आम चुनाव के बाद फर्जी खबरों का सिलसिला थम सकता है, इस उम्मीद के विपरीत सांप्रदायिक प्रकृति की भ्रामक सूचनाओं का सोशल मीडिया तंत्र को प्रभावित करना जारी है। जून, 2019 में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले।
1. दिल्ली के रोहिंग्या कैंप में आगजनी की पुरानी घटना, नफरत भरे संदेश के साथ साझा की गई
एक फेसबुक यूजर ने बच्चों से घिरे एक शख्स की तस्वीर साझा की। तस्वीर से जुड़े संदेश के अनुसार, वह रोहिंग्या मुसलमान है, जिसके पास न खाने को कुछ, न पहनने को कपड़े हैं, मगर उसकी तीन पत्नियां और आठ बच्चे हैं। इसमें आगे दावा किया गया कि उस आदमी के पास 29,000 रुपये का मोबाइल फोन भी है।
यह पूरा संदेश इस प्रकार है- “दिल्ली में रोड के किनारे रहने वाला एक लाचार असहाय बेसहारा गरीब #रोहिंग्या जिसके पास खाने और पहनने तक को कुछ नहीं है. बस तीन बीबियां, जिसमें दो गर्भवती हैं 8 बच्चे हैं और एक सस्ता सा घटिया वाला सैमसंग C7 pro मोबाइल है जिसकी कीमत मात्र 29000 रुपये है… हमे उनका जीवनस्तर सुधारना है, इसलिए समय पर टैक्स दीजिए….#चुप_रहिए_देश_में_सेक्युलरिजम_है।
गूगल पर इस तस्वीर की रिवर्स-सर्च हमें News18 की 15 अप्रैल, 2018 की एक ग्राउंड रिपोर्ट तक ले गई, जिसका शीर्षक था- “रोहिंग्याओं ने दिल्ली में अपना शरण-स्थल आग में खो दिया, छह साल का नया जीवन राख में बदल गया।” -(अनुवाद) तस्वीर का श्रेय फोटोग्राफर देबयान रॉय को दिया गया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक, हारून नाम का रोहिंग्या म्यांमार में उत्पीड़ित होकर भाग आया था। उनका परिवार, और 52 अन्य रोहिंग्या परिवार, 2012 से दिल्ली के मदनपुर खादर में एक अस्थायी शिविर दारुल हिजरत में रह रहे थे। 15 अप्रैल, 2018 को शिविर में आग लग गई और यह राख में बदल गया।
एक अन्य उदाहरण में, शरणार्थियों पर BBC की एक वीडियो रिपोर्ट से ली गई युवा रोहिंग्या लड़की की एक तस्वीर एक झूठे, सांप्रदायिक दावे के साथ साझा की गई थी।
2. मुसलमानों द्वारा हिंदू की हत्या के झूठे दावे से 2017 बांग्लादेश का वीडियो साझा
कई सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो के साथ दावा किया गया कि यह मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा एक हिंदू व्यक्ति की हत्या को दिखलाता है। वीडियो के साथ यह संदेश था- “मरने वाला हिन्दू और मारने वाला मुसलमान है… शायद इसलिए बुद्धिजीवियों की नजर में ये लिंचिंग नहीं है”। इसे फेसबुक पर कई व्यक्तियों द्वारा साझा किया गया था।
यह वीडियो, वास्तव में बांग्लादेश की 2017 की एक घटना को दर्शाता है। 1 अप्रैल, 2017 को हमलावरों ने अबू सैयद की हत्या कर दी और मो. अली को गंभीर रूप से घायल कर दिया। ये दो लोग जुबो लीग के नेता मोनीर हुसैन सरकार की हत्या में आरोपी और फरार थे। यह घटना बांग्लादेश में कोमिला जिले के टिटास उपखंड में हुई और एक स्थानीय समाचार वेबसाइट ने इसकी खबर भी की थी।
