अगर झूठी खबरों की बढ़ोत्तरी को देखें तो इस साल का आखिरी महीना भी कोई अलग नहीं रहा। दिसंबर में चर्चा में रहने वाली सभी झूठी खबरों की एक झलक पेश है।
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहमदाबाद से मेहसाणा तक सीप्लेन पर सवारी को भारत में उड़ने वाला अब तक का पहला सीप्लेन बताया गया। यह दावा पीएम मोदी जी की व्यक्तिगत वेबसाइट पर किया गया था और इसे बीजेपी पदाधिकारियों और मुख्यधारा के मीडिया घरानों द्वारा दोहराया गया। हालांकि यह दावा झूठा साबित हुआ जब पता लगा कि वर्ष 2010 में अंडमान व निकोबार प्रायद्धीप में सीप्लेन सबसे पहले उपयोग किया गया था।
2. भारत के पहले सीप्लेन के दावे से मिलता-जुलता दावा भारत की पहली मेट्रो – दिल्ली मेट्रो के बारे में एक भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया। पीएम मोदी ने दावा किया कि भूतपूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी देश की पहली मेट्रो सेवा के 2002 में यात्री बने थे। हालांकि भारत में पहली मेट्रो सेवा 1984 में शुरू हुई थी।
3. गुजरात में विधानसभा चुनाव के समय सोमनाथ मंदिर में राहुल गांधी के जाने पर विवाद खड़ा हो गया जब यह दावा किया जाने लगा कि उन्होंने मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश वाले रजिस्टर में हस्ताक्षर किए थे। मूल रूप से जी गुजराती के एक पत्रकार द्वारा प्रकाशित यह ‘खबर’ मुख्यधारा के मीडिया के लिए जल्दी ही सबसे बड़ी स्टोरी बन गई। बाद में पता चला कि बहस का मुद्दा बनी यह एंट्री दरअसर किसी अन्य व्यक्ति ने की थी और इसे गलत ढंग से पेश किया गया ताकि यह लगे कि राहुल गांधी ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। मूल एंट्री मंदिर के नियमित रजिस्टर में की गई थी।
4. दिसम्बर महीने के आरंभ में, टाइम्स नाउ ने प्राइम टाइम पर एक स्टोरी चलाई जिसमें दिखाया गया कि किस तरह पशुओं को ‘यातना’ दी जा रही है। इस स्टोरी का हैशटैग #CowSlaughterCruelty था। इस स्टोरी के साथ गाय काटने का तो कोई वीडियो नहीं था लेकिन पशुओं पर क्रूरता के तौर पर दिखाया जा रहा वीडिया असल में पशु चिकित्सा संबंधी ऑपरेशन था जिसे गर्भवती पशुओं में गर्भाशय में ऐंठन की समस्या का इलाज करने के लिए किया जाता है।
5. उडूपी-चिकमंगलूर की बीजेपी सांसद, शोभा करंदलजे ने आरोप लगाया कि परेश मेस्ता को क्रूरतापूर्वक यातना देकर ‘जिहादी तत्वों’ ने मार डाला। ज्ञात हो कि परेश मेस्ता का शव राज्य के उत्तर कन्नड़ जिले में होनावर शहर की एक झील में पाया गया था। उनकी बात को इंडिया टूडे द्वारा एक ट्वीट में दोहराया गया। कर्नाटक पुलिस द्वारा जारी की गई फोरेंसिक रिपोर्ट के विवरणों से इस दावे की सच्चाई सामने आई जिसमें बताया गया था कि कोई यातना नहीं दी गई। दूसरी घटना में, शोभा करंदलजे ने दावा किया कि ‘जिहादियों’ ने होनावर में एक हिंदू लड़की से बलात्कार और हत्या करने का प्रयास किया। यह दावा भी झूठा साबित हुआ जब पुलिस ने बताया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई। करंदलजे पर विभिन्न समूहों के बीच द्वेष पैदा करने के लिए मामला दर्ज किया गया।
Can any civilised society accept the brutality meted out on Paresh Mesta?Worse of all is the stony silence from CM @siddaramaiah.Is it because the victim is a Hindu
— Shobha Karandlaje (@ShobhaBJP) December 10, 2017
6. सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रचारित एक फोटो में एक व्यक्ति को बाइक से बांधकर खींचते हुए दिखाया गया। इस फोटो के साथ कैप्शन था, ‘पाकिस्तान में जय श्री राम का नारा लगाने पर हिंदू व्यक्ति के साथ यह हुआ। इस पोस्ट को इतना शेयर करो कि हर हिंदू को मिल जाए।’ हालांकि यह फोटो पाकिस्तान से नहीं बल्कि फिलीस्तीन की 2012 की थी।
