“कल कश्मीर में एक सैनिक को पत्थरबाजों ने पीट पीट कर मार दिया क्या सैनिक पत्थरबाजों से मार खाने के लिए बने हैं इस पोस्ट को इतना #शेयर करें की यह दिल्ली में बैठे हैं मंत्रियों के कानों तक पहुंचे…” एक तस्वीर के साथ यह मेसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें एक चेहरा ढके हुए व्यक्ति द्वारा जम्मू-कश्मीर के एक सैनिक को पीटता हुआ देखा जा सकता है। इंडियन आर्मी नाम से एक फेसबुक पेज जिसके 60000 से अधिक फोलोअर्स हैं इसने यह तस्वीर इस मेसेज के साथ 13 मार्च को पोस्ट की है, जिसे 23000 से अधिक बार शेयर किया जा चूका है।

कल कश्मीर में एक सैनिक को पत्थरबाजों ने पीट पीट कर मार दिया क्या सैनिक पत्थरबाजों से मार खाने के लिए बने हैं इस पोस्ट को इतना #शेयर करें की यह दिल्ली में बैठे हैं मंत्रियों के कानों तक पहुंचे…
#jai_hind

Posted by Indian army on Monday, 12 March 2018

एक और भारतीय सेना: हमारी शान नामक फेसबुक पेज जिसके 11 लाख से भी अधिक फॉलोअर्स हैं उसने भी ऊपर के पोस्ट के मेसेज के साथ इस तस्वीर को पोस्ट किया जिसे 1400 से अधिक बार शेयर किया जा चूका है।

कल कश्मीर में एक सैनिक को पत्थरबाजों ने पीट पीट कर मार दिया क्या सैनिक पत्थरबाजों से मार खाने के लिए बने हैं इस पोस्ट को इतना #शेयर करें की यह दिल्ली में बैठे हैं मंत्रियों के कानों तक पहुंचे…

Posted by भारतीय सेना : हमारी शान on Tuesday, 13 March 2018

तो क्या यह तस्वीर और इसके साथ किया जा रहा दावा सच है? ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वास्तव में यह तस्वीर कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर किए गए हमले की है। लेकिन जैसा कि इसे फ़ैलाने वालों द्वारा दावा किया जा रहा है, यह तस्वीर ‘कल’ की नहीं है बल्कि साल 2010 की है। यह तस्वीर डार यसीन ने एसोसिएटेड प्रेस के लिए खिंचा था जिसे यहां देखा जा सकता है। याद हो कि साल 2010 में जम्मू-कश्मीर में हिंसक विरोध हुए थे यह उसी समय की तस्वीर है। यह घटना श्रीनगर के बाहरी इलाकों में 28 जून 2010 को हुआ था।

Kashmir Photo
Kashmiri Muslim protesters beat an Indian police officer during a protest on the outskirts of Srinagar, India, Monday, June 28, 2010. One person was killed as paramilitary forces fired warning shots to disperse thousands of people in a funeral procession that defied a curfew in Indian Kashmir Monday, police said. At least 16 people were injured in protests across the region. (AP Photo/Dar Yasin)

यह देखना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पुरानी घटना को हाल की घटना बताकर फैलाया जा रहा है। यह सिर्फ जम्मू-कश्मीर की जनता और वहां की सैनिकों के बीच अविश्वास पैदा नहीं करता बल्कि देश के दुसरे हिस्सों में भी रह रहे लोगों के बीच इससे गलत संदेश जाता है।

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