मई में, 2019 के आम चुनाव में मतदान में भारत देश की राजनीति, भ्रामक/झूठी सूचनाओं के आधार पर रही। जनमत को आकार देने के लिए रणनीतिक रूप से भ्रामक सूचनाओं का हथियार के तौर पर आक्रामक तरीके से इस्तेमाल किया गया। 23 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद, इनका ध्यान ईवीएम और मतदान प्रक्रिया पर सवाल उठाने की ओर बंट गया।
राजनीतिक भ्रामक सूचनाएँ
भ्रामक सूचनाओं की यह मार राजनीति के इर्द-गिर्द केंद्रित रही, जो अप्रैल में पूरे प्रवाह में थी और मई तक फैल गई।
1. अखबार की फर्ज़ी क्लिप: पीएम मोदी के परिवार ने उनके पिता की मौत के लिए उन्हें दोषी ठहराया
पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया में साझा की जा रही एक क्लिपिंग इस चुनावी मौसम में फिर से साझा की गई। यह क्लिप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बचपन की कथित घटनाओं के बारे में है। क्लिपिंग का शीर्षक है- “मोदी के भाई बहन नरेंद्र मोदी को ही अपने पिताजी के मौत का जिम्मेदार मानते है”।
इस दावे:में कहा गया है कि पीएम मोदी के पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी जेब काटकर और रेलवे स्टेशन से कोयला और लोहा चोरी करके गुज़ारा करते थे, जहां पर वो चाय बेचने का काम किया करते थे। उन्होंने चुराए गए सामानों से सोना खरीदा था, जिसे नरेंद्र मोदी ने बाद में चुरा लिया था, जब वे छोटे थे। उनके पिता अपने बेटे की इन करतूतों को नहीं झेल पाए और उनकी हृदय की गति रुक गई। एफआईआर दर्ज करने के बावजूद भी परिवार चोरी किया गया सोना वापस नहीं पा सका और दामोदरदास मूलचंद मोदी की बाद में मृत्यु हो गई, क्योंकि उनका परिवार उनके ईलाज़ का खर्च नहीं झेल सकता था। कहानी को यह कहते हुए समाप्त किया गया कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस मामले को और एफआईआर को दबा दिया था।
क्लिपिंग को सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्मों पर व्यापक रूप से साझा किया गया था।
ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच में पाया गया कि इस ‘अख़बार की कतरन’ में किया गया दावा झूठा है। ऑल्ट न्यूज़ ने पीएम मोदी के परिवार से बात की, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि इस लेख में किया गया दावा झूठा है। इसके अलावा इस ‘लेख’ में वर्तनी की भी गलतियां हैं, जो इसके फर्ज़ी होने का इशारा करती हैं। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
2. राहुल गांधी ने की गलती? टाइम्स नाउ, इंडिया टुडे की गलत खबरें
इंडिया टुडे समूह ने 14 मई के अपने लेख में मध्य प्रदेश के नीमच में राहुल गांधी के चुनावी भाषण को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नाम में बड़ी गड़बड़ी की है। उनकी वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख का शीर्षक था, “राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री के नाम में की गड़बड़ी, ट्वीटर पर छाया रहा मुद्दा।” -(अनुवाद) टाइम्स नाउ ने भी बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने भारी भूल की थी।
इस मामले में तथ्य यह है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम के नामों में गड़बड़ी नहीं की थी, जैसा कि टाइम्स नाउ और इंडिया टुडे ने बताया था। इस झूठे दावे का आधार एक क्लिप्ड वीडियो था। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
3. योगी आदित्यनाथ के नाम से झूठा और भड़काऊ बयान
