भाजपा आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने 28 नवम्बर, 2020 को एक बुज़ुर्ग किसान पर लाठी चलाते हुए पुलिसवाले के 2 वीडियोज़ कोलाज बनाकर शेयर किये. उन्होंने ये दिखाने की कोशिश की कि लोग पुलिस को जितना बर्बर बता रहे हैं, उसमें कोई सच्चाई नहीं है और पुलिस ने किसानों को नहीं मारा.
Rahul Gandhi must be the most discredited opposition leader India has seen in a long long time. https://t.co/9wQeNE5xAP pic.twitter.com/b4HjXTHPSx
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 28, 2020
अमित मालवीय ने 15 जनवरी, 2020 को एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि शाहीन बाग नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रही महिलाएं पैसे ले रही हैं. ऑल्ट न्यूज़ और न्यूज़लौंड्री ने मिलकर इस दावे की पड़ताल की और इसे ग़लत पाया. लेकिन अमित मालवीय को इससे कोई खास फ़र्क नहीं पड़ा.
Shaheen Bagh protest is sponsored… सारा कांग्रेस का खेल है… pic.twitter.com/JOKIO2qK7P
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 15, 2020
इसके दो दिन बाद ही उन्होंने शाहीन बाग में एक वृद्ध व्यक्ति की बिरयानी खाते हुए तस्वीर शेयर की. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “शाहीन बाग में बिरयानी बांटे जाने का सबूत!” क्या अमित मालवीय के मुताबिक आन्दोलन की जगह पर खाना खाना आपराधिक या अनैतिक है? क्या प्रदर्शनकारियों को भूखे रहना चाहिए? इसका जवाब तो वही दे सकते हैं.
Proof of Biryani being distributed at Shaheen Bagh! pic.twitter.com/ylwnjJr2oy
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 5, 2020
उन्होंने सिर्फ़ शाहीन बाग को लेकर भ्रामक ट्वीट्स नहीं किये. ऑल्ट न्यूज़ काफ़ी समय से उनके सोशल मीडिया गतिविधियों पर नज़र बनाये है. हमने पाया है कि वो बार-बार लोगों, समुदायों, विपक्ष पार्टियों, नेताओं और प्रदर्शनों को बदनाम करने के लिए ग़लत दावे करते रहते हैं. चूंकि वो भाजपा के ऑनलाइन प्रोपगेंडा मशीनरी के लीडर हैं, जब वो भ्रामक या ग़लत जानकारियां शेयर करते हैं तो उसका प्रभाव खतरनाक स्तर पर होता है. उनके ग़लत दावे भाजपा नेता और समर्थक आगे हजारों-लाखों लोगों तक पहुंचाते हैं और ये मिसइन्फ़ॉरमेशन कैंपेन बड़े स्तर पर फैलता है.
ऐंटी-सीएए प्रदर्शनों के बारे में ग़लत सूचनाएं
1. ग़लत दावा किया कि लखनऊ में ऐंटी-सीएए प्रदर्शनकारी ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे
अमित मालवीय ने 28 दिसम्बर को लखनऊ के घंटाघर के पास हो रहे ऐंटी-सीएए प्रदर्शन का एक वीडियो ट्वीट कर दावा किया कि लोग ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे.
Since this is a season of pulling out old videos, here is one from Lucknow where anti-CAA protestors can be seen raising ‘Pakistan Zindabad’ slogans… Damn! Someone needs to have a samvaad with them and ask them to carry tricolour and Bapu’s picture for the cameras next time… pic.twitter.com/Lvg7sj2G9Z
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 28, 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये दावा ग़लत है. लोग प्रो-पाकिस्तान नारा नहीं लगा रहा थे बल्कि ‘काशिफ़ साब ज़िंदाबाद’ बोल रहे थे. काशिफ़ साब, उर्फ़ काशिफ़ अहमद लखनऊ AIMIM के चीफ़ हैं. ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए AIMIM यूपी अध्यक्ष हाजी शौक़त अली ने कहा कि काशिफ़ अहमद 13 दिसम्बर को प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे.
