“लोग लेनिन की मूर्ति गिरा रहे हैं… रूस में नहीं बल्कि त्रिपुरा में। ‘चलो पलटाई'” (चलो पलटाई का मतलब है; आओ बदलें) इन शब्दों के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने ट्वीट किया और साथ में वामपंथी क्रांतिकारी नेता लेनिन के प्रतिमा गिराने के तस्वीर को भी शेयर किया। हालांकि राम माधव ने अब ट्वीट को डिलीट कर दिया है लेकिन इसकी स्क्रीनशॉट नीचे देखी जा सकती है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह घटना विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के 48 घंटे बाद दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया शहर में 5 फरवरी को दोपहर 2.30 बजे हुई।
In South Tripura’s Belonia, a statue of Lenin razed amid chants of ‘Bharat Mata Ki Jai’. This, less than 48 hours after the BJP stormed to power ending a 25-year-long Left rule.
More here: https://t.co/Q7a4EsiuSh pic.twitter.com/335YDvXTb7
— The Indian Express (@IndianExpress) March 5, 2018
जब यह मुद्दा त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय के ध्यान में लाया गया तो इस तोड़-फोड़ की कड़ी निंदा करने के बजाय उन्होंने दूसरों पर ऊँगली उठाई और अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना को सही बताने की कोशिश की।
सोशल मीडिया पर विवादों से तथागत रॉय अपिरिचित नहीं हैं। उन्होंने पहले भी एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने दूसरे एक ट्वीटर यूजर को उनके पोस्ट, ‘हिन्दू हमेशा लड़ाई से भागते हैं’ का जवाब देते हुए गुजरात दंगे की याद दिलाई और कहा “मुझे ख़ुशी है कि आप 2002 में गुजरात में जो हिन्दुओं ने किया उसकी सराहना करते हैं”।
दिल्ली के भाजपा प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा ने इसी तस्वीर के साथ ट्वीट किया, “लाल गुलामी छोड़कर बोलो वन्दे मातरम्”। दिलचस्प बात यह है कि तेजिंदर बग्गा “भगत सिंह क्रांति सेना” नामक दक्षिणपंथी संगठन के संस्थापक हैं और एक रिपोर्ट के अनुसार फांसी दिए जाने से पहले भगत सिंह लेनिन पर लिखी गई किताब पढ़ रहे थे।
फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने इस मूर्ति के गिरने के जश्न में पाकिस्तान के कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक और मशहूर कवि फैज़ अहमद फैज़ की एक कविता का हवाला दिया।
मकरंद परांजपे, JNU के प्रोफेसर ने इस तोड़-फोड़ की घटना को एक ‘अद्भुत दृश्य’ बताते हुए राम माधव के ट्वीट का हवाला दिया।
Amazing spectacle, Sir! https://t.co/OGIdeYhv7b
— Makarand R Paranjape (@MakrandParanspe) March 5, 2018
नूपुर शर्मा जो दक्षिणपंथी वेबसाइट ओपइंडिया के संपादक हैं, उनकी राय में यह घटना एक लोकत्रांत्रिक कार्य है, “वामपंथियों के हार के साथ उनके सारे मूर्ति (निशान) भी हटा दिए जाने चाहिए।” क्या एक चुनावी हार हारने वाली पार्टी की सभी निशानों को हटाए जाने के लिए पर्याप्त है?
It is the people who elect a government. It is these people decided to throw the communists out. With the communist’s exit, their idol should go too. Democracy works both ways :))
— Nupur (@UnSubtleDesi) March 5, 2018
बहुत सारे ऐसे लोग जिन्हें ट्वीटर पर मोदी जी फॉलो करते हैं, उन्होंने इस मूर्ति के गिराए जाने की प्रशंसा की और समर्थन दिया। अभिषेक मिश्रा ने कहा कि मूर्ति का तोड़ा जाना गर्व की बात है और इसका बचाव की जरुरत नहीं है।
People started circulating what other's country did with Lenin statues. Why we always play in Defensive Mode ? Our people demolished it, We feels proud for this.
— Abhishek Mishra (@Abhishek_Mshra) March 5, 2018
तमिलनाडु के एक अन्य भाजपा नेता ने सभी निशानों के हटाए जाने की प्रशंसा की और इसे प्रोत्साहित किया। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव एच राजा ने अपने फेसबुक पेज से पोस्ट किया कि सामाजिक सुधारक ईवी रामास्वामी नायक (पेरियार) की मूर्ति को हटा दिया जाना चाहिए। इस पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने यह पोस्ट हटा लिया।
BJP leader deletes Facebook post warning Periyar statue will be demolished too https://t.co/py8nSdCHwt pic.twitter.com/s2xNG6iygA
— NDTV (@ndtv) March 6, 2018
त्रिपुरा में वामपंथियों की हार भारतीय राजनिति का एक ऐतिहासिक क्षण है जो वहां के लोगों में बदलाव की भावना को दर्शाता है। हालांकि, लेनिन के मूर्ति को गिराना शर्म की बात है जिसकी निंदा की जानी चाहिए, लेकिन इस मामले में देखा गया कि निंदा के बजाय भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और समर्थकों ने इसकी सराहना की।
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