3. UP: घायल युवक-युवती का वीडियो, झूठे, सांप्रदायिक दावे के साथ साझा
#लखनऊ यह घटना #इंटोजा थाना क्षेत्र की कल की है, #शांतिप्रीय_कोम के #इस्लाम,और चार पांच लोग और, इसकी बहन का रेप करने आए इसने रेप नही करने दिया तो इसकी बहन और दोनों को बुरी तरह पीटा, आप लोगों का अंत निश्चित है, और इस घटना में क्या पुलिस वाले इन्हें अस्पताल पहुंचा सकते थे, पर दुर्भाग्य देखिए हमारे देश के शासन का।
एक युवक-युवती को खून से लथपथ हालत में दिखलाता विचलित करने वाला वीडियो, सोशल मीडिया में उपरोक्त दावे के साथ साझा किया गया कि “शांतिप्रिय समुदाय के लोगों” द्वारा लड़की पर यौन उत्पीड़न हमले का उसके भाई द्वारा विरोध करने पर भाई-बहन को मारा गया। “शांतिप्रिय समुदाय” शब्द का प्रयोग व्यंग्यात्मक रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए किया जाता है। इस दावे में “जागो हिंदू जागो” नारे से यह बताया गया कि वीडियो में प्रताड़ित लोग हिंदू समाज के हैं।
यह घटना लखनऊ के इटौंजा में हुई थी, ना कि इंटोजा में, जैसा कि वायरल संदेश में दावा किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ ने लखनऊ पुलिस के मीडिया प्रभारी आशीष कुमार से बात की, जिन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया। “इसमें कोई हिंदू मुस्लिम की बात नहीं है। दोनों पक्ष मुस्लिम समुदाय के ही थे। यह दावा कि बलात्कार का प्रयास किया गया, वह भी गलत है। बच्चों के बिच पहले झगड़ा हुआ और बाद में बड़े भी उलझ पड़े। यही हुआ था”। इसके अलावा, यूपी पुलिस ने इस घटना से संबधित दावे के बारे में स्पष्ट करने के लिए ट्वीटर का इस्तेमाल किया। ट्वीट करके उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष एक ही समुदाय के थे।
4. गलत सूचना : ऑस्ट्रेलियाई पीएम जूलिया गिलार्ड ने मुसलमानों से देश छोड़ने को कहा
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड के एक कथित भाषण के हवाले से, सोशल मीडिया में एक संदेश वायरल है, जिसमें वह मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए कह रही हैं। 2010 से 2013 तक ऑस्ट्रेलिया की 27वीं प्रधानमंत्री रहीं गिलार्ड के इस कथित भाषण का एक हिस्सा है- “मुस्लिम, जो शरिया कानून की मांग कर रहे हैं, उन्हें बुधवार तक ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के लिए कहा गया है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया कट्टरपंथी मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में देखता है। प्रत्येक मस्जिद की तलाशी होगी और इस प्रक्रिया में मुसलमान हमारे साथ सहयोग करेंगे।”
