जुलाई के महीने में विभिन्न प्रकार की झूठी ख़बरें देखने को मिली, फिर चाहे वो नामचीन हस्तियों के नाम से झूठे बयानों को फैलाना हो या फर्जी फ़ोटोशॉप तस्वीर के जरिए राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाना, दुष्प्रचार का एकमात्र मकसद सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना था।
सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना
1. रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा बच्चों के अपहरण की अफवाहें व्हाट्सएप पर फैलती रही
इंदौर में बच्चों के अपहरण की अफवाहों ने तब सांप्रदायिक मोड़ ले लिया जब रोहिंग्या मुसलमानों के गिरोह द्वारा बच्चों के अपहरण की झूठी अफवाहों को फैलाया गया।
पिछले कुछ महीनों में, देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के अपहरण की झूठी अफवाह की वजह से 30 लोगों को उग्र भीड़ के द्वारा जान से मार दिया गया। यह देखा गया है कि जब ये बच्चों के अपहरण की अफवाहें किसी विशेष राज्य में फैलती है तो ये अफवाहें राज्य के हिसाब से स्थानीयकृत की जाती है। उदाहरण के तौर पर अगर अफवाह महाराष्ट्र के लिए है तो संदेश मराठी में लिखा जाता है।
2. मुसलमानों द्वारा निकाले गए रैली में मंदसौर बलात्कार के आरोपी की रिहाई की मांग
जून 2018 में मध्य प्रदेश के मंदसौर में हुए 8 वर्षीय बच्ची से क्रूर बलात्कार को सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग दे दिया गया। हजारों लोगो ने इस पोस्ट को शेयर किया, पोस्ट के अनुसार मुस्लिम समुदाय के लोगो ने मंदसौर की सड़कों पर रैली करके मांग की कि अपराधी को रिहा कर दिया जाए क्योंकि कुरान गैर-मुस्लिम महिलाओं के बलात्कार को जायज मानता है।
उपरोक्त तस्वीर फ़ोटोशॉप है। हालांकि यह सच है कि मंदसौर में मुस्लिम समूहों ने एक रैली निकाली थी, पर वो पीड़िता के समर्थन में और आरोपी के खिलाफ थी। असली तस्वीर में बैनर और प्लेकार्ड पर लिखे संदेशों को फोटोशॉप कर दिया गया और यह Indiaflare नामक वेबसाइट द्वारा पोस्ट किया गया था।
3. कर्नाटक के एक स्कूल में छात्रों को कुरान पढ़ाया गया
एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें प्ले स्कूल के शिक्षक द्वारा बच्चों को कुरान पढ़ाते देखा जा सकता है। यह आरोप लगाया गया कि कर्नाटक में ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वहां कांग्रेस और जेडीएस की सरकार बनी है।
सोशल मीडिया पर प्रसारित यह वीडियो गुमराह करने वाला था। खोज करने पर यह पता चला कि यह दो भाग वाले वीडियो में से केवल एक भाग था। वीडियो के दूसरे भाग में एक दूसरी शिक्षक इन्ही छात्रों को भगवद् गीता के श्लोक सीखा रही थी। असल में ये अभ्यास स्वतंत्रता दिवस पर स्कूल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए सिखाया जा रहा था जिसमें गीता, कुरान और बाइबिल तीनो का पाठ शामिल था।
4. भारत में 2016 में हुए 95% बलात्कार के लिए मुसलमान जिम्मेदार
NCRB की रिपोर्ट: महिलाओं के लिये भारत सर्वाधिक असुरक्षित है कारण: भारत में 95% बलात्कार मुल्ले करते हैं 2016 मे कुल 84734 बलात्कार में से 81000 बलात्कार मुल्लों ने किया और इनकी शिकार महिलाओं में से 96% महिलाएं गैर मुस्लिम हैं इनके जनसंख्या बढेगी बलात्कार की संख्या बढते जायेगी। यह संदेश जुलाई की शुरुआत में व्यापक रूप से फैलाई गई थी। झूठी समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ के मालिक महेश विक्रम हेगड़े इसे शेयर करने वालों में से एक थे।
