चुनावों के समय आमतौर पर विघटनकारी सूचनाओं में वृद्धि हो जाती है। नवंबर का महीना, विकास के अतिरंजित दावों से लेकर ध्रुवीकरण की रणनीति तक के लिए, क्लिप किए हुए वीडियो और असंबद्ध तस्वीरों के उपयोग से सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का गवाह बना।

मतदान से पहले विघटनकारी सूचनाओं का ज़ोर

1. राजस्थान में भाजपा की जीत की भविष्यवाणी करता नकली बीबीसी जनमत सर्वेक्षण

एक ‘जनमत सर्वेक्षण’ सोशल मीडिया में वायरल हुआ जिसके अनुसार राजस्थान में भाजपा 135 सीटों पर जीतने वाली है और सत्ता में बनी रहेगी। कइयों ने इन संख्याओं के साथ ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन (BBC) का होम पेज, चैनल को कथित जनमत सर्वेक्षण का श्रेय देते हुए, शेयर किया है।

ये संख्याएं फर्जी हैं। बीबीसी द्वारा कोई जनमत सर्वेक्षण नहीं किया गया है। ऑल्ट न्यूज़ ने बीबीसी के एक प्रवक्ता से बात की जिन्होंने सूचित किया कि समाचार संगठन द्वारा ऐसा कोई भी जनमत सर्वेक्षण प्रकाशित नहीं हुआ है। इसके अलावा, बीबीसी भारत में चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण आयोजित नहीं करता।

2. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की मांस खाते हुए फोटोशॉप तस्वीर

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मांस खाते हुए एक तस्वीर को कई फेसबुक और ट्विटर यूजर्स द्वारा, इन शब्दों के साथ, व्यापक रूप से शेयर किया गया था– “शर्म करो शिवराज चौहान, मीट मुर्ग़ा खाते हो और जनता के सामने कट्टर हिन्दू होने का दिखावा करते हो. शिवराज की फ़ोटो लीक”

उपरोक्त तस्वीर फोटोशॉप की हुई है। मूल तस्वीर में, प्लेट में मांस नहीं है। ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर तस्वीर को रिवर्स सर्च किया तो पाया कि मूल तस्वीर द ट्रिब्यून द्वारा प्रकाशित की गई थी।

3. कांग्रेस रैली में अशोक गहलोत द्वारा पाकिस्तानी ध्वज लहराने का झूठा दावा

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। वीडियो में, गहलोत को हरे रंग का झंडा लहराते देखा जा सकता है। एक फेसबुक यूजर ने वीडियो को इस दावे के साथ पोस्ट किया कि गहलोत पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहे हैं। पोस्टकार्ड न्यूज के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े ने भी इस वीडियो को अपनी ट्विटर टाइमलाइन पर पोस्ट किया था।

वीडियो में दिखा हरा रंग का झंडा पाकिस्तान का झंडा नहीं है। यह एक बैनर है जो दुनिया भर के मुस्लिमों में लोकप्रिय है, और धार्मिक व सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, इसमें पाकिस्तानी ध्वज की तरह कोई समानता नहीं है।

4. कांग्रेस कार्यकर्ता से हाथापाई के पुराने वीडियो को राजस्थान में ‘भाजपा प्रत्याशी की पिटाई’ बताया

“राजस्थान बांदीकुई दौसा से बीजेपी प्रत्याशी रामकिशोर सैनी की जोरदार कुटाई”जो जनता परेशान होकर कुटाई करने पर उतर आई है जरा सोचिए वोटिंग वाले दिन क्या करने वाली है।” कथित रूप से भाजपा प्रत्याशी रामकिशोर सैनी की एक समूह द्वारा पिटाई का यह वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया और हजारों बार देखा गया।

इंडिया टुडे ने खबर दी थी कि वीडियो में पीटे गए व्यक्ति भाजपा उम्मीदवार रामकिशोर सैनी नहीं, बल्कि राजस्थान के दौसा जिले में बांदीकुई के कांग्रेस कार्यकर्ता रहे स्वर्गीय विश्वनाथ सैनी हैं। हाल ही में नवंबर 2018 में सैनी का निधन हो गया, और जहाँ तक वीडियो की बात है यह हाथापाई का है जो 2015 में हुई थी।

