जुलाई 2019 में, सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर बच्चा चोर गिरोह के बारे में अफवाहें लगभग एक वर्ष बाद फिर शुरू हुईं। 2018 में ऐसी अफवाहों से भीड़ द्वारा हमलों की घटनाओं में 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इन अफवाहों से देश के विभिन्न हिस्सों में भीड़ के हमलों में ज़बर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। इन अफवाहों का एक अन्य उल्लेखनीय पहलू खासतौर पर रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाने का रहा।
बच्चा चोर गिरोह की अफवाहें
1. ब्राज़ील की जेल में दंगे का 2017 का वीडियो, रोहिंग्या मुस्लिम अपहरण गिरोह के रूप में साझा
एक कमरे में कई शवों को ज़मीन पर पड़े दिखाते हुए एक वीडियो, इस दावे के साथ व्हाट्सएप पर प्रसारित किया गया कि छोटे-छोटे समूहों में बंटे हुए 500-2000 रोहिंग्या मुसलमान मध्य प्रदेश में 17 से 18 साल के बच्चों को अगवा करने की ताक में हैं। इस संदेश का सुझाव था कि उनके पास हथियार भी है और वे बच्चों को स्कूल के बाहर से उठाते हैं।
इस वीडियो के साथ साझा किया गया संदेश कहता है, “सावधान मध्यप्रदेश में 500से 2000 लोगों की अलग अलग रोहिग्या मुस्लिमो की टोली आई है उनके साथ महिलाएं और उनके पास हथियार भी है और वो 17 या 18 साल तक के लड़कों को पकड़ के ले जाते है स्कूल के आस पास से .. इसको आप सारे ग्रुप में शेयर करें।भोपाल पुलिस C.S.P. Send to all group plz.”
ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो को जून 2019 में खारिज़ किया था जब यह झूठे दावे के साथ वायरल किया गया था कि बिहार से झारखंड जाने वाले मानव-अंगों के तस्कर शरीर के अंगों को बेचने के लिए निर्दोष लोगों को मार रहे थे।
यह वीडियो में वास्तव में दंगों को दर्शाता है जो 14 जनवरी, 2017 को ब्राजील की Alcaçuz जेल में हुए थे।
ऑल्ट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।
2. नशे में धुत महिला का वीडियो, रोहिंग्या मुस्लिम गिरोह के रूप में साझा
एक महिला को बच्चा चोरी के संदेह में पकड़ कर लोगों द्वारा पूछताछ करने का एक वीडियो सोशल मीडिया में सामने आया है। इसे इस दावे के साथ साझा किया गया है कि यह रोहिंग्या मुसलमानों के गिरोह रात में बच्चों को उठाने की ताक में हैं।
इस वीडियो के साथ का संदेश कहता है, “सावधान भोपाल में 15 से 20 लोगों कीअलग अलग रोहिग्या मुस्लिमो की टोली आई है उनके साथ बच्चे और महिलाएं हैं और उनके पास हथियार भी है और 2 बजे आधी रात को और किसी भी वक्त आते हैं और बच्चे की रोने की आवाज आती है कृपया दरवाजा ना खोले प्लीज इसको आप सारे ग्रुप में शेयर करें। भोपाल पुलिस C.S.P. Send to all group plz.”