इस दावे के संबंध में ऑल्ट न्यूज़ को दिए गए एक आधिकारिक बयान में, एनसीआरबी (NCRB) ने स्पष्ट किया, “यह पूरी तरह गलत है और तथ्यों से परे है क्योंकि एनसीआरबी पीड़ितों व अभियुक्त के धर्म के आधार पर डेटा एकत्र नहीं करता है। यह दुर्भावनापूर्ण प्रचार है, जिसे कानून पालन करने वाले नागरिकों द्वारा काउंटर करने की आवश्यकता है। संबंधित अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई शुरू करने की सलाह दी गई है। “ (अनुवाद)
5. “280 अनाथ नाबालिग लड़कियां टेरेसा मिशनरी में गर्भवती हुई “
वकील प्रशांत पटेल उमरराव, जो बार-बार गलत जानकारी फैलाने के लिए कुख्यात हैं, ने ट्वीट किया कि “टेरेसा मिशनरी अनाथालय में 280 नाबालिग अनाथ लड़कियां को गर्भवती किया गया और उनके बच्चों को विदेशों में तस्करी के लिए भेज दिया गया।” उनके इस दावे को 3,000 से अधिक बार रीट्वीट किया गया और फेसबुक पर भी व्यापक रूप से शेयर किया गया।
ऑल्ट न्यूज ने झारखंड एडीजीपी आर के मलिक (ADGP R.K. Mallick) से संपर्क किया, मलिक ने हमें बताया कि पटेल का दावा पूरी तरह झूठा है। “अनाथालय अविवाहित माताओं को आश्रय देता है। प्रसव के समय, उन्हें नन द्वारा अस्पतालों ले जाया जाता है। ऐसा नहीं है कि बच्चे एमओसी (MOC) घरों में पैदा हुए हैं। डिलीवरी के बाद, बच्चों को विभिन्न बाल देखभाल केंद्रों को दे दिया जाता है क्योंकि उनकी मां जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती हैं और एमओसी भी इतने नवजात शिशुओं का ख्याल नहीं रख सकता है।” (अनुवाद)
राजनीतिक नेताओ पर फोटोशॉप हमला
1. प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के साथ हिटलर की फोटोशॉप तस्वीर
दो राजनीतिक नेताओं के बीच अनोखी समानता दिखाने वाली दो तस्वीरें जुड़ी हुई थीं। एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी और दूसरी नाज़ी नेता एडॉल्फ हिटलर की थी। पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने इस फोटो को अपने ट्विटर और फेसबुक प्रोफाइल पर शेयर किया, जिसके बाद इसे बड़े पैमाने पर शेयर किया गया।
Spot the difference. pic.twitter.com/yI1fyIOdos
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) July 25, 2018
गूगल पर रिवर्स इमेज खोज से पता चला कि पोस्ट में इस्तेमाल की जाने वाली हिटलर की तस्वीर फ़ोटोशॉप है। असली फोटो में, वह बच्चे का कान नहीं पकड़ रहे है बल्कि उसके कंधों पर अपने हाथ रखे है। द सन (The Sun) में लिखे एक लेख ने असली फोटो प्रकाशित की है जिसमें नाज़ी नेता की यह तस्वीर “जर्मन युवा के व्यक्तिगत मित्र और अभिभावक” के रूप में चित्रित करने के लिए फोटो खींची गयी थी।
2. प्रधानमंत्री मोदी विश्व के नेताओं से घिरे हुए
एक फेसबुक पेज जय मोदीराज (Jay Modiraj) ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें पीएम मोदी को अन्य देशों के राजनीतिक नेताओं से घिरा हुआ दिखाया गया। इसे 18 जुलाई को पोस्ट किया गया था और 5,500 से अधिक बार शेयर किया गया था।
Friends जरा इस फोटो को गौर से देखिये, भारत के इतिहास में क्या यह दृश्य देखने को आपकी आँखें तरस गई होंगी,
Posted by JAY MODIRAJ ("जय मोदीराज") on Tuesday, 17 July 2018
एक अमेरिकी फोटो एजेंसी, गेटी इमेजेस (Getty Images) के लिए एक फोटोग्राफर, कायहान ओज़र (Kayhan Ozer) द्वारा ली गयी थी, जिसका शीर्षक था “तुर्की राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान (दायें तरफ) Recep Tayyip Erdogan (R) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (बायें तरफ) के साथ बातचीत करते हुए, साथ में तुर्की के विदेश मामलों के मंत्री के मेकुट कैवसुग्लू, 7 जुलाई 2017 को जी 20 लीडर के शिखर सम्मेलन में एक सत्र के दौरान जर्मनी में।” (अनुवाद)
3. राहुल गांधी के पृष्ठभूमि में औरंगजेब का चित्र
सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक समूहों द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एक फोटो बहुत ज्यादा शेयर की गई थी। फोटो की पृष्ठभूमि में मुगल सम्राट औरंगजेब का एक चित्र दिखाया गया। इसे फेसबुक पर हजारों बार शेयर किया गया था।
इन देशभक्तों ने यह कौन से देश भक्त की तस्वीर लगा रखी है
Posted by हिंदुत्व को बचाना है भगवा लाना है Mission 2024 Successfull on Wednesday, 27 June 2018
कहने की जरूरत नहीं है, इमेज को फ़ोटोशॉप किया गया था। असली तस्वीर में पृष्ठभूमि में मोहनदास करमचंद गांधी का चित्र है।
4. प्रधानमंत्री मोदी के सामने झुकने वाली ओ॰ पन्नीरसेल्वम की फ़ोटोशॉप तस्वीर
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की गई, जिसमें तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ओ॰ पन्नीरसेल्वम ने अपने हाथ जोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने झुके हुए हैं। यह तस्वीर कई तमिल वेबसाइटों ने भी पोस्ट की थी।
This picture will break the hearts of the Bravehearts Tamilians who made the most protected guy in India too scared to drive.He had 2 fly on a chopper, break the wall of Madras IIT,when TN trended #gobackmodi .Then this happened. Tamilians & South Indians will be shocked #TNGovt pic.twitter.com/8xwJV0A6Sp
— Suby (@Subytweets) July 26, 2018
ऑल्ट न्यूज़ ने Google रिवर्स इमेज से सर्च किया और पाया की 18 फरवरी, 2018 को एनडीटीवी द्वारा प्रकाशित एक लेख में, जिसका शीर्षक था, “प्रधानमंत्री मोदी के कारण मैं मंत्री बना हूँ, ओ॰ पन्नीरसेल्वम कहते हैं।” इस लेख में एक ही पृष्ठभूमि के साथ एक तस्वीर है, पीएम मोदी और पन्नीरसेल्वम को एक-दूसरे के सामने बैठकर दिखाया गया। यह प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी)PIB, भारत सरकार की एक नोडल एजेंसी द्वारा लिया गया था जब दोनों दिसंबर 2016 में मिले थे। असल तस्वीर में वो जयललिता के सामने हाथ जोड़े खड़े थे।
5. राहुल गांधी की फ़ोटोशॉप तस्वीर जिसमें वो मोबाइल एक अश्लील फोटो देख रहे हैं
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एक तस्वीर है, जिसमें वो अपने मोबाइल फोन में बिकनी पहने हुए महिला की फोटो देख रहे है। इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर खूब फैलाई गया था। एक फेसबुक पेज, योगी सरकार जिसे 400,000 से अधिक लोगो ने फॉलो किया हुआ है, इस पेज ने 30 जुलाई, 2018 को इस तस्वीर को पोस्ट किया था।
फ़ोटो कभी झूट नहीं बोलती… देख लो राहुल गांधी क्या कर रहा है।
Posted by Yogi Sarkar on Monday, 30 July 2018
असली तस्वीर में, राहुल गांधी के हाथ में कोई मोबाइल फोन नहीं है। तस्वीर नवंबर 2016 में ली गई थी जब कांग्रेस अध्यक्ष 8 नवंबर, 2016 को नोट बंदी की घोषणा के बाद अपनी पुरानी मुद्रा बदलने के लिए नई दिल्ली में एक बैंक गए थे। असली तस्वीर Getty Images की वेबसाइट पर पोस्ट की गई थी जिसमे उनके हाथों में कुछ मुद्रा नोट थे।
मुख्याधारा मीडिया द्वारा गलत रिपोर्टिंग
1. CNBC-TV18 – असम में धार्मिक जनसांख्यिकीय संरचना पर गलत डेटा साझा किया गया
अंतिम मसौदे से 40 लाख लोगों को असम (एनआरसी) के राष्ट्रीय रजिस्टर से निकालने की खबरों के बाद, सीएनबीसी-टीवी 18 ने एक रेखा चित्र शेयर किया जो दिखाता है कि राज्य में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या जो 2001 में 13.4% थी वो 2011 में बढ़कर 34.22% हो गयी और इसी बीच हिंदू आबादी के अनुपात में लगातार गिरावट आई थी।
दुर्भाग्यवश CNBC-TV18 ने प्रकाशित रेखा चित्र के तथ्यों की बुनियादी जांच भी नहीं की। 2001 और 2011 की जनगणना के अनुसार असम का जनसांख्यिकीय पैटर्न इस प्रकार है:
Assam | Census 2001 | Census 2011 |
