बच्चा-चोर गिरोहों के बारे में शृंखलाबद्ध खतरनाक अफवाहें अगस्त 2019 में पहले स्थान पर रही, जिनके परिणामस्वरूप विभिन्न राज्यों में हिंसक घटनाएं होती रही। इस बार, इन अफवाहों की वजह से मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों और ट्रांसजेंडरों पर खासकर निशाना साधा गया है। इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को अप्रभावी करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद भी सोशल मीडिया में भ्रामक सूचनाएं प्रसारित हुई है। ये गलत सूचनाएं सभी राजनीतिक और वैचारिक पक्षों द्वारा बनाई और आगे प्रसारित की गईं है।

बच्चा चोरी की झूठी अफवाहें

बच्चा चोर गिरोहों के सक्रिय होने की अफवाहें न केवल जुलाई से जारी रहीं बल्कि अब इसने एक भयावह मोड़ ले लिया है और अब इन अफवाहों के माध्यम से मानसिक रूप से बीमार लोगों और ट्रांसजेंडरों को विशेष रूप से लक्षित किया जा रहा है।

1. मानसिक रूप से बीमार महिला को भीड़ ने गलती से बच्चा चोर समझ कर पकड़ लिया

भीड़ द्वारा बंधक बनाई गई एक महिला जिस पर बच्चा चोर होने का आरोप लगा कर इस घटना के दो वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए थे। पहले वीडियो में, काले रंग की साड़ी पहनी हुई एक महिला से उसके ‘बच्चाचोर’ गैंंग के बारे में भीड़ पूछताछ कर रही है। इसे इस संदेश के साथ साझा किया गया,“पूरे हिन्दुस्तान में रोहिंग्या मुस्लिम की 2000 लोगो की टीम बच्चों को चोरी करने के लिए कार्यरत है। वे या तो इन बच्चों को बेच देते हैं या उनकी बलि चढ़ा देते हैं। खुद देखो और सुनो और ज्यादा से ज्यादा इसे फैलाओ”– (अनुवादित)। इसी महिला का एक अन्य वीडियो, जिसमें उससे भीड़ अगवा किये गए बच्चों और उनके ठिकानों के बारे में पूछ रही है, सोशल मीडिया में साझा किया गया है।

सावधान पूरे हिन्दुस्तान में रोहिंग्या की 2000 लोगो की टीम आयी है जो बच्चों को उठा के ले जा रही है कोई बेचता है कोई बलि के लिये ले जाता है खुद देखो सुनो ओर ज्यादा से ज्यादा इसे फैलाओ

Posted by Sunita Jairam on Monday, 19 August 2019

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि इस महिला को यूपी में झांसी जिले के डिमरौनी गांव में एक भीड़ ने पकड़ लिया था। एक यूट्यूब चैनल भारत न्यूज़ 24 लाइव ने दावा किया था कि यह महिला एक बच्चा-चोर थी। ऑल्ट न्यूज़ ने इस घटना की पुष्टि करने के लिए बडगांव पुलिस स्टेशन से संपर्क किया। हमें बताया गया कि यह घटना कम से कम 15-20 दिन पुरानी है और यह महिला मानसिक रूप से बीमार थी। गांव के लोगों ने उसे गलती से बच्चा चोर समझ लिया था।

2. मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को बच्चा चोरी के संदेह में पीटा गया

महिलाओं के कपड़े पहने एक युवक का वीडियो इस दावे के साथ सोशल मीडिया में व्यापक रूप से वायरल हुआ कि वह एक बच्चा चोर है। एक व्यक्तिगत फेसबुक अकाउंट फौजी सिहँ जी से इस वीडियो को 26 लाख बार देखा गया। यह पोस्ट इस दावे के साथ साझा की गई कि पूरे हिन्दुस्तान में रोहिंग्याओं की 2000 लोगो की टीम बच्चों को अगवा करने के लिए आयी है। इस संदेश में दावा किया गया कि वे या तो इन बच्चों के बेच देते हैं या उनकी बलि चढ़ा देते हैं।