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि गिलार्ड के नाम से दिया गया यह भाषण विभिन्न स्थानों से लिए गए भागों को जोड़कर बनाया गया था। इसमें से ज़्यादातर हिस्सा, जॉर्जिया के एक स्थानीय समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित लैरी बोल्डर्मिल्क के एक लेख में से था। अमेरिकी तथ्य-जांच वेबसाइट स्नोप्स के अनुसार, “‘उद्धरण:’ शब्द से शुरू होने वाले पैराग्राफ के उदाहरण का सब कुछ, अमेरिका पर 9/11 हमलों के तुरंत बाद, एक पूर्व अमेरिकी वायुसेना अधिकारी द्वारा लिखे गए एक लेख से, 2001 में उठाए गए शब्दों का ऑस्ट्रेलियाई संस्करण है और ऑस्ट्रेलिया या जूलिया गिलार्ड से इसका कुछ भी लेना-देना नहीं था”-(अनुवाद )।
5. गलत सूचना: आंध्र के सीएम ने ईसाई प्रचारक को तिरुपति मंदिर ट्रस्ट का प्रमुख नियुक्त किया
इसकी अनुमती कैसे दी गई @HMOIndia? तिरुपति बोर्ड से सुधा मूर्ति ने इस्तीफा दे दिया। जगन ने अपने मामा, कट्टर ईसाई प्रचारक, यहोवा विंसेंट सुब्बारेड्डी (वाईवी सुब्बारेड्डी) को सबसे अमीर हिन्दू मंदिर, तिरुपति तुमाल बालाजी मंदिर का अध्यक्ष बना दिया, वह आंध्र में ज़्यादा से ज़्यादा चर्च बनाने के लिए काम करते हैं। (अनुवाद)
उपरोक्त संदेश मधु किश्वर ने ट्वीट किया जिन्होंने आरोप लगाया कि आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कथित “कट्टर ईसाई प्रचारक” अपने मामा को, लेखक और इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति की जगह, तिरुमाला तिरुपति मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। किश्वर ने अपने ट्वीट में दावा किया कि जगन मोहन रेड्डी के मामा वाई.वी. सुब्बा रेड्डी का पूरा नाम यहोवा विंसेंट सुब्बारेड्डी है।
How can this be allowed @HMOIndia? Sudha Murthy resigns from Thirupathi board. Jagan appoints his uncle YEHOVA VINCENT Subbareddy( YV SUBBARADDY) -a staunch Evangelist as chairman of TIRUPATI TUMALA BALAJI TEMPLE, richest Hindu shrine
He works to spread more CHURCHES in Andhra.— MadhuPurnima Kishwar (@madhukishwar) June 11, 2019
वाई वी सुब्बा रेड्डी का पूरा नाम यारराम वेंकट सुब्बा रेड्डी है, न कि येहोवा विंसेंट सुब्बा रेड्डी, जैसा कि मधु किश्वर ने अपने ट्वीट में दावा किया था। इसकी पुष्टि खुद सुब्बा रेड्डी ने की, जिन्होंने मधु किश्वर के जवाब में एक ट्वीट को रीट्वीट किया, जिसमें उनके चुनावी हलफनामे की एक प्रति संलग्न थी। इसकी तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
6. रमजान के दौरान लहराए गए इस्लामिक झंडों को तारेक फतह ने ट्वीट कर ‘पाकिस्तानी झंडे’ बताया
“अनुमान लगाइए भारत के तमिलनाडु में कौन सा समुदाय पाकिस्तानी झंडे लहरा रहा है? बौद्ध? पारसी? अवश्य ही यहूदी।” (अनुवाद)– यह संदेश, तारेक फ़तह द्वारा 9 जून को एक बाइक रैली के वीडियो के साथ पोस्ट किए गए एक ट्वीट का है, जिसमें कई लोगों को हरे रंग के झंडे लहराते देखा जा सकता है। फ़तह के मुताबिक, यह रैली तमिलनाडु में हुई और झंडे पाकिस्तान के थे।
Guess which community is waving Pakistan flags in India’s Tamilnadu state? Buddhists? Zoroastrians? Must be Jews. pic.twitter.com/ypeXYknY0o
— Tarek Fatah (@TarekFatah) June 9, 2019
