ऋषि बागरी ट्विटर पर खुद को ‘कर चुकाने वाला एक सामान्य नागरिक’ के रूप में वर्णित करते हैं। सोशल मीडिया मंच पर उनके 99,000 फॉलोअर्स में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कई शीर्ष पदाधिकारी भी शामिल हैं।

कई अवसरों पर बागरी गलत सूचना फैलाते पकड़े गए हैं। इनमें से कई मामलों को ऑल्ट न्यूज ने समय-समय पर प्रकाशित किया है।

1. द टाइम्स ऑफ इंडिया के लेख से छेड़छाड़ कर विकृत शीर्षक के साथ शेयर किया

जुलाई 2017 में, ऋषि बागरी ने एक समाचार पत्र लेख की एक तस्वीर शेयर की जिसे शीर्षक दिया गया था, ‘हिंदू लड़की की मुस्लिम व्यक्ति द्वारा चाकू मारकर हत्या’। इस मुद्दे पर आवाज़ नहीं उठाने के लिए उन्होंने ‘फायरब्रांड कार्यकर्ताओं की निंदा’ भी की।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक ट्वीट के माध्यम से स्पष्ट किया कि यह बदला हुआ शीर्षक है, और कहा कि कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

2. नए नोटों में नैनो जीपीएस चिप्स का झूठा दावा

8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद, बागरी उन लोगों में से एक थे जिन्होंने दावा किया था कि अवैध रूप से जमा किए गए नकदी को ट्रैक करने के उद्देश्य से 2000 रुपये मूल्य के नए नोटों में नैनो जीपीएस चिप्स लगा होगा।

यह बहुत ही अजीबोगरिब दावा था, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्वयं नवंबर 2016 में प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अफवाह को खारिज कर दिया था।

3. भारत बंद के दौरान स्कूल बस पर हमले का दावा करने की भ्रामक तस्वीर

10 सितंबर, 2018 को, विपक्षी दलों ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि के विरोध में भारत बंद करने की घोषणा की। बागरी ने एक तस्वीर ट्वीट कर एक क्षतिग्रस्त स्कूल बस दिखायी और दावा किया कि यह करतूत “कांग्रेसी गुंडों की है जो सस्ते राजनीतिक लाभ के लिए निर्दोष स्कूली बच्चों को निशाना बना रहे, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर रहे और नागरिकों में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं…”

बागड़ी द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर में पुणे में उन्दरी स्थित संस्कृति स्कूल से संबंधित बस थी। यह एक दिन पहले 9 सितंबर को क्षतिग्रस्त हो गई थी और भारत बंद विरोधों से इसका कोई लेना-देना नहीं था। इसकी पुष्टि स्कूल प्रबंधन द्वारा ऑल्ट न्यूज़ को दी गई थी।

4. केरल में बाढ़ राहत में लगे आरएसएस कार्यकर्ताओं के रूप में पुरानी तस्वीर शेयर की

अगस्त 2018 में केरल बाढ़ से तबाह था। 13 अगस्त को बागरी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर तस्वीरों का एक सेट इस दावे के साथ पोस्ट किया था कि ये आरएसएस कार्यकर्ता राज्य में बाढ़ राहत कार्यों में लगे हुए हैं। बागरी ने दावा किया कि केरल में 20,000 आरएसएस कार्यकर्ता बाढ़ के दौरान सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।

पता चला कि उनके द्वारा पोस्ट की गई तस्वीरें केरल की नहीं थीं। वे गुजरात की तस्वीरें थीं जब बाढ़ ने 2017 में राज्य के उत्तरी हिस्से को अपने चपेट में ले लिया था। एसएम होक्स स्लेयर ने उन तस्वीरों को अगस्त 2017 में गुजरात बाढ़ के दौरान सहायता प्रदान करने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं के रूप में प्रसारित पाया था।

5. एम्स में पीएम मोदी की तस्वीर के संबंध में झूठा दावा

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त को नई दिल्ली में एम्स अस्पताल में निधन हो गया। दुःख और शोक व्यक्त करने के दौरान, चिकित्साकर्मियों से घिरे पीएम मोदी की मुस्कुराती हुई तस्वीर सोशल मीडिया पर फैलनी शुरू हो गई। दावा था कि वाजपेयी के आखिरी सांस लेने से पहले मोदी की एम्स की यात्रा के दौरान तस्वीर ली गई थी। ऋषि बागरी ने प्रधानमंत्री के बचाव में ट्वीट किया और कहा कि यह तस्वीर 2016 में ली गई थी।