ऑल्ट न्यूज़ ने उत्तर प्रदेश में झांसी जिले के मऊरानीपुर पुलिस स्टेशन से संपर्क किया तो हमें बताया गया कि वह आदमी बच्चा चोर नहीं था। वह मानसिक रूप से बीमार युवक था जिसे बच्चा चोर होने के संदेह में पीटा गया था। “यह घटना कम से कम 10-15 दिन पुरानी है। इस युवक का नाम पुष्पेंन्द्र सिंह है, वह गजेंद्र सिंह बेटा है। वह मध्यप्रदेश के गुना में रूठियाई गांव का है और ग्वालियर में अपनी मानसिक बीमारी का इलाज करवा रहा था। वह एक स्टेशन पर अपना रास्ता भूल गया और भटकते हुए मऊरानीपुर के खिलारा ग्राम में पहुंच गया, जहां स्थानीय लोगों ने उसे बच्चा चोर समझ कर उसकी पिटाई कर दी”-अनुवादित।

3. बच्चा चोरी की झूठी अफवाहों को भड़काने के लिए एक विचलित रक्तमय वीडियो साझा

वीडियो के एक समूह को सोशल मीडिया में इस संदेश के साथ साझा किया गया कि ये बच्चा चोरी की घटना को दर्शाते हैं जो पैसों के लिए बच्चों की किडनी बेच देते हैं। वीडियो को साझा करने के लिए इस्तेमाल किए गए संदेश में दावा किया गया – “ये वीडियो मध्य प्रदेश के जिला मुरैना से प्रसारित किए गए। वे बच्चों के किडनी और दिल निकाल रहे थे।” ऊपर-बाएँ से चारों वीडियो के दृश्य विवरण इस प्रकार हैं:

1. एक जीवित आदमी के शरीर को चीर कर दिल निकालते का रक्तमय वीडियो।

2. गुस्साए हुए लोगों के एक समूह द्वारा बंदी बनाए गए एक लड़के से उसके घर के बारे में लगातार पूछताछ करते हुए
उसकी पिटाई करने का एक और वीडियो।

3. कटे हुए कई शरीरों के आस पास घूम रहे लोगों का एक खून से लथपथ वीडियो।

4. समाचार चैनल IBC24 News द्वारा प्रसारित एक समाचार जिसमें एक साधु की गिरफ्तारी की खबर है जो बच्चों का
अपहरण करने का प्रयास कर रहा था।

ऑल्ट न्यूज़ इस बात की पुष्टि कर पाया कि साझा किये गए चारों वीडियो में से तीन बच्चा चोरी की घटनाओं से असंबधित है। हम सभी वीडियो के स्त्रोत और सही घटनाक्रम का पता लगा पाए। ऑल्ट न्यूज़ की विस्तृत तथ्य जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।

4. बच्चों के अपहरण और अंग व्यापार के झूठे दावे के साथ साझा की गईं असंबधित तस्वीरें

पांच बच्चों के निर्जीव शरीर को दिखाने वाली एक तस्वीर सोशल मीडिया में दो अलग-अलग दावों के साथ साझा की गईं। पहले दावे में कहा गया कि यह तस्वीर राजस्थान पुलिस द्वारा जारी की गई थी और लोगों को राजस्थान में सक्रिय बच्चा चोर गिरोह के बारे में चेतावनी दी गई थी। यह संदेश लोगों को अपने बच्चों की देखभाल के लिए सचेत करता है। एक दूसरा दावा जिसे एक फेसबुक उपयोगकर्ता द्वारा पोस्ट किया गया था। उसने मृत बच्चों की तस्वीर, चार अन्य तस्वीरों के साथ साझा की थी। उसने दावा किया कि ये लोग बच्चों को अगवा कर उनकी किडनी बेच रहे हैं।

गूगल पर एक साधारण रिवर्स-इमेज सर्च से पता चला कि प्रसारित सभी पांच तस्वीरों को झूठे दावे के साथ साझा किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ की विस्तृत तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।

नीचे पोस्ट किया गया वीडियो ऑल्ट न्यूज़ के संकलन का है जिसमें बच्चा चोरी की ऐसी ही 15 अफवाहें शामिल की गई हैं।