यदि कोई वीडियो को ध्यान से देखे, तो बाइक वाले लोग पाकिस्तानी झंडे नहीं लहरा रहे हैं। पाकिस्तान के झंडे में दाहिनी ओर अर्धचंद्र तारा और बाईं ओर एक सफेद पट्टी होता है। इस वीडियो वाले झंडों में सफेद पट्टी नहीं है। ऑल्ट न्यूज़ ने क्लिप में दो तरह के झंडे देखे– पहला, जिसमें बीच में एक अर्धचंद्र और एक तारा है; और दूसरा, जिसमें बीच में एक अर्धचंद्र और तारा तथा बाईं ओर तीन तारे हैं। इसकी पूरी तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
7. झूठा दावा: “आतंकी प्रशिक्षण के चलते” मदरसा के छात्र कोलकाता में हिरासत में लिए गए
“भाई लोग कोलकाता के रज़ा बाजार में 63 मदरसे के बच्चों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है उनका कहना है कि यह आतंकवादी की ट्रेंनिंग लेने के लिए जा रहे है। इस मैसेज को जल्दी फॉरवर्ड करे, मीडिया ने दिखाने से इंकार कर दिया है मीडिया बोल रहा है कि हमें ऊपर से ऑर्डर है कि नहीं दिखाने का प्लीज़ फॉरवर्ड ऑल ग्रुप” – यह संदेश एक व्यक्तिगत उपयोगकर्ता द्वारा एक वीडियो के साथ फेसबुक पर पोस्ट किया गया। वीडियो में, क़तार में चलते हुए छात्रों के एक समूह को, उन्हें राह दिखलाते पुलिसकर्मियों के साथ देखा जा सकता है। दावा किया गया कि ये मदरसा के छात्र हैं, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया। पोस्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि वे आतंकवाद का प्रशिक्षण लेने जा रहे थे।
Bhai log kolkata ke raza bazar me 63 madarse ke bachhe ko police ne giraftar kr liya h unka kahna h ke ye aatankwadi ka training lene ja rahe h..is Msg ko jaldi forward kre media dekhne se in kar kar Diya h media bol raha h ke hme uper se order h nhi dekhne ka plz forward all grp…
Posted by Nazeer Naz on Friday, 31 May 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो चार साल पुराना है और सोशल मीडिया में झूठे दावे के साथ चलता आ रहा है। खबरों के मुताबिक, ये छात्र पुणे के एक मदरसे में पढ़ने के लिए जा रहे थे, तभी कोलकाता के सियालदह रेलवे स्टेशन पर दस्तावेजों की कथित कमी के कारण पुलिस द्वारा उन्हें रोका गया था।
8. भारत में नमाज के लिए सड़कें अवरुद्ध करने के रूप में बांग्लादेश की तस्वीर वायरल
“#SecularIndia की सड़कों पर नमाज पर प्रतिबंध लगाओ। @PMOIndia @HMOIndia इस्लामिक देशों में इसकी अनुमति नहीं है। यहाँ इसकी अनुमति क्यों है ????? #PayalRohatgi” – पायल रोहतगी का यह ट्वीट, 3 जून का है, जिसमें उन्होंने सड़क पर नमाज अदा करने वाले सैकड़ों लोगों की तस्वीर साझा की, जिससे यातायात अवरुद्ध हो गया था।
यही तस्वीर सोशल मीडिया में इस संदेश के साथ प्रसारित की गई, “इस्लामिक देशों में जो गलत है वह भारत में सही कैसे..?? सड़कों पर नमाज पढ़ना प्रतिबंधित है इस्लामिक देशों में भारत में सड़कों पर नमाज पढ़ना क्यों प्रतिबंधित नहीं हो सकता क्यों गुलामी करने पर मजबूर हो….????”
