अगस्त में, केरल ने शताब्दी की सबसे भारी बारिश की घातक चोट झेली। सैकड़ों लोगों की मौत हुई, लाखों का विस्थापन और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। इस घटना की विशालता और त्रासदी, जैसे विडंबना की तरह सामने आई, उसी तरह, केरल से संबंधित झूठे और/या भ्रामक दावों और प्रतिवादों की बड़ी संख्या में गलत-सूचनाओं की सोशल-मीडिया-तंत्र में बाढ़ आ गई। मुख्यधारा की मीडिया में भी केरल के बाढ़ नहीं थे- केरल की बाढ़ के कवरेज में गलत रिपोर्टिंग के कई उदाहरण रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत भी झूठी सूचना फैलाने का अवसर बन गई।

केरल की बाढ़ से संबंधित गलत सूचनाएं

1.राहत कार्य दिखलाने के लिए आरएसएस द्वारा पुरानी तस्वीरों का उपयोग

दान की अपील के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आधिकारिक फेसबुक पेज द्वारा तस्वीरों का एक सेट इस दावे के साथ शेयर किया गया कि तस्वीरों में केरल बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने वाले लोग सेवा भारती कार्यकर्ता थे। शेयर किए गए तस्वीरों के सेट में से एक में पृष्ठभूमि में खड़े कई लोगों के साथ, जिसमें आरएसएस की पुरानी वर्दी जैसे दिखने वाले खाकी हाफ पैंट पहने कुछ लोग शामिल हैं, एक संवाददाता दिखता है।

यह सामने आया कि इस संवाददाता की यह तस्वीर 2012 में ली गई थी, जब राज्य में बाढ़ आई थी। इस तस्वीर में शामिल संवाददाता ने उसी वर्ष तस्वीर को शेयर किया था। आरएसएस के फेसबुक पेज को बाद में अपडेट किया गया और स्पष्ट किया गया कि तस्वीर वास्तव में 2012 की थी।

2. आरएसएस के काम दिखाने के लिए पुरानी तस्वीर शेयर करते पोस्टकार्ड न्यूज़, कोयना मित्रा

नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ और अभिनेत्री कोयना मित्रा ने एक तस्वीर शेयर की जो कथित रूप से केरल में राहत कार्यों में सक्रिय आरएसएस के कार्यकर्ताओं को दिखलाती थी। इसका उद्देश्य आरएसएस के काम की सराहना करना और साथ ही उन लोगों का उपहास उड़ाना था जो आरएसएस की प्रतिबद्धता और समर्पण पर सवाल उठाते हैं।

विडंबना देखिए, पता चला कि पोस्टकार्ड न्यूज़ ने 2016 में उसी तस्वीर का, जब इसे क्लिक किया गया था, यह दावा करते हुए उपयोग किया था, कि बिहार के बाढ़ प्रभावित होने पर आरएसएस स्वयंसेवक सामाजिक सेवा में सक्रिय रूप से शामिल थे। सोशल मीडिया पर अन्य लोगों ने दावा किया कि यह तस्वीर पश्चिम बंगाल की है। हालांकि आल्ट न्यूज़ ने कोई निष्कर्ष नहीं निकाला कि तस्वीर कहां से थी, फिर भी यह स्पष्ट था कि यह तस्वीर केरल की हाल की बाढ़ से संबंधित नहीं थी।

पोस्टकार्ड न्यूज ने कुछ दिनों बाद फिर केरल में आरएसएस के झूठे राहत कार्यों को दिखलाने के लिए तस्वीरों का एक और सेट प्रकाशित किया। इनका भी केरल की बाढ़ से कोई लेना-देना नहीं था। ये 2016 की तस्वीरें थीं

3. बीजेपी मंत्रियों और सांसदों के 25 करोड़ रुपये दान देने की भ्रामक जानकारी

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा बीजेपी मंत्रियों और सांसदों की उपस्थिति में 25 करोड़ रुपये चेक लेते हुए एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ प्रसारित किया गया कि सत्तारूढ़ दल के सदस्यों और केंद्रीय मंत्रियों ने केरल सरकार को 25 करोड़ रूपये दान दिए थे। पोस्ट व्यापक रूप से शेयर किया गया था।