पत्रिका के अनुसार, 19 जुलाई की रात एक विक्षिप्त महिला गलती से बरेली [रायसेन जिले] में एक व्यक्ति के घर में घुस गई थी। गलती से उसे बच्चा चोर समझ कर भीड़ ने पीट दिया। बाद में, पुलिस की दखलंदाज़ी के बाद, उस महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। ऑल्ट न्यूज़ ने बरेली पुलिस से इस पूरी घटना की पुष्टि की।
पूरी तथ्य-जांच स्टोरी यहां पढ़ी जा सकती है।
3. मध्य-प्रदेश से गिरफ्तार देह व्यापार गिरोह की तस्वीर, बच्चा चोरी की अफवाहों के साथ साझा
लोगों का एक समूह जिसमें महिला और पुरुष दोनों दिखाई दे रहे हैं, उसके पीछे खड़े पुलिसकर्मियों की एक तस्वीर इस दावे के साथ सोशल मीडिया में साझा की गई कि मध्य प्रदेश में पुलिस ने बच्चा उठाने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के एक गिरोह को गिरफ्तार किया, जो 17-18 साल के बच्चों का अपहरण करते हैं। यह संदेश चेतावनी देता है कि स्कूलों के बाहर से बच्चों को उठाने के लिए ऐसे 500 से 2000 लोग ताक में हैं।
इस तस्वीर के साथ प्रसारित पूरा संदेश इस प्रकार है, “सावधान मध्यप्रदेश में 500से 2000 लोगों की अलग अलग रोहिग्या मुस्लिमो की टोली आई है उनके साथ महिलाएं और उनके पास हथियार भी है और वो 17 या 18 साल तक के लड़कों को पकड़ के ले जाते है स्कूल के आस पास से .. इसको आप सारे ग्रुप में शेयर करें। भोपाल पुलिस C.S.P.Send to all group plz,”
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह घटना बच्चा चोरी से संबंधित नहीं थी। पुलिसकर्मियों के साथ दिख रहे लोग कथित रूप से एक सेक्स रैकेट गिरोह के सदस्य थे। उन्हें मध्यप्रदेश में लेबाड़-नयागांव फोर-लेन रोड स्थित एक रेडलाइट एरिया से गिरफ्तार किया गया था। 15 जुलाई को पत्रिका ने इस घटना की रिपोर्ट की थी।
कथित बच्चा चोर गिरोहों के बारे में गलत सूचनाओं के उदाहरणों का ऑल्ट न्यूज़ का संकलन यहां पढ़ा जा सकता है।
साम्प्रदायिक भ्रामक सूचनाएं
सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्मों पर ऐसे कई पोस्ट और मैसेजों के साथ सांप्रदायिक प्रकृति की गलत जानकारी, भ्रामक/विघटनकारी सूचना-तंत्र में बार-बार आने वाला विषय है।
1. मुहर्रम जुलूस के वीडियो को संपादित करके पीएम, शिवसेना, बजरंग दल के खिलाफ नारे जोड़े गए
लाठी-डंडों और तलवारों से लैस लोगों का एक वीडियो, जिसमें उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी, बजरंग और शिवसेना के खिलाफ नारे लगाते हुए सुना जा सकता है, सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है। यह वीडियो इस संदेश के साथ पोस्ट किया गया, “भारत का डरा हुआ, खौफजदा, पीड़ित समुदाय, हाथों में तलवार लेकर शिवसेना हाय हाय और बजरंग दल हाय हाय के नारे लगा रहा है. भाई-भाई और सेक्युलरिज्म का विधवा विलाप करने वालों को नहीं दिखेगा यह सब.”
तबरेज अंसारी के समर्थन में आगरा में सबसे बड़ा जुलूस निकला हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह हू अकबर कहना होगा दलित मुस्लिम मिलकर निकाला जुलूस
Posted by Ai MiM Rayachoty youth on Thursday, 4 July 2019
यही वीडियो, इस संदेश के साथ साझा किया गया था कि झारखंड में तबरेज अंसारी की भीड़ द्वारा हत्या के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने आगरा में सड़कों पर प्रदर्शन किया।
ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच में पाया गया कि यह वीडियो गोपालगंज, बिहार का है और 2014 में पोस्ट किया गया था। जहां तक ऑडियो का सवाल है तो स्लोगन “हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह हू अकबर कहना होगा” की गूगल खोज से ऑल्ट न्यूज़ को 29 दिसंबर, 2017 को पोस्ट किया गया एक यूट्यूब वीडियो मिला। नीचे पोस्ट किए गए वीडियो में शुरू से लेकर 53वें सेकंड तक, वही ऑडियो जो वायरल क्लिपिंग में सुपरइंपोज्ड था, उसे सुना जा सकता है।
2. पाकिस्तान की तस्वीर, भारत में हिंदू महिला के मुस्लिम पति द्वारा पिटाई के रूप में वायरल
तस्वीरों का एक सेट – पहली, दो हिन्दू लड़कियों के रमजान में रोज़ा (उपवास) रखने के बारे में कथित रूप से अख़बार के कतरन की, और दूसरी चेहरे पर कथित चोट के निशान के साथ एक महिला की – सोशल मीडिया में वायरल हुआ। फेसबुक पर कई उपयोगकर्ताओं ने इन तस्वीरों को इस दावे के साथ पोस्ट किया कि उन दोनों हिन्दू लड़कियों में से एक जिसने रोज़ा रखा था, उसे उसके मुस्लिम पति द्वारा पीटा गया और यह जुड़ाव ‘लव जिहाद’ का मामला है।
शिवानी और रिया नामक हिन्दू बेटियों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल दी- न्यूज़
अरे क्यों दी, ये भी तो बताते ??
