तारिक फ़तह, सोशल मीडिया में सक्रिय एक प्रमुख नाम हैं, जिन्हें 6 लाख से अधिक लोग ट्विटर पर फॉलो करते हैं। कई अवसरों पर ये पाकिस्तानी-कनाडाई लेखक सांप्रदायिक आधार पर, विशेष रूप से भारतीय मुसलमानों पर, निशाना साधने हुए गलत जानकारियां शेयर करते हुए पाए गए हैं। इससे भी अधिक चिंता की बात ये है कि भ्रामक सूचनाओं की सच्चाई बताए जाने के बावजूद फ़तह अपना ट्वीट डिलीट नहीं करते हैं। और तो और, हाल ही में उन्होंने कोशिश की कि उन्हें फॉलो करने वाले गुमराह ही रहें।

कुछ दिन पहले फ़तह ने बॉलीवुड गाने पर डांस करते बुर्का पहने लोगों का एक वीडियो ट्वीट किया था। उन्होंने इसके साथ सवाल किया – “क्या कोई पुष्टि कर सकता है कि ये वीडियो #ShaheenBagh में #CAA_NRCProtests का है या नहीं?” (अनुवाद) वीडियो में पर्याप्त संकेत हैं जो बताते हैं कि ये नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन का नहीं है। इसमें दिख रही भीड़ दुल्हन के कपड़ो में सजी एक महिला के आसपास डांस कर रही है। देखने लायक बात ये है कि यही वीडियो, फ़तह ने तीन साल पहले भी ट्वीट किया था। और भी मज़ेदार बात ये है कि तीन साल पहले ये वीडियो फ़तह ने एक नहीं बल्याकि 2-2 बार ट्वीट किया था। जब उन्हें आगाह किया गया, तो फ़तह ने चुपचाप अगस्त 2017 का अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन, उससे पहले मई 2017 में ट्वीट किया गया ये वीडियो उन्होंने डिलीट नहीं किया।

तारिक फ़तह की ट्विटर टाइमलाइन इस तरह की भ्रामक सूचनाओं से भरी हुई है। इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे और कई उदाहरण दिखायेंगे।

1. इस्लाम को हिंदू धर्म से श्रेष्ठ बताती हुई फ़ोटोशॉप तस्वीर

पिछले साल जून में, तारिक फ़तह ने एक तस्वीर ट्वीट की। फ़तह ने दावा किया कि तस्वीर में एक मदरसा शिक्षक अपने छात्रों से कह रहा है कि इस्लाम हिन्दू धर्म से श्रेष्ठ है। बाद में उन्होंने ये ट्वीट हटा लिया। लेकिन ट्हवीट के हटने से पहले बड़ी संख्या में इसे रीट्वीट कर दिया गया था।

फ़तह द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर फोटोशॉप की गई थी। ANI सहित कई मीडिया संगठनों ने इसकी ओरिजिनल फ़ोटो पब्लिश की। इसमें मालूम पड़ रहा था कि ब्लैकबोर्ड पर संस्कृत में शब्द लिखे हुए थे। शिक्षक, छात्रों को इस भाषा के बारे में बता रहे थे। फ़तह के ट्वीट से कुछ दिन पहले ही, इस गलत सूचना को ऑल्ट न्यूज़ द्वारा खारिज किया गया था।

2. हिज़ाब नहीं पहनने पर एक लड़की के साथ मारपीट का झूठा दावा

फ़तह ने दावा किया था कि एक व्यक्ति ने लड़की के सिर पर मारा, क्योंकि उसको लड़की का हिजाब पहने बिना साइकिल चलाना मंजूर नहीं था। (तारिक़ फ़तह का आर्काइव ट्वीट)

ऑल्ट न्यूज़ को तुर्की की कई खबरें मिलीं जिसमें बताया गया था कि वास्तव में उस आदमी ने 9 साल की एक बच्ची को पीटा था। लेकिन किसी भी खबर में हिजाब नहीं होने की वजह का उल्लेख नहीं किया गया था। तुर्की में यह घटना काफी चर्चित हुई थी क्यूंकि उस अपराधी को जेल से रिहा करके मानसिक इलाज के लिए भेज दिया गया था। 2017 के इस ट्वीट को तारिक़ ने अभी तक नहीं हटाया है जबकि उन्हें बताया गया था कि उनकी दी गई जानकारी ग़लत है।