गूगल पर एक सामान्य रिवर्स-सर्च से उस वेबसाइट का लिंक मिला, जिसपर यह तस्वीर अपलोड की गई थी। वेबसाइट पर इस तस्वीर का वर्णन इस रूप में है- “मुस्लिम सड़क पर इबादत कर रहे है क्योंकि वे काफी बड़ी संख्या में टोंगी के बिस्वा इज्तेमा, बांग्लादेश में इक्कठा हुए है”। (अनुवाद)
बच्चों के अपहरण और अंग-व्यापार की अफवाहें
सोशल मीडिया में वायरल एक अफवाह में दावा किया गया कि कुछ तस्कर निर्दोष लोगों को उनके शरीर के अंगों को बेचने के लिए मार रहे हैं। तेलुगु में प्रसारित इस संदेश में दावा किया गया कि भिखारियों के छद्म वेश में बिहार से झारखंड जाने वाले 500 लोग, मेडिकल कॉलेजों और अंगों के अवैध व्यवसायियों को लोगों के शरीर और किडनी बेचने के लिए, उन्हें मार रहे हैं। अफवाह में सुझाया गया कि छह से सात अपराधियों को पुलिस ने पकड़ लिया है।
वीडियो को कई कीफ्रेमों में तोड़कर यांडेक्स पर अलग-अलग तस्वीरों की रिवर्स-सर्च करने पर पता चला कि यह वीडियो कम से कम 2017 से सोशल मीडिया में चल रहा है। इसे विभिन्न विदेशी भाषाओं में साझा किया गया है। मार्च 2019 में, एग्नेस फ्रांस-प्रेस (AFP) ने एक तस्वीर की तथ्य-जांच की थी, जिसमें वीडियो में दिखाई गई घटनाओं के समान चित्रण किया गया था। तब यह “फिलीपींस में अंगों के लिए लोगों को निशाना बनाते सिंडिकेट” के रूप में वायरल हुआ था। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
कोलकाता में डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर भ्रामक सूचनाएं
1. मध्य-प्रदेश कांग्रेस ने बजरंग दल सदस्यों की गिरफ्तारी के बारे में पुरानी, गलत रिपोर्ट पोस्ट की
2019 के आम चुनाव के परिणाम के बाद पश्चिम बंगाल के राजनीतिक हालात अस्थिर थे। कुछ मीडिया ख़बरों के अनुसार, राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा में एक भाजपा कार्यकर्ता मारा गया। इन सब के बीच, मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, “पश्चिम बंगाल मे बीजेपी ने ही करायी थी अपने कार्यकर्ता की हत्या, बजरंग दल के 11 कार्यकर्ता गिरफ्तार..!” इस ट्वीट के साथ, डेली हंट में छपे एक लेख का लिंक भी साझा किया गया था।
पश्चिम बंगाल मे बीजेपी ने ही करायी थी अपने कार्यकर्ता की हत्या, बजरंग दल के 11 कार्यकर्ता गिरफ्तार..!
हैरान मत होईये !
फ़र्क़ बस इतना है कि भाजपा ने बंगाल में नकाब उतार रखा है।वैसे, अपने ही कार्यकर्ताओं की हत्या करना कुछ ज़्यादा घृणित नही हो गया..? https://t.co/8w93YrjEYA
— MP Congress (@INCMP) June 11, 2019
बजरंग दल के 11 सदस्यों के हाथों भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर यह दावा 2018 में हुई एक घटना पर आधारित था। इससे संबंधित एक लेख 4 जून, 2018 को न्यूज़ हंट (DailyHunt) में आया था। यह रिपोर्ट एएनआई द्वारा भी प्रकाशित की गई थी, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया था।
न्यूज़लॉंड्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, बजरंग दल के सदस्यों की गिरफ्तारी रामनवमी पर हुई हिंसा से संबंधित थी, भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर नहीं। एएनआई ने न्यूज़लॉंड्री को बताया था कि उनके द्वारा प्रकाशित लेख तथ्यात्मक रूप से गलत था इसलिए उसे हटा दिया गया।
2. डॉक्टरों की हड़ताल के बीच, मध्य-प्रदेश में डॉक्टर पर हमले का 2018 का वीडियो