शिवानी ने पहले तो रोजा रखा, आज इस शिवानी के मजहबी पति ने ठुकाई कर दी,#लव_जिहाद हुआ था मजहबी से तो भुगतो 🤣🤣👇👇
उम्मीद है जल्दी ही रिया का भी ऐसा कोई फोटो आएगा pic.twitter.com/kafouml6J2— शैलेंद्र Shailen🇮🇳 (@shailen_pratap) July 21, 2019
घायल महिला की तस्वीर को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर, हमें पाकिस्तानी मीडिया संगठन Geo TV द्वारा 29 मार्च, 2019 को प्रकाशित एक लेख मिला। लेख में महिला की पहचान हाजरा के रूप में की गई थी, जिसने आरोप लगाया था कि वह अपने पति द्वारा प्रताड़ित की गई थी और उसे कई चोटें आई थीं। यह घटना पाकिस्तान में घटी थी। इस बीच, हाजरा की तस्वीर के साथ साझा की गई अखबार की कतरन एक अन्य घटना से संबधित है, जिसमें मध्यप्रदेश की दो हिन्दू लड़कियों – शिवानी और रिया ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए रमज़ान के मौके पर एक दिन का उपवास रखा था। अखबार की कतरन 4 जून को दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट की है।
3. मंदसौर, मप्र में मदरसा छात्रों के पाकिस्तान-समर्थक नारे लगाने के झूठा दावा
सोशल मीडिया में बड़े पैमाने पर वायरल एक वीडियो इस दावे के साथ प्रसारित किया गया कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक मदरसे के छात्रों ने भारत विरोधी नारे लगाए। कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने यह बताते हुए वीडियो पोस्ट किया कि वे छात्र अंजुमन स्कूल के थे और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
Students of madarsa school Mandsaur district (MP) shouted slogans of anti country.. @Payal_Rohatgi @AskAnshul @ThePlacardGuy pic.twitter.com/RBSpP3bYCY
— Shivam Gupta (@agraharishivam7) July 15, 2019
गूगल पर एक कीवर्ड सर्च ऑल्ट न्यूज़ को कई मीडिया ख़बरों तक ले गया, जिनमें कहा गया था कि वे छात्र अपने स्कूल के प्राचार्य के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे नहीं, बल्कि अपने प्राचार्य के नाम के नारे – ‘साबिर सर जिंदाबाद’ – लगाए। सोशल मीडिया का दावा झूठा और नफरत भराथा।
4. ISIS की सेक्स-गुलामी को दर्शाने वाले नुक्कड़ नाटक का मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल
औरत को आसमानी ज्ञान वाले लोग कितना सम्मान देते है इस वीडियो से पता चल जाता है, जैसे सब्जी मंडी में सब्जियों की बोली लगाई जाती है वैसा ही शांतिदूत लोग करते हैं
उपरोक्त संदेश ट्विटर पर एक वीडियो के साथ पोस्ट किया गया था जिसमें एक व्यक्ति अरबी में माइक्रोफोन पर बोलता हुआ दिखाई दे रहा है। इस वीडियो में, बुर्का पहनी और एक साथ जंजीर से बंधी हुई कुछ महिलाओं को देखा जा सकता है। वीडियो में उपशीर्षक है जिसमें लिखा है-
“हमारे पास यज़ीदी महिलाएं हैं, कुर्द महिलाएं हैं, और हमारे पास ईसाई भी हैं। इन्हे पाना आपके लिए अब दाहिने हाथ का काम है, आइए और अपने गुलाम को ले जाइए। खुद के लिए एक सेक्स गुलाम रखिए। हमारे बहादुर सिपाही, बहादुर इस्लामिक स्टेट के लड़ाके इन इलाकों में गए और अपने मुर्तदीन (काफिर) बदमाश को मार डाला ताकि आज आप उनकी महिलाओं को पा सकते हैं। तकबीर, तकबीर, तकबीर (अल्लाह महान है)…”-(अनुवाद)।
इसके बाद, महिलाओं की नीलामी शुरू होती है और वहां जमा हुए लोगों को कोबाने से 13 साल की ‘आयशा’ की कीमत लगाते हुए सुना जा सकता है। इसके आगे अन्य महिलाओं की नीलामी होती है। यह पूरा वीडियो 2:20 मिनट का है।