3. रमज़ान में पाकिस्तानी झंडे लहराए जाने का झूठा दावा

साल 2019 में फ़तह ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें बाइक सवार लोग हरे रंग के झंडे लहराते हुए दिखाई दे रहे थे। फ़तह ने दावा किया कि झंडे पाकिस्तान के थे और इन्हें तमिलनाडु में रमज़ान के दौरान लहराया जा रहा था। (तारिक़ फ़तह का आर्काइव ट्वीट)

असल में वो पाकिस्तानी नहीं बल्कि इस्लामी झंडे थे। ये झंडे भारतीय उप-महाद्वीप में मुस्लिम समुदाय द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। तारिक़ फ़तह खुद मुस्लिम समुदाय से आते हैं और न जाने कितनी ही जगहों पर उन्होंने मुसलमानों के उत्थान की बात कही है। ऐसे में उनसे ये अपेक्षित है कि मुस्लिम समुदाय के धार्मिक झंडे और पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे के बीच का अंतर उन्हें मालूम होना चाहिए था। ऑल्ट न्यूज़ की विस्तृत फैक्ट-चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

4. कांग्रेस की जीत का जश्न मनाते मुसलमानों द्वारा पाक झंडे लहराने का झूठा दावा

एक बार फिर तारिक़ फ़तह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक झंडे और पाकिस्तान के झंडे में कन्फ्यूज़ हुए और ग़लत जानकारी ट्वीट की। साल 2019 में राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद उन्होंने एक ट्वीट किया। ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि राज्य में मुसलमानों ने पाकिस्तानी झंडे लहराकर कांग्रेस की जीत का जश्न मनाया। बाद में फ़तह ने यह ट्वीट हटा दिया, लेकिन इस ट्वीट को देखा जा सकता है क्यूंकि इसे आर्काइव कर लिया गया था

वीडियो में दिख रहे झंडे वास्तव में ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग’ के थे, पाकिस्तान के नहीं। ऑल्ट न्यूज़ की फैक्ट-चेक रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।

5. CAA-विरोध प्रदर्शनों के बीच सांप्रदायिक दावे से 2017 का वीडियो शेयर किया

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध प्रदर्शनों के दौरान फ़तह ने एक वीडियो को रीट्वीट किया था। इस वीडियो में एक बूढ़ा व्यक्ति दिखाई पड़ता है जिसने बस पर पत्थर फेंक कर मारा। पत्थर फ़ेंकने वाले व्यक्ति ने सफ़ेद रंग की टोपी पहनी हुई थी।

असल में ये वीडियो 2017 का है। यानी, संसद द्वारा दिसंबर 2019 में पारित CAA से इसका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। फ़तह ने जो वीडियो शेयर किया वो मात्र 6 सेकंड का था। असल वीडियो लंबा है और उसमें कई लोगों को बस पर पत्थर फेंकते हुए देखा जा सकता है।

6. CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान पथराव करते मुस्लिम के रूप में, 2016 की तस्वीर ट्वीट की

CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें शेयर हुईं. इसमें एक तस्वीर ऐसी भी थी जिसमें कई लोग पथराव कर रहे थे. पथराव करने वाले इस झुण्ड में एक बुज़ुर्ग दिखाई देते हैं जिन्होंने सफ़ेद टोपी पहनी है। फ़तह ने यह तस्वीर इस कैप्शन के साथ कैप्शन के साथ ट्वीट की“इस बीच भारत में कार्रवाई करता एक ‘शांतिप्रिय। “

गूगल पर इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने से पता चला कि यह काफ़ी पुरानी तस्वीर है। यही तस्वीर हमें 8 जनवरी, 2016 को सोशल मीडिया पर पोस्ट की हुई मिली। ट्विटर यूज़र का दावा था कि ये तस्वीर मालदा दंगों की है।

