मार्च 2020 से ही सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि गुनगुने पानी में नमक या सिरका डाल कर पिया जाए तो कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है. कई लोगों ने लिखा है, “कोरोना सावधानी – कोरोना वायरस फेफड़े में पहुंचने से पहले वह गले में 04 दिन तक रहता है, उस दरमियान व्यक्ति के गले में दर्द व कफ की शिकायत रहती है। यदि आप खूब पानी पियो और गर्म पानी में नमक अथवा वेनिगर डालकर गरारे करे तो वायरस खत्म को जाता है।”

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Posted by Atul Mishhra on Wednesday, 18 March 2020

चम्पावत पुलिस के एसपी ने भी अपने ऑफ़िशियल फ़ेसबुक पेज से 2 जून 2020 को एक पोस्ट शेयर कर ये दावा किया था. इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया लेकिन इसके स्क्रीनशॉट आप नीचे देख सकते हैं.

फ़ेसबुक पर बहुत सारे लोगों ने यही दावा किया है.

इन सभी पोस्ट में 2 तरह के दावे किये गए हैं :

1. कोरोना वायरस फेफड़ों में पहुंचने से पहले गले में चार दिनों तक रहता है.

2. ज़्यादा पानी पीने से वायरस को खत्म किया जा सकता है.

3. गर्म पानी में नमक डालकर पीने से कोरोना वायरस खत्म हो जाता है.

4. गर्म पानी में सिरका डालकर पीने से कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है.

मार्च महीने में वायरल हुई इस तस्वीर में यही दावे देखे गए थे.

फ़ैक्ट-चेक

1.कोरोना वायरस फेफड़ों में पहुंचने से पहले गले में चार दिनों तक नहीं रहता है

जब ऑल्ट न्यूज़ की साइंस टीम ने इस दावे की जांच की तो हमें ऐसी कोई हालिया रिसर्च नहीं मिली जिसमें कोरोना वायरस के गले में 4 दिनों तक रहने के बारे में बताया गया हो. हिंदुस्तान टाइम्स के 13 मई के एक आर्टिकल में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस 4 दिनों तक गले में रहता है. आर्टिकल में इस दावे का स्रोत रेट्रोस्पेक्टिव कोहोर्ट (retrospective cohort) स्टडी (Fei Zhou, 2020 ) को दिया गया है. मालूम चला कि इस स्टडी में कोरोना वायरस के गले में 4 दिनों तक रहने का कोई दावा नहीं किया गया है.

कोरोना वायरस के मरीज़ों में 2 से 7 दिनों में बुख़ार और अन्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं (Chen, J. et al, 2020). इससे ये पता चलता है कि कोरोना वायरस को खून में फैलकर और बुख़ार लाने के लिए कई केसेज़ में सिर्फ़ 2 ही दिन लगते हैं. इस तरह, ये दावा कि कोरोना वायरस को गले से फेफड़ों तक पहुंचने में 4 दिन लगते हैं, ग़लत साबित हो जाता है.

2. ज़्यादा पानी पीने से वायरस को खत्म किया जा सकता है

तमाम स्टडीज़ की समीक्षा करने पर ऑल्ट न्यूज़ साइंस को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि ज़्यादा पानी पीने से किसी भी तरह के बैक्टीरिया या वायरस जैसे सूक्ष्म जीवों को खत्म किया जा सकता है. ये मेडिकल रूप से भी संभव ही नहीं है.

डॉक्टर्स ज़्यादातर इंफ़ेक्शन से पीड़ित मरीज़ों को तरह-तरह के ड्रिंक्स, जैसे छाछ, फलों का रस, नारियल पानी वगैरह पीने की सलाह देते हैं ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो. इंफ़ेक्शन में बुखार, उल्टी या दस्त की समस्या होने के कारण मरीज़ के शरीर में पानी की कमी होने लगती है. ज़्यादातर पानी शरीर को खाने के ज़रिए मिलता है लेकिन बीमारी के कारण मरीज़ ठीक से खा नहीं पाते. इसलिए उन्हें अलग से ऐसी चीज़ों को लेने के लिए कहा जाता हैं. पर्याप्त पानी पीने की सलाह सभी तरह के इंफ़ेक्शन में दी जाती है. ताकि शरीर को डिहाइड्रेट होने से बचाया जा सके.