जम्मू-कश्मीर को लेकर साझा की गई भ्रामक सूचनाएं

केंद्र सरकार द्वारा राज्य के विशेष दर्जे को अप्रभावी करने के तुरंत बाद, जम्मू-कश्मीर को लेकर भ्रामक सूचनाएं अगस्त के महीने में व्यापक रूप से प्रसारित की गईं। ये भ्रामक सूचनाएं और कई उदाहरणों में विघटनकारी सूचनाएं, कश्मीर के सभी पक्षों के बारे में है। विशेष दर्जे को अप्रभावी करने का विरोध करने वालों ने कश्मीर में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और नागरिक अशांति को दर्शाते हुए गलत खबरें फैलाई। ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि पाकिस्तानी सोशल मीडिया तंत्र इस मामले में विशेष रूप से सक्रिय रहा। दूसरी तरफ वे लोग रहे, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति को दिखाने के लिए गलत सूचनाओं का उपयोग किया।

1. BBC, Al Jazeera, रॉयटर्स द्वारा श्रीनगर में अशांति की खबरें खुद बनाने का झूठा दावा

10 अगस्त को BBC न्यूज ने खबर प्रकाशित की थी कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के सरकार के फैसले के खिलाफ श्रीनगर के सौरा में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे है। मीडिया संगठन ने दावा किया कि “भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को गोली चलाते और आंसू गैस का उपयोग करते हुए देखा गया। इसके बावजूद, भारत सरकार ने कहा है कि यह विरोध-प्रदर्शन कभी हुआ ही नहीं है।” अल जज़ीरा और रॉयटर्स ने भी अपनी रिपोर्टों में इसी बात की पुष्टि की थी।

ऑल्ट न्यूज़ की विस्तृत तथ्य-जाँच ने BBC और अल जज़ीरा द्वारा प्रस्तुत वीडियो फुटेज के समय और स्थान को सत्यापित किया और निष्कर्ष रूप में स्थापित किया कि विरोध के दृश्य सौरा, श्रीनगर के थे। यह स्पष्ट किया गया कि यह विरोध अनुच्छेद 370 के प्रमुख प्रावधानों को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले से संबंधित था।

2. पाकिस्तानी मंत्री ने बुरहान वानी के अंतिम संस्कार का वीडियो, कश्मीरियों के विरोध के रूप में साझा किया

जम्मू-कश्मीर की स्थिति में किये गए बदलाव के कई दिनों के बाद, 9 अगस्त को पाकिस्तान के समुद्री मामलों के मंत्री अली हैदर ज़ैदी ने लोगों के इक्क्ठा होने का एक वीडियो इस दावे के साथ ट्वीट किया कि ये कश्मीरी लोग जम्मू-कश्मीर में हालिया घटनाक्रम के बाद भारत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। ज़ैदी द्वारा पोस्ट किए गए संदेश में लिखा है- “भारत अधिकृत कश्मीर में @नरेंद्रमोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते लाखों #कश्मीरी”

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ज़ैदी द्वारा पोस्ट किया गया वीडियो आतंकवादी बुरहान वानी के अंतिम संस्कार का था, जिन्हें 2016 में कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों द्वारा मार गिराया गया था। इसके विरोध के दृश्यों में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे, का इस्तेमाल भारत सरकार के खिलाफ कश्मीरियों के होने के दावे से किया गया था। एक अन्य उदाहरण में, ज़ैदी ने गलत तरीके से कश्मीर में अत्याचार को दर्शाने के लिए एक संपादित क्लिप को साझा किया था।

3. अनुच्छेद 370 फैसले के बाद अर्नब गोस्वामी ने नहीं कहा “हज़ारों को मारों”, पुरानी क्लिप साझा