दावा साफ तौर पर झूठा था क्योंकि यह धन सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा केरल को दान किया गया था, न कि बीजेपी मंत्रियों और सांसदों द्वारा। चूंकि बीजेपी के सांसदों के हाथों केरल के मुख्यमंत्री को चेक प्रदान किया गया था, इसलिए उनकी एक साथ फोटो ली गई थी। इसने सोशल मीडिया में फैली कथाओं की सहायता की कि बीजेपी सांसदों ने यह राशि बाढ़ प्रभावित राज्य को दान की थी।

4. इराकी सैन्यकर्मी की तस्वीर भारतीय सेना के रूप में शेयर की

“कोई शब्द नहीं 🙏 सच्चे भारतीय इस तस्वीर को कभी अनदेखा नहीं कर सकते। यह हमारी सेना है … वे हमारे लिए कुछ भी करेंगे।” यह संदेश एक सैनिक की तस्वीर के साथ दिया है, जो झुका है ताकि उसकी पीठ पर पांव रखकर महिला ट्रक से बाहर निकल सके। इसे फेसबुक पेजों द्वारा साझा किया गया है जो नियमित रूप से राष्ट्रवाद और भारतीय सेना विषयक सामग्री का उपयोग अपने पाठकों के साथ भावनात्मक गड़बड़ी करने के लिए करते हैं। पोस्ट कार्ड फैन्स (Post Card Fans), इंडिया अगेन्स्ट पेड मीडिया (India against Paid Media), माई इंडिया (My India) और नरेंद्र मोदी – ट्रू इंडियन (Narendra Modi – True Indian) कुछ ऐसे पेज हैं जिन्होंने इस तस्वीर को पोस्ट किया था, जिसे हजारों बार शेयर किया गया था।

एक साधारण गूगल रिवर्स सर्च ने खुलासा किया कि यह तस्वीर, जून 2016 में आईएसआईएस से फालुजा शहर के मुक्त हो जाने के बाद, एक नागरिक की मदद करते हुए, इराक़ी पीएमयू (Popular Mobilization Units) के सदस्य की है। वास्तव में यह तस्वीर नकली समाचार के अंतरराष्ट्रीय विवाद के केंद्र में रह चुकी है। दिसंबर 2016 में, संयुक्त राष्ट्र में सीरियाई दूतावास की, इसका उपयोग यह दिखाने के लिए कि कैसे सरकारी सेनाएं अलेप्पो शहर को ‘मुक्त’ कर रही थीं, व्यापक आलोचना की गई थी।

ऑल्ट न्यूज ने देखा कि आरएसएस को केरल में राहत प्रयासों में आगे पेश करने के लिए सोशल मीडिया पर सम्मिलित खेल खेला गया। यह असंबद्ध तस्वीरों के उपयोग से सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को गुमराह करने पर केंद्रित था।

केरल की बाढ़ पर मेनस्ट्रीम मीडिया की भ्रामक खबर

1. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट UAE राष्ट्रपति के अनाधिकारिक पेज के पोस्ट पर आधारित

बाढ़ प्रभावित केरल के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने 700 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है या नहीं, इस विवाद के बीच द टेलीग्राफ ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जयद अल नह्यान ने फेसबुक पेज पर इस शीर्षक से समाचार दिया है- केरल में राहत और पुनर्वास के लिए 700 करोड़ रुपये देने का यूएई वचन देता है“। (अनुवाद)

लेख में यह बताया गया कि “संयुक्त अरब अमीरात के परिचित सूत्रों ने कहा कि यह अकल्पनीय होगा कि राष्ट्रपति की आधिकारिक साइट झूठी अफवाह पोस्ट करे और इसे ​​जारी भी रखे। कुछ स्रोतों ने तो इस पोस्ट का वर्णन “अप्रत्यक्ष पुष्टि” के रूप में किया।

समाचार-रिपोर्ट पोस्ट करने वाले पेज शेख खलीफा बिन जयद अल नह्यान पर एक सरसरी नज़र डालने से ही पता चलता है कि यह संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति का आधिकारिक पेज नहीं है। अनुयायियों की संख्या और पृष्ठ पर सत्यापन की नीली टिक का नहीं होना इस तथ्य को इंगित करता है कि यह राज्य प्रमुख का आधिकारिक पृष्ठ नहीं हो सकता है। फिर भी, टेलीग्राफ ने इसे एक आधिकारिक खाता माना और तदनुसार रिपोर्ट किया।

