5 अक्टूबर, 2023 को पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने ज़ी मीडिया के WION चैनल की एक वीडियो रिपोर्ट शेयर की. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सऊदी अरब में छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाई जाएगी. उन्होंने लिखा कि सऊदी अरब अब अपने स्कूलों में रामायण और महाभारत पढ़ाएगा. साथ ही उन्होंने ये भी लिखा कि रामायण और महाभारत भारत के स्कूलों में नहीं पढ़ाई जाती है क्यूंकि इंडिया ‘सेकुलर’ है. (आर्काइव लिंक) अभिजीत मजूमदार ने बाद में एक ट्वीट कर लिखा कि ये वीडियो 2021 का है लेकिन भारतीय स्कूल पाठ्यक्रम के बारे में उनके विचार वही हैं.

हाल में ये वीडियो शेयर करने वालों में X यूज़र्स @ssaratht, @JSinha007 शामिल हैं.

अप्रैल 2021 में कई मीडिया संगठनों ने रिपोर्ट किया था कि सऊदी अरब में ‘विज़न 2030’ पहल के तहत विद्यार्थियों को रामायण और महाभारत पढ़ाई जाएगी. ये रिपोर्ट करने वाले आउटलेट्स में ईस्ट कोस्ट डेली, टाइम्स इन्टरनेट का स्पीकिंग ट्री, मुस्लिम मिरर, आजतक, जनता से रिश्ता, ABP एजुकेशन, द कश्मीरियत, हिंदुस्तान टाइम्स, पत्रिका, RSS का मुखपत्र ऑर्गनाइज़र, इंडिया टुडे, न्यूज़ 18, ज़ी मीडिया का WION, रिपब्लिक टीवी, टीवी9 हिंदी और याहू न्यूज़ शामिल हैं.

This slideshow requires JavaScript.

नेशन वर्ल्ड न्यूज़ और प्रोपगेंडा वेबसाइट ऑप-इंडिया हिंदी ने सऊदी अरब के ‘विज़न 2030’ के तहत स्टूडेंट्स को अन्य देशों के इतिहास और संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाएगा. इसमें रामायण और महाभारत भी शामिल हैं. दोनों के आर्टिकल में ‘रिक्त स्थान की पूर्ति’ वाले कुछ सवाल भी दिखाए गए जो इस कोर्स में भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़े बताये गए. इनमें से एक सवाल ये बताता है कि भारत की दो महान कविताएं रामायण और महाभारत हैं. (अंग्रेज़ी में लिखे सवाल में ‘great epic poem’ लिखा गया है.)

इन रिपोर्ट्स में सऊदी अरब की नागरिक नउफ़ अल मारवाई का ट्वीट भी है. ये अरब योग फ़ाउंडेशन की संस्थापक हैं और 2018 में उन्हें पद्म श्री से नवाज़ा गया था. उन्होंने इन्हीं प्रश्नों की तस्वीर ट्वीट की थी और लिखा था, “सऊदी का नया विज़न-2030 और ये सिलेबस समावेशी, लिबरल और सहिष्णु पीढ़ी बनाने में मदद करेगा. ये आज मेरे बेटे के स्कूल में हुई सोशल स्टडीज़ की परीक्षा के प्रश्नपत्र का स्क्रीनशॉट है जिसमें हिन्दू, बौद्ध, रामायण, कर्म, महाभारत और धर्म का इतिहास और सिद्धांत शामिल हैं. मुझे उसे ये सब पढ़ाना अच्छा लगा.” उन्होंने 15 अप्रैल को ये ट्वीट किया था और आर्टिकल लिखे जाने तक इसे 2,000 से ज़्यादा बार रीट्वीट भी किया जा चुका है.

ABP न्यूज़ ने अपने इन्स्टाग्राम हैंडल पर ये दावा शेयर किया था जहां इसे 66 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने लाइक किया. द ईस्ट कोस्ट डेली का आर्टिकल भाजपा समर्थक अमृता भिंडर और पार्टी के सदस्य रिटायर्ड मेजर सुरेन्द्र पूनिया ने शेयर किया था. ये आर्टिकल लिखे जाने तक दोनों के ट्वीट को मिलाकर 3 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है. कई फ़ेसबुक पेजों ने भी ये दावा शेयर किया और हज़ारों लोगों ने इसे सच मान लिया. इनमें वेरिफ़ाइड पेज लाफ़िंग कलर्स (32 हज़ार लाइक), इंजीनियरिंग ब्रो (24 हज़ार लाइक), डियर क्रश (18 हज़ार लाइक) और इडियोटिक माइंड (5,600 लाइक) शामिल हैं.

This slideshow requires JavaScript.

ट्विटर अकाउंट फ्रेंड्स ऑफ़ RSS ने भी WION की वीडियो रिपोर्ट शेयर की.

