20 अगस्त की दोपहर को एक ख़बर आई जिसमें दावा किया गया कि एक 14 वर्षीय भारतीय लड़की ने “नासा की MSI फ़ेलोशिप वर्चुअल पैनल” पर पैनलिस्ट की पोज़ीशन हासिल करके एक असाधारण उपलब्धि पायी. ये खबर ANI ने फैलाई. दावे के अनुसार महाराष्ट्र की लड़की दीक्षा शिंदे के “ब्लैक होल के सिद्धांत और भगवान” पर उसके पेपर को NASA ने स्वीकार कर लिया और NASA ने उसे उनके लिए आर्टिकल लिखने के लिए कहा.
ANI ने दीक्षा शिंदे की कहानी को सपोर्ट करने के लिये नासा के कथित सर्टिफ़िकेट और ईमेल की तस्वीरें शेयर कीं.
रिपोर्ट में किये गये दावे के अनुसार, “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ साइंटिफ़िक एंड इंजीनियरिंग रिसर्च ने मई 2021 में ‘वी लिव इन ब्लैक होल?’ पर उनके रिसर्च पेपर को स्वीकार कर लिया. दीक्षा शिंदे ने कहा कि उन्हें जून 2021 में, 2021 MSI फ़ेलोशिप वर्चुअल पैनल के पैनलिस्ट के रूप में चुना गया था.”
ANI की पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.
भारत में लगभग हर मीडिया आउटलेट ने ये ‘न्यूज’ पब्लिश किया था – लाइवमिंट, टाइम्स नाउ, शी द पीपल, अमर उजाला, द इकोनॉमिक टाइम्स, आज तक, लोकमत, न्यूज 18 इंग्लिश, न्यू 18 बांग्ला, इंडिया टाइम्स, DNA, न्यूजट्रैक, एशियानेट, लेटेस्ट ली और Yahoo न्यूज़.
नासा की प्रतिक्रिया
दीक्षा शिंदे के दावे में ऐसी कई बातें हैं जिन्हें ANI ने रिपोर्ट पब्लिश करने से पहले अनदेखा कर दिया था. न्यूज़ एजेंसी ने दीक्षा शिंदे की स्टोरी को कंफ़र्म करने के लिए NASA से संपर्क नहीं किया.
NASA के एक प्रवक्ता ने ऑल्ट न्यूज़ को एक ईमेल से सूचित किया, “मई 2021 में, नासा के STEM एंगेजमेंट कार्यालय ने अल्पसंख्यक-सेवारत संस्थानों के साथ नासा फ़ेलोशिप के प्रस्तावों और आवेदनों की समीक्षा करने के लिए एक थर्ड पार्टी सर्विस द्वारा विशेषज्ञ पैनलिस्टों के आवेदन मांगे. दीक्षा शिंदे को चुना गया लेकिन उन्होंने अपनी पृष्ठभूमि और पहचान की ग़लत जानकारी दी थी जो उनके चुनाव का आधार था. नासा अभी संभावित पैनलिस्टों के बैकग्राउंड को वेरीफ़ाई करने की प्रक्रिया की समीक्षा कर रहा है. मामले को एजेंसी के महानिरीक्षक कार्यालय भी भेजा गया है.”
दीक्षा शिंदे ने अपनी कहानी को सपोर्ट करने के लिए जो सर्टिफ़िकेट, एप्लीकेशन आदि शेयर किया है, उनके बारे में नीचे बात की जा रही है.
सर्टिफ़िकेट
ANI ने NASA द्वारा शिंदे को कथित तौर पर दिए गए दो सर्टिफ़िकेट की तस्वीरें शेयर कीं. इनमें से एक सर्टिफ़िकेट नीचे पोस्ट किया गया है जिसे दूसरे की तुलना में अच्छे से पढ़ा जा सकता है. इसमें साफ़ तौर पर गलतियां देखी जा सकती हैं.
1. सर्टिफ़िकेट में ‘जिम ब्राइडेंस्टाइन’ का नाम है जिन्हें ‘CEO और प्रेसिडेंट’ बताया गया है.
2. ‘जेम्स फ्रेडरिक’ नाम के एक दूसरे व्यक्ति को ‘विभाग अध्यक्ष’ बताया गया है.
ये दोनों नाम एक ही व्यक्ति के हैं.
जेम्स फ्रेडरिक “जिम” ब्राइडेंस्टाइन 23 अप्रैल, 2018 से 20 जनवरी, 2021 तक NASA के 13वें एडमिनिस्ट्रेटर रहे. उन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने नॉमिनेट किया था. फ़िलहाल नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन हैं.