औरत को आसमानी ज्ञान वाले लोग कितना सम्मान देते है इस वीडियो से पता चल जाता है,
जैसे सब्जी मंडी में सब्जियों की बोली लगाई जाती है वैसा ही शांतिदूत लोग करते हैं👇👇@RanaAyyub @Nationalist_Om @TarekFatah pic.twitter.com/qM4Fx8eiRn— Baby Ola Speaks (@ola_speaks) July 22, 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संबधित की-वर्ड्स से सर्च किया तो हमें 20 अक्टूबर, 2014 को BBC न्यूज़ द्वारा प्रकाशित एक लेख मिला। इस लेख का शीर्षक,“लंदन में इस्लामिक स्टेट के गुलाम की नीलामी करने का नाटक” (अनुवाद) था और इसमें ट्विटर पर साझा वीडियो के समान 16 सेकंड का एक वीडियो क्लिप भी शामिल है। विचाराधीन वीडियो 2014 में कूर्द प्रदर्शनकारियों द्वारा सेक्स स्लेव नीलामी के नाटक का है। इराक में इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों द्वारा किए गए अत्याचारों पर इससे प्रकाश डालने की कोशिश की गई है, जब आतंकी संगठन चरम पर थे, और इराक और सीरिया के बड़े इलाकों पर कब्जा कर लिया गया था।
5. पुरानी तस्वीरें, गलत दावा: गुजरात में मस्जिद से हथियार बरामद
गुजरात में एक मस्जिद से पकड़े गये हथियार:- आखिरकार ये मुस्लिम करना क्या चाहते हैं?? वैसे देशभर में मस्जिदों
की चेकिंग की जाए तो ऐसे ही हथियार मिलेंगे?
उपरोक्त संदेश तस्वीरों के एक सेट के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से साझा किया गया जिसमें हथियार, ज्यादातर तलवारें और चाकू, देखे जा सकते हैं। दावा किया गया कि ये हथियार गुजरात की एक मस्जिद से बरामद किए गए थे।
ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच में यह दावा गलत पाया गया। वे हथियार किसी मस्जिद से नहीं बल्कि गुजरात के अहमदाबाद-राजकोट राजमार्ग पर एक होटल से जो अवैध हथियार रैकेट चला रहा था, जब्त किए गए थे।
6. मस्जिद के अंदर भीड़ द्वारा दलित व्यक्ति की पिटाई का झूठा दावा
एक वीडियो सोशल मीडिया में इस दावे के साथ वायरल हुआ कि यह उत्तर प्रदेश में एक दलित व्यक्ति को मुस्लिम लोगों की भीड़ द्वारा निर्दयतापूर्वक पिटाई करने को दर्शाता है। दावे किया गया कि उस आदमी को एक मस्जिद में प्रवेश करने के लिए पीटा गया। एक ट्विटर उपयोगकर्ता @shailen_pratap ने वीडियो साझा करते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश में एक दलित को मस्जिद के अंदर खींच कर ले गए और मार-मार कर अधमरा कर दिया। #MobLynching”
उत्तर प्रदेश में एक दलित को मस्जिद के अंदर खींच कर ले गए और मार-मार कर अधमरा कर दिया।#MobLynching @SudarshanNewsTV @SureshChavhanke @ZeeNewsHindi @sardanarohit @madhukishwar @abpnewstv pic.twitter.com/OrKc7WmD4L
— शैलेंद्र Shailen🇮🇳 (@shailen_pratap) July 11, 2019
एक कीवर्ड खोज ऑल्ट न्यूज़ को दैनिक भास्कर, पंजाब केसरी और पत्रिका की खबरों में तक ले गई, जिनमें कहा गया था कि मोबाइल फोन चोरी करने के आरोप में उस व्यक्ति को भीड़ ने पीटा था। यह घटना यूपी के हापुड़ जिले में हुई थी। दैनिक भास्कर के अनुसार, उन्हें एक भीड़ ने बंधक बना लिया था जब वह नमाज पढ़ने गए थे और एक घंटे से अधिक समय तक पीटा गया था। सोशल मीडिया का दावा झूठा था।
भारी बारिश के बाद भ्रामक सूचनाएं
1. जम्मू-श्रीनगर NH पर पत्थरों के गिरने को, महाराष्ट्र के मालशेज घाट में भूस्खलन के रूप में किया शेयर
सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर एक वीडियो इस दावे के साथ साझा किया गया कि महाराष्ट्र के मालशेज घाट में भूस्खलन हुआ है। यह वीडियो तब प्रसारित किया गया जब उस राज्य में भारी बारिश हो रही थी। वीडियो को साझा करने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए गए संदेश में कहा गया था –“मालशेज घाट, कृपया इस तरफ यात्रा ना करे…इसे सभी ग्रुप में साझा करे”-(अनुवाद)।
Malshej Ghat..plz Do not travel in this side . forward all groups
Posted by Yog Tikam on Tuesday, 30 July 2019
यह वीडियो मालशेज घाट का नहीं, बल्कि जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन का है। द ट्रिब्यून की 28 जुलाई की एक रिपोर्ट के अनुसार, “जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के रामबन जिले में स्थित रामबन और बनिहाल राजमार्ग के बीच विभिन्न स्थानों पर हुए भूस्खलन के कारण यातायात को बंद कर दिया गया था”-(अनुवाद) रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, “राजमार्ग पर सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही रोक दी गई थी, जिसमें अमरनाथ यात्रा भी शामिल थी, भारी बारिश के बाद इस क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचा है, जिसके कारण पंथाल क्षेत्र में भूस्खलन देखने को मिला”-(अनुवाद)।
2. आंध्र प्रदेश और बांग्लादेश की पुरानी तस्वीरें 2019 असम बाढ़ के रूप में साझा
सोशल मीडिया में बाढ़ के पानी से हिरण को बचाने वाले एक लड़के की तस्वीर साझा की गई है। एक, सुशांत नंदा ने इस तस्वीर को एक संदेश के साथ ट्वीट किया, “हीरो उन रास्तों से बनते है जिसे वह खुद पसंद करते है ना कि उस शक्ति से जिसे वे पाते है। यह पृथ्वी के उस हीरो की असम की अद्भुत तस्वीर है”-(अनुवाद)। इस साल असम में भयंकर बाढ़ आई है, जिससे 1.5 लाख लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हुए और खबरों के अनुसार कम से कम 30 लोगों की जान चली गयी।
एक अन्य तस्वीर जिसमें एक व्यक्ति पानी में पूरा डूबा हुआ है और अपने कंधों पर एक बच्ची को लेकर जा रहा है, असम में हाल की बाढ़ से संबंधित बताकर साझा किया गया।
उपरोक्त तस्वीर को फरवरी 2014 में बांग्लादेश में आयी बाढ़ के दौरान लिया गया था। UK स्थित डेली मेल की फोटो स्टोरी के मुताबिक, यह घटना बांग्लादेश के नोआखली में हुई थी, जहां पर एक वन्यजीव फोटोग्राफर हसीबुल वहाब ने बेलाल नाम के इस किशोर की इस बहादुरी भरे काम को तस्वीर में कैद किया था।
3. भारी बारिश के कारण गुजरात में टूटी सड़कों के रूप में पुरानी तस्वीरें साझा
कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस दावे के साथ कुछ तस्वीरों को साझा किया कि गुजरात में अहमदाबाद-भावनगर राजमार्ग को भारी बारिश के बाद बंद हो गया था। इस संदेश को तीन तस्वीरों के साथ साझा किया गया, जिनमें पानी भरी हुई सड़कें और एक पुल के नीचे ओवरफ्लो हो रही नदियों को देखा जा सकता है।
मीडिया की गलत खबरें
1. मीडिया की गलत खबर: निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का कोई असर नहीं हुआ
2 जुलाई को, कई मीडिया संगठनों ने रिपोर्ट किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का कोई असर नहीं हुआ है। जिन मीडिया संगठनों ने यह रिपोर्ट की, उनमें द इकोनॉमिक टाइम्स, NDTV, आउटलुक, स्क्रॉल, डेक्कन हेराल्ड, द क्विंट, द प्रिंट, ब्लूमबर्ग क्विंट और हिंदू बिजनेस लाइन शामिल थे।