7. राहुल गांधी का अधूरा वीडियो ट्वीट किया

फ़तह की फैलाई जाने वाली फ़ेक न्यूज़ की रेंज केवल मुसलमानों पर निशाना साधने तक सीमित नहीं है। ग़लत जानकारियों के बूते पर उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा है। फ़तह ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें राहुल गांधी को यह कहते हुए सुना जाता है कि “महात्मा गांधी ने अहिंसा का विचार प्राचीन भारतीय दर्शन से, इस्लाम से लिया था” (अनुवाद) (तारिक़ फ़तेह का अर्काइव किया गया ट्वीट)।

लेकिन असल में यह वीडियो छोटा किया गया था। असली वीडियो को देखने पर साफ़ मालूम चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने केवल इस्लाम ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों का भी उल्लेख किया था – “… महात्मा गांधी ने अहिंसा का विचार प्राचीन भारतीय दर्शन से, इस्लाम से, ईसाई धर्म से, यहूदी धर्म से, हर महान धर्म से लिया था जिनमें यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि हिंसा से किसी को कुछ हासिल करने में मदद नहीं मिलेगी।”

नीचे दिए गए वीडियो में 23:37वें मिनट से शुरू होने वाले राहुल गांधी के भाषण के प्रासंगिक हिस्से को देखा जा सकता है।

ऑल्ट न्यूज़ की फैक्ट-चेक रिपोर्ट यहां पढ़ें

8. जम्मू-कश्मीर में बच्चे की पिटाई के वीडियो को पाकिस्तान का बताया

तारिक़ फ़तह ने नवंबर 2019 में एक ट्वीट किया था। इसमें एक बच्ची के बालों को पकड़कर एक महिला उसकी पिटाई करती दिख रही थी। महिला के हाथ में चप्पल जैसी चीज़ थी से उसकी पिटाई करती एक महिला का वीडियो नवंबर 2019 में तारिक फ़तह ने ट्वीट किया था। तारिक़ फ़तह ने कहा कि वीडियो पाकिस्तान का था और पाकिस्तान के पंजाबी परिवारों में ऐसी पिटाई सामान्य है।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वह वीडियो पाकिस्तान का नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के नागरी इलाके का है।

Follow Up : Horrible Viral Video of Nagri #Kathua

Mother detained by Police who brutally thrashed her 5 years old daughter.

Posted by JK MEDIA on Saturday, 16 November 2019

9. प्रियंका गांधी को ऐसी गलती के लिए ट्रोल किया, जो उन्होंने कभी की ही नहीं

“प्रिय प्रियंका गांधी, ‘नौरोज़’ पिछले महीने मनाया गया था। आज मनाया जा रहा कश्मीरी नए साल का दिन ‘नवरेह’ है” (अनुवाद) – 6 अप्रैल को तारिक फ़तह ने यह ट्वीट करके कश्मीरी नए साल पर प्रियंका गांधी द्वारा दी गई बधाई के लिए उन्हें ट्रोल किया। (अर्काइव)।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि नौरोज़ कश्मीरी नए साल के लिए शुभकामना का एक स्वीकार्य रूप है, जिसका इस्तेमाल ख़ुद कश्मीरी करते हैं। हमारी फैक्ट-चेक रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है

10. सपा नेता माविया अली को कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी बताया

फ़तह ने एक वीडियो ट्वीट करके आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी कह रहे हैं, “वफादारी कुत्तों के लिए है। हम मुसलमान भारत के मालिक हैं; हमारी वफादारी इस्लाम के प्रति है।”

यह वीडियो अगस्त 2017 का था। उसमें समाजवादी पार्टी के नेता माविया अली हैं जो उत्तर प्रदेश सरकार के एक विवादास्पद सर्क्युलर पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इस सर्क्युलर में राज्य भर के मदरसों को स्वतंत्रता दिवस मनाने और कार्यक्रम का वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कहा गया था। माविया के इस वीडियो के सामने आने पर विवाद खड़ा हुआ था।

