जून का महीना झूठी खबरों के मामलो में खतरनाक साबित हुआ है और उसके कई भयावह परिणाम देखने को मिले हैं। विभिन्न राज्यों में बच्चों के अपहरणकर्ताओं की अफवाहें व्हाट्सएप द्वारा फैलाए गए। खून से लथपथ फोटो और संदेशों के साथ उग्र भीड़ द्वारा अपहरणकर्ताओं को मारने का वीडियो भी शेयर किया गया जिससे संदेह, अविश्वास और भय का माहौल बन गया। नतीजा यह हुआ कि देश भर में लगभग 20 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गयी। इस प्रकार की गलत जानकारी जून में खूब फ़ैली और अभी भी जारी है।
1. बच्चों के अपहरण की अफवाहें घातक साबित हुई
उत्तर प्रदेश से महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक देश भर के कई राज्यों में अफवाहों में बढ़ोतरी हुई। ऐसी अफवाहें व्हाट्सएप के माध्यम से फैलती गईं। इनमें बच्चों के अपहरण करने वाले गिरोह से आम लोगो को सावधान रहने की सलाह दी गयी।
उपर्युक्त संदेश बिहार, झारखंड और ओडिशा में फैलाया जा रहा था।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि देश भर में एक ही जैसी कुछ चुनी हुई तस्वीरों का इस्तेमाल किया जा रहा था। अधिकांश तस्वीरें एक दुसरे से अलग थीं जिनका बच्चों के अपहरण से कोई लेना देना नहीं था।
फिर भी, ये अफवाहें लगातार फैलती रही और अन्य राज्यों में भी फैलाई गई। महाराष्ट्र में, व्हाट्सएप संदेश उन गिरोहों के बारे में चेतावनी देते हुए देखे गए जिन्होंने युवा लड़कियों का अपहरण कर लिया था और उनके अंग निकाल लिए थे। अहमदाबाद में एक 40 वर्षीय महिला को बच्चों की अपहरणकर्ता होने के शक में उग्र भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार दिया गया।
ख़बरों के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों में मई 2018 से इसी शक पर कम से कम 20 लोग उग्र भीड़ के द्वारा हिंसा से मार दिए गए हैं। अभी भी ऐसी खबरों से कोई राहत नहीं मिल रही है; हालिया घटना में, महाराष्ट्र के धुले में ऐसे ही पांच लोगों को बच्चों के अपहरणकर्ता होने के शक में पीटकर मार दिया गया।
एक वीडियो भी व्यापक रूप से शेयर किया गया था जिसमें एक बच्चे का अपहरण होते दिखाया जा रहा है। इसी वीडियो को विभिन्न राज्यों में इस दावे के साथ शेयर किया गया कि वीडियो में दिख रहा गिरोह इस क्षेत्र में सक्रिय है। ऑल्ट न्यूज़ ने जब इस वीडियो के बारे में पता लगाया तो पाया कि यह एक 2016 में बना पुराना वीडियो था जो रोशनी हेल्पलाइन नामक कराची के एक संगठन ने जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से बनाया था। वीडियो के समाप्त होने पर कुछ शब्द लिखे आते है जो इस तरह है: “हर साल कराची, पाकिस्तान में 3000 से अधिक बच्चे गायब हो जाते हैं। अपने बच्चे का ध्यान रखें।” कराची में बड़े पैमाने पर हो रहे अपहरण के बारे में लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से इस वीडियो को बनाया गया था। लेकिन इस वीडियो के एक हिस्से को काटकर इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। असली वीडियो नीचे पोस्ट किया गया है।
इन अफवाहों में स्थान और भाषा राज्य के हिसाब से स्थानीय हो जाती है
ऑल्ट न्यूज़ ने देखा है कि बच्चों के अपहरण की अफवाहें राज्य के हिसाब से स्थानीयकृत की जाती है। उदाहरण के तौर पर अगर अफवाह महाराष्ट्र के लिए है तो संदेश मराठी में लिखा जाता है और महाराष्ट्र से सम्बंधित स्थानीय जगह का दावा किया जाता है कि बच्चे के अपहरणकर्ता इस जगह पर घूम रहे हैं। इसी तरह, जब गुजरात में संदेश फैलाये जाते हैं, तो वे गुजराती में लिखे होते हैं और गुजरात के किसी जगह का नाम लिख दिया जाता है। जहां तक झूठी अफवाह का सवाल है, तो यह एक असामान्य गतिविधि है। गलतफहमी के अधिकांश मामलों में, जो वीडियो और तस्वीरें राज्य में फैलाई गयी थी वो लगभग एक जैसी ही थी। बस भाषा और उस राज्य की किसी स्थानीय जगह का नाम लिख दिया गया था।
2. सांप्रदायिक तनाव को उत्तेजित करने का प्रयास
दो धार्मिक समुदायों के बीच मतभेद और घृणा के बीज बोने के लिए झूठी अफवाह का सहारा लिया जाता है। जून का महीना भी कुछ अलग नहीं था। सांप्रदायिक सद्भावना को उकसाने के कई प्रयास किए गए थे जिसमें एक समुदाय को आक्रामक दिखाया गया। शरारती तत्वों का मुख्य निशाना पश्चिम बंगाल और कर्नाटक राज्य था।