पूरा फ़ैक्ट-चेक आप यहां पढ़ सकते हैं.
2. ग़लत दावा किया कि AMU छात्र ‘हिन्दुओं की कब्र खुदेगी’ चिल्ला रहे थे
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रों का नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ प्रदर्शन का वीडियो ये कह कर वायरल किया गया कि छात्र हिन्दुओं के खिलाफ़ नारे लगा रहे हैं. इसे शेयर करने वालों में अमित मालवीय भी शामिल हैं.
AMU students are chanting ‘हिंदुओ की कब्र खुदेगी, AMU की धरती पर…’
Chaps at Jamia want ‘हिंदुओं से आज़ादी…’
If this is the mindset that pervades in these ‘minority’ institutions, imagine the plight of Hindus and other minorities in Pakistan, Bangladesh and Afghanistan… pic.twitter.com/VRNeOyhaHY
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 15, 2019
लेकिन छात्र असल में हिंदुत्व, सावरकर, भाजपा, ब्राह्मणवाद और जातिवाद के खिलाफ़ नारे लगा रहे थे. वो कह रहे थे, “हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, AMU की छाती पर, सावरकर की कब्र खुदेगी, AMU की छाती पर, ये बीजेपी की कब्र खुदेगी, AMU की छाती पर, ब्राह्मणवाद की कब्र खुदेगी, AMU की छाती पर, ये जातीवाद की कब्र.”
Are you listening;
All the way from AMU.
Long Live AMU#AMUrejectscab#CABBill2019#CitizenshipAmendmentBill pic.twitter.com/WN77Kwvcz9— Peerzada Mahboob Ul Haq (@peerzadahaq32) December 12, 2019
3. पत्रकार आरफ़ा ख़ानम की CAA पर स्पीच को तोड़-मरोड़ कर पेश किया
अरफ़ा ख़ानम का ये वीडियो शेयर करते हुए भाजपा आईटी सेल मुखिया अमित मालवीय ने लिखा, “इस्लामिस्ट चाहते हैं कि CAA प्रदर्शन तभी तक ‘समावेशी’ रहे जब तक आप, गैर-मुस्लिम उनके धार्मिक पहचान, विश्वास और वर्चस्ववादी नारों को भगवान के आदेश की तरह स्वीकारना चालू नहीं करते हैं.”
The Islamists want CAA protests to be ‘inclusive’ only till the time you, the non Muslims, start accepting their religious identity, beliefs and supremacist slogans as gospel… Long live the dream of ‘Ghazwae-Hind’! pic.twitter.com/va564eghL8
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 26, 2020
अरफ़ा ख़ानम ने AMU में ये भाषण दिया था जिसे क्लिप करके ग़लत तरीके से दर्शाया गया. लोगों ने ये क्लिप शेयर करते हुए कहा कि अरफ़ा इस्लामिक समाज की स्थापना का प्रचार कर रही थीं और प्रदर्शनकारियों से अपील कर रही थीं कि जबतक ऐसा समाज न बन जाये वो गैर-मुसलमानों के साथ समर्थन का नाटक करते रहें.
लेकिन में वो ठीक उसके उलट कह रही थीं. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि लोग धार्मिक नारे लगाने के बजाये आन्दोलन को धर्मनिरपेक्ष बनाये रखें.
कांग्रेस और राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए ग़लत दावे
1. नेहरु को अनैतिक दिखाने की कोशिशें
मालवीय ने 2017 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की महिलाओं के साथ कई तस्वीरें शेयर कीं. इनमें से अधिकार तस्वीर में पूर्व प्रधामंत्री अपनी बहन या भतीजी के साथ थे. मालवीय ने तो अपना ट्वीट डिलीट कर लिया, लेकिन इसे शेयर करने वाले बाकी लोगों ने ग़लत दावा करने जारी रखा.
2. मनमोहन सिंह का एडिटेड वीडियो शेयर किया
मालवीय ने 27 नवम्बर, 2018 को पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का एक वीडियो शेयर किया जिसमें वो कह रहे हैं, “मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार बहुत अच्छी थी.” इस क्लिपड वीडियो के ज़रिये दिखाने की कोशिश की गयी कि उन्होंने दोनों राज्यों में भाजपा सरकार की तारीफ़ की है.