सर्टिफ़िकेट में 2020 की तारीख है और तब ब्राइडेंस्टाइन एडमिनिस्ट्रेटर थे. लेकिन उनका नाम दो हिस्सों में बांट कर उन्हें नासा के “CEO और प्रेसिडेंट” और “विभाग अध्यक्ष” बता दिया गया. एजेंसी में एक एडमिनिस्ट्रेटर और एक डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर होता है. ये नासा में सबसे ऊंचे पद हैं. नासा में कई दूसरे लोग हैं – वैज्ञानिक, तकनीशियन, इंजीनियर से लेकर विश्लेषक तक – लेकिन एजेंसी के पास न तो कोई प्रेसिडेंट है और न ही कोई CEO. इसके अलावा, सर्टिफ़िकेट में किसी विभाग का ज़िक्र किए बिना अस्पष्ट रूप से “डिपार्टमेंट चेयर” लिखा है.
3. तीसरी बात जो हमने देखी, वो सर्टिफ़िकेट में लिखा एक वाक्य था, “For her excellent efforts for the perfect proposals”. ये वाक्य देखकर ऐसा कतई नहीं लगता कि इसे नासा ने लिखा होगा. लिखित प्रस्ताव का भी कोई ज़िक्र नहीं है. इसके अलावा, ANI के मुताबिक दीक्षा शिंदे ने एक सिद्धांत दिया था जिसे नासा ने स्वीकार किया था, फिर भी सर्टिफ़िकेट में बहुवचन में “perfect proposals” लिखा है.
ऑल्ट न्यूज़ ने ब्राइडेंस्टाइन को उनके नाम से पब्लिश होने वाले सर्टिफ़िकेट के बारे में ईमेल किया है. अगर उनका जवाब आता है तो इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
दीक्षा शिंदे के अपने नाम से फर्जी सर्टिफ़िकेट शेयर करने का ये अकेला मामला नहीं है. कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने बताया कि दीक्षा शिंदे ने लिंक्ड-इन पर अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी से 25 हज़ार डॉलर की छात्रवृत्ति के लिए नामांकन का सर्टिफ़िकेट अपलोड किया था. सर्टिफ़िकेट Canva के एक टेम्पलेट जैसा दिखता है.
Such a nice certificate made on @canva pic.twitter.com/HKE9gCIzLj
— Sanskar Rao🇮🇳 (@SanskarBarot) August 20, 2021
जैकी फ़ाहर्टी जिनका नाम सर्टिफ़िकेट पर है, ने ट्वीट किया, “मुझे नहीं पता कि मेरा नाम इसमें क्यों लिया जा रहा है, लेकिन किसी ने भारत में 14 साल की लड़की का इस्तेमाल करके एक घोटाला किया है…”
I don’t know why my name got tied into this but someone has created a scam using a 14 yr old girl in India and her dream of being a scientist. If Diksha really has a passion for Astronomy she can reach out to me and I’ll find some legitimate pathways for her passion. https://t.co/VLmtwRBmsg
— Jackie Faherty (@jfaherty) August 20, 2021
दीक्षा शिंदे का लिंक्ड-इन प्रोफाइल अब हटा लिया गया है लेकिन वो वहां खुद को ‘डॉक्टर’ दीक्षा शिंदे के रूप में लिखती थीं. एक ट्विटर यूज़र ने बताया कि उसका बायो एक टेम्प्लेट से लिया गया था.
I couldn’t find any info on NASA Proposal Research 2020. If anyone knows about its existence then let me know pic.twitter.com/jYXmMqKFxZ
— Zeeshan Mhaskar (@MhaskarChief) August 19, 2021
MSI फ़ेलोशिप
दीक्षा शिंदे के शेयर किए गए ईमेल के स्क्रीनशॉट के अनुसार नासा ने 2021 MSI फैलोशिप वर्चुअल पैनल के लिए एक पैनलिस्ट के रूप में स्वीकार किया. MSI,अल्पसंख्यक सेवा संस्थान के लिए है. जैसा कि रिपोर्ट में पहले कहा गया था, नासा के एक प्रवक्ता ने कहा कि दीक्षा द्वारा दी गयी बैकग्राउंड और पहचान से जुड़ी गलत जानकारी के आधार पर उन्हें पैनलिस्ट के रूप में चुना गया था.
दीक्षा शिंदे को MSI फ़ेलोशिप में भी सीट नहीं मिली. प्रवक्ता ने साफ किया, “दीक्षा शिंदे नासा द्वारा नियोजित नहीं हैं और न ही एजेंसी ने उन्हें फ़ेलोशिप, जो केवल अमेरिकी नागरिकों के लिए उपलब्ध है, से सम्मानित किया है.”