“अगर हमारी सरकार गीरी तो पुरे देश में आग लगा दूंगा – योगी आदित्यनाथ।” – यह बयान, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम से, किसी न्यूज़ चैनल की स्क्रीन जैसी एक तस्वीर के साथ साझा किया गया था।
स्क्रीन में दिखाई दे रहे लोगो से ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह मंतव्य न्यूज़ नामक एक गुजराती न्यूज़ चैनल का है। हमने पाया कि यूपी के सीएम के नाम से यह भड़काऊ बयान फ़र्ज़ी है। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।
4. पुरानी तस्वीर साझा करके ममता बनर्जी को मुसलमान दिखाने की कोशिश
“तस्वीर हजार शब्दों से भी ज्यादा बयान करती है। ममता बनर्जी ने अपने माँ के धर्म इस्लाम को अपना लिया जिसका सबूत यह तस्वीर है जिसमें वह बसु का स्वागत आदाब से कर रही हैं। उनकी मास्टर्स की डिग्री भी इस्लामिक इतिहास की है। वह हिन्दू विरोधी हैं और उनके भाषण भी हिन्दू विरोधी रहे हैं, जिससे साबित होता है कि उनकी भक्ति मुसलमानों के प्रति है।” (अनुवाद) – यह संदेश, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु की तस्वीर के साथ जुड़ा हुआ था। तस्वीर के साथ इस संदेश में यह बताया गया है कि ममता बनर्जी की माँ मुसलमान थीं और बनर्जी ने अपनी माँ के धर्म को अपना लिया और इसलिए वह बसु का अभिवादन आदाब से कर रही थीं।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि बनर्जी की माँ के मुस्लिम होने का दावा गलत है। ममता बनर्जी की मां गायत्री देवी का निधन 81 वर्ष की आयु में 17 दिसंबर, 2011 को हो गया था। इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने यह भी पाया कि प्रोमिलेश्वर बनर्जी की पत्नी और ममता बनर्जी की माँ, गायत्री देवी का अंतिम संस्कार हिंदू धर्म की रीतियों के अनुसार किया गया था।
5. पीएम मोदी का प्रतिमाह 80 लाख रुपये मेकअप पर खर्च करने का गलत दावा
“आरटीआई से खुलासा हुआ है कि हमारे पीएम के श्रृंगार के लिए ब्यूटीशियन को औसतन 80 लाख रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जाता है।” – यह दावा एक वीडियो के साथ, सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। इस वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी किसी फोटो शूट के लिए तैयार होते हुए दिख रहे हैं।
Information recieved through RTI reveals that, on an average, Rs 80 lacs are paid to the beautician each month for make up of our PM.
Posted by Sunil Dsouza on Monday, 6 May 2019
यह दावा झूठा है। प्रधानमंत्री ने ब्यूटीशियनों पर 80 लाख रुपये खर्च किए, यह प्रचारित करने के लिए इस्तेमाल की गई क्लिप, सिंगापुर के मैडम तुसाद में पीएम मोदी की मोम की प्रतिमा बनाने के वीडियो की थी।
6. मोदी सरकार द्वारा 200 टन सोना चोरी करके विदेश भेजने की गलत खबर कांग्रेस ने फैलाई
कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक हैंडल से एक पार्टी-समर्थक ने, नेशनल हेराल्ड के लेख का लिंक ट्वीट किया, जिसका शीर्षक था कि ‘क्या मोदी सरकार ने 2014 में गुपचुप तरीके से आरबीआई का 200 टन सोना स्विट्जरलैंड में भेज दिया?’ (अनुवाद) यह लेख 2 मई कोkin प्रकाशित हुआ था।
Did the Modi govt secretly transport 200 tonnes of RBI’s gold to Switzerland in 2014?
“What did the government get in return for exchanging the gold? Why is the information about the transaction not available in public domain?”https://t.co/tvlefhPNke— Congress (@INCIndia) May 2, 2019