5. पूर्व भाजपा विधायक का पुराना वीडियो, नोटबंदी की प्रशंसा करते कांग्रेस विधायक के रूप में शेयर

नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए कथित रूप से एक कांग्रेस विधायक का वीडियो सोशल मीडिया में इस संदेश के साथ वायरल हो गया था– “कांग्रेसी विधायक राकेश मेघवाल मोदी जी की तारीफ कर रहा था तो उसका माइक छीनने लगे कांग्रेसी”। फेसबुक पर यह वीडियो कई समूहों में शेयर किया गया था।

ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की तथ्य जांच की। राकेश मेघवाल की एक गूगल खोज ने 2016 में हुई इस घटना के कई समाचार रिपोर्टों को दिखाया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, राकेश मेघवाल पूर्व भाजपा विधायक हैं जो नागौर जिले में बहुजन संघर्ष दल द्वारा आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। मीडिया से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि उन्हें सभा में एक समुदाय नेता के रूप में आमंत्रित किया गया था। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि नवंबर, 2016 में जब उन्होंने यह बयान दिया, वह बीजेपी से जुड़े थे।

राजनीतिक नेताओं द्वारा गलत सूचनाएं

1. संबित पात्रा ने जवाहरलाल नेहरू के नाम पर नकली बयान रखा

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कई टेलीविजन कार्यक्रम में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर एक बयान को संदर्भित किया। व्यापक रूप से माना जाता है कि नेहरू ने ऐसा कहा है, “मैं शिक्षा से अंग्रेज हूं, संस्कृति से मुस्लिम और जन्म से हिंदू”।

ऑल्ट न्यूज़ ने स्थापित किया है कि जवाहरलाल नेहरू नहीं, बल्कि हिंदू महासभा के एक नेता ने इन शब्दों को पहले संदर्भित किया था। हिंदू महासभा नेता और नेहरू के कट्टर आलोचक एनबी खरे ने दावा किया था कि नेहरू ने खुद अपनी आत्मकथा में यह वर्णित किया था। हालांकि, जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथा में इस कथन का कोई संदर्भ नहीं है।

2. अमित मालवीय ने मनमोहन सिंह के शरारती तरीके से क्लिप्ड वीडियो को ट्वीट किया

भाजपा सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने 27 नवम्बर को मनमोहन सिंह का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें मनमोहन सिंह को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ की सरकारें अच्छी थीं”। मनमोहन सिंह का वह क्लिप, जिसमें वह भाजपा राज्य सरकारों की सराहना करते लगते हैं, का यह कैप्शन था- “प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहुल गाँधी का खंडन किया, कहते हैं कि मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ की सरकारें ‘बहुत अच्छी’ थीं, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष द्वारा कुछ दिनों से कही जा रही बातों पर पानी फिर गया – (अनुवादित)।”

मालवीय ने 26 नवंबर को दिए गए पूर्व प्रधानमंत्री के भाषण का क्लिप किया हुआ वीडियो शेयर किया था। डॉ सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की नई पुस्तक ‘फैबल्स ऑफ फ्रैक्चर्ड टाइम्स’ के लोकार्पण समारोह में आयोजित एक चर्चा पैनल के सदस्य थे। पूर्व प्रधानमंत्री के हूबहू शब्द थे- ” मेरे संबंध मध्य प्रदेश सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार के साथ बहुत अच्छे थे। हमने बीजेपी शासित राज्यों के खिलाफ कभी भेदभाव नहीं किया – (अनुवादित)।”

3. रणदीप सुरजेवाला ने क्लिप वीडियो के आधार पर वसुंधरा राजे को लक्षित किया

हिंदी न्यूज़ चैनल आज तक के एक कार्यक्रम में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भाजपा कार्यकर्ताओं से लोगों का ध्यान भटकाने का आग्रह किया है ताकि वे सड़कों, पानी और बिजली जैसे मुद्दों के बारे में न पूछें।