बागरी का दावा झूठा था। तस्वीर 2016 की नहीं थी, बल्कि वास्तव में एम्स की थी जब पीएम मोदी ने वाजपेयी के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए अस्पताल का दौरा किया था। इस तथ्य के बावजूद कि पीएम मोदी में सहानुभूति दिखाने जैसा तस्वीर में कुछ भी नहीं था, बागरी ने उन्हें बचाने के लिए झूठा दावा प्रस्तुत किया।

6. महाराष्ट्र किसानों के विरोध की तस्वीर झूठे दावे के साथ शेयर की

ऋषि बागरी ने ट्वीट किया, “नागपुर कांग्रेस के इस नेता ने गरीब किसानों से दूध छीना और उसे सड़क पर फेंक दिया। उन्हें रोकने की कोशिश करते पुलिसकर्मियों से भी उन्होंने दुर्व्यवहार किया और धमकी दी।” बागरी ने सड़क पर दूध फैलाने वाले व्यक्ति और महाराष्ट्र में किसानों के विरोध के दौरान पुलिस के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल दिखलाने वाली तस्वीर शेयर की थी। अपने ट्वीट में, उन्होंने आरोप लगाया था कि वह व्यक्ति कांग्रेसी नेता है।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि तस्वीर में व्यक्ति प्रशांत पवार कांग्रेसी नेता नहीं हैं, जैसा कि बागरी ने दावा किया था। पवार पूर्व महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता हैं।

7. अरुंधती रॉय के बारे में गलत जानकारी

लेखक और कार्यकर्ता अरुंधती रॉय को बागरी द्वारा बार-बार निशाना बनाया गया है। 2014 में, बागरी ने एक ‘पत्र’ शेयर किया था जो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा था। इसके अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय ने रॉय की ‘आतंकवादियों के मानवाधिकारों पर चिंता’ के लिए व्यंग्यात्मक जवाब दिया था।

यह पत्र नकली था। ऑल्ट न्यूज ने पाया कि यह एक व्यंग्यात्मक लेख था और 2002 में सामने आए उसी प्रकार के पत्र से प्रेरित था जिसमें प्रेषक तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू. बुश ने क्यूबा के गुआंतानामो बे में आतंकवादियों के इलाज की आलोचना को स्वीकार किया था।

एक अन्य उदाहरण में, बागरी ने एक नकली बयान रॉय का बताकर शेयर किया था, जिसके अनुसार रॉय ने कथित तौर पर कहा था कि इस्लामी आतंकवादी नहीं, बल्कि मां और शिक्षक समस्या हैं जो बच्चों को आतंकित करते हैं।

8. शबाना आज़मी और इमाम बुखारी को लेकर झूठा दावा

बागरी ने बार-बार टीवी समाचार बहस के एक वीडियो को ट्वीट किया है जिसमें दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम इमाम बुखारी ने अभिनेत्री शबाना आज़मी के प्रति गलत बातें कहीं और उन्हें वेश्या कहा था। बागरी ने पूछा कि इमाम के शब्दों पर कोई विरोध क्यों नहीं हुआ है।

बागरी का दावा कि कोई विरोध नहीं था, झूठा है। यह घटना 2001 में हुई थी और संसद के दोनों सदनों ने इमाम के शब्दों की निंदा करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। बागरी का दावा कि शो की मेजबान बरखा दत्त ने कोई कार्रवाई नहीं की, यह भी झूठा है।

9. पाकिस्तानी पहलवान के भारतीय द्वारा पीटे जाने का झूठा दावा

ऋषि बागरी उन लोगों में से एक थे जिन्होंने दावा किया था कि एक पाकिस्तानी महिला पहलवान मुंबई में भीड़ को उकसा रही थी और अपशब्द बोल रही थी, जिसके बाद उसे एक दर्शक ने चुनौती दी और उसे खूब पीटा।

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यह दावा भी पूरी तरह झूठा साबित हुआ। इस मामले में वीडियो एक प्रचार कार्यक्रम से संबंधित था जो मुंबई में नहीं, जलंधर में आयोजित किया गया था। वीडियो में पहलवान पाकिस्तानी नहीं बल्कि भारतीय है जिनको बीबी बुल बुल नाम से जाना जाता है।

10. निशानेबाज द्वारा आतंकवादी को मार गिराने का झूठा दावा

एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा था, जिसमें बंदूक की नोक पर एक महिला को बंधक बनाए व्यक्ति को एक निशानेबाज ने मार गिराया था। बागरी ने इसे इस दावे के साथ शेयर किया कि “अपहरण की गई महिला के साथ आतंकवादी को ब्राजील के पुलिस के निशानेबाज द्वारा गोली मार दी गई”। (अनुवाद)