इसमें तथ्य यह है कि वित्त मंत्री ने राज्यसभा में यह कभी नहीं कहा कि नोटबंदी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं हुआ था। ऑल्ट न्यूज़ ने सदन में सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के लिए राज्यसभा की वेबसाइट पर खोज की। कांग्रेस नेता और सांसद दिग्विजय सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था, MSMEs और रोजगार पर नोटबंदी के प्रभाव के बारे में सवाल पूछा था। इसके जवाब में, वित्त मंत्री ने कहा था कि इसके बारे में कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
2. हिंदुस्तान की गलत खबर, मेरठ में विरोध रैली में ISIS के झंडे नहीं लहराए गए
हाल ही झारखंड में तबरेज़ अंसारी के साथ हुई लिंचिंग की घटना के विरुद्ध 30 जून को उत्तर प्रदेश के मेरठ में प्रदर्शन रैली निकाली गई। उसके अगले दिन यानी, 1 जुलाई को, हिंदी प्रकाशन हिंदुस्तान, जो हिंदुस्तान टाइम्स समूह से संबंधित है, ने अपने मेरठ संस्करण में एक लेख प्रकाशित किया। इस लेख का शीर्षक, “आईएसआईएस के झंडे भी लहराए गए !” था। लेख के साथ दो तस्वीरें प्रकाशित की गई थीं। पहली तस्वीर में, काले और सफ़ेद रंग के पट्टी वाला झंडा दिखाई दे रहा है। दूसरी तस्वीर में, काले रंग के झंडों को देखा जा सकता है।
ऑल्ट न्यूज़ ने मेरठ शहर के एसपी अखिलेश एन सिंह से बात की, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि रैली में आईएसआईएस के झंडे लहराए जाने की कोई सूचना नहीं है। “हमने रैली में आईएसआईएस के झंडों को नहीं देखा है”। जब हिंदुस्तान के लेख के बारे में पूछा गया, जिसमें यह बताया गया है कि भाजपा नेताओं ने रैली में आईएसआईएस के झंडे की मौजूदगी के बारे पुलिस को शिकायत की है, सिंह ने कहा,“हमें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। शायद इसके बारे में हिंन्दुस्तान ही स्पष्ट रूप से बता सकता है”। हालांकि उन्होंने आगे बताया कि,“उन्होंने (प्रदर्शनकारियों ने) पथराव किया और एम्बुलेंस को गुज़रने से रोका। उन्होंने रैली की अनुमति नहीं ली थी। इस बारे में उन्हें एक नोटिस भी जारी किया गया है”। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।
3. सुदर्शन न्यूज़ ने RSS कार्यकर्ताओं की हत्या के नारों के साथ पुराना एडिटेड वीडियो साझा किया
पूरे भारत मे मज़हबी उन्मादियों का खौफनाक रूप सड़को पर. नंगी तलवारों के साथ लग रहे नारे- चड्ढा चड्ढी वालों को, गोली मारो सालों को. मौत का इशारा @RSSorg व अन्य हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं की तरफ. @HMOIndia @AmitShahOffice @AmitShah @narendramodi @PMOIndia @naqvimukhtar
सुदर्शन न्यूज़ द्वारा एक वीडियो को उपरोक्त दावे के साथ साझा किया गया, जिसमें लोगों को कथित तौर पर,“अल्लाह-ओ-अकबर, तबरेज़ के हत्यारों को मार डालो, आरएसएस मुर्दाबाद, हाफ पैंट वालों को गोली मारो, तबरेज़ का खून क्रांति लाएगा” के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। यह लेख लिखे जाने तक यह वीडियो (आर्काइव) 2,700 बार रीट्वीट किया गया था।
ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो को इनविड के ज़रिये कई की-फ्रेमों में तोड़ा। एक की-फ्रेम को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से, हमें इसी वीडियो जैसा एक वीडियो मिला जिसके साथ इस वीडियो को डेहरी, बिहार के मुहर्रम जुलुस का बताया गया था। इसे 17 नवंबर, 2017 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था। सुदर्शन न्यूज़ द्वारा प्रसारित वीडियो से विपरीत, इस वीडियो में मॉब लिंचिंग के शिकार तबरेज़ अंसारी को लेकर कोई भड़काऊ बयान नहीं है। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि सुदर्शन न्यूज़ द्वारा प्रसारित वीडियो में ऑडियो, हाल ही तबरेज़ अंसारी के साथ हुई मॉब लिंचिंग की घटना के खिलाफ हुए एक विरोध प्रदर्शन के वीडियो से मॉर्फ किया गया था।