यह दावा गलत है। ऑल्ट न्यूज़ ने क्रमिक वर्षों- 2011-12, 2012-13 और 2013-14 की केंद्रीय बैंक की वार्षिक रिपोर्टों का अवलोकन किया है और इसकी तुलना 2014-15 से लेकर नवीनतम 2017-18 वर्ष तक की आरबीआई की वार्षिक रिपोर्टों से की है। भारतीय रिजर्व बैंक का कुल सोने का स्टॉक लगातार बना हुआ है और वास्तव में, 2017-18 में मामूली वृद्धि हुई है।
7. ISIS द्वारा मूर्तियों को नष्ट करने की घटना TMC कार्यकर्ताओं द्वारा की मूर्ति तोड़ने के रूप में शेयर
एक प्रतिमा को नष्ट करते हुए दाढ़ी वाले लोगों की दो तस्वीरें सोशल मीडिया में साझा की गईं। “CCTV फुटेज में साफ दिख रहा है विद्यासागर जी की मूर्ति को टीएमसी के लोग तोड़ रहे हैं #घटिया_राजनीती और इल्ज़ाम BJP पर….कृपया इस पोस्ट को साझा करें” –यह संदेश फेसबुक पर व्यक्तिगत उपयोगकर्ता द्वारा इन तस्वीरों के साथ पोस्ट किया गया। इसमें दावा किया गया था कि ये तस्वीरें टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को तोड़ने की हैं।
ऑल्ट न्यूज़ द्वारा इन तस्वीरों की गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर मालूम हुआ कि ये तस्वीरें इराक में ISIS आतंकवादियों द्वारा कलाकृतियों को नष्ट करने की घटना से संबंधित थी। अमेरिकी समाचार नेटवर्क सीएनएन की 5 मार्च, 2015 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह कहा था कि, “राष्ट्र के पर्यटन और पुरातन मंत्रालय ने यह बताया है कि इस बार उत्तरी इराक के प्राचीन असीरियन शहर निम्रद को खोदकर ISIS ने फिर से सांस्कृतिक खजाने को नष्ट किया है।”– (अनुवाद) 27 फरवरी, 2015 को द गार्डियन ने भी इस घटना से संबंधित एक लेख में ये तस्वीरें प्रकाशित की थीं।
मतदान के इस दौर में भ्रामक सूचनाएं, सोशल मीडिया से लेकर कुछ मुख्यधारा की मीडिया ने भी साझा की है। ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे ही कई उदाहरणों की एक सूची तैयार की है, जिसे यहां पढ़ा जा सकता है।
चुनाव परिणाम के बाद की भ्रामक सूचनाएं
23 मई को चुनाव परिणाम के बाद भी भ्रामक सूचनाओं से कोई राहत नहीं मिली है।
1. भाजपा सांसद ने बेलगावी में युवक की मृत्यु को गलत तरीके से गौ तस्करों द्वारा की गई हत्या बताया
“शिवु उप्पर, बेलागवी के बगवाड़ी बस स्टैंड के पास 19 वर्षीय लड़के की फांसी लगा कर हत्या कर दी गई। गौ तस्करों से गायों की रक्षा करने के जुर्म में उसे मार दिया गया, बस यही उसकी गलती थी। मैं मुख्यमंत्री से इन गुनहगारों को सख्त से सख्त सज़ा देने की मांग करती हूँ।” (अनुवाद)
उपरोक्त संदेश को कर्नाटक की भाजपा सांसद, शोभा करंदलजे ने एक विचलित करने वाली तस्वीर के साथ ट्वीट किया था, जिसमें एक छोटे लड़के को फांसी के फंदे से लटके हुए देखा जा सकता है। बाद में ट्वीट को हटा दिया गया। संग्रहीत पोस्ट को यहां देखा जा सकता है।
यह दावा गलत और भड़काऊ है। शिवु उप्पर को गौ तस्करों द्वारा नहीं मारा गया था जैसा कि करंदलाजे ने दावा किया था। उसने आत्महत्या कर ली थी। इसकी पुष्टि कर्नाटक पुलिस ने खुद की थी और साथ में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला भी दिया था।
2. “दीमक लगे पुराने बरगद को खत्म कर रहे हैं मोदी”: मार्क टली के नाम से झूठा लेख