Five Days holiday to celebrate #Eid in @MamataOfficial's West Bengal.She has already made it an #IslamicState!!! pic.twitter.com/dOuiHEnP9N
— SV PALANISAMY (@vpalanisamy2010) June 10, 2018
उपर्युक्त ट्वीट से दावा किया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने ईद में पांच दिनों की छुट्टियों की मंजूरी दे दी है। इस ‘अधिसूचना’ पर राज्यपाल का नाम था। ये पोस्ट आसानी से फर्जी साबित हो गया। पश्चिम बंगाल सरकार ने ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की थी, लेकिन यह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को खुश करने के रूप लुभाने का प्रयास करते हुए दिखाया गया था।
फर्जी समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज ने यह दावा किया कि कर्नाटक में सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में इस्लाम और ईसाई धर्म में धर्म-परिवर्तन को प्रोत्साहित करते हुए दिखाया जा रहा है। जबकि यह झूठा और दुर्भावनापूर्ण था। नकली समाचार के लिए कर्नाटक की पृष्ठभूमि दिखाने का प्रयास प्रमुख रहा। किसी और जगह की पुराने और असंबंधित वीडियो को हिंदुओं पर मुसलमानों द्वारा आक्रामकता व् हिंसा करते दिखाया गया।
एक अन्य पोस्ट में, एक फ़ोटोशॉप तस्वीर खूब शेयर की गई, जिसमें मदरसे में एक शिक्षक को इस्लाम को हिंदू धर्म से बेहतर धर्म बताते हुए दिखाया गया।
3. आरएसएस कार्यक्रम में प्रणव मुखर्जी की फोटोशॉप तस्वीर वायरल
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस (RSS) के एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उसके कुछ घंटे बाद, एक फ़ोटोशॉप की हुई तस्वीर जिसमे उन्हें आरएसएस की काले रंग की टोपी पहने हुए तथा उनकी बांह आरएसएस (RSS) कार्यकर्ताओं की भांति मुड़ी हुई अभिवादन करते हुए दिखाया गया। ये फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई।
ऑल्ट न्यूज़ ने इस फोटो के स्रोत को खोजने का प्रयास किया और पता चला कि यह तस्वीर एक सोशल मीडिया यूजर ने पोस्ट की थी जिसे ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फॉलो करते हैं। इस तस्वीर को ट्विटर और फेसबुक पर सैकड़ों पेजों के माध्यम से लाखों यूजर ने संगठित तरीके से खूब शेयर किया। मुखर्जी के नाम से कई फर्जी सन्देश भी शेयर किये गए, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी को कथित तौर पर कोसा और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की।
4. समाचार संगठन सोशल मीडिया की अफवाह में फंसते दिखे
जून की प्रारंभ में जब मुंबई में आयकर कार्यालय की इमारत में आग लग गई, उस समय यह अफवाह फैलाई गई कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी से संबंधित महत्वपूर्ण फाइलों में आग लग गई है।
ऑल्ट न्यूज ने पाया कि पायनियर (Pioneer) के एक संवाददाता फाइलों में आग लगने वाली संदेह जताने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में इसे बिना किसी जांच के विभिन्न मीडिया प्रकाशनों ने रिपोर्ट किया। लेकिन बाद में आयकर विभाग ने स्पष्ट किया कि फाइलें सुरक्षित हैं।
5. “2015 से भारत ने विश्व बैंक से कोई लोन नहीं लिया है”
“70 साल के इतिहास में केवल 3 साल ऐसे हैं जब भारत ने वर्ल्ड बैंक से कर्ज नहीं लिया 2015, 2016, 2017 ये मोदी की विफलता है या सफलता। नमो नमः” यह संदेश फेसबुक और ट्विटर पर खूब फैलाया गया और हजारों सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा खूब शेयर किया गया।
70 साल के इतिहास में केवल 3 साल ऐसे हैं जब भारत ने वर्ल्ड बैंक से कर्ज नहीं लिया
2015, 2016, 2017
ये मोदी की विफलता है या सफलता।
🙏 नमो नमः 🙏— Sagrika (@Sagrika4india) June 1, 2018
ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की जांच की और इसे झूठा पाया। भारत ने 2015 से 2017 की अवधि में 50 से अधिक विभिन्न परियोजनाओं के लिए 96 अरब अमेरिकी डॉलर के लोन का लाभ लिया है।