Former Prime Minister Dr Manmohan Singh contradicts Rahul Gandhi, says governments of Madhya Pradesh and Chattisgarh were ‘very good’… Waters down everything Congress President has been saying over the last few days! pic.twitter.com/cLqCL0al7q
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 27, 2018
मालूम पड़ा कि मालवीय ने मनमोहन सिंह के एक दिन पहले दिए गए भाषण का क्लिप्ड वीडियो शेयर किया था. पूरा वीडियो देखने पर पता चला कि मनमोहन सिंह कह रहे हैं, “मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार से मेरे रिश्ते काफ़ी अच्छे थे. हमने भाजपा शासित राज्यों से कभी भेदभाव नहीं किया.”
3. ग़लत दावा किया कि राहुल गांधी ने सोमनाथ मंदिर के रजिस्टर में बतौर गैर-हिन्दू साइन किया है
मालवीय का कांग्रेस को लेकर ग़लत दावा कोई नै बात नहीं है. 2017 में एक ट्वीट में उन्होंने बताया था कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमनाथ मंदिर के रजिस्टर पर बतौर ‘गैर-हिन्दू’ हस्ताक्षर किये.
Ambassador Meera Shankar, UPA’s representative in US, had referred to Sonia Gandhi as a Christian leader. The reference was soon deleted. Now Rahul Gandhi declares he is a non-Hindu but their election affidavits claim that they are Hindus. Gandhis lying about their faith? pic.twitter.com/iFE4AhVnRM
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 29, 2017
लेकिन लिखावट मिलाने पर मालूम पड़ा कि रजिस्टर में लिखी हुई राहुल गांधी की राइटिंग, वायरल नोट्स से अलग है.
4. आलू-सोना मशीन वाला वायरल वीडियो
2017 के एक वीडियो में राहुल गांधी कहते सुने जा सकते हैं, “ऐसी मशीन लगाऊंगा इस साइड से आलू घुसेगा उस साइड से सोना निकलेगा…” इसे भाजपा आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने शेयर किया था.
People are sending this to me and asking in disbelief if he actually said this.. Of course he did! pic.twitter.com/rgdTf26ARv
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 15, 2017
ये क्लिप एक भाषण का छोटा-सा हिस्सा भर है. राहुल गांधी ने 12 नवम्बर, 2017 को गुजरात के पाटन में भाषण के दौरान पीएम मोदी पर तंज कसा था. भाषण का पूरा वीडियो कांग्रेस के यूट्यूब चैनल पर है जिसमें 17 मिनट 50 सेकंड पर वो कहते हैं, “कुछ महीने पहले यहां बाढ़ आयी 500 करोड़ रुपये दूंगा, (पीएम मोदी ने) एक भी रूपया नहीं दिया. आलू के किसानों को कहा ऐसी मशीन लगाऊंगा इस साइड से आलू घुसेगा उस साइड से सोना निकलेगा…मेरे शब्द नहीं है नरेंद्र मोदीजी के शब्द हैं.”
5. ग़लत दावा किया कि राहुल गांधी गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा गए थे
अमित मालवीय ने अगस्त 2017 में ट्वीट करते हुए दावा किया, “राहुल गांधी जनवरी 2017 के आस-पास ही समर्थन हासिल करने के लिए डेरा सच्चा सौदा गए थे…पंजाब में कांग्रेस की सरकार है. इस समर्थन के बदले क्या देने की बात हुई होगी?” उन्होंने बाद में ये ट्वीट डिलीट कर लिया.
जो स्क्रीनशॉट मालवीय ने शेयर किया था वो द इंडियन एक्सप्रेस के 29 जनवरी, 2017 के एक आर्टिकल का था. आर्टिकल में लिखा है, “पंजाब विधानसभा चुनाव अगले ही हफ्ते है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार को जालंधर के डेरा सचखंड बल्लां गए. ये समुदाय दलित रविदास समुदाय में सबसे बड़ा माना जाता है.” राहुल गांधी डेरा सच्चा सौदा नहीं, बल्कि डेरा सचखंड बल्लां गए थे. इसके मुखिया संत निरंजन दास हैं, न कि गुरमीत राम रहीम. ये पूरा फ़ैक्ट-चेक आप यहां पढ़ सकते हैं.