सभी मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा पूरी तरह से ग़लत

नउफ़ अल मारवाई और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब का विज़न 2030 ही वो वजह है जिसके ज़रिये हिन्दू साहित्य सऊदी अरब के स्कूल सिलेबस में शामिल किया जा रहा है. लेकिन सऊदी विज़न 2030 असल में सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक क्षेत्र जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, इन्फ़्रास्ट्रक्चर, मनोरंजन और पर्यटन को आगे ले जाने और तेल पर निर्भरता को कम करने की रणनीतिक तैयारी है. इसके बारे में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 25 अप्रैल, 2016 को घोषणा की थी.

सऊदी विज़न 2030 की ऑफ़िशियल वेबसाइट पर रामायण और महाभारत पढ़ाये जाने की कोई बात कहीं नहीं लिखी है.

सऊदी के पत्रकारों और राजनीतिक विशेषज्ञों ने नउफ़ अल मारवाई के ट्वीट का खंडन किया है

ऑल्ट न्यूज़ ने सऊदी अरब के एक वरिष्ठ पत्रकार से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया, “सरकार ने ऐसा कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है कि रामायण या महाभारत पढ़ाया जाएगा. सऊदी के स्कूलों में सरकारी और ग़ैर-सरकारी स्कूलों में अरबी पढ़ाई जाती है. नउफ़ मारवाई ने जो स्क्रीनशॉट शेयर किया है उसमें अंग्रेज़ी में लिखा हुआ है. इसलिए मुमकिन है कि ये कोई प्राइवेट स्कूल का सिलेबस है.”

अरब न्यूज़ के संवाददता नैमत खान ने एक ट्वीट थ्रेड में बताया कि भारतीय मीडिया ने ग़लत रिपोर्टिंग की है.

नैमत खान ने ओमार अल घामदी का भी ट्वीट शेयर किया जिसमें ओमार नउफ़ मारवाई के ट्वीट का जवाब दे रहे हैं. ओमार अल घामदी ने कहा, “आपका बेटा आपके परिवार के संबंधो के कारण एक अंतर्राष्ट्रीय भारतीय स्कूल में पढ़ रहा है. ये स्कूल विज़न 2030 से काफ़ी पहले से ही ये पाठ्यक्रम लागू कर रहा है और इसलिए विदेशी पाठ्यक्रम से जोड़ना बहुत बड़ा झूठ है…”

कॉलमिस्ट इब्राहिम अल-सुलेमान ने भी नउफ़ के ट्वीट का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि प्राइवेट अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों में समुदायों को शिक्षा के अधिकार की तुलना सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों से नहीं की जानी चाहिए.

नउफ़ अल मारवाई का मीडिया स्टेटमेंट

ओमार के ट्वीट के बाद नउफ़ अल मारवाई ने अपना ट्विटर अकाउंट प्राइवेट कर लिया. ऑल्ट न्यूज़ ने नउफ़ से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया, “मेरे ट्वीट का ग़लत मतलब निकाला गया है. मैंने बस यही कहा था कि मुझे अपने बेटे को भारत से जुड़े विषयों को पढ़ाना अच्छा लगा. मेरा बेटा एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है जिसके पाठ्यक्रम को शिक्षा मंत्रालय ने स्वीकृति दी हुई है. मैं ये साफ़ करती हूं कि मेरे बेटे के स्कूल में रामायण और महाभारत नहीं पढ़ाया जा रहा है. बस, ‘दक्षिण एशियाई कला’ वाले हिस्से में एक उप-शीर्षक के अंतर्गत इसे भारत का पौराणिक महाकाव्य बताया गया था.”

उन्होंने आगे कहा, “रिक्त स्थान की पूर्ति वाले प्रश्नों का जो स्क्रीनशॉट मैंने शेयर किया वो दसवीं में पढ़ रहे मेरे बेटे का टेस्ट पेपर था. ये टेस्ट सामाजिक विज्ञान और वैश्विक भूगोल का था.” साथ ही उन्होंने उस विषय की किताब के उस हिस्से की तस्वीर शेयर की जहां रामायण और महाभारत लिखा हुआ है.

नउफ़ ने ये भी कहा, “मैंने देखा कि कई भारतीय न्यूज़ आउटलेट्स ने मेरे ट्वीट को पब्लिश करते हुए सऊदी अरब के विज़न 2030 से जोड़कर भ्रामक रिपोर्टिंग की. मैं खुश हूं कि भारत में योग के लिए मेरी रुचि की सराहना की जाती है लेकिन मैं ये भी बताना चाहूंगी कि इस बारे में किसी मीडिया आउटलेट ने सीधे मुझसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की. मैं उन सब से अनुरोध करती हूं कि मेरे बारे में कुछ पब्लिश करने से पहले मुझसे ज़रूर संपर्क करें.”

कुल मिलाकर, भारतीय मीडिया आउटलेट्स ने ग़लत रिपोर्ट किया कि सऊदी अरब के स्कूलों में रामायण और महाभारत पढ़ाया जाने वाला है.


आंध्र प्रदेश में BJP ने किया ग़लत दावा, बताया कि हिन्दू पूजास्थल पर कब्ज़ा कर ईसाई क्रॉस लगाया गया

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.