ट्वीटर यूजर @जावैदशेख (@javaidShaikh) ने एक भीड़ पर पुलिसकर्मियों द्वारा फायरिंग का वीडियो इस संदेश के साथ ट्वीट किया था- “चेतावनी : ग्राफिक की सामग्री विभत्स हो सकती है, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अभिभावक के साथ देखें, भारत के कब्जे वाले कश्मीर में कश्मीरियों को नजदीक से गोली मार दी गई “- अनुवाद। 27 अक्टूबर को पोस्ट होने के बाद इसके 500 से अधिक रीट्वीट हुए थे। अभी इसे डिलीट कर दिया गया है।
कई व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं ने इन्हीं दावों के साथ वही वीडियो ट्वीट किया है। पाकिस्तान के एक ट्विटर हैंडल आमेर खान ने भी इस वीडियो को यह कहते हुए ट्वीट किया था- “कश्मीरियों को नजदीक से गोली मार दी, पाकिस्तानी लिबरल मोमबत्ती ब्रिगेड कहां है ???? गुलाला ब्रदर्स ???? “-अनुवाद।
पाकिस्तान अवामी तहरिक पार्टी के महासचिव खुर्रम एन गंडापुर ने भी उस वीडियो को रीट्वीट किया था।
वास्तविक फायरिंग नहीं, मॉक ड्रिल
यह वीडियो नई नहीं है। इसी साल जुलाई में, वीडियो को इस दावे के साथ प्रसारित किया गया था कि मंदसौर, मध्य प्रदेश में अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग कर रही थी। हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया था कि यह 31 अक्टूबर, 2017 को खूंटी जिले में झारखंड पुलिस द्वारा आयोजित मॉक ड्रिल था।
यहां उसी ड्रिल के वीडियो का दूसरे एंगल और टाइम-फ्रेम के लिए उपयोग स्पष्ट करता है कि यह सिर्फ एक डेमो था, कोई वास्तविक घटना नहीं थी।
youtube https://www.youtube.com/watch?v=kyzQ2SkuGeQ
हाल ही में, एक प्रमुख पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर और पाकिस्तान के कुछ समाचार चैनलों ने पाकिस्तानी एसएसजी कमांडो प्रशिक्षण के एक भयानक वीडियो को चलाकर दावा किया था कि यह भारत में कश्मीरियों के उत्पीड़न का वीडियो है। अब, एक और वीडियो पूरी तरह झूठे दावे के साथ पाकिस्तानी सोशल मीडिया तंत्र में प्रसारित होकर कश्मीर के बारे में प्रचार कर रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स को वैसे वीडियो शेयर करने के लिए लुभाते हैं जो उनके राजनीतिक पूर्वाग्रहों के अनुरूप होते हैं। यहां फिर से ध्यान देने की जरूरत है कि सोशल मीडिया में अक्सर राजनीतिक एजेंडे के अनुरूप वीडियो और तस्वीरों को तोड़-मरोड़कर संदर्भित किया जाता है। इसलिए, यह इंटरनेट यूजर्स की जिम्मेदारी है कि वे सोशल मीडिया में ऐसी भड़काऊ सामग्री को जांचें और सत्यापित करें।
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