Hindu | 17,296,455 | 19,180,759 |
Muslim | 8,240,611 | 10,679,345 |
Total | 26,655,528 | 31,205,576 |
यदि हम 2001 की जनगणना को प्रतिशत में परिवर्तित करते हैं, तो हिंदुओं की जनसंख्या 64.8% थी नाकि 80.5%। यह प्रतिशत 2011 में 61.47% था। ऐसे ही 2001 में मुसलमानों का प्रतिशत 30.91% था ना कि 13.4%, चैनल द्वारा इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। 2011 में मुसलमानों का प्रतिशत 34.22% था।
2. ANI ने उत्तराखंड सरकार की अधिसूचना के बारे में गलत जानकारी दी
14 जुलाई को, ANI ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें, “उत्तराखंड में यात्रियों को बचाव अभियान के दौरान चार्ज करने का आरोप लगाया” (अनुवाद) लेख के साथ राज्य नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण द्वारा जारी एक अधिसूचना भी लगायी गयी थी जिसे पिथौरागढ़ के जिला मजिस्ट्रेट को संबोधित किया गया था। इसके आधार पर, एएनआई ने बताया कि “आपदाओं के समय बचाव अभियान के दौरान यात्रियों से हेलीकॉप्टरों का लाभ उठाने का चार्ज लगाया गया।” इसी रिपोर्ट को अन्य समाचार संगठनों द्वारा भी उठाया गया था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एएनआई की रिपोर्ट को खारिज करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। उन्होंने कहा कि 4 जुलाई के एक सरकारी आदेश में, हेलिकॉप्टरों से निकासी के लिए यात्रियों से “कोई कीमत नहीं ली गयी”, यह एएनआई द्वारा गलत तरीके से रिपोर्ट करने का एक स्पष्ट मामला था।
3. सुदर्शन न्यूज़ ने मस्जिद द्वारा दिए यूपी पुलिस के खिलाफ फरमान की गलत जानकारी फैलाई
सुदर्शन न्यूज़ ने 21 जुलाई, 2018 को अपनी वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित किया जिसमें दावा किया गया था कि यूपी में पुलिस के खिलाफ एक मस्जिद द्वारा फरमान जारी किया गया है। चैनल के मुख्य संपादक- सुरेश चव्हाणके ने भी इसे शेयर किया था।
शुरू हो गया वो सब कुछ जिसका डर था . #up की एक #मस्जिद से आया फरमान – "टुकड़े टुकड़े में काटना है @Uppolice वालों को"@baghpatpolice @dgpup @myogiadityanath @narendramodi@adgzonemeerut @HMOIndia #UPCM https://t.co/B2YBnlCpZ2
— Suresh Chavhanke STV (@SureshChavhanke) July 21, 2018
सुदर्शन न्यूज द्वारा प्रकाशित लेख उत्तेजक और भड़काऊ था। घटना पर बागपत पुलिस के स्पष्टीकरण के बावजूद, चैनल ने न तो लेख हटाया और न ही माफी मांगी। इसके बजाय, ऑल्ट न्यूज़ के लेख के बाद भी, सुदर्शन न्यूज़ ने इसका दोष दूसरों पर मढ़ दिया।
फर्जी बयान फ़ैलाने वाली फैक्ट्री की लगातार कोशिश
1. कांग्रेस प्रवक्ता और उनकी बेटी को झूठे बयान की वजह से धमकी मिली
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी का एक झूठा बयान जो मंदसौर बलात्कार आरोपी इरफान का समर्थन कर रहा था, सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया। ट्वीट अब हटा दिया गया लेकिन तब तक झूठी खबर फ़ैल चुकी थी और चतुर्वेदी की बेटी से बलात्कार की धमकी मिलने लगी थी। “प्रियंका मैं तेरी बेटी से बलात्कार करना चाहता हूं। अपनी बेटी को मेरे पास भेजो” यह ट्वीट @GirishK1605 अकाउंट से किया गया था। चतुर्वेदी का झूठा बयान यह था, “मंदसौर में केवल एक बलात्कार किया गया है। मुसलमानों को बलात्कार का अधिकार है। हमारी पार्टी इरफान (बलात्कारी) के साथ है।”
मंदसौर बलात्कार के मामले की सूचना मिलने के बाद, सोशल मीडिया पर कांग्रेस के नेताओं को बलात्कार के आरोपी का बचाव करने वाले कई झूठे बयान शेयर किये गए। जिस व्यक्ति ने ट्वीट करके चतुर्वेदी को धमकी दी थी, उसका हैंडल ‘जय श्री राम’ नाम से है। प्रियंका चतुर्वेदी ने मुंबई पुलिस को ट्वीट किया, जिन्होंने उन्हें बताया कि इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। हाल ही में एक परेशान कर देने वाली प्रवृत्ति उभरी है। झूठे बयान किसी नामचीन व्यक्ति के नाम से पोस्ट कर दिए जाते हैं और बाद में उन्हें सोशल मीडिया पर मौत और बलात्कार की धमकियाँ मिलनी शरू हो जाती है।