भारत जैसे गर्म देश में किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में पानी पीने की सलाह अमूमन दी ही जाती है ताकि वो गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों, किडनी स्टोन जैसी बीमारियों से बच पाए.

ज़्यादा लिक्विड लेने से किसी भी सांस के संक्रमण में राहत मिलने का कोई सबूत नहीं है. बल्कि अगर श्वसनतंत्र के निचले हिस्से में कोई इंफ़ेक्शन हुआ हो तो ज़्यादा मात्रा में लिक्विड लेने से नुकसान हो सकता है. (Guppy M, 2011)

अब सवाल ये उठता है कि कोई व्यक्ति ज़रूरत से ज़्यादा पानी पिए तो क्या होगा? इस मामले में, एक तंदुरुस्त व्यक्ति के शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा लिक्विड को उसकी किडनियां आसानी से आउटपुट (पेशाब) के ज़रिए निकाल देती हैं. लेकिन कुछ इंफ़ेक्शन में Antidiuretic hormone (ADH) कुछ ज़्यादा बनता है. ये हॉर्मोन पेशाब में पानी की मात्रा को कम कर देता है. अगर ऐसे वक़्त में मरीज़ ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीता है तो शरीर में इस हॉर्मोन (ADH) के कारण पेशाब के ज़रिए ये पानी निकल नहीं पाता है और ये पानी शरीर के साथ-साथ खून में भी जमा होने लगता है. इसके कारण शरीर में मौजूद सोडियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट शरीर के एक्स्ट्रा पानी में घुलने लगते हैं. इस स्थिति को हाइपोनाट्रेमिया (hyponatremia) कहते हैं. हाइपोनाट्रेमिया (hyponatremia) से सिरदर्द, जी मचलना, उल्टी आना, थकान, दिशा ज्ञान न रहना या ज़बान लड़खड़ाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. लेकिन अगर शरीर में मौजूद सोडियम ज़्यादा तेज़ी से घुलने लगे तो व्यक्ति को दौरे पड़ सकते हैं, वो कोमा में जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है. इससे ये बात तो साफ़ है कि किसी भी व्यक्ति को काफ़ी कम समय में ज़्यादा पानी नहीं पीना चाहिए. खासकर उस वक़्त, जब उसे कोई इंफ़ेक्शन हुआ हो.

इसके अलावा, कई ऐसे मरीज़ों को (ज़्यादातर दिल के दौरे वाले मरीज़) पानी पीने से रोका जाता हैं क्योंकि उनके शरीर में पहले से ही ज़्यादा मात्रा में पानी मौजूद होता है. इन मरीज़ों को पहले से ही कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण का डर होता है और ज़्यादा पानी पीने के कारण उनकी हालत और भी गंभीर हो सकती है.

इस तरह, जितनी मात्रा में पानी पीने के लिए कहा जाए उतना ही पानी पीना चाहिए. इसके अलावा, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ज़्यादा पानी पीने की वजह से इंफ़ेक्शन से बचा जा सकता है.

3. क्या गर्म पानी में नमक डालने से कोरोना वायरस खत्म हो सकता है?

ऑल्ट न्यूज़ की साइंस टीम पहले ही इस दावे की जांच कर चुकी है. हमारी साइंस टीम ने पाया कि गर्म पानी पीने या उससे गुनगुना करने से कोरोना वायरस संक्रमण पर कोई असर नहीं पड़ता है. न तो कम और न ही ज़्यादा तापमान कोरोना वायरस को खत्म कर सकता है. वायरस को मारने के लिए गर्म पानी पीना या गर्म पानी से धोना आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है.

4. गर्म पानी में सिरका डालकर पीने से क्या कोरोना को खत्म किया जा सकता है?

इस दावे की हकीकत जानने के लिए की-वर्ड्स ‘vinegar coronavirus’ से सर्च करने पर 16 मार्च 2020 का “fullfact.org” का आर्टिकल मिला. इस रिपोर्ट में बताया गया कि पानी में नमक या सिरका डालकर पीने से कोरोना को खत्म नहीं किया जा सकता.