सुरजेवाला द्वारा संदर्भित वीडियो, जिसके अनुसार राजस्थान की सीएम, मतदाताओं को भटकाने के लिए, अपने कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित कर रही हैं; एक बड़े वीडियो का क्लिप किया हुआ छोटा संस्करण है। वसुंधरा राजे ने वास्तव में ऐसा कहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के संदर्भ में। राजे ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा गैर-मुद्दों को उठाकर लोगों की आंखों में धूल झोंका है।

4. ‘आतंकवादियों के लिए जेल में बिरयानी’- इस गलत दावे से योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस को निशाना बनाया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के दोषी आतंकवादी पर बहुत नरम होने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार का मजाक उड़ाया। मकराना में एक चुनावी रैली में आदित्यनाथ ने कहा, “कांग्रेस हमेशा विभाजन की राजनीति करती है। यह बंटवारे और विभाजन की राजनीति का ही दुष्परिणाम है कि देश में आतंकवाद बढ़ा था। आज आप देख सकते हैं कि जिन आतंकवादियों को कांग्रेस बिरयानी खिलाती थी, आज हम उन्हें गोली खिला रहे हैं”।

लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम, जिन्होंने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के मामले में राज्य की तरफ से पैरवी की थी, उन्होंने मार्च 2015 में खुलासा किया था कि कसाब के पक्ष में बनाई गई भावनात्मक लहर का सामना करने के लिए अजमल कसाब को जेल में बिरयानी खिलाने की कहानी उन्होंने गढ़ी थी। मीडिया से बात करते हुए निकम ने कहा था, “न तो कसाब ने बिरयानी मांगी और न ही सरकार द्वारा यह पेश की गई। इस मामले की सुनवाई के दौरान कसाब के पक्ष में आकार ले रहे भावनात्मक माहौल को तोड़ने के लिए मैंने इसे गढ़ा।”

फोटोशॉप आधारित विकास

1. मक्का की चमकदार तस्वीर कुंभ मेले की तैयारी के रूप में प्रस्तुत

जनवरी 2019 में, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में कुंभ मेला आयोजित होगा। सोशल मीडिया में एक तस्वीर, इस दावे के साथ कि यह तैयारी की तस्वीर है जो अभी चल रही है, व्यापक रूप से शेयर की गई थी। नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ 16 नवंबर को इस तस्वीर को, इन शब्दों के साथ, पोस्ट करते हुए सबसे आगे था- “हां यह स्वर्ग है। इस प्रकार से उत्तर प्रदेश का प्रयागराज कुंभ मेला के लिए तैयार हो रहा है – (अनुवादित)।” बाद में इस पोस्ट को हटा दिया गया।

ऑल्ट न्यूज़ ने इस तस्वीर की रिवर्स सर्च की तो पाया कि यह सऊदी अरब की है। तस्वीर मक्का के पास मीना शहर में क्लिक की गई थी, जहां हज तीर्थयात्रियों के रहने की व्यवस्था है।

2. इंडोनेशिया की सड़क: पीएम मोदी का विकास कार्य दिखाकर पेश किया गया

ट्विटर यूजर पवन दुर्रानी ने 29 नवंबर की सुबह एक सड़क की तस्वीर ट्वीट की और दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौजन्य से एक गांव में इसका निर्माण हुआ था। तस्वीरों में, बच्चों को नंगे पांव सड़क पर खेलते देखा जा सकता है। दुर्रानी जिन्हें पीएम मोदी फॉलो करते हैं, ने बाद में अपना ट्वीट हटा दिया।

ऑल्ट न्यूज़ ने उन तस्वीरों की रिवर्स सर्च की तो पाया कि वे एक इंडोनेशियाई गांव की थीं, जहां के निवासियों ने अपने जीवन में पहली बार डामर की सड़क देखी थी। 15 अक्टूबर, 2018 को प्रकाशित एक लेख में, वेबसाइट द क्यूबेक टाइम्स (The Quebec Times) ने इन तस्वीरों को शेयर किया था।

3. अहमदाबाद की मेयर ने सियोल की तस्वीर को साबरमती रिवरफ्रंट बताया

अहमदाबाद नगर निगम के लिए तब शर्मिंदगी की बात हो गई जब वहां की मेयर ने सियोल की तस्वीर को साबरमती रिवरफ्रंट के रूप में ट्वीट कर दिया। 6 नवंबर को अहमदाबाद की मेयर बिजल पटेल ने कथित रूप से अहमदाबाद रिवरफ्रंट की तस्वीर एक संदेश के साथ ट्वीट की- “यह सिंगापुर, मलेशिया, दुबई नहीं है … .., यह हमारा अमदावाद शहर है। #MaruAmdavad #RiverFront night areal view. #WorldHeritageCity @AmdavadAMC @vnehra – (अनुवादित)”.

ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल रिवर्स इमेज सर्च की तो यात्रा वेबसाइट ट्रिप एडवाइजर (Trip Advisor) पर पर वैसी ही तस्वीर मिली। जहां से फोटो शूट किया गया था। दरअसल यह दक्षिण कोरिया में हान नदी के किनारे स्थित ‘वॉकिंग ऑन द क्लाउड’ रेस्तरां है।

4. आम आदमी पार्टी ने नीदरलैंड्स के पुल को दिल्ली के सिगनेचर ब्रिज बताकर ट्वीट किया

4 नवंबर को दिल्ली सरकार ने धूमधाम से सिगनेचर ब्रिज का उद्घाटन किया था। वजीराबाद को आंतरिक शहर से जोड़ने वाले यमुना नदी पर बने 675 मीटर लंबे इस पुल को दिल्ली सरकार की उत्कृष्ट उपलब्धि बताया गया है। आम आदमी पार्टी ने 3 नवंबर को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कथित रूप से रात में ली गई इस पुल की तस्वीरें पोस्ट की थीं।

‘आप’ द्वारा तीन अन्य तस्वीरों के साथ पोस्ट की गई उपरोक्त तस्वीर, वास्तव में नीदरलैंड्स के रॉटरडैम पर बने इरास्मस ब्रिज की है।

मीडिया संगठनों की भ्रामक खबरें

1. टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी ने तेलंगाना के लिए कांग्रेस घोषणापत्र को भ्रामक रूप से मुस्लिम-केंद्रित बताया

टाइम्स नाउ द्वारा 27 नवंबर, 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट का शीर्षक था- “तेलंगाना चुनाव: कांग्रेस घोषणापत्र में ‘केवल मुस्लिमों के लिए स्कूलों, सरकारी ठेकों’ के चौंकाने वाले वायदे – (अनुवादित)।” इस रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने तेलंगाना विधानसभा चुनावों से पहले अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाता को लुभाने के लिए केवल मुस्लिमों के लिए सात योजनाओं का वादा किया है। रिपब्लिक टीवी ने भी इसी संदेश के साथ रिपोर्ट की, कि कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र ने तेलंगाना में विशेष रूप से मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यक वर्गों के लिए सात फायदों का वादा किया है। रिपोर्ट का शीर्षक कहता है, “तेलंगाना में कांग्रेस का तुष्टीकरण का प्रयास: ‘केवल मुस्लिमों के लिए’ स्कूल और अस्पताल, मस्जिदों के लिए नि:शुल्क बिजली का वादा किया – (अनुवादित)”।

टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी द्वारा की गई रिपोर्ट, आधा सच थी, क्योंकि दोनों समाचार नेटवर्क ने घोषणापत्र के अन्य प्रावधानों को नजरअंदाज कर दिया था, जिनमें अन्य धार्मिक समुदायों के लिए भी लाभ का वादा किया था।

2. डेक्कन क्रॉनिकल ने जवाहरलाल नेहरू के नाम पहले से खारिज, झूठे उद्धरण को उद्धृत किया

“शिक्षा से मैं अंग्रेज, विचारों से अंतर्राष्ट्रीयतावादी संस्कृति से मुसलमान और केवल जन्म से हिंदू हूं -जवाहरलाल नेहरू”। भारत के पहले प्रधानमंत्री के नाम से यह उद्धरण 19 नवंबर, 2018 को डेक्कन क्रॉनिकल द्वारा हैदराबाद संस्करण में छापा गया था।