यह भी झूठा दावा था। बूमलाइव द्वारा एक तथ्य-जांच से पता चला कि यह वीडियो वेनेज़ुएला से है और इसे अप्रैल 1998 में कराकास के कुआ जिले में लिया गया था।

11. मेजर उन्नीकृष्णन को लेकर झूठा दावा

सितंबर 2017 में, बागरी ने एक पोस्ट शेयर किया जिसमें दावा किया गया था कि मुंबई में 26/11 के हमलों के दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को कर्नाटक सरकार द्वारा 21 बंदूकों की सलामी नहीं दी गई थी। लेफ्टिनेंट निरंजन कुमार को लेकर भी उन्होंने यही दावा किया। यह कर्नाटक सरकार द्वारा गौरी लंकेश, जिनकी हत्या कर दी गई थी, को 21 बंदूकों की सलामी देने के निर्णय के सन्दर्भ में था।

यह बागरी द्वारा किया गया एक और शरारती प्रयास था। इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि मेजर उन्नीकृष्णन को 21 बंदूकों की सलामी नहीं दी गई थी।

12. कांग्रेस रैली में रुपये देकर समर्थक जुटाने का झूठा दावा

अक्टूबर 2017 में, जब गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार पूरे जोरों पर था, बागरी ने एक वीडियो पोस्ट किया जो दिखाता है कि राजनीतिक रैली से बाहर निकलने वाले लोगों को नकद दिया जा रहा है। बागरी ने दावा किया कि यह वीडियो गुजरात में कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित रैली का था।

यह दावा बूमलाइव ने खारिज कर दिया था, और पुष्टि की कि यह वीडियो गुजरात का नहीं, बल्कि थुबल, मणिपुर का था।

13. नेपाल को बाइबिल की प्रतियाँ भेजने का फोर्ड फाउंडेशन पर झूठा दावा

अप्रैल 2015 में, ऋषि बागरी ने बाइबिल की प्रतियों की एक तस्वीर साझा की और दावा किया कि जब भूकंप से नेपाल तबाह था और कई लोग मरे थे, भोजन और दवाओं जैसी आवश्यक आपूर्ति भेजने की बजाय फोर्ड फाउंडेशन ने बाइबिल के 100,000 प्रति नेपाल को भेजे थे।

उम्मीद के अनुसार यह भी झूठा साबित हुआ, कई सोशल मीडिया यूजर्स ने ही बागरी को यह बताते हुए गलत साबित कर दिया कि यह तस्वीर 2013 की है और यह नेपाल और फोर्ड फाउंडेशन से सम्बंधित नहीं हो सकती। इसके अलावा, यह जानकारी एक वेबसाइट द लैपिन से ली गई थी, जो एक व्यंग्यात्मक वेबसाइट है। मूल लेख को अब हटा दिया गया है।

14. पीएम मोदी पर हमले की साजिश का झूठा दावा

“पीएम मोदी पर हमला करने की योजना विफल रही, वसंत कुंज में मिले मोर्टार शेल, एनएसजी को बुलाया गया, प्रधानमंत्री वसंत कुंज से सिर्फ 200 मीटर दूर संबोधित कर रहे थे”(अनुवाद)। 28 जनवरी, 2017 को ऋषि बागरी ने यह ट्वीट किया था।

हालांकि यह सच है कि दिल्ली में वसंत कुंज में एक मोर्टार शेल छोड़ा गया मिला था और एनएसजी को बुलाया गया था, लेकिन बागरी के दावे में कोई सच्चाई नहीं थी कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए एक साजिश का हिस्सा था। यह सिर्फ बागरी की अपनी कल्पना का एक चित्र था।

15. मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं को बंधक बनाने का झूठा और भड़काऊ दावा

मई 2015 में, ऋषि बागरी ने इस दावे के साथ एक तस्वीर ट्वीट की थी कि मुसलमानों की एक भीड़ ने यूपी के शामली में बीकानेर जाने वाली ट्रेन को जबरन रोककर हिंदुओं को बंधक बना लिया था और उन्हें मारने की धमकी दी थी।

बागरी का यह दावा न केवल भड़काऊ बल्कि झूठा भी था। यह घटना रेल-रोको प्रदर्शन का था जो शामली, यूपी में उत्पीड़न की कथित घटना के विरोध में हुआ था।

कई बार उजागर किए जाने के बावजूद, बागरी सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाते रहते हैं। भाजपा के प्रति उनकी निकटता और पसन्दगी खूब जानी जाती है, लेकिन जिस निरंतरता से वो गलत और विघटनकारी सूचनाएं शेयर करते हैं इससे सोशल मीडिया यूजर्स अनजान हैं।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.