6. डॉ संबित पात्रा के खिलाफ बलात्कार का झूठा आरोप
फेसबुक पर हजारों लोगों द्वारा एक पोस्ट शेयर किया गया था, जिसके अनुसार कथित तौर पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने एक महिला मरीज से बलात्कार किया था, जिस कारण उनका मेडिकल लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।
ऑल्ट न्यूज ने डॉ पात्रा पर लगे इस आरोप का पता लगाया तो पाया कि यह बेबुनियाद है। उनसे संपर्क करने पर बातचीत में डॉ पात्रा ने कहा, “मैं उन सभी सत्यापित सोशल मीडिया आकउंट और वेबसाइटों के खिलाफ मानहानि पर विचार कर रहा हूं जो इस तरह की असत्य जानकारी फैला रहे हैं।”
7. प्रधानमंत्री मोदी का दावा: ‘कबीर, नानक और गोरखनाथ ‘एक साथ बैठकर’ चर्चा करते थे’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जून को उत्तर प्रदेश के मगहर में कबीर के मृत्यु की पुण्यतिथि पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने गए थे। अपने संबोधन में, उन्होंने कहा, “महात्मा कबीर को उनकी ही निर्वाण भूमि से मैं एक बार फिर कोटि कोटि नमन करता हूं। ऐसा कहते है कि यहीं पर संत कबीर, गुरु नानक देव और बाबा गोरकनाथ जी ने एक साथ बैठ करके आध्यात्मिक चर्चा की थी।”
प्रधानमंत्री मोदी इतिहास के गलत तथ्य की जानकारी देने के लिए जाने जाते हैं और यह एक और उदाहरण था। इतिहासकारों और विद्वानों ने 12वीं शताब्दी CE में गोरखनाथ को रखा है, जबकि नानक और कबीर गोरखनाथ के तीन सौ साल बाद 15वीं शताब्दी CE के थे। विद्वानों की राय निश्चित रूप से नानक और कबीर को गोरखनाथ से कम से कम तीन शताब्दी अलग दिखाती है।
8. कोका कोला संस्थापक के बारे में राहुल गांधी का झूठा दावा
नई दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कोका कोला के संस्थापक ने शुरुआत में सड़क पर ‘शिकंजी’ या नींबू पानी बेचकर अपनी व्यापर शुरू किया था।
#WATCH Congress President Rahul Gandhi talks about origins of the Coca-Cola & McDonald's company, says, "Coca-Cola company ko shuru karne wala ek shikanji bechne wala vyakti tha…" #Delhi pic.twitter.com/MATnaR734J
— ANI (@ANI) June 11, 2018
यह दावा गलत पाया गया था। कोका-कोला के संस्थापक जॉन पेम्बर्टन एक फार्मासिस्ट थे, जिन्होंने युद्ध में हुए घावों का परिणामस्वरूप अपनी मोर्फ़िन लत को ठीक करने के लिए पेय पदार्थों का निर्माण किया जो था।
9. अशोक गेहलोत के वीडियो का शरारती तत्वों द्वारा छेड़छाड़
“जब पानी में से बिजली निकल जाएगी और पानी खेतों में जाएगा आपके खेतों में जाएगा, तो पानी में से बिजली निकल जाएगी तो ताकत ही निकल जाएगी। फिर खेतों में पानी काम क्या आएगा।” एआईसीसी (AICC) के महासचिव और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित तौर पर ऐसा बोलते सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था। इस 16-सेकंड के क्लिप को ट्विटर पर खूब शेयर किया गया जिसमें गेहलोत को ये शब्द कहते हुए सुना जा सकता है।
Friends I received this video!
Is it authentic??
Is this the way the Congress misguided our Farmers??
Pls enlighten!!
अशोक गहलोत का विज्ञान – पानी मे से बिजली पैदा करके खेतो में भेजेंगे तो प… https://t.co/cLPCawUXiz via @YouTube— Sambit Patra (@sambitswaraj) June 5, 2018
आल्ट न्यूज ने गेहलोत के इस वायरल बयान की जांच की और पाया कि यह क्लिप एक लंबे वीडियो का एक छोटा हिस्सा है जिसमें वह कह रहे है, “मुझे याद है बचपन में जब जनसंघ हुआ करता था ये लोग, भाखरा डैम बना था। ये जनसंघ वाले घूम-घूम कर प्रचार करते थे कि पंडित नेहरु का दिमाग ख़राब हुआ है, ये बांध बना रहा है, उसमें बिजली घर बनाएगा और जब पानी में से बिजली निकल जाएगी पानी खेतों में जाएगा आपके खेतों में जाएगा तो पानी में बिजली निकल जाएगी तो ताकत ही ख़त्म ही जाएगी तो आपके खेतों में पानी काम क्या आएगा। ये वो लोग है जनसंघ वाले। तो ये जो इनकी संस्कृति संस्कार जो बने हैं मोदी जी के और उनकी पार्टी के उस रूप में बने हुए हैं।”
अनुवाद: चन्द्र भूषण झा के सौजन्य से
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