7. राजद नेता और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे, तेजस्वी यादव ने यह पत्र ट्विटर पर पोस्ट किया जो चुनाव आयोग के अधिकारी का पत्र बताया गया। इस पत्र में आरोप लगाया कि टेलीकॉम कंपनियों की मदद से बड़े पैमाने पर ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ की जा रही है। बाद में पता चला कि यह पत्र झूठा है क्योंकि राज्य के चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि उसे ऐसा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ और पत्र में उल्लेखित नाम का कोई चुनाव अधिकारी नहीं था।
Doing rounds on whatsapp.. Authenticity you verify pic.twitter.com/2fjH1Yejou
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 17, 2017
8. बीजेपी एमपी किरण खेर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बेहद ठंडे मौसम का बहादुरी से सामना करते सैनिकों की एक फ़ोटो पोस्ट की, यह कहते हुए कि यह फोटो सियाचीन में तैनात भारतीय सेना के जवानों की फोटो थी। संबंधित फोटो जोकि सोशल मीडिया पे लंबे समय तक वायरल रहा, मूल रूप से रूसी सेना के जवानों का फोटो था।
— Kirron Kher (@KirronKherBJP) December 17, 2017
9. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक घायल सिपाही अपनी आखिरी सांस तक निर्देश देता दिख रहा था। यह वीडियो शेयर करने वाले लोगों में भूतपूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह और आप नेता अलका लाम्बा शामिल थे हालांकि जनरल सिंह ने घायल सैनिक को मेजर प्रफुल्ल नहीं बताया था। मेजर प्रफुल्ल इस महीने की शुरुआत में जम्मू कश्मीर के केरी सेक्टर में घुसपैठ का मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे। हालांकि यह वीडियो मेजर प्रफुल्ल का नहीं बल्कि सीआरपीएफ के एक असिस्टेंट कमांडेंड का था और इसे 2009 में बनाया गया था।
10. आरएसएस चिंतक और विचारक, रतन शारदा और कई अन्य लोगों ने एक संदेश ट्वीट किया जिसमें दावा किया गया कि कनिमोजी और ए राजा को 2जी घोटाले में सभी आरोपों से मुक्त करने का फैसला सुनाने वाले जज ओपी सैनी असल में पंजाब के सबसे युवा विधायक और कांग्रेस पार्टी के सदस्य, अंगद सैनी के पिता हैं। यह सूचना झूठी साबित हुई क्योंकि इन दोनों का कोई संबंध नहीं है। बाद में शारदा ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
11. सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रचारित एक वीडियो में दावा किया गया कि एसपी नेता कमाल अख़्तर को यूपी पुलिस ने धक्का दिया जब उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश की। यह पता चला कि संबंधित वीडियो 2011 का था और पीटा जा रहा व्यक्ति कमाल अख़्तर नहीं था। यह वीडियो राज्य में बीएसपी सरकार के खिलाफ एसपी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन का था। इसी क्लिप को सोशल मीडिया पर अलग-अलग कैप्शन से चलाया गया।
वर्ष 2017 भी एक और ऐसा वर्ष साबित हुआ जिसमें न केवल सोशल मीडिया बल्कि मुख्यधारा के मीडिया से भी झूठी खबरों में तेज़ वृद्धि होते हुए दिखाई दी। दिसंबर में गुजरात में चुनावों के साथ, मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की मंशा से झूठी खबरें फैलाने की कोशिशें की गईं। साथ ही, विकास परियोजनाओं के बारे में लंबे-चौड़े दावे किए गए जिनका चुनावों को ध्यान में रखते हुए उद्धाटन किया गया था। इस तरह दिसंबर झूठी खबर फैलाने वाले लोगों और झूठी खबर का पर्दाफाश करने वाले लोगों के लिहाज से काफी सरगर्मियों वाला महीना रहा।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.