2 मार्च से सोशल मीडिया पर एक लड़की की तस्वीर शेयर की जा रही है. इस लड़की ने यूक्रेन से वीडियो बनाकर भारत सरकार से मदद मांगी थी. तस्वीर के साथ एक बयान भी शेयर किया जा रहा है. छात्रा के हवाले से दिए गए इस बयान में स्टूडेंट्स की स्थिति का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की गई है. छात्रा के हवाले से लिखा है: “भारतीय दूतावास ने मुझे मुंबई एयरपोर्ट पर उतारा, जहां से मुझे कोई मदद नहीं मिली. मैंने 30 मिनट तक इंतजार किया लेकिन भारतीय दूतावास से कोई नहीं आया. मैंने दूतावास को फ़ोन किया, किसी ने मेरा फ़ोन नहीं उठाया. फिर मुझे खुद कैब बुक कर घर पहुंचना पड़ा. जिसमें मुझे 234 रुपये देने पड़े.”

ट्विटर यूज़र @IamGmisra ने ‘Pokershash’ अकाउंट की एक इंस्टाग्राम स्टोरी का स्क्रीनशॉट शेयर किया जिसमें वायरल तस्वीर शेयर की गई है. गौर करें कि ‘Pokershash’ भारत में ग़लत सूचना शेयर करने वाले प्रमुख एकाउंट्स में से एक है. ऑल्ट न्यूज़ ने इस अकाउंट द्वारा शेयर की गई कई ग़लत सूचनाओं का डॉक्यूमेंटेशन किया है. इस ट्वीट को आर्टिकल लिखे जाने तक 6 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स मिले हैं.

ट्विटर यूज़र @Shilpa_cn ने भी इस इंस्टाग्राम स्टोरी को ट्वीट किया जिसे आर्टिकल लिखे जाने तक 10 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स मिले. बाद में इसे डिलीट कर दिया गया था.

मेटा के सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टूल क्राउडटेंगल का इस्तेमाल करते हुए ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि कई हाई नेटवर्क फ़ेसबुक अकाउंट्स ने ये पोस्ट शेयर की है. इस लिस्ट में ग्रोइंग इंडिया [16 लाख फ़ॉलोअर्स], गुरु घंटाल [करीब 9 लाख फ़ॉलोअर्स], आप च*तिये हैं [एक लाख से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स], आर्टक्राफ्टर [20 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स], बजरंगी दल [34 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स], और ट्रोल गुरु [4 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स] शामिल हैं. ऐसे दूसरे एकाउंट्स ने भी ये पोस्ट शेयर की है [PDF देखें].

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने छात्रा की तस्वीर को गूगल पर रिवर्स सर्च किया. हमने देखा कि इसे ‘स्टार ऑफ़ मैसूर‘ नाम की एक वेबसाइट ने पब्लिश किया था. 28 फ़रवरी की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो में दिख रही महिला मैसूर की ज्ञानश्री सिंह है. ये यूक्रेन में मेडिकल की छात्रा हैं जिन्होंने यूक्रेन में फंसे भारतीयों की मदद के लिए एक वीडियो अपलोड किया था. वीडियो में उन्होंने कहा कि लगभग 300 स्टूडेंट रूसी सीमा के पास एक हॉस्टल के बंकर में फंसे थे.

ये वीडियो न्यूज़फ़र्स्ट कन्नड़ ने प्रसारित किया था.

ऑल्ट न्यूज़ ने मैसूर के एक पत्रकार से बात की जिसने ज्ञानश्री के पिता गणेश सिंह से हमारा संपर्क कराया. फ़ोन कॉल पर हुई बातचीत में गणेश सिंह ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “मेरी बेटी 2 मार्च को पोलैंड पहुंची थी. हमें उम्मीद है कि वह एक या दो दिन में वापस आ जाएगी.”

लेकिन वायरल पोस्ट से अलग, बजरंगी दल ने तस्वीर का ‘मज़ाक बनाकर’ दिखाया. इसे घटिया मज़ाक कहना भी कम होगा. खासकर जब इसमें ‘ह्यूमर’ जैसा कुछ भी नहीं है.

कॉलमनिस्ट बिक्रम वोहरा ने न्यूज़9 के लिए एक रिपोर्ट लिखी जिसमें इस पोस्ट का संदर्भ दिया गया था. उन्होंने लिखा, “वो इस बात से तकलीफ में थीं कि मुंबई में उनको रिसीव करने के लिए दूतावास से कोई नहीं था और न ही हवाई अड्डे से बाहर निकलने वाला कोई अधिकारी उनका स्वागत करने के लिए मौजूद था. उन्हें अकेले ही टैक्सी पकड़नी पड़ी, जिसकी कीमत 230 रु. थी, जो $3 के बराबर थी. बेचारी अनाथ एनी!”

बिक्रम वोहरा ने भारत सरकार से मदद मांगने वाले छात्रों को “एंटाइटिल्ड मिलेनियल्स” भी कहा था.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत के रुख ने लोगों के विचारों का ध्रुवीकरण किया है. हालांकि, प्रतिक्रिया में सरकार की देरी से छात्र खुद ही अपना बचाव करने को मज़बूर हैं और वे भारतीय अधिकारियों के साथ संपर्क बनाने और पड़ोसी देशों की सीमाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

कर्नाटक के एक छात्र ने यूक्रेन से लौटने पर द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “पूर्वी यूक्रेन में रहने वाले लोग अभी भी फंसे हुए हैं. अगर वे अब भी आ रहे हैं तो ये उनकी अपनी कोशिशों की वज़ह से है. मदद या गाइड करने के लिए दूतावास का एक भी अधिकारी नहीं है.” उन्होंने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि बसों को इसलिए जाने दिया गया क्योंकि उनके पास भारतीय झंडे थे लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा, “मंत्री दिखावा कर रहे हैं और बिना कुछ किए ही क्रेडिट ले रहे हैं. अगर उनमें हिम्मत है तो सरकार को खार्किव और सूमी से छात्रों को निकालना चाहिए.”

सरकार की देरी और कम प्रतिक्रिया की आलोचना करने के लिए कई छात्रों को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा है. 2 मार्च को ऑल्ट न्यूज़ ने यूक्रेन में फंसी एक मेडिकल छात्रा और सपा नेता की बेटी वैशाली यादव के एक वीडियो की पड़ताल की थी. उस वीडियो के साथ ग़लत दावा किया जा रहा था कि वैशाली यादव यूक्रेन में होने का “नाटक” कर रही थी और भारत को बदनाम करने के लिए घर से ही अपने पिता के कहने पर ये वीडियो बनाया था.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.