MSI उच्च शिक्षा के संस्थान हैं जो अमेरिका में अल्पसंख्यक आबादी के लिए हैं. 2021 फ़ेलोशिप के लिए आवेदन करने के योग्य होने के लिए, उम्मीदवारों को 31 अगस्त, 2021 से पहले एक MSI में भाग लेना चाहिए, एक अमेरिकी नागरिक या एक अमेरिकी नागरिक होना चाहिए, स्नातक की डिग्री होनी चाहिए और साथ ही 1 सितंबर, 2021 से पहले मास्टर डिग्री या डॉक्टरेट डिग्री प्रोग्राम में नामांकित होना चाहिए.
दीक्षा शिंदे फ़ेलोशिप के लिए सभी मामलों में अयोग्य है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तरों में से एक में साफ़ तौर पर कहा गया है कि दूसरे देशों के छात्र फ़ेलोशिप के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं.
IJSER द्वारा पेपर की स्वीकृति
एक अन्य ईमेल में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंटिफ़िक एंड इंजीनियरिंग रिसर्च (IJSER) द्वारा शिंदे के पेपर ‘वी लिव इन ब्लैक होल’ की स्वीकृति दिखाई गई है.
उसका पेपर जर्नल की वेबसाइट पर मिला था.
IJSER का NASA से कोई लेना-देना नहीं है.
नासा के प्रवक्ता ने बताया, ‘हमने दीक्षा शिंदे का वैज्ञानिक पेपर स्वीकार नहीं किया है और न ही उन्हें कोई अन्य सम्मान दिया है. ऐसा कोई भी दावा कि नासा उसके लिए US की यात्रा का फ़ंड कर रहा है, झूठा है.
द हिंदू ने लिखा, IJSER को जेफ़री बील की वेबसाइट पर “potential predatory scholarly open-access journal” की लिस्ट में रखा गया है. जेफ़री बील डेनवर में कोलोराडो विश्वविद्यालय में एक लाइब्रेरियन थे, जिन्होंने पहली बार “परभक्षी पत्रिकाओं” शब्द को गढ़ा था.
द वायर में शोध धोखाधड़ी के बारे में 2016 के एक आर्टिकल में कहा गया है कि “IJSER लगभग सभी विषयों को पब्लिश करता है, जो एक फ़र्ज़ी जर्नल का एक और संकेत है. कई मामलों में, आर्टिकल निरर्थक हैं. कई साहित्यिक चोरी हैं या सीधे कॉपी-एंड-पेस्ट हैं. और यह हज़ारों में से सिर्फ़ एक पत्रिका है जो दुनिया भर के शिक्षाविदों की सेवा के लिए काम कर रही है. ”
IJSER पेपर जमा करने के लिए चार्ज की गई राशि को लिस्ट करता है. लेखक अनिवार्य रूप से शुल्क का भुगतान करके पेपर जमा कर सकते हैं.
इस तरह, ANI ने एक नकली कहानी पब्लिश की, जिसने दूसरे मीडिया आउटलेट्स को गलत सूचनाएं आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. कई लोगों ने बताया की दीक्षा शिंदे की कहानी फ़र्ज़ी है, जिसके बाद ANI की संपादक स्मिता प्रकाश ने ट्वीट किया कि न्यूज़ एजेंसी रिपोर्ट पर कायम है. गौरतलब है कि इस ग़लत खबर को फैलाने वाले कई न्यूज़ संगठनों ने बाद में इसे हटा दिया.
हालांकि, यह सच है कि औरंगाबाद की एक 14 वर्षीय लड़की दीक्षा शिंदे को नासा के MSI फ़ेलोशिप पर पैनलिस्ट के रूप में चुना गया था. चयन उसके बैकग्राउंड और पहचान की गलत जानकारी पर आधारित था जो नासा के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया. प्रवक्ता ने ये भी बताया कि नासा ने न तो दीक्षा शिंदे से कोई वैज्ञानिक पेपर स्वीकार किया है और न ही उन्हें कोई फ़ेलोशिप दी है.
ऑल्ट न्यूज़ का अंग्रेज़ी में आर्टिकल पब्लिश होने के बाद ANI ने अपनी स्टोरी हटा दी और सपष्टीकरण जारी किया.
ANI statement on NASA, Maharashtra girl story. She duped NASA into getting on their panel & yes, duped us as well. A large part of her story is verified & authentic but foundational issues fake and nasa admitted it to us as well. In light of new info, withdrawing, error regretted https://t.co/CarjnIiii0
— Smita Prakash (@smitaprakash) August 26, 2021
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