रिपब्लिक टीवी के प्रबंध निदेशक अर्नब गोस्वामी का एक वीडियो सोशल मीडिया में सामने आया था, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि — “अब शुरू होगा ऑपरेशन उन्मूलन। हमें इन सभी लोगों को खत्म करना होगा। ये गद्दार, नारे लगाने वाले ब्रिगेड, आपको लगता है कि हमने आपको मौका नहीं दिया? अब हमें एक कड़े सैन्य विकल्प की आवश्यकता है। और मैं गर्व के साथ एक भारतीय के रूप में कह रहा हूं, मैं इसके नुकसान के लिए तैयार हूं। हजारों को मार डालो”-अनुवाद। इस वीडियो को फेसबुक और ट्विटर पर व्यापक रूप से साझा किया गया, और कुछ पत्रकारों द्वारा इसे संदेश के साथ भी ट्वीट किया गया।

हमें अपनी जांच में पता चला कि यह वीडियो क्लिप मार्च 2019 में आयोजित रिपब्लिक टीवी पर एक कार्यक्रम की थी और हाल ही में अनुच्छेद 370 के प्रमुख प्रावधानों को केंद्र सरकार द्वारा अप्रभावी करने के फैसले के बाद प्रसारित नहीं की गई थी।

4. देशभक्ति गीत गाते हुए कश्मीरी बच्चों के रूप में भाजपा की पुरानी रैली का वीडियो साझा

एक ट्विटर उपयोगकर्ता, जिन्हें रेल मंत्री पीयूष गोयल का कार्यालय भी फॉलो करता है, ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें कई मुस्लिम बच्चे ‘हिंदुस्तान हमारा है’ गीत गा रहे हैं। उन्होंने यह वीडियो इस दावे से ट्वीट किया कि कश्मीरी 370 को अप्रभावी किए जाने की खुशी मना रहे हैं। उनके ट्वीट में लिखा है, “#कश्मीर वेलकम्स चेंज कश्मीर में बच्चे ‘हिंदुस्तान हमारा है’ गा रहे हैं, जबकि धर्मनिरपेक्ष लोग धारा 370 के उन्मूलन पर विरोध कर रहे हैं, एक औसत कश्मीरी पराक्रमी भारत के साथ एकीकरण का जश्न मना रहा है! #ThursdayThoughts #ThursdayMotivation।”-अनुवाद।

ऑल्ट न्यूज़ ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि स्वामी द्वारा साझा किए गए वीडियो में एक लोगो ‘वॉयस ऑफ जे एंड के’ दिखाई दे रहा है। हमें उसी नाम से एक फेसबुक पेज मिला, जिसमें 15 अप्रैल, 2019 को प्रसारित क्लिप साझा की गई थी। चूंकि वीडियो लगभग पांच महीने पुराना है, इसलिए यह उस घटना का प्रतिनिधित्व नहीं हो सकता जो अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के सरकार के फैसले के बाद हुई थी।

5. इमरान खान की पार्टी ने कश्मीर में हाल की अशांति दिखलाने के लिए पुराने वीडियो साझा किए

“कर्फ्यू और मीडिया ब्लैकआउट में क्रांतियां नहीं हो सकतीं जो मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन के परिणामस्वरूप उभरती हैं। भारतीय सरकार अब भी कश्मीर को अलग-थलग करने का काम जारी रखे है। निहत्थे पुरुषों, महिलाओं, बच्चों पर भारतीय सेना द्वारा हमले किए जा रहे। अमानवीय!”

इन शब्दों के साथ, 24 अगस्त, 2019 को पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की अध्यक्षता वाली राजनीतिक पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें दावा किया गया कि यह भारतीय सेना द्वारा कश्मीरियों के कथित क्रूर दमन का प्रतिनिधित्व करता है।

 

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ द्वारा ट्वीट किया गया और कश्मीर घाटी में हाल ही में हुई कार्रवाई का होने का दावा करने वाला वीडियो, वास्तव में दो पुराने वीडियो को जोड़ा गया है। इनमें से एक वीडियो 2018 का है, जबकि दूसरा वीडियो 2017 का है। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच को यहाँ पढ़ा जा सकता है।

6. भारतीय/पाक सेनाधिकारियों के नाम से चलाए जा रहे कई फर्जी अकाउंट, फैला रहे फर्जी खबरें