ऑल्ट न्यूज़ ने स्थापित किया था कि कैसे नेहरू के नाम से यह उद्धरण झूठा है। ये शब्द पहली बार 1959 में हिंदू महासभा नेता और जवाहरलाल नेहरू के कटु आलोचक एनबी खरे लिखित ‘द एंग्री अरिस्टोकैट’ नामक एक लेख में प्रकट हुए थे। बाद में डेक्कन क्रॉनिकल ने अपनी त्रुटि पर खेद व्यक्त किया।

3. नविका कुमार का गलत दावाः पीवी नरसिम्हा राव भारत के पहले गैर-गांधी प्रधानमंत्री थे

क्या पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस पार्टी के पहले प्रधानमंत्री थे, जो गांधी परिवार से संबंधित नहीं थे? टाइम्स नाउ की प्रबंध संपादक और प्राइम टाइम शो न्यूज़ ऑवर (Newshour) की एंकर नविका कुमार के अनुसार, हाँ। 16 नवंबर, 2018 को नविका कुछ ऐसा ही अपने प्राइम टाइम शो में लाइव बोल रही थीं।

 

Navika Kumar on #ModiChaiwalaDare

Posted by TIMES NOW on Friday, November 16, 2018

नविका कुमार का बयान कि पीवी नरसिम्हा राव, जो 1991 में प्रधानमंत्री बने, कांग्रेस पार्टी के पहले प्रधानमंत्री थे, जो गांधी परिवार से संबंधित नहीं थे, झूठा है। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत राजनेताओं की सूची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की वेबसाइट पर उपलब्ध है। नेहरू के बाद और लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1964 में 13 दिनों की अंतरिम अवधि के लिए गुलजारीलाल नंदा प्रधानमंत्री बने थे। नंदा और शास्त्री, दोनों कांग्रेस पार्टी से थे।

4. आरएसएस सम्बंधित संगठन की महिलाओं को अयोध्या में राम मंदिर की समर्थक “मुस्लिम महिलाएं” बताया गया

हाल ही कई मीडिया संगठनों ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के समर्थन में ‘मुस्लिम महिलाएं’ दृढ़ता से सामने आईं। इनमें अमर उजाला, न्यूज 18, कैच न्यूज और ओप इंडिया शामिल थे।

यह सामने आया कि जिन महिलाओं ने इस ‘आंदोलन’ का नेतृत्व किया था, वे वास्तव में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और राष्ट्रीय एकता मिशन, जो आरएसएस से संबद्ध संगठन हैं, की सदस्य थीं।

उपर्युक्त वर्गीकरण के अलावा, गलत जानकारी के कुछ अन्य प्रमुख उदाहरण भी थे।

1. कथुआ बलात्कार पीड़िता के लिए क्राउडफंडिंग से जमा पैसा शेहला रशीद द्वारा जब्त करने की नकली खबर

हाल में सोशल मीडिया इन आरोपों से भरा रहा कि जेएनयू की छात्र नेता शेहला रशीद ने कथुआ बलात्कार पीड़िता के परिवार के लिए क्राउडफंडिंग से जमा पैसे का धोखे से गबन कर लिया। आरोप इतने गंभीर थे कि वकील विभोर आनंद ने उन लोगों से अपील की जिन्हें लग रहा था कि रशीद ने “धोखा” दिया है, उन्होंने कहा कि वह रशीद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं। क्राउडफंडिंग के आयोजकों द्वारा ट्वीट के बावजूद, कि पैसा परिवार तक पहुंच गया है, रशीद को ऐसे कई आरोपों से लक्षित किया गया।

ऑल्ट न्यूज़ ने विस्तृत तथ्य-जांच में स्थापित किया कि बलात्कार पीड़िता से संबंधित धनराशि रशीद द्वारा बेईमानी कर लिए जाने से संबंधित दावे सरासर झूठे हैं। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि सभी धन पीड़ित परिवार को स्थानांतरित कर दिया गया था और कोई धोखा नहीं हुआ था।

2. 2010 के कांगो तेल विस्फोट की तस्वीर गोधरा ट्रेन आगजनी में हिंदुओं की मौत बताकर वायरल