“দেখুন ঠিক কেন ডাক্তাররা নিরাপত্তা দাবি করছেন। দেখুন পুলিশের ভূমিকা। পরিষ্কার সিসি টিভি ফুটেজ থাকলেও কোন শাস্তি হয় না। (यही कारण है कि डॉक्टर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। पुलिस की भूमिका देखें। स्पष्ट सीसीटीवी फुटेज के बावजूद, कोई दंड नहीं।)”
कोलकाता में डॉक्टरों के हड़ताल की पृष्ठभूमि में, बंगाली में उपरोक्त संदेश सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर वायरल हुआ था। यह संदेश एक सीसीटीवी फुटेज के साथ प्रसारित किया गया था जिसमें एक डॉक्टर को पीटते लोगों को देखा जा सकता है।
দেখুন ঠিক কেন ডাক্তাররা নিরাপত্তা দাবি করছেন ,দেখুন পুলিশের ভূমিকা ।
সম্পূর্ণ ভিডিওটি দেখার জন্য আগ্রহ করছি ।
Posted by Akash Sadhu on Friday, 14 June 2019
इसके किसी हालिया घटना को दिखलाने के झूठे दावे को खारिज करने के लिए वीडियो को सावधानी से देखना भर पर्याप्त था। सीसीटीवी फुटेज होने के कारण क्लिप के शीर्ष बाएं कोने में ’10-24-2018′ की तारीख है। फेसबुक पर टाइम फिल्टर के साथ एक ‘कीवर्ड सर्च’ ने हमें medicalreportertoday.com की 31 अक्टूबर, 2018 की रिपोर्ट तक पहुंचाया। इस रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना मध्य प्रदेश में भिंड के जिला अस्पताल में हुई थी। एक मृत मरीज के परिजनों ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर की उसके कक्ष में पिटाई कर दी थी।
टेलीविजन के फोटोशॉप किए गए स्क्रीनग्रैब
1. नहीं, पीएम मोदी ने पूर्ण शराबबंदी की घोषणा नहीं की
आजतक के प्रसारण के एक कथित स्क्रीनग्रैब के साथ यह संदेश वायरल हुआ- “बाराबंकी शराब हादसे के बाद से मोदी जी का अहम फैसला आज रात से पूरे भारत मे अल्कोहल शराब बंद ।।” इस मीडिया संगठन का हवाला देते हुए, सोशल मीडिया के दावों में सुझाया गया कि प्रधानमंत्री ने देश भर में शराब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।
बाराबंकी शराब हादसे के बाद से मोदी जी का अहम फैसला आज रात से पूरे भारत मे अल्कोहल शराब बंद ।।
Posted by अगर राजस्थानी हो तो पेज लाइक करो on Tuesday, 28 May 2019
सोशल मीडिया में शेयर की गई तस्वीर फोटोशॉप की हुई थी। तस्वीर की बारीकी से जांच करने पर कई त्रुटियां सामने आईं जो किसी पेशेवर टीवी समाचार चैनल के लिए मुनासिब नहीं हैं। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ के तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
2. “पोर्न देखने से बच्चे ज्यादा होते हैं”: योगी आदित्यनाथ के नाम से गलत उद्धरण
एक बयान जो कहता है- “पोर्न देखने से ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं”, को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से फैलाया गया। इस वक्तव्य को एबीपी न्यूज़ द्वारा प्रसारित समाचार के रूप में वायरल किया गया था।
ऑल्ट न्यूज़ ने एबीपी न्यूज़ के संपादक पंकज झा से संपर्क किया जिन्होंने कहा, “यह एक नकली ग्राफिक है। हम टेक्स्ट के लिए इस फ़ॉन्ट का उपयोग नहीं करते हैं।” स्क्रीनग्रैब और एबीपी न्यूज़ के प्रसारण के एक वास्तविक ग्राफिक की तुलना से अंतर स्पष्ट दिखाई देता है। इसके अलावा, यह सामग्री एक व्यंग्यात्मक वेबसाइट से ली गई थी।
विविध
1. आगरा की लड़की को PMO से 30 लाख रुपये के अनुदान की ANI ने गलत खबर दी, कई मीडिया संगठनों ने इसका अनुसरण किया
आगरा की रहने वाली 17 साल की ललिता कुमारी पिछले 19 महीनों से अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित हैं। परिवार को उसके इलाज के लिए 10 लाख रुपये की आवश्यकता थी, जिसके लिए पिछले साल जुलाई में पीएमओ से अपील की गई थी। दो महीने बाद, सितंबर 2018 में, ललिता को 3 लाख रुपये की आंशिक वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
