मंदिर में पूजारियों के चिल्लम-चिल्ली करने और दान पेटी गिराने का एक वीडियो सोशल मीडिया में काफ़ी शेयर किया जा रहा है. ट्विटर यूज़र अनुराग ताम्रकार ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “कर्नाटक के पुजारियों ने #मन्दिरों से दानपेटि हटाना शुरु कर दिया है, कहा की जब #हिन्दू भक्तों का पैसा हिन्दुओं के काम नहीं आता तो फ़िर दान पेटि क्यों.”

इस वीडियो को शेयर करते हुए ये भी कहा जा रहा है कि जब सरकारी कर्मचारी दान की पेटी लेने पहुंचे तो पुजारी ने सरकारी अधिकारियों से कहा जाओ पहले मस्जिद, चर्च से दान ले आओ.

फ़ेसबुक पर ‘वी सपोर्ट BJP एंड RSS‘ नाम के पेज से शेयर किए गए इस वीडियो को 24 हज़ार से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. असल में ये वीडियो इस दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल है.

2020 से वायरल

लेखिका अद्वैता काला ने ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा किया था जिसे 1 लाख 23 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक पेज ‘अयोध्या लाइव’ ने इसी दावे से वीडियो पोस्ट किया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 79 हज़ार से ज़्यादा व्यूज़ मिले हैं. (पोस्ट का आर्काइव लिंक) इसी दावे के साथ ये वीडियो ट्विटर और फ़ेसबुक पर वायरल है.

कर्नाटक के पुजारियों ने मंदिर से दान पेटी हटाना शुरू कर दी है। कहा यदि भक्तों का पैसा हिंदुओं के लिए प्रयोग नहीं होना तो दान पेटी क्यों।

Posted by अयोध्या Live on Friday, 7 August 2020

ये वीडियो एक और दावे के साथ शेयर भी किया गया है. ट्विटर यूज़र ‘#RamRajya Begins’ ने ये वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि जब सरकारी अधिकारी मंदिर से पैसे मांगने के लिए आए तो उनसे चर्च और मस्जिदों से पैसें मांगने के लिए कहा गया. इस वीडियो को आर्टिकल लिखे जाने तक 69 हज़ार बार देखा और 5,800 बार रीट्वीट किया गया है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

एक ट्विटर यूज़र ने ये वीडियो कन्नडा मेसेज के साथ ट्वीट किया है. यूज़र का दावा है कि जब चर्च के पैसे ईसाईयों के लिए होते हैं, मस्जिद के पैसे मुस्लिमों के लिए. तो हिंदुओं के पैसे सरकार के लिए क्यों होते हैं? (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ैक्ट-चेक

अद्वैता काला के ट्वीट पर एक यूज़र ने रिप्लाई करते हुए बताया कि ये वीडियो 2015 में कोलारम्मा मंदिर में हुई एक घटना का है. इस आधार पर की-वर्ड्स सर्च करने से हमें 2015 को कोलारम्मा मंदिर का बताते हुए शेयर किया गया ये वीडियो मिला.

एक ट्विटर यूज़र ने 31 अक्टूबर 2015 के कन्नडा दैनिक प्रजावाणी के एक आर्टिकल का स्क्रीनशॉट शेयर किया. इस रिपोर्ट के मुताबिक, “पूजारियों ने शुक्रवार को लोकप्रिय कोलरम्मा मंदिर में पूजा-सेवाएं बंद की. हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर डॉ. केवी त्रिलोकचन्द्रा और मुज़राई विभाग के अफ़सर दोपहर को मंदिर पहुंचे थे. उस वक़्त मंदिर में मौजूद पूजारियों के साथ उनकी बहस हो गई.”

26 जुलाई 2020 की इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटका के 34,559 मंदिर मुज़राई विभाग के अंतर्गत आते हैं.

प्रजावाणी की रिपोर्ट में बताया गया है कि पुजारियों ने 8 साल पहले कोलारम्मा मंदिर में डोनेशन के लिए रखे बॉक्स हटा दिए थे. इस तरह के डोनेशन पर राज्य टैक्स लगाता है. पुजारियों ने कोर्ट में इस मामले को लेकर केस किया था कि दान पेटी को हटाया जाए. लेकिन वो ये केस हार गए और ज़िला अधिकारियों ने दान पेटी वापस मंदिर में रख दिए थे. जब अधिकारी दान पेटी मंदिर में रखने पहुंचे तब मंदिर के पुजारियों से उनकी बहस हो गई. प्रजावाणी की रिपोर्ट में मंदिर के एक पुजारी के हवाले से बताया गया है कि मंदिर में कुल 8 पुजारी हैं जो कि मंदिर पर पूरी तरीके से निर्भर है. अगर मंदिर में दान पेटी राखी जाएगी तो वो अपना गुज़ारा कैसे चलाएंगे और अपने बच्चों को कैसे पालेंगे?

इस तरह 2015 का ये वीडियो हाल का बताकर सोशल मीडिया में शेयर किया गया जिसमें मंदिर के पुजारी दान पेटी रखने पर ज़िला अधिकारियों के साथ बहस कर रहे हैं. कई यूज़र्स ने ये वीडियो राम मंदिर भूमि पूजन से जोड़कर शेयर किया है और उनका दावा है कि पुजारी अधिकारियों से चर्च और मस्जिदों से पैसे मांगने के लिए कह रहे हैं.

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.