2. रिपब्लिक टीवी, न्यू यॉर्क टाइम्स ने कर्नाटक में भूस्खलन के वीडियो को केरल का बताकर शेयर किया

रिपब्लिक टीवी के समाचार एंकर ने केरल की बाढ़ पर एक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, “केरल में जहां अभी तक बचाव अभियान चल रहा है, मेरे सहयोगी स्नेहेश त्रिवेन्द्रम से हमसे लाइव जुड़ रहे हैं”। केरल में बाढ़ से विनाश के प्रतिनिधि दृश्यों के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों से भी रिपोर्टिंग हुई थी।

3:28 से शुरू : रिपब्लिक टीवी के वीडियो ने एक पहाड़ी से नीचे गिरते दो मंजिला घर का दृश्य दिखलाया। स्क्रीन पर दिए पाठ के मुताबिक, ये दृश्य 17 अगस्त, 2018 के हैं। वही दृश्य द न्यू यॉर्क टाइम्स द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो में इस्तेमाल किया गया था।

भूस्खलन के कारण ढलान पर दो मंजिला घर के गिरने की यह घटना कर्नाटक के कोडागु की है, केरल की नहीं। स्क्रॉल, द टाइम्स ऑफ इंडिया और एनडीटीवी समेत कई मुख्यधारा मीडिया संगठनों के अलावा द न्यूज मिनट द्वारा इसकी रिपोर्ट की गई, जिसमें वीडियो का स्थान कोडागु, कर्नाटक बताया गया।

3. दैनिक भास्कर ने हाथी के बच्चे को बचाने की पुरानी तस्वीर छापी

23 अगस्त, 2018 को दैनिक भास्कर नई दिल्ली संस्करण द्वारा प्रकाशित एक लेख में हाथी के एक बच्चे की तस्वीर इस कैप्शन के साथ थी- “सेना केरल में बाढ़ में फंसे लोग के साथ जानवरों की भी मदद कर रही है। जवान ने हाथी के बच्चे को रेस्क्यू किया।” कैप्शन में बताया गया कि केरल बाढ़ के दौरान सेना द्वारा हाथी के एक बच्चे को बचाया गया था।

तस्वीर दिसंबर 2017 में तमिलनाडु में कोयंबटूर के पास मेट्टुपलायम में ली गई थी। मेट्टुपलायम के पास तैनात 28 वर्षीय फारेस्ट गार्ड पलानिचमी सरथकुमार ने, 12 दिसंबर, 2017 को जब वह रात की शिफ्ट के बाद घर जा रहा था, एक कॉल प्राप्त की। 29 दिसंबर, 2017 को बीबीसी द्वारा प्रकाशित एक लेख में सरथकुमार ने कहा, “कॉलर ने मुझे बताया कि एक महिला हाथी वानभद्र कालियाम्मन मंदिर के पास सड़क को अवरुद्ध कर रही थी।” (अनुवाद)

4. टाइम्स नाउ ने पश्चिम बंगाल के घर गिरने का फुटेज केरल का बताया

टाइम्स नाऊ के मुख्य संपादक राहुल शिवशंकर ने केरल बाढ़ पर प्राइमटाइम बहस शुरू की, “दर्शक, हम विनाश की कहानी से शुरू करते हैं, तस्वीर जो आप अपनी स्क्रीन पर लगभग 30 सेकंड में देखने जा रहे हैं, वे केरल के जलप्लावित जिलों के हैं।” इस संबोधन के साथ दिखाए गए वीडियो में एक दो-मंजिला घर बाढ़ में बह गया दिखाया। यह वीडियो कुशल नगर, केरल का होने का दावा किया गया था।

