओं की शिक्षा के बारे में दिया था. उन्होंने कहा था कि महिलाओं को पुरुषों से अलग कक्षाओं में और इस्लामी कपड़ों में पढ़ने की अनुमति दी जाएगी.
ABC न्यूज़ और NPR ने ये दावा करते हुए मामले को आगे बढ़ाया कि अशरफ़ ग़ैरत ने एक और ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने द न्यू यॉर्क टाइम्स की आलोचना करते हुए अपने बयान के बारे में लिखी गयी बातों को “बड़ी ग़लतफ़हमी” बताया.
गैरत का कथित ट्वीट नीचे दिया गया है.
A bad misunderstanding of my words by the New York Times. I haven’t said that we will never allow women to attend universities or go to work, I meant that until we create an Islamic environment, women will have to stay at home. We work hard to creat safe Islamic environment soon. https://t.co/7Yrdtd3GKL
— Mohammad Ashraf Ghairatمحمد اشرف غیرت (@MAshrafGhairat) September 28, 2021
अन्य अंतर्राष्ट्रीय पब्लिकेशन्स जिहोनें अशरफ़ ग़ैरत के महिलाओं की शिक्षा पर किये गए ट्वीट का दावा करते हुए स्टोरी पब्लिश की, उनमें CNN इंटरनेशनल, CNN फ़िलीपींस, यूके स्थित द इंडिपेंडेंट, अमेरिकी प्रकाशन द हिल और ब्लूमबर्ग शामिल हैं. भारत में ब्लूमबर्ग का आर्टिकल बिजनेस स्टैंडर्ड ने रीपब्लिश किया. इंडिया टुडे ने भी ब्लूमबर्ग के आर्टिकल का ज़िक्र किया.
ANI और हिंदुस्तान टाइम्स ने मामले पर रिपोर्ट करते हुए CNN के आर्टिकल का हवाला दिया. NDTV और लोकमत ने ANI की फ़ीड को दोबारा पब्लिश किया. कथित ट्वीट के बारे में अन्य भारतीय मीडिया आउटलेट्स की रिपोर्ट, द प्रिंट, याहू न्यूज़, डेक्कन हेरल्ड और द वीक पर आधारित थे.
ट्वीट एक फ़ेक अकाउंट से किया गया था
काबुल विश्वविद्यालय ने स्पष्ट करते हुए एक फ़ेसबुक पोस्ट किया, “हाल ही में काबुल विश्वविद्यालय के चांसलर मोहम्मद अशरफ़ ग़ैरत के नाम से फ़ेसबुक या ट्विटर पर नकली अकाउंट्स बनाए गए हैं और ग़लत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं. अकादमिक समुदाय और लोगों को भ्रमित और गुमराह करने के लिए ग़लत सूचना और अफवाहें फैलाई जा रही है. काबुल विश्वविद्यालय अशरफ़ ग़ैरत के नाम से फ़ेसबुक या ट्विटर पर बनाए गये इन सभी पेजों को फ़र्ज़ी बताते हुए स्पष्ट रूप से घोषणा करता है कि मोहम्मद अशरफ़ ग़ैरत के नाम पर वर्चुअल पेज नहीं हैं. सभी हमवतन और राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मीडिया जो काबुल विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी चाहते हैं, उनसे अनुरोध है कि वे इस विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट और फ़ेसबुक पेज देखें.”
اطلاعیه پوهنتون کابل در رابطه به صفحات مجازی جعلی!
در این اواخر طوریکه دیده میشود یک سلسله صفحات مجازی در فیسبوک ویا…
Posted by Kabul University on Tuesday, 28 September 2021
अफ़ग़ानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने भी फ़ेसबुक पर स्पष्ट किया कि अकाउंट फ़र्ज़ी है.
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Posted by وزارت تحصيلات عالى – لوړو زده کړو وزارت on Tuesday, 28 September 2021
इस ट्विटर हैंडल से बाद में एक ट्वीट किया गया – “इतने दिनों से जब मैं नया चांसलर होने का नाटक कर रहा था, किसी को भी मेरी बातों से अकाउंट नकली होने का शक नहीं हुआ. इसका कारण साफ़ है, मैं जो कह रहा था असल में अफ़ग़ानिस्तान में शिक्षा, मानव और महिला अधिकारों के प्रति तालिबान की विचारधारा और कार्य दोनों वही है.”
students of KU, are disheartened and broken.
All these days that I was tweeting pretending to be the new chancellor, no one doubted my words to be fake, & the reason is clear, what I was saying is literally both the ideology and actions of Taliban towards education, human and
— Mohammad Ashraf Ghairatمحمد اشرف غیرت (@MAshrafGhairat) September 29, 2021
इस कथित छात्र ने संयुक्त अरब अमीरात स्थित द नेशनल न्यूज़ को बताया कि उसने अफ़ग़ान शिक्षा प्रणाली की बर्बादी को उजागर करने के लिए ये अकाउंट बनाया था. आउटलेट ने ये भी लिखा, “हालांकि ये अकाउंट बनाने का उसका निर्णय उसकी हताशा की वज़ह से था, लेकिन इसमें तालिबान के बारे में अपनी बात साबित करने की इच्छा भी शामिल है.” किसी को शक नहीं हुआ कि वो क्या ट्वीट कर रहा है.
कुछ मीडिया आउटलेट्स ने गलती मानी, लेकिन ज़्यादातर ने नहीं
ये सामने आने के बाद कि ये सारे ट्वीट शरफ़ ग़ैरत के अकाउंट से पोस्ट नहीं किये गये थे, कुछ मीडिया संगठनों ने अपने आर्टिकल में स्पष्टीकरण जोड़ा. इसमें द न्यूयॉर्क टाइम्स, CNN इंटरनेशनल और द क्विंट शामिल थे (गौरतलब है कि CNN फ़िलीपींस ने कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है). रिपब्लिक और डेक्कन हेरल्ड ने ग़लती स्वीकार किए बिना अपनी रिपोर्ट वापस ले ली. अन्य सभी आउटलेट्स ने इस आर्टिकल के लिखे जाने तक अपनी रिपोर्ट को न तो सही किया गया है और न ही हटाया है.
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