तब से, यह परिवार शेष 7 लाख रुपये इकट्ठा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने 22 जून, 2019 को खबर की कि धन की व्यवस्था करने में असमर्थ परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लिखित अनुरोध में अपनी बेटी के लिए इच्छा मृत्यु की मांग की। इसके तुरंत बाद, मीडिया रिपोर्टों में ये दावे आने शुरू हो गए कि प्रधानमंत्री ने बीमार बच्ची के लिए 30 लाख रुपये की सहायता दी।
उपचार के लिए 3 लाख रुपये की राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दी गई थी। इस आंकड़े में एक अतिरिक्त शून्य रहस्यमय तरीके से जोड़कर कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि 30 लाख रुपये दिए गए थे, जो सच नहीं था। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
2. क्रिकेट मैच के दौरान पेशाब करने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति ने पाकिस्तानी होने का झूठा दावा
सोशल मीडिया में साझा किए गए एक पोस्टर में दावा किया गया कि इंडिया और ऑस्ट्रेलिया की मैच के दौरान द ओवल, लंदन में एक पाकिस्तानी बहरूपिये ने भारतीय क्रिकेट प्रशंसक के भेष में पेशाब किया था। पोस्टर के साथ कुछ तस्वीरों का कोलाज भी साझा किया गया, जिसमें एक आदमी को भारतीय तिरंगे में सजा हुआ देखा जा सकता है। संदेश के मुताबिक, ”फ़रीद खान नामक यह पाकिस्तान शख्स, जिसने भारतीय तिरंगे को पहन रखा है और भारतीय क्रिकेट प्रशंसक होने का ढोंग कर रहा है, जो भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच के दौरान द ओवल गैलरी में पेशाब कर रहा है और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट किया, वीडियो के वायरल होने के बाद लंदन पुलिस ने उसे और उसके दो भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। पाकिस्तानी नागरिक की शर्मनाक हरकत”। (अनुवाद)। इसका सुझाव था कि एक पाकिस्तानी नागरिक ने भारतीय प्रशंसक होने का ढोंग करते हुए अश्लील हरकत करके भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया।
यह दावा कि भारतीय रंग के कपड़े पहने यह व्यक्ति वास्तव में पाकिस्तानी है, झूठा है। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि तिरंगे में सजा आदमी नरेंद्र भोजानी नाम का एक शौकीन भारतीय क्रिकेट प्रशंसक है। इस बारे में पूरी तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
3. दक्षिण भारत में बुजुर्ग ब्राह्मण के नृत्य का वीडियो, गलत तरीके से भीड़ द्वारा उनकी पिटाई के रूप में साझा
लोगों की भीड़ से घिरे एक बूढ़े व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया में इस दावे के साथ साझा किया गया कि वह एक ब्राह्मण है जिसे दक्षिण भारत में पिटा गया। इस क्लिप के साथ साझा किया गया संदेश है- “एक वृद्ध ब्राह्मण की पहले यग्योपवित (जनेऊ) काटी फिर कपड़े उतार कर भीड़ ने डांस करने के लिए मजबूर किया। यह स्थिति है दक्षिण के .@INCIndia शासित राज्यों की, .@RahulGandhi जी क्या यह अल्पसंख्यक ब्राह्मणों के साथ मोब लिंचिंग नही है?”
एक वृद्ध ब्राह्मण की पहले यग्योपवित (जनेऊ) काटी फिर कपड़े उतार कर भीड़ ने डांस करने के लिए मजबूर किया।
यह स्थिति है दक्षिण के .@INCIndia शासित राज्यों की, .@RahulGandhi जी क्या यह अल्पसंख्यक ब्राह्मणों के साथ मोब लिंचिंग नही है?