11. 2015 में मक्का में हुई भगदड़ के मृतकों को बुलडोज़र से दफ़नाने का झूठा दावा

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद, 2,400 रीट्वीट वाला एक ट्वीट, अब भी फ़तह की टाइमलाइन पर मौजूद है। (तारिक़ फ़तह का आर्काइव किया हुआ ट्वीट. अगर वो आने वाले समय में अपना ट्वीट डिलीट कर दें, तो)

तारिक़ फ़तह ने डेढ़ दशक पुरानी तस्वीर का इस्तेमाल सऊदी अधिकारियों के ख़िलाफ़ ये कहते हुए किया कि उन्होंने हज यात्रियों के शवों को बुलडोजर से दफ़नाया।

इस गलत सूचना को France24 ने ख़ारिज किया था।

12. नागालैंड पर हमले के मकसद से 2 हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों के ISIS में शामिल होने की फ़र्ज़ी ख़बर

13 अक्टूबर 2017 को तारिक फ़तह ने एक ट्वीट करके दावा किया था कि 2 हज़ार रोहिंग्या मुसलमान आतंकी संगठन ISIS में शामिल हो गए हैं. उनका मकसद नागालैंड पर हमला करने का था। (तारिक़ फ़तह का आर्काइव किया हुआ ट्वीट)

फ़तह का ट्वीट ANI द्वारा 12 अक्टूबर, 2017 को प्रकाशित एक रिपोर्ट से प्रेरित था।

ANI की फ़र्ज़ी खबर को लेकर नागालैंड के स्थानीय अख़बार Morung Express ने झंडा बुलंद किया। उन्होंने बताया कि ANI की रिपोर्ट से पहले यह झूठी ख़बर फेसबुक और व्हाट्सैप ग्रुप्स पर ख़ूब वायरल हो रहा था। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि फ़ेसबुक पर 10 अक्टूबर, 2017 से ऐसी बातें कही जा रही थीं कि नागालैंड पर रोहिंग्या हमला करने वाले थे। नागालैंड पुलिस के खुफिया विभाग के आईजीपी रेंचामो पी किकोन ने इस खबर को झूठा करार दिया। उस समय ऑल्ट न्यूज़ द्वारा प्रकाशित फैक्ट-चेक यहां उपलब्ध है।

ANI ने बाद में अपनी वेबसाइट से ये स्टोरी हटा ली और संपादक स्मिता प्रकाश ने एक बयान जारी किया।

हालांकि ANI द्वारा खबर प्रकाशित किए जाने से इस गलत सूचना का दोष फ़तह पर नहीं मढ़ा जा सकता, लेकिन ANI के स्पष्टीकरण और खबर हटाने के बावजूद उनका ट्वीट अभी भी मौजूद है और ये फ़ेक न्यूज़ को लेकर उनके नज़रिए को साफ़ करता है।

13. केरल के एक कॉलेज के एनुअल फंक्शन को IS, अल क़ायदा से जोड़ने वाली फ़र्ज़ी खबरें

यह फ़ेक न्यूज़ केरल के एक मीडिया संगठन जनम टीवी ने फैलाई थी। इसने बाद में इस ख़बर के यूट्यूब वीडियो को डिलीट कर दिया था लेकिन उनकी वेबसाइट पर अब भी आर्टिकल मौजूद है

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि जनम टीवी द्वारा दिखाए गए झंडे अल-क़ायदा के नहीं थे। इस मीडिया हाउस ने एनुअल फंक्शन के वीडियो को अल क़ायदा और इस्लामिक स्टेट को छात्रों के समर्थन के रूप में प्रस्तुत किया था। इस वीडियो में छात्र काले रंग के कपड़े पहने दिखाई दे रहे थे। यह वीडियो टीवी पर हुए प्रसारण से 9 महीने पुराना था। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ की एक खोजी रिपोर्ट को यहां देखा जा सकता है। जनम टीवी द्वारा फ़र्ज़ी समाचार के इस दुष्प्रचार के बारे में फैक्ट-चेक प्रकाशित होने के बावजूद, इस गलत जानकारी को हटाने में फ़तह ने कोई रूचि नहीं दिखलाई और अपना ट्वीट नहीं हटाया। (तारिक़ फ़तह का आर्काइव किया गया ट्वीट)