19 अगस्त को रिपब्लिक टीवी के कंसल्टिंग एडिटर मेजर गौरव आर्य (सेवानिवृत्त) ने एक यूजर, जो पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान गुलमिर्ज़ा (@AdnanGMpk) होने का दावा करने वाला एक अकाउंट, उनका ट्वीट को उद्धृत करते हुए ट्वीट किया। आर्य के ट्वीट में कहा गया, “पाकिस्तान में, जो कोई भी सुन्नी पंजाबी नहीं है, वह वाजिब-उल-क़त्ल है। इस लेफ्टिनेंट कर्नल की कहानी आश्चर्यजनक नहीं है। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, किसी अहमदी को पूजा स्थल को मस्जिद कहने पर जेल हो सकती है। पाकिस्तान में अहमदियों से जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता है।”

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान गुलमिर्ज़ा होने का दावा करने वाला अकाउंट फर्जी है। यह अकाउंट हाल ही अगस्त 2019 में, बनाया गया और प्रोफाइल पिक्चर का आदमी लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान नहीं है। वास्तव में, लेफ्टिनेंट कर्नल अदनान गुलमीर्ज़ा कोई है ही नहीं। ऑल्ट न्यूज़ को भारतीय और पाकिस्तानी सेना के जनरलों के ट्विटर पर बनाए गए ऐसे अन्य नकली अकाउंट मिले है जो सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को गुमराह करने के प्रयास में बनाए गए हैं।

7. श्रीनगर में लक्जरी होटल की तस्वीरें कश्मीरी राजनेताओं के स्वामित्व वाले बंगले के रूप में साझा

“इनके बंगलों पर एक नजर डालें…
*श्री गुलाम नबी आज़ाद*
*श्री उमर अब्दुल्ला*
*श्री फारूक अब्दुल्ला*
*सुश्री महबूबा मुफ्ती*
श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में मकान…
ये सरकारी मकान हैं और सरकार द्वारा ही देखभाल किए जाते हैं सार्वजनिक धन की कीमत पर…
आपको जल्द ही पता चलेगा कि ऐसे लोग आर्टिकल 370 और 35A को हटाने का क्यों विरोध कर रहे हैं…”
– (अनुवाद)

धारा 370 के प्रमुख प्रावधानों को हटाने से इस राज्य से संबंधित गलत सूचनाओं की लहर सी आ गयी। उपरोक्त संदेश में, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के कथित रूप से स्वामित्व वाली अनोखी व भव्य दिखने वाली आवासीय संपत्तियों को दिखाने वाली तस्वीरों के साथ, उनपर निशाना साधा गया।

ऑल्ट न्यूज़ ने इन तस्वीरों को रिवर्स-सर्च किया, तो पाया कि वे शीर्ष कश्मीरी राजनेताओं के बंगले नहीं हैं, जैसा कि दावा किया गया था, बल्कि ये श्रीनगर के मध्य में स्थित एक लक्जरी होटल है। द ललित ग्रांड पैलेस, श्रीनगर की तस्वीरें झूठे दावे के साथ प्रसारित की गई है।

साम्प्रदायिक अफवाहें

1. भारत-बांग्लादेश भाईचारे को बढ़ावा देने वाला स्कूल के नाटक का वीडियो नफरत-भरे संदेश के साथ साझा

ट्विटर यूजर @pokershash ने भारत और बांग्लादेश के झंडे पकड़े बच्चों की एक तस्वीर पोस्ट की। उन्होंने इन तस्वीरों को इस संदेश के साथ साझा किया, “पश्चिम बंगाल में रामपुरहाट बालिका उच्च विद्यालय ने बांग्लादेशी ध्वज के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया”-अनुवाद। उन्होंने यह भी दावा किया कि टीएमसी विधायक आशीष बनर्जी स्कूल के समारोह में मौजूद थे। एक वीडियो को पत्रकार अभिजीत मजुमदार ने द्वारा कोट ट्वीट किया गया।

ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की तथ्य-जाँच की तो पाया कि वीडियो को गलत तरीके से क्लिप किया गया था। यह भारत-बांग्लादेश एकता को बढ़ावा देने वाले एक नाटक के वीडियो का हिस्सा था।