इस साल पश्चिम बंगाल का बांकुरा जिला बाढ़ से तबाह था। 7 अगस्त, 2018 को द हिंदू द्वारा प्रकाशित एक लेख में कहा गया, “सोमवार को भारी बारिश से बांकुरा जिले के कई इलाकों में बाढ़ आने के कारण दो लोगों की मौत हो गई और कम से कम 2,500 प्रभावित हुए। कई घर भी क्षतिग्रस्त हो गए।” बांकुरा में बाढ़ से दो मंजिला घर के बह जाने का दृश्य कई मीडिया संगठनों द्वारा व्यापक रूप से प्रसारित किया गया। यह वही वीडियो है जिसे टाइम्स नाउ द्वारा कुशल नगर, केरल के रूप में प्रसारित किया गया था।

अटल बिहारी वाजपेयी की मौत पर भ्रामक सूचना

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त, 2018 को आखिरी साँस ली। उनकी मृत्यु पूर्व के कई घंटे सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाओं और मीडिया संगठनों द्वारा गलत रिपोर्टिंग के गवाह बने।

मीडिया द्वारा गलत रिपोर्टिंग

1. मीडिया संगठनों ने पहले ही मौत की घोषणा कर दी

अंतिम 36 घंटों में अटल बिहारी वाजपेयी की स्थिति बहुत खराब रही। उन्हें जीवन रक्षक सुविधाओं पर रखा गया था। फिर भी, मुख्यधारा समाचार संगठनों ने पहले समाचार देने की होड़ में आधिकारिक घोषणा से पहले ही उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री की मौत की पहले ही घोषणा करने वालों में डीडी न्यूज पहला था। टाइम्स नाउ, एबीपी न्यूज़, सुदर्शन न्यूज़, इंडिया टीवी, हफिंगटन पोस्ट और स्टेट्समैन उनमें से थे जिन्होंने दूरदर्शन को फॉलो किया और समय से पहले वाजपेयी की मौत की सूचना दी।

2. डीएनए, ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रसारित नकली तस्वीर

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद ज़ी न्यूज़ ने खबर चलाई- “दिग्गज राजनीतिज्ञ को अंतिम सम्मान देने वाले डॉक्टरों की तस्वीर ज़ी न्यूज़ द्वारा हासिल।” इसी प्रकार, डीएनए ने एक तस्वीर प्रकाशित की जिसमें अस्पताल के बिस्तर पर पड़े मृत शरीर के चारों ओर कतार में सिर झुकाए खड़े डॉक्टर दिख रहे थे। उसने तस्वीर का वर्णन किया- “पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में सभी डॉक्टर कतार में खड़े और सिर झुकाए खामोश देखे गए।” ज़ी न्यूज़ और डीएनए, दोनों ने इस “अटल बिहारी वाजपेयी को अंतिम सम्मान देते एम्स के डॉक्टरों की तस्वीर” को ट्वीट भी किया।

तस्वीर पर करीब से नजर डालने पर लगता है कि यह भारत की नहीं है। 2012 की इस तस्वीर में चीनी डॉक्टरों का समूह एक महिला को श्रद्धांजलि दे रहा है, जिसकी मौत के बाद उसके अंग दान कर दिए गए थे। 17 वर्षीया वू हुआजिंग जिसने मृत्योपरांत अपने अंग दान कर दिए थे, उसकी 22 नवंबर 2012 को गुआंग्डोंग में मृत्यु के बाद उसके सम्मान में चिकित्साकर्मी सिर झुकाए थे।

सोशल मीडिया पर गलत जानकारी

1. वाजपेयी की मृत्यु के बाद केजरीवाल ने जन्मदिन मनाया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 16 अगस्त को जिस दिन वाजपेयी की मृत्यु हो गई थी, अपना जन्मदिन मनाने के लिए सोशल मीडिया पर भारी आलोचना की गई थी। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद फेसबुक पेज योगी आदित्यनाथ – ट्रू इंडियन (Yogi Adityanath – True Indian) पर एक पोस्ट पढ़ने में आया, “शाम को अटल जी की मौत के ठीक बाद, केजरीवाल ने अपना जन्मदिन मनाया।” यह पाठ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की केक काटते एक तस्वीर के साथ 16 अगस्त को रात्रि 8:30 बजे पोस्ट किया गया था और 10,000 से ज्यादा लोगों द्वारा शेयर किया गया था। पृष्ठ पर केजरीवाल को उनकी ‘असंवेदनशीलता’ के लिए लक्षित करती कई टिप्पणियां हैं।