प्रसिद्ध पत्रकार मार्क टली के नाम से एक लेख सोशल मीडिया में बड़े पैमाने में साझा किया गया है। ‘दीमक लगे पुराने बरगद को खत्म कर रहे मोदी’ शीर्षक के साथ यह लेख, नेहरू खानदान के प्रति आलोचनात्मक है, जिसमें इसे ऐसा “दीमक लगा पुराना बरगद कहा गया, जो अब भी, किसी को बढ़ने से रोकने की भरपूर कोशिश करेगा और गिरने से पहले पूरी ज़मीन को पलट देगा” (अनुवाद)। यह लेख पुरानी सुस्त व्यवस्था और कैसे यह यथास्थिति बनाए रखने और सकारात्मक बदलाव को रोकने के लिए कुछ भी करेगा, इसके प्रति सावधान करता है। पूरा लेख यहां पर देखा जा सकता है।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि मार्क टली के नाम से लिखा गया यह लेख उनकी पुस्तक ‘नो फुल स्टॉप इन इंडिया’ में कहीं भी नहीं है। हमने इसकी पुष्टि के लिए मार्क टली से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि की कि यह लेख फर्ज़ी है। ऑल्ट न्यूज़ को एक ईमेल में मार्क टली ने लिखा कि, “यह एक पुराने फर्ज़ी लेख की पुनरावृत्ति है जो वर्षों से प्रसारित की जा रही है। मैं आपका बहुत आभारी रहूंगा जो आप किसी भी तरह बता सकें कि मेरे नाम से कथित साझा किया गया यह लेख फर्ज़ी है।” (अनुवाद)
3. वायनाड में राहुल गांधी के विजय जुलूस में पाकिस्तानी झंडे लहराने का झूठा दावा
“वायनाड के लोग, पाकिस्तानी झंडे के साथ राहुल गांधी की जीत का जश्न मना रहे हैं” (अनुवाद) -इस संदेश को एक यूज़र ने एक वीडियो के साथ पोस्ट किया, जिसमें लोगों को हरे झंडे लहराते हुए देखा और ‘राहुल गांधी जिंदाबाद’ के नारे लगाते सुना जा सकता है। इसमें दावा किया गया है कि वायनाड में राहुल गांधी के विजय जुलूस में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए।
ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी इस वीडियो की पड़ताल की थी, जिसमें इंटरनेट यूज़र्स ने यह दावा किया था कि केरल के वायनाड में राहुल गांधी की नामांकन-पूर्व की रैली में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए थे। वीडियो में, भीड़ द्वारा लहराए जा रहे हरे रंग के झंडे, पाकिस्तान के नहीं, बल्कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के झंडे हैं। यह दावा लगभग हर चुनाव के बाद प्रसारित किया जाता है।
4. झांसी में मुस्लिमों पर हिंदुओं के अत्याचार के सांप्रदायिक संदेश से पुराना वीडियो शेयर
एक वीडियो जिसमें एक महिला का चेहरा खून से लथपथ है, उसे पाकिस्तानी सोशल मीडिया ने साझा किया है। फेसबुक पेज पाकिस्तानी डिफेंस कमांड ने इस वीडियो को, एक सांप्रदायिक संदेश के साथ साझा किया है कि– “भारतीय हिंदू मुस्लिम घरों में घुस कर और बिना किसी कारण के उन्हें मार रहे हैं। यहां एक मुस्लिम बहन हमें मदद के लिए पुकार रही है। भारत में मुस्लिम लोगों का जीवन ऐसा है मेरी प्यारी बहन हम आपका बदला जरूर लेंगे। प्रिय पाकिस्तानियों, अपनी पाक सेना का शुक्र अदा करें, जो 70 साल से इन हिंदुओं से आपकी रक्षा कर रही है।” (अनुवाद)
इस संदेश से यह दर्शाने की कोशिश की गई कि भारत में हिंदू बिना किसी डर के मुसलमानों की सरेआम हत्या कर रहे हैं। दावा किया गया है कि वीडियो में दिख रही भारतीय मुस्लिम महिला मदद के लिए दर्द से पुकार रही है। वीडियो में चल रही आवाज़ में बताया गया है कि यह घटना यूपी के झांसी जिले के बरौ सागर में हुई थी।
Endian Hindus are entering Muslim’s Homes and killing them for no Reason.
Here a Muslim sister calling us for help.
This is Muslims life in Endia.
My dear sister we will take your Revenge.