2. पाकिस्तान का वीडियो, ‘लव जिहाद’ में फंसाकर महिला को प्रताड़ित करने के दावे से वायरल

एक वीडियो, जिसमें एक महिला घरेलू हिंसा के बारे में हिंसक विवरण सुना रही है, “लव जिहाद” का मामला बताकर सोशल मीडिया में साझा किया गया। वीडियो के साथ साझा संदेश में बताया गया कि यह महिला टिक टॉक पर मुस्लिम व्यक्तिओं को फॉलो करती थी और इस एप्प पर इसे सात लोगों ने फंसा लिया था।

 

एक और मोहतरमा लव जिहाद में गई। और इनको मारा पीटा गया पेसाब पिलाई गई। ये सेक्युलर थी। और बोलती थी ये बहुत अछे होते है।tik tok पर सभी मुस्लिमों को करती थी fallow वही से इन्हें फँसाया गया। 7 लड़कों ने…….

Posted by Harishchand Chauhan on Sunday, 18 August 2019

ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच में पता चला कि यह वीडियो पहली बार पाकिस्तानी पत्रकार इक़ार उल हसन ने 13 अगस्त को पोस्ट किया था। उनके ट्वीट के अनुसार, यह पाकिस्तानी-इटालियन महिला है। यह घटना पाकिस्तान के कराची में हुई थी।

3. हथियारों की जब्ती के बाद संघ सरकार द्वारा कश्मीर की मस्जिदों पर कब्जा करने का झूठा दावा

“केंद्रीय सरकार ने कश्मीर में सभी मस्जिदों को कब्जे में ले लिया है और आप खुद देखें, मस्जिद को कब्जे में क्यों लिया गया है।”

उपरोक्त संदेश तस्वीरों के एक समूह के साथ सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर प्रसारित किया गया। दावे के मुताबिक कश्मीर में मस्जिदों से हथियारों का एक बड़ा जत्था बरामद किया गया था। यह ध्यान देने योग्य है कि केंद्र सरकार के 5 अगस्त के कश्मीर विशेष राज्य के फैसले के बाद यह दावा वायरल हुआ था।

ऑल्ट न्यूज़ ने न केवल किये गए दावे को झूठा पाया, बल्कि इसके साथ साझा की गई तस्वीरें या तो पुरानी, या असंबंधित पाई गईं। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ीजा सकती है।

मीडिया की गलत खबरें

1. ANI, इंडिया TV ने जम्मू की तस्वीरों को श्रीनगर में ईद के जश्न के रूप में प्रसारित किया

12 अगस्त, 2019 को, समाचार एजेंसी ANI ने कुछ तस्वीरें यह बताते हुए ट्वीट किया कि ये श्रीनगर में खींची गई थीं, जहां “लोगों ने #EidAlAdha के मौके पर शहर के विभिन्न हिस्सों में मोहल्ला मस्जिदों में सुबह की नमाज अदा की”-(अनुवाद)। समान तस्वीरों के समूह को इंडिया टीवी ने भी प्रकाशित किया जिसमें बताया गया कि ये तस्वीरें कश्मीर के श्रीनगर की हैं।

AFP के साथ काम करने वाले एक पत्रकार के ट्वीट ने ऑल्ट न्यूज़ को सचेत किया, जिसमें बताया गया था कि तस्वीरों में दिखलाई गई मस्जिद श्रीनगर में नहीं, बल्कि वास्तव में जम्मू की है। आगे की जांच और तस्वीरों की व्यापक तुलना के बाद हमने यह पाया कि तस्वीरों में दिखाई गई मस्जिद जम्मू की मक्का मस्जिद है।

2. टाइम्स नाउ ने फ़ैक्ट-चेक में पैरोडी हैंडल को “पाकिस्तानी दुष्प्रचार” बताया

अपने #IndiaRejectPropaganda अभियान के एक हिस्से के रूप में, टाइम्स नाउ ने हाल ही में घोषणा की कि वह “सच-झूठ को अलग करने के लिए व्यापक तथ्य जाँच” करेगा। ऐसी एक तथ्य-जांच में एक हैंडल @thezaiduleaks के ट्वीट का विश्लेषण किया, जिसमें लोकप्रिय टीवी शो ‘गेम ऑफ थ्रोन्स‘ के एक दृश्य की तस्वीर को संदेश के साथ पोस्ट किया गया था,“कश्मीरी लड़की जो पैलेट गन से की मार के बाद अंधी हो गई थी, उसके भाइयों, पिता और माँ को निर्दयता से मार डाला गया, उसकी बहन का भारतीय सेना द्वारा बलात्कार किया गया जो अब श्रीनगर की सड़क पर भीख मांग रही है। मानवता कहाँ है?”