यह प्रकट हुआ कि 16 अगस्त की सुबह, अटल बिहारी वाजपेयी की मौत से पहले ही, केजरीवाल ने अपना जन्मदिन मनाया था। हालांकि, दावा किया गया कि शाम को उत्सव आयोजित किया गया था। इरादा उन्हें असंवेदनशील रूप में दिखलाना था। जिन्होंने इस झूठ को प्रसारित किया था, उन्होंने पृष्ठभूमि में दीवार घड़ी को छिपाने के लिए तस्वीर से छेड़छाड़ की थी, जिसमें पता चला था कि केक-काटने का समारोह सुबह 11 बजे आयोजित किया गया था।

2. वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोदी की झूठी तस्वीर

16 अगस्त को वाजपेयी के आखिरी साँस लेने के बाद, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर चलनी शुरू हुई, जिसमें दावा किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। इसे फेसबुक पर कई पेजों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं द्वारा शेयर किया गया।

ऑल्ट न्यूज ने गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो नरेंद्र मोदी की आधिकारिक वेबसाइट पर “माननीय मुख्यमंत्री अनुभवी लेखक भूपत वडोदारिया की मृत्यु पर शोक व्यक्त हुए” पाठ के साथ वही तस्वीर थी। इसलिए वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए “प्रधानमंत्री” मोदी की यह तस्वीर नहीं थी, जैसा कि सोशल मीडिया पर दावा किया गया था।

ध्रुवीकरण का हथियार बना सोशल मीडिया

सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के ध्रुवीकरण के लगातार प्रयासों के लिए अगस्त में भी जारी रहे । इस महीने में सांप्रदायिक शांति को दूषित करने के प्रयास और भयावह रहे।

1. यूपी के मुस्लिम नेता ने उस महिला पर हमला किया जिसने उसे राखी बांधी

सोशल मीडिया पर दो चित्र प्रसारित किए गए थे। एक में, एक महिला एक आदमी को राखी बांध रही दिखती है और दूसरे में कथित तौर पर वही महिला घायल दिखती है। ट्विटर उपयोगकर्ता कोमल (@komal44337466), ने इन तस्वीरों को यह लिखते हुए ट्वीट किया था-  “यूपी के गोंडा में हिंदु महिला नीरू गौतम ने कांग्रेस नेता गफूर खान को अपना भाई माना था और राखी तक पहनाई। 27अगस्त सोमवार को गफूर खान ने निरू को कुछ काम के सिलसिले में घर बुलाया और निरू से बलात्कार करके मार पिटाई करके घर से भाग गया”। ट्वीट अब हटा दिया गया है।

यह जानकारी दुर्भावनापूर्ण और गलत थी। नवभारत टाइम्स ने पहले ही इस दावे की जांच की थी। वह तस्वीर जिसमें एक महिला राखी बांध रही है, इसकी गूगल रिवर्स इमेज सर्च दिखाती है कि यह पुरानी तस्वीर है। 7 अगस्त, 2018 को एक ट्विटर उपयोगकर्ता द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर सबसे शुरुआती उदाहरणों में से एक थी जिसे हम पा सकते थे। वास्तव में ट्वीट ने यह कहते हुए सांप्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा दिया, “कुछ संबंध धर्म से परे हैं और प्यार और नफरत का कोई धर्म नहीं है।”

2. झंडा फाड़ते और कहते “पक्का मुसलमान हूं” लड़के का शरारती वीडियो

भारतीय ध्वज फाड़ते और कहते, “पक्का मुसलमान हूं” एक लड़के का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था। एक ट्विटर हैंडल, @ अनुमिश्राबीजेपी (@AnuMishraBJP) ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ते और फेंकते, यह लड़का कह रहा है कि …”मैं सच्चा मुस्लिम हूं” यह मानसिकता कहाँ पैदा हुई है?”। सुदर्शन न्यूज के प्रमुख संपादक सुरेश चव्हाणके इस वीडियो को शेयर करने वालों में से एक थे।

यह घटना सूरत, गुजरात की है। द टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा 20 अगस्त, 2018 को प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “एक युवा लड़का, जो अल्पसंख्यक समुदाय से होने का दावा करता है, को वीडियो में कागज का तिरंगा फाड़ते हुए देखा जाता है। पुलिस ने अमरोली से लड़के और एक और किशोर का पता लगाया और उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ पुलिस स्टेशन में बुलाया।”