.@ANI .@sudhirchaudhary .@narendramodi .@AmitShah pic.twitter.com/GpNEI4dLKD— Dev Oza 🇮🇳 (@DevOza7) June 26, 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो टिक टॉक पर अपलोड किया गया था। दावे के विपरीत, वीडियो में दिख रहे व्यक्ति स्वेच्छा से नाचते हुए दिख रहे थे, जबकि भीड़ उन्हें उत्साहित कर रही थी।
4. गलत दावा: सऊदी अरब सरकार ने भगवद्गीता का अरबी संस्करण जारी किया
“सऊदी अरब सरकार ने अरबी में “भगवद्गीता” रिलीज की। यहाँ तो “भारत माता की जय” बोलने से इस्लाम खतरे में आ जाता हैं।”
उपरोक्त संदेश सोशल मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि सऊदी अरब की सरकार ने भगवद्गीता का अरबी अनुवाद जारी किया है। इसे ट्विटर और फेसबुक दोनों पर शेयर किया गया था। इस संदेश के साथ एक पुस्तक की कवर की तस्वीर थी, जिसमें कृष्ण और अर्जुन को एक रथ पर दिखाया गया था, साथ ही, अरबी जैसा कुछ पाठ था।
सऊदी अरब सरकार ने अरबी में “भगवद्गीता” रिलीज की।
यहाँ तो “भारत माता की जय” बोलने से इस्लाम खतरे में आ जाता हैं। pic.twitter.com/psj9d6VgEB
— Pushpendra Kulshrestha (@Nationalist_Om) June 24, 2019
यह दावा कि भगवद्गीता का अरबी अनुवाद सऊदी अरब सरकार द्वारा जारी किया गया है, सरासर झूठ है। ‘सउदी अरब भगवद्गीता अरबी अनुवाद’ कीवर्ड के साथ गूगल पर खोज करने पर एक भी समाचार रिपोर्ट नहीं आई। इसके अलावा, भगवद्गीता के अरबी अनुवाद कई वर्षों से उपलब्ध हैं।
5. झूठा दावा: कश्मीर के श्रीनगर में 40 साल में पहली बार प्रभात फेरी निकाली गई
एक सोशल मीडिया दावे के अनुसार, प्रभात फेरी यानी, सुबह की सैर के दौरान जाप करना और भजन गाने का रिवाज, कश्मीर घाटी के श्रीनगर में 40 वर्षों में पहली बार हुआ। दावे के समर्थन में साझा किए गए वीडियो में सड़क पर हरे रामा हरे कृष्णा’ गाते लोगों का समूह, जबकि भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती पुलिस दिखती है। साथ के कैप्शन में कहा गया है, “श्रीनगर कश्मीर में 40 वर्षों में पहली बार प्रभात फेरी का आयोजन हुआ। सोचो ये कैसे मुमकिन हुआ…? मोदी है….. तो मुमकिन है। जय श्री राम“
श्रीनगर कश्मीर में 40 वर्षों में पहली बार प्रभात फेरी का आयोजन हुआ।
सोचो ये कैसे मुमकिन हुआ…?
मोदी है….. तो मुमकिन है।
जय श्री राम@narendramodi @AmitShah pic.twitter.com/DGH8A3jSqA— Puneet Sharma (@iPuneetSharma) June 27, 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे को झूठा पाया। सबसे पहले तो दावे के साथ वाले वीडियो में प्रभात फेरी नहीं थी, जैसा दावा किया गया था, बल्कि इसे राम नवमी पर शूट किया गया था। दूसरे, प्रभात फेरी और राम नवमी दोनों घाटी में पहले भी मनाई गई हैं।
ऐसा लगता है कि आम चुनाव से पहले की भ्रामक सूचनाएं जो अलग प्रकार की और विशेष रूप से सांप्रदायिक घृणा फैलाने पर केंद्रित नहीं थीं, वे चुनाव के बाद प्रतिशोध के साथ वापस आ गई हैं।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.