4. ज़ी न्यूज़ का झूठा दावा : महुआ मोइत्रा ने संसद में अपना पहला भाषण चुराया हुआ दिया
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के संसद में दिए गए भाषण के बाद, जिसमें उन्होंने ‘फासीवाद के शुरुआती चेतावनी संकेतों’ के बारे में बात की थी, ज़ी न्यूज़ एंकर सुधीर चौधरी ने अपने प्राइम टाइम प्रोग्राम DNA में दावा किया कि मोइत्रा का भाषण चुराया हुआ था।
यही है अमेरिकी वेब्सायट का वो लेख जिसे तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने चुराकर लोक सभा में अपने भाषण में इस्तेमाल कर लिया।हुबहू बिलकुल वही शब्द लेख से सीधे उठा लिए और बोल दिए।संसद की गरिमा ख़तरे में है। https://t.co/4iP3YieHXA pic.twitter.com/HxaHqqdxKS
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) July 2, 2019
मोइत्रा के भाषण का सच, जैसा कि चौधरी ने इसकी जांच करने का दावा किया है, एक भ्रामक खबर है। अपने संसदीय भाषण के अंत में, सांसद मोइत्रा ने भाषण के मूल स्रोत का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था, ”2017 में, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के होलोकॉस्ट मेमोरियल संग्रहालय ने अपनी मुख्य लॉबी में एक पोस्टर लगाया था और इसमें फासीवाद के शुरुआती सभी संकेतों की एक सूची लगाई गई थी। उस पोस्टर में दिए गए संकेतो में से सात संकेतों को मैंने यहां पर बताया है। “-(अनुवाद)।
5. TMC सांसद नुसरत जहां के खिलाफ फतवे की झूठी खबर
टीएमसी सांसद नुसरत जहान संसद में शपथ लेते समय सिंदूर लगाया हुआ था। इसके बाद, कई मीडिया संगठनों ने बताया था कि दारुल उलूम देवबंद ने जहां के खिलाफ फतवा जारी किया था। उदाहरण के लिए, इंडिया टुडे ने इस्लामिक स्कूल का उल्लेख करते हुए इसे,“फतवा से खुश दारुल उलूम” बताया, जहां इंडियन एक्सप्रेस ने इसे “फतवाप्रेमी दारुल उलूम” कहा।
इसमें तथ्य यह है कि दारुल उलूम देवबंद द्वारा इस तरह का कोई फतवा जारी नहीं किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि विवाद, फतवे से नहीं, बल्कि एक बयान जो कथित तौर पर देवबंद के मौलवी असद कासिम ने दिया था, से शुरू हुआ था। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।
विविध
1. सिडनी मेट्रो के लिए ‘मेक इन इंडिया’ ट्रेन निर्मित होने का झूठा दावा
ऑस्ट्रेलिया में डबल डेकर मेट्रो ट्रेन का एक वीडियो सोशल मीडिया में इस दावे के साथ व्यापक रूप से साझा किया गया कि मेक इन इंडिया के तहत बनी 22 ट्रेनों को सिडनी में परिचालित किया गया है। वीडियो में सिडनी की डबल डेकर ट्रेन की घूमने वाली सीटों के साथ इसके अंदरूनी हिस्सों को दिखाया गया है। वीडियो के साथ साझा किये गए संदेश के अनुसार,“कल सिडनी में 22 मेट्रो ट्रेन को परिचालित किया गया। गर्व की बात, यह सभी ट्रेनें भारत में बनी हुई हैं! इतिहास में पहली बार- भारत में बने हुए कोच विदेश में दौड़ रहे हैं। जब पीएम मोदी नए भारत की बात करते हैं तो इसका मतलब यह होता है”-(अनुवाद)।
22 metro trains were Made operational in Sydney yesterday!
A Matter of 🇮🇳pride,
all these trains were MADE IN INDIA!First time in History- Coaches Made in India being run in a foreign land!