ऑल्ट न्यूज़ को दिए गए एक बयान में, अमरोली पुलिस स्टेशन (सूरत) के पुलिस इंस्पेक्टर जी.ए. पटेल ने स्पष्ट किया, “दोनों किशोर मित्र हैं और हिंदू समुदाय से संबंधित हैं। लड़कों ने बचपनापन भरे काम के लिए माफ़ी मांगी है।”

3. पश्चिम बंगाल में पाकिस्तान का आजादी दिवस मनाया जाएगा

“कृपया इस मामले को देखें। पश्चिम बंगाल में तृण मूल कांग्रेस द्वारा शर्मनाक राजनीति “जश्न-ए-आज़ादी” का अर्थ क्या है और तारीख भी 14 अगस्त का उल्लेख किया गया। क्या वे पाकिस्तानी हैं। इस मामले में कदम उठाने की जरूरत है।” नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े ने यह ट्विट करके दावा किया कि टीएमसी सरकार के आशीर्वाद के साथ पश्चिम बंगाल में पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने वाला है।

हेगड़े या तो अनजान लग रहे थे या जानबूझकर उस तथ्य से अनजान थे कि मुशायरा और कवि सम्मेलन नियमित रूप से 14 अगस्त को आयोजित किए जाते हैं, जो स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या है। ‘जश्न-ए-आज़ादी’ जिसका अर्थ है आजादी का जश्न एक कार्यक्रम था जिसे कवि सम्मेलन के रूप में आयोजित किया गया था।

4. भागलपुर में मुसलमानों द्वारा हिंदू जुलूस पर हमला

बिहार के भागलपुर में, मुस्लिमों ने शोभा यात्रा पर पत्थर फेंके और इसमें आग लगा दी। हिंदू आप बस सोते रहें। यदि आप हिंदू के बच्चे हैं, तो इसे 1, 2, 3 में शेयर करें जो भी ग्रुप आपके पास हैं -एक फेसबुक उपयोगकर्ता, रायल संजय सिंह राजपूत (Royal Sanjay Singh Rajput) ने दो तस्वीरों और वीडियो को एक फेसबुक ग्रुप नरेन्द्र मोदी 2019 (साथ हैं तो जुड़ें) में उपरोक्त पाठ के साथ पोस्ट किया। पोस्ट को कई हज़ार बार शेयर किया गया था।

पता चला कि भागलपुर में मुस्लिमों द्वारा हिंदू जुलूस पर हमले के रूप में शेयर किए जा रहे वीडियो में से एक वास्तव में आसनसोल, पश्चिम बंगाल का था। साथ ही, इस पोस्ट में इस्तेमाल की गई एक तस्वीर घरेलू विवाद की थी और उसका सांप्रदायिक आक्रामकता से कोई लेना-देना नहीं था।

5. कांवरियों के भेष में मुस्लिमों की हिंसा

“गिरफ्तार कांवरिये, कांवरियों के भेष में मुस्लिम लड़के निकले जिन्होंने हिंसा करके हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश की”। सोशल मीडिया पर शेयर एक संदेश में दावा किया गया था कि मुस्लिम पुरुष कांवर यात्री बने थे और हाल ही में कांवर यात्रा के दौरान हिंसा किया था। दावे का आधार दैनिक जागरण एक लेख था जिसका शीर्षक था “कांवरियों के भेष में दो मुस्लिम युवाओं को पुलिस द्वारा पकड़ा गया”।

यदि दैनिक जागरण के लेख को शीर्षक से आगे पढ़ा जाए, तो यह कहता है कि दो मुस्लिम युवाओं ने पुलिस को बताया कि वे अपने मित्र शिवम से मिलने के लिए भगवानपुर गए थे। लौटने के दौरान, उन्होंने दो भगवा रंग के गमछे खरीदे और दूसरे तीर्थयात्रियों जैसा लगने के लिए खुद से लपेट लिया। उन्होंने पुलिस द्वारा रोके जाने से बचने के लिए ऐसा करने का दावा किया। हालांकि, उनके मोटरसाइकिल ने एक कॉन्स्टेबल को टक्कर मारी, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया। बाइक पर सवार एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह घटना उत्तर प्रदेश के सहारनपुर इलाके में हुई थी।