14. सऊदी अरब में महिला चालकों की लड़ाई का झूठा वीडियो

साल 2018 में सऊदी अरब ने महिला अधिकारों को बढ़ावा देने वाले एक ऐतिहासिक कदम में महिलाओं के गाड़ी चलाने पर दशकों पुराना प्रतिबंध हटाया। लेकिन लिंगभेद से भरे इस ट्वीट में, फ़तह ने दावा किया कि सऊदी महिलाओं ने गाड़ी चलाने की अनुमति मिलने के पहले ही दिन “सड़क पर लड़ाई” शुरू कर दी। (तारिक़ फ़तह का अर्काइव किया गया ट्वीट)।

फ़तह द्वारा ट्वीट किया गया वीडियो कम से कम 2015 से इंटरनेट पर है. 2015 में महिलाओं को सऊदी की सड़कों पर ड्राइव करने की अनुमति नहीं थी। इसलिए, यह वीडियो 24 जून, 2018 को महिलाओं की ड्राइविंग पर से प्रतिबंध हटाने के पहले दिन की किसी घटना या लड़ाई का नहीं हो सकता। SM Hoaxslayer ने इस वीडियो की पड़ताल की थी।

15. पाकिस्तान में बच्चों को पोलियो का टीका दिलाने से मना करती मां का झूठा वीडियो

तारिक फ़तह ने एक वीडियो इस दावे के साथ ट्वीट किया कि पाकिस्तान में एक मां अपने बच्चे को पोलियो ड्रॉप पिलाने से मना कर रही है। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा – “पाकिस्तानी मां ने पोलियो कर्मियों के सामने दरवाजा बंद किया। दो महिला स्वयंसेवकों पर चिल्लाई”। (अनुवाद)

तारिक फ़तह द्वारा ट्वीट किया गया वीडियो 2018 की पाकिस्तानी फिल्म ‘लोड वेडिंग’ का हिस्सा है। इस वीडियो को 2 अगस्त, 2018 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था। इस वीडियो में कैमरे और प्रोडक्शन टीम को भी देखा जा सकता है।

16. पूर्व क्रिकेटर इंज़माम-उल-हक़ को ‘मुल्ला’ कहा

16 जून 2019 को भारत ने आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेला था। मैच से एक दिन पहले, फ़तह ने ट्वीट किया और कहा कि पाकिस्तानी कप्तान “भारत के खिलाफ कल के मैच के लिए पिच को आशीर्वाद देने के लिए एक मुल्ला को लेकर आये हैं।” उनके ट्वीट को 10,000 से अधिक बार लाइक किया गया और 3,000 से अधिक बार रीट्वीट किया गया।

तस्वीर में दिख रहे शख्स असल में पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेट कप्तान इंज़माम-उल-हक़ थे। कई लोगों द्वारा निंदा किए जाने के बावजूद, फ़तह ने न तो अपना ट्वीट हटाया और न कोई स्पष्टीकरण दिया। इसके बजाय उन्होंने इस तस्वीर को एक मीम बना दिया

17. सोमालिया के एक युद्ध प्रशिक्षण शिविर में अमेरिकी कांग्रेस सदस्य के होने का झूठा दावा

कॉलमनिस्ट हरबीर सिंह ने एक ट्वीट किया जिसमें एक ऑटोमेटिक हथियार पकड़े हुए एक पगड़ीधारी महिला की तस्वीर थी। मूल ट्वीट में दावा किया गया कि इस तस्वीर में सोमालिया के अल-कायदा प्रशिक्षण शिविर में अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य इल्हान उमर हैं। फ़तह ने इसे रीट्वीट किया था।