स्क्रीन पर “पाक का झूठ फेंकना पकड़ा गया” और “पाक के आईएसआई का दुष्प्रचार उजागर” फ्लैश होने के साथ टाइम्स नाउ के एंकर ने उस ट्विटर हैंडल को संबोधित करते हुए, जिसने ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ की तस्वीर ट्वीट की थी, कहा कि “पाकिस्तान झूठ बोल रहा है”। वास्तव में यह एक दक्षिणपंथी पोर्टल rightlog.in से जुड़े एक भारतीय द्वारा प्रचारित पैरोडी ट्विटर हैंडल था, जिसे टाइम्स नाउ द्वारा पाकिस्तानियों और आईएसआई द्वारा चलाए जाने का दावा किया गया। सिर्फ टाइम्स नाउ ही नहीं, बल्कि इंडिया टीवी ने भी घोषणा की कि एक पाकिस्तानी हैंडल, गेम ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ से लोगों की तस्वीरें बना रहा है, जो कश्मीर की तस्वीरों के रूप में वायरल हैं ।

3. पाक मीडिया ने 2010 के दंतेवाड़ा माओवादी हमले का वीडियो, हाल में कश्मीर की घटना बताकर प्रसारित किया

पाकिस्तानी न्यूज चैनल 92 न्यूज एचडी का प्रसारण इस दावे के साथ वायरल हुआ कि आरएसएस, बजरंग दल, वीएचपी और शिव सेना के गुंडे, भारतीय सेना के वेश में, कश्मीरी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए जम्मू-कश्मीर गए हैं। तीन लाख ऐसे “हिंदू कट्टरपंथी” पीएम मोदी द्वारा भेजे गए थे, यह दावा भी संदेश में शामिल किया गया कि इसमें से मारे गए 170 लोगों के शव पाए गए।

 

फौजी वर्दी मे बजरंग दल और आर ऐस ऐस के भघवा गुन्‍डे जो कशमीर की बेटियो की ईज्‍जत लुटने गये थे आज मारे गये 170 भघवा गुन्‍डो की लासे मीली है । 3 लाख भघवा गुण्डो को नरेन्द्र मोदी ने कशमीर भेजा है जिसमे शिव सेना । बजरंग दल । आर ऐस ऐस । वी ऐच पी । के गुण्डे शामील है

Posted by Farhan Owaisi on Sunday, 25 August 2019

ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच में पता चला कि यह वीडियो 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए माओवादी हमले में CRPF कर्मियों की हत्या से संबंधित था। घात लगाकर हुए उस हमले में CRPF के 76 जवान हमले में मारे गए थे।

विविध

1. केरल के पेट्रोल पंपों द्वारा बाढ़ राहत कार्यों के लिए सेना को पेट्रोल देने से मना करने का गलत दावा

मीडिया संगठन वन इंडिया मलयालम ने 11 अगस्त को एक कथा प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि केरल में वायनाड के सुल्तान बाथरी में तीन पेट्रोल पंपों को सेना द्वारा कब्जे में ले लिया गया, क्योंकि उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों के लिए पेट्रोल और डीजल देने से मना कर दिया था।

मलयालम मीडिया के संगठन Thejas News ने एक दिन पहले यह खबर दी थी। इसके बाद, इसने सोशल मीडिया की राह पकड़ ली, जहां कई उपयोगकर्ताओं ने आरोप लगाया कि केरल में सेना को पेट्रोल नहीं दिया गया।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह कुछ स्थानीय मीडिया संगठनों द्वारा प्रसारित किया गया फ़र्ज़ी समाचार था, जिसे बाद में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने भी व्यापक रूप से साझा किया।