When PM Modi said New India, this is what he meant! pic.twitter.com/oszuqul1rG
— Kaushik Amlani गरीबी का सेनापति (@AmlaniKaushik) July 23, 2019
ऑल्ट न्यूज ने पाया कि यह वीडियो 2018 का है। इसके अलावा, ये कोच ‘मेक इन इंडिया’ के तहत नहीं बने थे जैसा कि दावा किया गया। फ्रांसीसी निर्माण कंपनी एल्सटॉम को 2014 में सिडनी मेट्रो के लिए 22 ट्रेनों के निर्माण का ठेका दिया गया था। कंपनी ने भारत में इन ट्रेनों का निर्माण किया और 2018 में आंध्र प्रदेश में अपनी स्रीसिटी सुविधा से उन्हें पहुंचाया। उत्तर-पूर्वी मेट्रो के लिए मई 2019 में ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया था।
2. पुरानी तस्वीरें व डिजिटल कलाकृतियां, चंद्रयान 2 द्वारा भेजी गई पृथ्वी की पहली तस्वीरों के रूप में साझा
“पृथ्वी की पहली तस्वीरें, चंद्रयान -2 द्वारा भेजी गई……क्या अद्भुत्त दृश्य है”-(अनुवाद) इसरो द्वारा चंद्रमा मिशन शुरू किए जाने के तुरंत बाद, अंतरिक्ष से तस्वीरों के एक सेट के साथ सोशल मीडिया पर एक संदेश वायरल हुआ। ये तस्वीरें फेसबुक और ट्विटर पर वायरल हुईं, और व्हाट्सएप पर भी साझा की गईं।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि उन तस्वीरों में से एक, चंद्रमा से सूर्य ग्रहण की तस्वीर थी और नासा द्वारा 2 मार्च, 2007 को प्रकाशित की गई थी। दूसरी, जो अंटार्कटिका के आसपास समुद्री बर्फ की सीमा को दर्शाती है, 21 सितंबर, 2005 को नासा द्वारा प्रकाशित एक कंप्यूटर-जनित तस्वीर थी। तीसरी तस्वीर रूस के कुरील द्वीप समूह में सरैचेव ज्वालामुखी की थी। यह नासा अर्थ ऑब्जर्वेशन द्वारा 2014 में प्रकाशित की गई थी। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
3. गुजरात स्कूल पाठ्यक्रम में ‘दहेज के फायदे’ के बारे में गलत दावा
“दहेज के फायदे” को सूचीबद्ध किए हुए, पाठ्यपुस्तक के एक अंश की एक तस्वीर, सोशल मीडिया में इस दावे के साथ वायरल की गई कि यह गुजरात बोर्ड ऑफ एजुकेशन के तहत पाठ्यक्रम का हिस्सा है। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट उन लोगों में शामिल था, जिन्होंने तस्वीर को साझा किया और लिखा, “गुजरात मॉडल का भद्दा चेहरा…बच्चों को “दहेज़ के फायदे” सिखाना भाजपा महिला सशक्तिकरण का ही एक हिस्सा है। हम दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के बारे में @CMOGuj और IPC 498a द्वारा याद दिलाना चाहते हैं, यह अपराध हस्तक्षेप-योग्य, गैर-यौगिक और गैर-जमानती है”-(अनुवाद) ।
यह पेपर गुजरात शिक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है। यह 2017 की एक खबर में था जब इस अंश को बेंगलुरु के सेंट जोसेफ कॉलेज के समाजशास्त्र की अध्ययन सामग्री में पाया गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की 21 अक्टूबर, 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, दहेज़ की परिपाटी के महिला-विरोधी फायदों को सूचीबद्ध करने वाली पाठ्यसामग्री वितरित करने के चलते कॉलेज विवादों में घिर गया था।
4. झूठा दावा: इजराइल ने गंगा और गोदावरी को साफ करने के लिए नदी सफाई मशीनें भारत को उपहार में दी
“इजराइल ने गंगा को साफ करने के लिए इसे भेट के स्वरुप में हमें दिया। क्या अद्भुत यंत्र है!मोदी सरकार को उनके मैत्री प्रयासों के लिए धन्यवाद। इसका उपयोग अब गोदावरी में किया जाना है”-(अनुवाद)।
उपरोक्त संदेश, एक वीडियो के साथ जिसमें एक मशीन को नदी से कचरा निकालते हुए दिखाया गया है, सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्मों पर साझा किया गया है। वीडियो में, विभिन्न प्रकार की मशीनों को नदी से कचरा इकट्ठा करते हुए देखा जा सकता है। यही वीडियो व्हाट्सएप पर इसी कथा के साथ साझा किया गया था कि इन मशीनों को इज़राइल द्वारा भारत को उपहार में दिया गया है और वर्तमान में इसका उपयोग गोदावरी नदी को साफ करने के लिए किया जा रहा है।
वायरल वीडियो में तीन मशीनें नजर आ रही हैं। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि तीन में से केवल एक मशीन भारत से संबंधित है। वीडियो के एक फ्रेम की रिवर्स सर्च करके हमने पाया कि दो अन्य नदी-सफाई की मशीनें भारत से नहीं, बल्कि मैरीलैंड, अमेरिका में बाल्टीमोर से संबंधित हैं। तीसरी मशीन, जो भारत से संबंधित है, इज़राइल द्वारा ‘उपहार’ में नहीं दी गई थी, जैसा कि दावा किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
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