6. गांधी परिवार की 2017 की तस्वीर 2008 की बताते हुए हमला
मालवीय ने 18 जून, 2020 को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा की एक तस्वीर शेयर करते हुए सवाल किया कि गांधी परिवार 2008 में चीन गया था और उस समय वो किसी पद पर नहीं थे, फिर भी चीन में उनकी इतनी मेहमान नवाज़ी क्यों हुई? लेकिन ये तस्वीर असल में 2017 की है.
Sonia Gandhi and her entire family’s China visit in 2008 is significant. Back then, she or any of her children weren’t holding any public office, then on what basis did they accept Chinese hospitality?
Why is the family’s interest, from Doklam to Ladakh, above national interest? pic.twitter.com/kMGOYcnEis— Amit Malviya (@amitmalviya) June 18, 2020
चुनावों के समय ग़लत सूचनाएं
1. 2019 दिल्ली में चुनाव के दौरान भ्रामक जानकारियां
दिल्ली में चुनाव से ठीक पहले अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का एक वीडियो शेयर किया. मालवीय ने दावा किया कि केजरीवाल के रोड शो के दौरान एक व्यक्ति को भीड़ ने कुचल दिया.
AAP workers indulge in brutality, lynch a man in Arvind Kejriwal’s road show, who remains a mute spectator, doesn’t intervene, goes around his program as if nothing is happening…
Is this man even fit to be in public life let alone occupy a public office?pic.twitter.com/baYVtrY7Qi
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 31, 2020
मालवीय ने पूरी तस्वीर शेयर नहीं की. मौके की अन्य क्लिप्स देखने पर पता चलता है कि केजरीवाल को किसी शख्स ने थप्पड़ मारा था, उसके बाद मुख्यमंत्री के समर्थकों ने उसे पीटा. सोशल मीडिया दावों के उलट, उसे कुचला नहीं गया था. लेकिन ये भी सच है कि लोगों ने उसे बुरी तरह पीटा था.
Arvind Kejriwal slapped by a man in west Delhi. Act caught on camera. The man, Suresh, was then assaulted by AAP volunteers.
* strong language. pic.twitter.com/2vTzDyS6w1
— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) May 4, 2019
2. 2019 लोकसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल में फैलाई गयी ग़लत सूचनाएं
2019 लोकसभा चुनावों से पहले मालवीय ने एक छात्र को विद्यासागर कॉलेज में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली के दौरान हुई हिंसा का गवाह बताया जो मौके पर मौजूद था. उस ‘छात्र’ ने इश्वर चन्द्र विद्यासागर में मूर्ति के साथ तोड़-फोड़ का ज़िम्मेदार तृणमूल कांग्रेस (TMC) को ठहराया.
First person account of a student from Vidyasagar College. Original post in Bangla and translation alongside. He recounts how TMC hooligans orchestrated vandalisation of Ishwar Chandra Vidyasagar’ bust inside the college for their petty politics. #SaveBengalSaveDemocracy pic.twitter.com/OWA79RTjbw
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 15, 2019
लेकिन ये संयोग था या और कुछ, वही मेसेज कई और लोगों ने भी शेयर करते हुए मौके पर मौजूद गवाह का आंखों देखी हाल बताया. एक ही मेसेज सब जगह कॉपी-पेस्ट होता देख कुछ ट्विटर यूज़र्स ने भी इसपर चुटकी ली. एक यूज़र ने लिखा, “आज पूरा फे़सबुक ‘मैं विद्यासागर का छात्र हूं’ हो गया है.”
ऑल्ट न्यूज़ ने इस घटना के बारे में पड़ताल की थी जिसमें मौके की विज़ुअल्स की बारीकी से जांच की गयी. हमने कॉलेज के छात्रों और अध्यापकों से भी बात की और पाया कि मालवीय के पोस्ट में लगे आरोप भ्रामक थे.