2. बिल गेट्स का फोटोशॉप ट्वीट ईद पर जानवरों के बलिदान के समर्थन में साझा

“मैं जानवरों के कत्ल के लिए मुसलमानों के प्रति घृणा फैलाने वाले किसी ट्वीट को नहीं देखना चाहता, केएफसी, मैकडॉनल्ड्स, बर्गर किंग आदि भी अमीर लोगों को खिलाने के लिए प्रतिदिन लगभग 10 लाख जानवरों की हत्या करते हैं और इससे बेशुमार पैसा कमाते हैं। ईद के दौरान मुसलमान गरीबों को मुफ्त में खिलाने के लिए उनका बलिदान करते हैं और आप इसको भी गलत ठहराते हैं -अनुवाद।” –यह संदेश अरबपति और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के एक कथित ट्वीट के स्क्रीनशॉट में लिखा हुआ है। ट्विटर उपयोगकर्ता एनवार बेग ने यह स्क्रीनशॉट, गेट्स की ट्वीट की प्रशंसा करते हुए एक संदेश के साथ पोस्ट किया है।

बिल गेट्स के ट्विटर टाइमलाइन पर एक कीवर्ड सर्च से हमने पाया कि उन्होंने कभी ईद या पशु हत्या से संबंधित कोई ट्वीट नहीं किया है। इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि 10 अगस्त, 2019 को इस संदेश को पोस्ट करने वाला सबसे पहला ट्विटर हैंडल @WolfieBabiee था। इस ट्वीट को अब तक 48,000 से अधिक बार रीट्वीट किया जा चुका है। यही संदेश गलत तरीके से बिल गेट्स का बताकर प्रसारित किया गया।

3. ‘द न्यू यॉर्क टाइम्स’ को कांग्रेस का आलोचक दिखाने के लिए पुराने कार्टून को फोटोशॉप किया गया

राहुल गांधी का एक कार्टून सोशल मीडिया में इस दावे से साझा किया गया कि यह द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक कवर पेज पर प्रकाशित हुआ था। इसके साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है, “ये कार्टून न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिका की प्रतिष्ठित मैगजीन में कवरपेज पर छपा है। इसी से पता चलता है कि विदेशी मिडिया भी कांग्रेस के बारे में कैसी सोच रखता है।” उस कार्टून में कांग्रेस को आतंक का हमदर्द दिखाने की कोशिश की गई है। यह फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर वायरल हुआ था।

ऐसा कोई कार्टून द न्यू यॉर्क टाइम्स ने प्रकाशित नहीं किया था। वायरल कार्टून फोटोशॉप किया हुआ है, जिसे LA Times ने 2012 में एक लेख में प्रकाशित किया था– “बड़े व्यवसायों का स्तनपान करती रिपब्लिकन पार्टी।” इस कार्टून का एक अलग फोटोशॉप संस्करण पहले भी वायरल हुआ था, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया गया था।

4. पीएम मोदी द्वारा नागरिकों से इस दीवाली केवल भारतीय उत्पाद खरीदनेका अनुरोध करने का गलत दावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखित होने का दावाकिया गया एक पत्र अगस्त में सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ था। ‘पत्र’ में भारत के नागरिकों से इस दीपावली पर केवल भारत निर्मित उत्पादों को खरीदने की अपील की गई है, और इसमें प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर भी मौजूद हैं।

इस तस्वीर को यांडेक्स पर सर्च करने से, ऑल्ट न्यूज़ को प्रधानमंत्री कार्यालय के आधिकारिक हैंडल द्वारा 2016 का एक ट्वीट मिला। पीएम के ‘हस्ताक्षर’ के साथ फ़ेल रहा यह एक पुराना नकली पत्र है। पीएमओ ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया में चल रहे ऐसे दस्तावेज प्रामाणिक नहीं हैं। यह पत्र इससे पहले अक्टूबर 2016 में एबीपी न्यूज़ द्वारा खारिज किया गया था।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.