आगे सर्च करने पर “factcheck.org” का 16 मार्च 2020 का आर्टिकल मिला जिसमें सोशल मीडिया में शेयर हो रहे दावे कि गर्म पानी में नमक या सिरका डालकर पीने से कोरोना वायरस को मारा जा सकता है, को ग़लत बताया गया है. रिपोर्ट में येल यूनिवर्सिटी के पल्मेनरी मेडिसिन और क्रिटिकल केयर के एसोसिएट प्रोफ़ेसर चार्ल्स डेला क्रूज़ के हवाले से बताया गया है कि नमक या विनेगर वाला पानी पीने से गले में हो रहे दर्द से राहत मिलती है लेकिन ये कोरोना वायरस को खत्म नहीं कर सकता. आगे वे बताते हैं कि कोरोना वायरस को खत्म करने का अभी सिर्फ़ एक ही तरीका है – साबुन और पानी से सतह को धोना. लेकिन नमक या विनेगर वाले पानी से आप कोरोना को फेफड़ों में जाने से रोक नहीं सकते.

आगे रिपोर्ट में बताया गया है कि WHO के मुताबिक भी कोरोना वायरस को खत्म करने का सिर्फ़ एक ही उपाय है – साबुन और पानी से त्वचा या सतह को धोना. फिलहाल इसके अलावा कोरोना वायरस को खत्म करने का और कोई तरीका नहीं है.

हमारी साइंस टीम ने जब विटामिन-सी या नीम्बू से कोरोना वायरस को खत्म करने के दावे की जांच की तो हमें ऐसा कोई रिज़ल्ट नहीं मिला जिसमें इस दावे को सही बताया गया हो.

निष्कर्ष

जैसा कि हमने देखा, नमक वाले पानी को पीने से गले में होने वाले दर्द में राहत मिलती है. लेकिन इससे कोरोना वायरस या किसी भी सूक्ष्मजीवों से बचा नहीं जा सकता. सोशल मीडिया में लोगों को दी गई ये सलाह कि वो संक्रमण के शुरुआती दौर में गरारे करने से बच सकते हैं, काफ़ी खतरनाक साबित हो सकती है. कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को ज़्यादा मात्रा में पानी पीने की सलाह देना भी खतरे से खाली नहीं है क्योंकि कुछ लोग इसका अंध-अनुकरण करके ज़्यादा मात्रा में पानी पी सकते हैं और इस वजह से उनकी जान पर खतरा बन सकता है.

कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए हाथों को साबुन और पानी से अच्छे तरीके से धोना काफ़ी है. इसके अलावा, बहुत ज़रूरी होने पर ही बाहर जायें और भीड़-भाड़ वाले इलाकों से दूरी बना कर रखें. मगर संक्रमण हो जाने पर उसे गरारे करने से खत्म नहीं किया जा सकता. किसी भी प्रमुख सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर की गई ऐसी भ्रामक जानकारियां लोगों के लिए हानिकारक हैं. ऑल्ट न्यूज़ साइंस टीम द्वारा सोशल मीडिया में शेयर हो रहे ऐसे ही दावों के फ़ैक्ट-चेक्स को आप यहां पर पढ़ सकते हैं.

रेफ़रन्स:

Guppy MPB, Mickan SM, Del Mar CB, Thorning S, Rack A. (2011) Advising patients to increase fluid intake for treating acute respiratory infections. Cochrane Database of Systematic Reviews 2011, Issue 2.

Fei Zhou*, Ting Yu*, Ronghui Du*, Guohui Fan*, Ying Liu*, Zhibo Liu*, Jie Xiang et al. (2020). Clinical course and risk factors for mortality of adult inpatients with COVID-19 in Wuhan, China: a retrospective cohort study

Lee LC, Noronha M. (2016). When plenty is too much: water intoxication in a patient with a simple urinary tract infection. BMJ Case Rep.

Chen, J., Qi, T., Liu, L., Ling, Y., Qian, Z., Li, T., … & Song, Z. (2020). Clinical progression of patients with COVID-19 in Shanghai, China. Journal of Infection.

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