3. 2018 में तेलंगाना में चुनाव के बाद ग़लत जानकारी
तेलंगाना में 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि भाजपा को 7 प्रतिशत वोट मिलने के बावजूद एक ही सीट मिली वहीं ओवैसी की AIMIM ने 2.7 प्रतिशत वोट पाकर 7 सीटें जीत लीं.
In Telangana, AIMIM with just 2.7% vote share won 7 seats but BJP with 7% got just won. Let that sink in.
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 23, 2018
मालवीय ने आंकड़े तो सही सही रखे लेकिन उसे भ्रामक तरीके से पेश किया. AIMIM ने 2.7% वोट पाए थे लेकिन पार्टी ने 8 ही सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं भाजपा ने 119 सीटों में से 118 पर चुनाव लड़ा था और जीत सिर्फ़ एक सीट पर मिली. इस हिसाब से AIMIM का स्ट्राइक रेट (87.5) भाजपा के स्ट्राइक रेट (0.88) से कहीं आगे है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर पूरी जानकारी देखी जा सकती है.
पीएम मोदी का सपोर्ट करते हुए भ्रामकता फैलाना
1. ग़लत दावा कि पीएम मोदी कुम्भ मेले में जाने वाले पहले राष्ट्र प्रमुख हैं
प्रधानमंत्री मोदी ने 24 जनवरी, 2019 को यूपी के प्रयागराज में कुम्भ मेले में भाग लेते हुए गंगा में स्नान किया. इसके बाद ही मालवीय ने ट्वीट करते हुए कहा कि पीएम मोदी पहले राष्ट्र प्रमुख हैं जिन्होंने कुम्भ मेले में भाग लिया.
मालवीय का ये दावा दो वजहों से ग़लत है. पहले तो ये कि प्रधानमंत्री राष्ट्र प्रमुख नहीं होते. वो कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व करने वाले और सरकार के कार्यकारी भाग के मुखिया हैं. राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख होता है, प्रधानमंत्री नहीं. अगर हम राष्ट्रप्रमुख की बात करें तो सबसे पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद कुम्भ मेले में गए थे. और पीएम मोदी पहले प्रधानमंत्री नहीं है जिन्होंने कुम्भ में शिरकत की, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु 1954 में कुम्भ में शिरकत कर चुके हैं.
ऑल्ट न्यूज़ का पूरा फ़ैक्ट-चेक यहां पढ़ सकते हैं.
2. नोबेल पुरस्कार विजयेताओं के नाम का इस्तेमाल कर नोटबंदी के गुणगान करना
भाजपा आईटी सेल के हेड ने दावा किया कि 2017 में अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले रिचर्ड थेलर ने नोटबंदी की सराहना की है.
लेकिन मालवीय ने थेलर का पूरा रिएक्शन शेयर नहीं किया. जब थेलर को पता लगा कि 500 और 1000 से नोटों की जगह 2000 के नोट ने लेली तो उन्होंने आश्चर्य जताते हुए लिखा, “Really? Damn.” मालवीय ने सुविधानुसार पहला ट्वीट दिखाते हुए लोगों को भ्रमित किया.
थेलर का नोटबंदी पर पूरा बयान कुछ इस तरह है, “भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कैशलेस सोसाइटी की तरफ़ इस कदम का कॉन्सेप्ट अच्छा था लेकिन 2000 का नोट लाना भारी भूल है और कैशलेस के इस पूरे कॉन्सेप्ट को ही कन्फ्यूजि़ंग बना देता है.”