इस तस्वीर में उमर नहीं हैं। ये तस्वीर मोगादिशु के हालानी स्थित एक सैन्य प्रशिक्षण परिसर की है. इसमें दिख रही महिला सोमाली सेना की है। यह तस्वीर एसोसिएटेड प्रेस के आर्काइव्स में उपलब्ध है, जिसके अनुसार इसे 25 फरवरी, 1978 को खींचा गया था। 1982 में जन्मीं उमर तब पैदा भी नहीं हुई थीं।

18. कुवैत के विरोध-प्रदर्शन का वीडियो सऊदी अरब में घातक विस्फोट बताकर ट्वीट किया

तारिक फ़तह ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि इसमें जेद्दा, सऊदी अरब के हलाल नाइट क्लब में हुए विस्फोटों को दर्शाया गया है। उनके ट्वीट में लिखा है, कल रात जेद्दा सऊदी अरब में हलाल डिस्को में विस्फोट। कई मौतों और कई चोटों की आशंका। मीडिया कवरेज पर पूर्ण प्रतिबंध। (तारिक़ फ़तह का अर्काइव ट्वीट)

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो एक अरबी मीडिया संगठन Alziadiq8 द्वारा 6 जुलाई, 2014 को अपलोड किया गया था। इसे कुवैत में विरोध-प्रदर्शन का वीडियो बताया गया था। अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 6 जुलाई को 2,000 से अधिक लोगों ने शाम की नमाज़ के बाद कुवैत सिटी की ग्रैंड मस्जिद से पुराने बाज़ार तक मार्च किया और विपक्षी नेता, मुसल्लम अल-बराक की गिरफ्तारी का विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्ट न्यायाधीशों को निष्कासित करने की भी मांग की। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और बेहोशी के गोलों का इस्तेमाल किया।

19. चाइनीज़ डांस का वीडियो एडिट कर हिंदू भक्ति गीत पर डांस बताया

तारिक फ़तह ने डांस का एक वीडियो इन शब्दों के साथ ट्वीट किया – द मैजिक दैट इज़ हिंदुस्तान (वो जादू जिसका नाम भारत है) वीडियो देखेंगे तो बैकग्राउंड में हिन्दू देवता राम के मंत्रों के साथ एक भक्ति गीत सुना जा सकता है।

फ़तह का यह ट्वीट भ्रामक था, क्योंकि ये डांस स्टाइल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ़ेमस कोरियोग्राफ़र और चीन की राष्ट्रीय सेना (PLA) में अधिकारी, झांग जिआंग द्वारा विकसित की गई है। दिलचस्प बात है कि ये डांस ऐसे कलाकारों द्वारा किया जाता है जिनकी सुनने की क्षमता कम होती है या नहीं होती है।

तारिक फ़तह इस्लाम के मुखर आलोचक हैं और अक्सर मुस्लिम समुदाय के प्रति नफ़रत प्रकट करते रहते हैं। जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया है, वह दुनिया भर के मुसलमानों, खासकर भारतीय मुसलमानों को बदनाम करने के लिए घटनाओं को लगातार ग़लत तरीके से पेश करते रहे हैं। वह अपनी बात मनवाने के लिए बार-बार ऐसी ग़लत सूचनाओं का समर्थन करते हैं, जिनकी तबीयत सांप्रदायिक होती है। इसके अलावा, फ़ैक्ट-चेक रिपोर्टों में फ़तह के ट्वीट्स को गलत या भ्रामक बताने पर भी कोई सफ़ाई नहीं देने या उन्हें डिलीट नहीं करने से पता चलता है कि सच्चाई के प्रति उनके मन में कोई सम्मान नहीं है। यहां ये बताना भी ज़रूरी है कि तारिक़ फ़तह के लगातार ग़लत सूचनाओं को अपना हथियार बनाने के पीछे ट्विटर की विफ़लता का भी हाथ है। ट्विटर फ़िलहाल अपने प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसी बातों को कंट्रोल नहीं कर पा रहा है जो दुनिया की तमाम लोकतांत्रिक इकाइयों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.