सोशल मीडिया पर राजनीतिक प्रहार

1. खेल मंत्री ने एशियाई खेलों में खिलाड़ियों को भोजन दिया

राज्यवर्धन सिंह राठौर की एक तस्वीर इस बात के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हुई कि खेल मंत्री जकार्ता में एशियाई खेलों के दौरान भारतीय एथलीटों को भोजन पेश कर रहे थे। तस्वीर में, राठौर को ट्रे पकड़कर खिलाड़ियों के साथ बातचीत करते देखा जा सकता है। सोशल मीडिया में राठौर का उनके कार्य के लिए अभिवादन करने वाले सत्तासीन पार्टी के समर्थकों में जबरदस्त उछाल आ गया। कई मीडिया संगठनों ने भी इसकी रिपोर्टिंग की।

ऑल्ट न्यूज़ ने उस व्यक्ति से संपर्क किया जो दृश्य में मौजूद था लेकिन नाम प्रकट नहीं करना चाहता था। उन्होंने बताया कि तस्वीर भ्रामक है क्योंकि मंत्री भोजन, स्नैक्स या चाय पेश नहीं कर रहे थे, बल्कि केवल उन खिलाड़ियों को शुभकामना दे रहे थे जिन्हें वह अपनी टेबल पर जाते हुए मिले थे। हालांकि, लोक संपर्क अभ्यास बेहद सफल रहा।

2. खालिस्तान समर्थकों ने राहुल गांधी के ब्रिटेन कार्यक्रम में भाग लिया

पक्का घिनौना!!! लंदन में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस की बैठक में, भारत विरोधी, खालिस्तान के समर्थक इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। @RahulGandhi भारत के खिलाफ बन रही इस खतरनाक, राष्ट्रविरोधी कथा के लिए आपको गंभीर स्पष्टीकरण देना है। # राहुल गांधी इन लंदन (#RahulGandhiInLondon) ने 26 अगस्त, 2018 को प्रीति गांधी को ट्वीट किया। उनके ट्विटर अकाउंट के मुताबिक, गांधी ‘सोशल मीडिया की राष्ट्रीय प्रभारी- भाजपा महिला मोर्चा’ हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुखर समर्थक हैं, जो ट्विटर पर उन्हें कई शीर्ष भाजपा नेताओं के साथ फॉलो करते हैं।

जिन लोगों ने इस कार्यक्रम को बाधित किया था, वे प्रतिभागी नहीं अनामंत्रित थे। नाओमी कैंटन, जो ब्रिटेन में टाइम्स ऑफ इंडिया के संवाददाता हैं, के मुताबिक चार प्रदर्शनकारियों ने इस कार्यक्रम को बाधित किया था, जो “राहुल गांधी के कार्यक्रम में भारी सुरक्षा से बचकर प्रवेश करने में कामयाब रहे…”टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए, राष्ट्रीय सिख युवा संघ के प्रवक्ता शमशेर सिंह, जो अपने तीन सहयोगियों के साथ इस कार्यक्रम में घुस गया था, ने कहा, “हम 5.30 बजे कार्यक्रम स्थल पर एक तरफ के दरवाजे से घुस गए क्योंकि सुरक्षा शिथिल थी। अंदर एक बार, सुरक्षाकर्मियों ने हमसे कुछ प्रश्न पूछे लेकिन हम आत्मविश्वास से चले गए और कहा कि हम इस कार्यक्रम के लिए यहां हैं। हमें एक टेबल मिला और बैठ गए।”

सोशल मीडिया पर गलत और विघटनकारी जानकारी का चक्र निरंतर जारी है। अगस्त के महीने में, केरल शरारत का केंद्र रहा- अपेक्षाकृत हल्के-फुल्के ढंग से गलत सूचनाओं, झूठी तस्वीरों और वीडियो के उपयोग से लेकर व्यवस्थित रूप से राजनीतिक तौर पर राज्य को निशाना बनाने के स्तर तक। जैसे-जैसे बाढ़ का पानी घटा है, वैसे-वैसे गलत सूचनाओं के बाढ़ में कमी आई है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.