Dear Pakistanio Pls Value your PakArmy who are protecting u from these Hindus since 70yrs.Posted by Pakistan Defence Command on Thursday, 23 May 2019
यह दावा न केवल झूठा था बल्कि भड़काऊ भी था। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वीडियो वास्तव में तेलंगाना का है, झाँसी का नहीं। यह 2018 की एक घटना से संबंधित वीडियो है जिसमें एक सब-इंस्पेक्टर अपनी पत्नी और सास की पिटाई करते हुए कैमरे में कैद हुआ था। 31 अगस्त, 2018 को प्रकाशित टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट में कहा गया था, “यह घटना उनके निवास पर घटी, जहां पीड़िता एक अन्य महिला के साथ उनके कथित अवैध संबंधों को लेकर उनका सामना करने गई थी।” -(अनुवाद)
5. विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का फ़र्ज़ी बयान: “पुलवामा हमला, भाजपा की साजिश”
“पुलवामा पर हमला बीजेपी की सोची समझी साजिश थी- विंग कमांडर अभिनंदन” – यह संदेश एक अखबार की कतरन के साथ पोस्ट किया गया। क्लिपिंग में IAF पायलट अभिनंदन वर्थमान के नाम से उद्धरण दिया गया था। इसमें कहा गया, “पुलवामा हमला बीजेपी की सोची समझी साजिश थी और पाकिस्तान पर नकली हमला करवाया, मोदी को चुनाव जीतने के लिए इमरान खान मदद कर रहा है। बालाकोट पर बमबारी इमरान खान की सहमति से हुई है”।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि सोशल मीडिया में प्रसारित की जा रही अखबार की कतरन, वर्थमान के नाम से दिए गए बयान के संबंध में दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित एक तथ्य-जांच लेख से ली गई थी। दैनिक जागरण की तथ्य-जांच भी इसी निष्कर्ष पर पहुंची थी कि यह बयान नकली है।
EVM, चुनाव आयोग और मतदान प्रक्रिया के बारे में गलत जानकारी
23 मई को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद चुनावी प्रक्रिया पर आक्षेप लगाए जाने लगे। कई मामलों में, भ्रामक सूचनाए मिलीं है।
1. भाजपा के कई उम्मीदवारों को 2,11,820 एक समान संख्या में वोट मिलने का गलत दावा
सोशल मीडिया में वायरल एक संदेश में यह दावा किया गया कि भाजपा के कई उम्मीदवारों को एक समान संख्या में वोट मिले थे और यह बताया गया है कि ईवीएम में धांधली किए बिना ऐसा परिणाम प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस दावे के मुताबिक, “बिना ईवीएम सेट किए ही अलग अलग सीट पे भाजपा प्रत्यासी को एक जितने वोट कैसे मिले ? हर लिस्ट में बीजेपी को एक ही 2,11,820 का अंक मिल रहा है।” इसे फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर साझा किया गया था।
भाजपा उम्मीदवारों के कई सीटों पर समान संख्या में वोट पाने के बारे में यह वायरल दावा बिल्कुल गलत है। इस दावे को सत्यापित करने के लिए, ऑल्ट न्यूज़ ने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 2019 के लोकसभा परिणामों को देखा और संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या की जांच की। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि इस दावे में सूचीबद्ध निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा के प्रत्येक उम्मीदवार के अलग-अलग संख्या में वोट हैं, और ये आंकड़े एक समान नहीं है।
2. राहुल गांधी के पक्ष के 6 लाख वोट चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से गायब होने का झूठा दावा
क्या वायनाड में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पक्ष में पड़े करीब 6 लाख वोट रिकॉर्ड में से गायब हो गए? सोशल मीडिया में यह दावा भारतीय चुनाव आयोग की वेबसाइट के एक स्क्रीनशॉट के आधार पर किया गया। इस दावे के अनुसार, आयोग की वेबसाइट ने राहुल गांधी के पक्ष में 13 लाख से अधिक वोट दिखाए थे, जो अंतिम परिणाम घोषित होने पर 7 लाख हो गए।
राहुल गांधी के पक्ष में 13 लाख से अधिक वोटों का आंकड़ा गलत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल मतों की संख्या 10,89,819 थी। रिकॉर्ड में कोई हेराफेरी नहीं है। सोशल मीडिया में किया गया दावा ECI की वेबसाइट पर हुई एक गलती का परिणाम था, जिसे बाद में सुधार दिया गया था।
3. पुरानी तस्वीरें, वीडियो साझा करके ईवीएम में हेरफेर/चुनाव आयोग की लापरवाही के दावे
कई उदाहरण सामने आए, जिनमें सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने पुरानी तस्वीरों और/या वीडियो को साझा करके 2019 के लोकसभा चुनावों में भारी मात्रा में गड़बड़ी किए जाने के दावे किए। एक उदाहरण में, उत्तर प्रदेश में 2017 के नगर निकाय चुनावों के दौरान कथित ईवीएम की गड़बड़ी के एक वीडियो को, हाल का बताकर साझा किया गया। इसी प्रकार, दिसंबर 2018 के मप्र विधानसभा चुनाव से पहले हुई एक घटना का वीडियो इस दावे के साथ साझा किया गया था कि यह 2019 के आम चुनाव के मामलों का प्रतिनिधित्व करता था।
उदाहरण के लिए, उपरोक्त तस्वीरों को 2016, 2017 और 2018 में लिया गया था। फिर भी, उन्हें इस झूठे दावे के साथ प्रसारित किया गया कि वे ईवीएम के उपयोग के खिलाफ आक्रोश दर्शाती है।
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