2. गांधी परिवार की आलोचना करने वाले लेख पर पत्रकार मार्क टली का झूठा नाम
बीबीसी, नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व ब्यूरो चीफ मार्क टली द्वारा लिखित एक लेख, सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ। लेख का शीर्षक था, “अविश्वास प्रस्ताव के बाद आगे के रास्ता।” (अनुवाद) इसमें कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की आलोचना की गयी और लोकसभा में पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी का ‘पराजय’ बताया।
ऑल्ट न्यूज़ ने खोजा और पाया कि 21 जुलाई, 2018 को वही लेख फेसबुक यूजर संजय मेहरा ने शेयर किया था जिसमें मार्क टली का नाम नहीं था। मेहरा ने कमेंट बॉक्स में दावा किया कि यह लेख उनके द्वारा लिखा गया था ना की मार्क टली द्वारा। ऑल्ट न्यूज़ के साथ बातचीत में, टली ने पुष्टि की कि उन्होंने ऐसा कोई लेख नहीं लिखा है।
3. झूठे बयान में अभिनेत्री शबाना आज़मी को जिम्मेदार ठहराया गया
अभिनेत्री शबाना आज़मी के नाम से एक बयान सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था, जिसके अनुसार उन्होंने कहा था कि “भारत अच्छा और महान देश नहीं है क्योंकि यहाँ मुसलमान खुश नहीं हैं”। यह झूठा बयान फेसबुक पर कई बीजेपी समर्थक पेजों और बड़ी संख्या में पर्सनल यूजर्स द्वारा शेयर किया गया था।
THIS IS PURE LIES being circulated in my name . Santosh Bhartiya agar aapki sahi identity hai tto prove kariye ye maine kahah kaha hai. Jhoot ki buniyaad par apni dukaan chalaane wale sharm karo !!! pic.twitter.com/g6KB3o4Tcb
— Azmi Shabana (@AzmiShabana) July 13, 2018
आज़मी ने यह स्पष्ट करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया कि उन्होंने कभी ऐसा बयान नहीं दिया था। ऑल्ट न्यूज ने पाया कि शबाना आज़मी को जिम्मेदार ठहराता यह बयान अब एक साल से अधिक समय से सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है।
जुलाई, 2018 के महीने के लिए गलत जानकारी के कई अन्य उदाहरण हैं जो इस लेख में उल्लिखित वर्गीकरण में फिट नहीं बैठते। उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया पर एक झूठा दावा किया गया था जिसमें लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण को रिकॉर्ड 48 लाख लोगों के देखने का दावा किया गया था। इसी प्रकार, सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर किया गया एक और झूठा दावा जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को महिलाओं की सुरक्षा की एक नई पहल के बारे में बताते दिखाया गया था। ऐसे ही एक अन्य लेख में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को भी निशाना बनाया गया जिसमें उन्होंने किसी पुरानी फिल्म शूट की तस्वीर में बुर्का पहना था, और इस पुरानी तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया गया कि उन्होंने बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों से मिलते समय इसे पहना था।
इस लेख में उल्लिखित लेख सिर्फ उदाहरणात्मक है ना की विस्तृत, क्योंकि गलत जानकारी और दुष्प्रचार की संख्या बहुत ज्यादा है और इस बात की पूर्ण संभावना है कि आने वाले चुनावों से पहले यह दुष्प्रचार और बढ़ सकता है।
अनुवाद: चन्द्र भूषण झा के सौजन्य से
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.