साल 2022 के अंत में बच्चा चोरी की अफवाहें इतनी फैली थीं कि राज्यों के पुलिस को सामने आकर लोगों को सचेत करना पड़ रहा था. इन अफवाहों की वजह से कई जगहों पर लोगों ने साधुओं और संदिग्ध लोगों को पीटना शुरू कर दिया था. और इस संबंध में कई पुराने और असंबंधित वीडियोज़ वायरल होने लगे. ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे कई वीडियोज़ की सच्चाई उजागर की थी जिन्हें बच्चा चोरी की घटना से जोड़कर शेयर किया गया था. ऐसा ही एक वीडियो अभी वायरल हुआ है. दावा किया जा रहा है कि हिजाब का इस्तेमाल बच्चा चोरी के लिए किया जा रहा है. वीडियो में एक शख्स बुर्का पहने व्यक्ति को थप्पड़ और लात मार रहा है. सतीश अन्ना नाम के एक यूज़र ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “हिजाब भी इस्तेमाल हो रहा है बच्चा चोरी के लिए… सावधान रहें”. (आर्काइव लिंक)
हिजाब भी इस्तेमाल हो रहा है बच्चा चोरी के लिए… सावधान रहें 🙏#HindusUnderAttack @sdeo76 @chitrapadhi @SaundiD @jeetensingh @Muktak8 @MNageswarRaoIPS @Sjp1007 @total_woke_ @gopalgiri_uk @madhukishwar @AshwiniUpadhyay pic.twitter.com/IzWHFFi3OS
— Satish Anna (@mysatish20) March 16, 2023
इसी वीडियो को आज़ाद नाम के यूज़र ने शेयर किया और लिखा कि अब्दुल बुर्का पहनकर हिन्दू बच्चे को चुराने की कोशिश कर रहा था. (आर्काइव लिंक)
Abdul wearing Burqa trying to kidnap a Hindu child.
pic.twitter.com/jrHcwDVprw— Azzad Alsalem (@AzzatAlsaleem) March 16, 2023
इसके अलावा कुछ राइट विंग हैंडल्स ने भी ये क्लिप शेयर करते हुए सांप्रदायिक ऐंगल दिया है.
फ़ेसबुक पर भी ये वीडियो वायरल हो रहा है जहां दावा है कि बच्चा चोरी के लिए हिजाब का इस्तेमाल किया जा रहा है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने नोटिस किया कि वीडियो में दिख रहा शख्स ‘अंकुर जटुस्करन’ है जो अक्सर स्क्रिप्टेड वीडियोज़ बनाता है. और ऑल्ट न्यूज़ ने भी कई बार उसके बनाए वायरल वीडियो का फ़ैक्ट-चेक किया है. इसके फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल के मुताबिक, वो अक्सर प्रेंक वीडियो बनाता है और यूट्यूब चैनल और फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट करता है. हमने इसका यूट्यूब चैनल देखा और पाया कि ये वीडियो 18 फ़रवरी, 2023 को अपलोड किया गया है. और इसे 2 करोड़ से ज़्यादा व्यूज मिले हैं. हालांकि, यूट्यूब पर पोस्ट किये गए वीडियो में कोई डिस्क्लेमर नहीं दिया गया है.
अंकुर के फ़ेसबुक पर 2 पेज और यूट्यूब पर 2 वेरीफ़ाइड चैनल्स हैं. और इन सभी चैनल्स से काफी हिंसक स्क्रिप्टेड वीडियोज़ पोस्ट किये जाते हैं. कुछ वीडियोज़ में डिस्क्लेमर भी नहीं होता है. हमने अंकुर के दोनों फ़ेसबुक पेज चेक किये. दोनों पेज से इस वायरल वीडियो का लम्बा वर्जन पोस्ट किया गया है. एक पेज से ये 19 फ़रवरी को और दूसरे पेज से इसे 25 फ़रवरी को पोस्ट किया गया है. वायरल वीडियो का लम्बा वर्जन 7 मिनट का है जिसके शुरुआत और आखिरी हिस्से में सिर्फ 1 सेकंड के लिए डिस्क्लेमर दिखता है. डिस्क्लेमर में लिखा है, “इस वीडियो में बनाए गए कंटेंट को सिर्फ मनोरंजन के मकसद से लेना चाहिए. यहां दी गई जानकारी का किसी सलाह या क्रेडिट एनालिसिस के सोर्स होने से कोई सबंध नहीं है.”
अंकुर के यूट्यूब पर 2 चैनल्स हैं. और दोनों मिलाकर 19 लाख सब्सक्राइबर्स हैं. इसके अलावा फ़ेसबुक पर एक पेज के 4 मिलियन और दूसरे पेज के 6 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं. और लाखों की फॉलोअर्स वाला ये शख्स अक्सर स्क्रिप्टेड वीडियोज़ के नाम पर मारपीट और हिंसक वीडियोज़ पोस्ट करता है और पोस्ट करते समय टेक्स्ट में डिस्क्लेमर भी नहीं होता है जिससे लोग इसे सच्ची घटना मान लेते हैं. वीडियो में दिया गया डिस्क्लेमर इतने कम समय के लिए होता है कि पूरा पढ़ने के लिए वीडियो को रोकना पड़ता है. और ऐसा न कर पाने वाले व्यूअर्स इसे देखकर गुमराह हो जाते हैं.
कुल मिलाकर, एक बार फिर झूठा सांप्रदायिक दावा करने के लिए स्क्रिप्टेड वीडियो का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे पहले भी इस तरह के स्क्रिप्टेड वीडियोज़ का इस्तेमाल झूठा दावा करने के लिए किया गया है. ऑल्ट न्यूज़ के ऐसे कुछ रिपोर्ट्स यहां देखे जा सकते हैं.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.