लोगों को निशाने बनाते हुए ग़लत सूचनाएं
1.टीवी डिबेट के बाद योगेन्द्र यादव की एडिटेड क्लिप शेयर कर निशाना बनाया
मालवीय ने एक टीवी डिबेट में योगेन्द्र यादव पर जातिवाद की राजनीति का आरोप लगाया. इसके जवाब में योगेन्द्र यादव ने कहा कि वो अपनी पब्लिक लाइफ़ से विदा ले लेंगे अगर मालवीय अपने दावे साबित करने के लिए सबूत दिखाने में कामयाब रहे. मालवीय ने उनका एक वीडियो शेयर किया जिसमें योगेन्द्र यादव मुस्लिम बहुल मेवात ज़िले में भीड़ को अपनी मुस्लिम पहचान के बारे में बता रहे हैं. मालवीय ने लिखा, “मैं जल्दी सोशल मीडिया पर बहस नहीं करता लेकिन ये योगेन्द्र यादव की पोल खोलने के लिए अपवाद है.” वीडियो के आखिर में पूछा गया है, “आप पब्लिक लाइफ़ से कब विदा ले रहे हैं?”
I usually don’t carry TV debates to social media but making an exception to expose @_YogendraYadav’s janus face. Here is a video where he can be seen bragging his Muslim identity to a largely Muslim audience in Muslim dominated Mewat. If this isn’t cynical politics, then what is? pic.twitter.com/sPeHqaILpB
— Amit Malviya (@amitmalviya) April 19, 2019
योगेन्द्र यादव की मुस्लिम पहचान की ‘पोल खोलने’ के लिए मालवीय ने एक एडिटेड वीडियो का इस्तेमाल किया जो किसी इलेक्शन रैली का हिस्सा नहीं था.
4 things BJP’s lie factory conceals:
1. Allegation by @amitmalviya to which I responded:in 2014 election I used Muslim name for votes
2. Date of video:3 yrs+ after election
3 Context: protest meet on lynching by Hindu mob
4. My main message: don’t think of revenge or violence https://t.co/uPi1F0xVUo
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) April 19, 2019
2. रवीश कुमार को बदनाम करने के लिए एडिटेड वीडियो शेयर करना
पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद मालवीय ने रवीश कुमार का एक वीडियो शेयर किया. इसमें रविश कुमार कह रहे हैं, “जब तक ये व्यक्ति माफ़ी नहीं मांगेंगा और मैं अपने पार्टी के लोगों से कहता हूं कि ये नेशनलिस्ट हिंदुत्व, नेशनलिस्ट नहीं है.”
पत्रकार की कौन सी पार्टी होती है? pic.twitter.com/oUdqqkniLO
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 10, 2017
लेकिन पूरा भाषण सुनने पर मालूम पड़ता है कि रवीश कुमार कह रहे हैं, “चीन और बर्मा से जब वो लौटें तो पहला काम यही करें कि वो दधिची को अनफ़ॉलो करें और वो बतायें, उनसे कहें कि हमसे ग़लती हुई है. जब तक ये व्यक्ति माफ़ी नहीं मांगेगा और मैं पार्टी के लोगों से कहता हूं कि ये नेशनलिस्ट हिंदुत्व, नेशनलिस्ट नहीं हैं. ये हम सबको एक नागरिक के तौर पर प्रधानमंत्री से मांग करनी चाहिए.” यहां ‘वो’ पीएम मोदी को कहा जा रहा है और रवीश कुमार पीएम मोदी से आग्रह कर रहे हैं कि अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करें और बताएं कि दधिची जैसे लोग सही मायनों में राष्ट्रवादी नहीं है.
भाजपा आईटी सेल हेड अमित मालवीय पार्टी का सोशल मीडिया मैनेज करने के साथ ही विपक्ष और बाकी लोगों को ग़लत और भ्रामक सूचानों के ज़रिये टारगेट करते रहते हैं. जितने भी उदहारण हमने गिनवाएं हैं, उनमें से अधिकतर ट्वीट उन्होंने डिलीट नहीं किया. फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट्स के बावजूद ये ट्वीट्स नहीं हटाया जाना बताता है कि वो इसे एक मकसद से शेयर करते हैं जिसका उन्हें कोई अफ़सोस नहीं है. ऐसा करके वो केवल सच्चाई पर पर्दा नहीं डाल रहे, बल्कि जानबूझ कर हज़ारों-लाखों लोगों को भ्रमित कर रहे हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी से हरी भाऊ की बातचीत एडिट कर पेट्रोल कीमतों पर भ्रामक वीडियो बनाया गया
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