“कांग्रेस को वोट देने से पहले हिन्दुओ भाई जरा गोधरा कांड भी याद कर लेना जो कांग्रेस के सरकार में कांग्रेस के ही मुस्लिमों ने दो बोगियों से भरा हुआ हिन्दुओ को तेल छिड़क कर आग में जलाया गया था, अगर थोड़ा सा भी हिन्दुओ के प्रति दया है तो कांग्रेस मुक्त भारत कर दो हमारे प्यारे हिन्दू भाइयो।” जले हुए शरीरों की तस्वीर के साथ यह संदेश, यह बतलाते हुए कि तस्वीर 2002 की गोधरा ट्रेन आगजनी से संबंधित है, सोशल मीडिया में वायरल हुआ। ये फोटो व्हाट्सएप पर भी व्यापक रूप से प्रसारित किए गए थे।

ऑल्ट न्यूज़ ने जले हुए शरीरों की तस्वीर की गूगल रिवर्स सर्च की तो इंडिया टुडे द्वारा 2017 की एक तथ्य-जांच मिली। पिछले साल यही तस्वीर “रोहिंग्या लोग जीवित जले” के रूप में वायरल थी। हालांकि, यह वास्तव में 2010 की घटना से संबंधित है जो कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हुई थी और यह documentingreality.com नामक वेबसाइट पर उपलब्ध है।

3. दुर्घटनावश लगी आग का वीडियो, पाकिस्तान में प्रसारित हुआ कि भारतीय सेना ने कश्मीर में घर जलाए

“भारतीय सेना बांदीपोरा में कश्मीरियों के घरों को जला रही है, अगर आप इस उत्पीड़न के खिलाफ या उत्पीड़ित लोगो के पक्ष में अपनी आवाज नहीं उठा सकते हैं तो फेसबुक चलाना छोड़ दें।” (अनुवादित) आग से जलते हुए घरों का एक वीडियो इस संदेश के साथ पाकिस्तान में वायरल हो गया है। फेसबुक यूजर अब्दुल रऊफ सिद्दीकी इस वीडियो को उपरोक्त संदेश के साथ पोस्ट करने वाले शुरुआती लोगों में थे। उनकी इस पोस्ट को 1.34 लाख से अधिक बार शेयर किया गया है और 16 लाख से अधिक बार ये वीडियो देखा जा चुका है। पोस्ट में दावा किया गया है कि भारतीय सेना बांदीपोरा में कश्मीरियों के घरों को जला रही है।

ऑल्ट न्यूज ने इस दावे की जांच की और पाया कि वीडियो दुर्घटनावश लगी आग का था जिसने कश्मीर के बारामुल्ला जिले में लचिपोरा उरी में घरों को चपेट में ले लिया था। 27 मार्च, 2018 को राइजिंग कश्मीर द्वारा प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “स्थानीय निवासियों ने कहा कि आग ने घरों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया क्योंकि क्षेत्र में कोई अग्नि सेवा केंद्र नहीं है। निकटतम और एकमात्र अग्नि सेवा केंद्र उरी शहर में है, लचिपोरा गांव से 18 किलोमीटर दूर है।”

4. अयोध्या की धर्म सभा में भक्तों की भीड़ दिखाने के लिए उपयोग की गई असंबंधित तस्वीरें

25 नवंबर को, विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या में ‘धर्म सभा’ ​​का आयोजन किया गया था, जिसमें एक बड़ी सभा देखी गई थी। उस दिन, सोशल मीडिया कथित रूप से वहां जुटी भीड़ के वीडियो और तस्वीरों से भरा था। फेसबुक पेज आई सपोर्ट बीजेपी फॉर बंगाल (I support BJP for Bengal) ने 15-सेकंड का वीडियो इस संदेश के साथ पोस्ट किया- “राम मंदिर के लिए वीएचपी द्वारा समर्थन का सागर” (अनुवादित)। वीडियो के अलावा, कुछ तस्वीरें भी शेयर की गईं, जो अयोध्या में सभा को स्पष्ट रूप से दर्शाती थीं।

 

অযোধ্যা রাম মন্দির জমায়েত বিশ্বহিন্দু পরিষদ

Posted by I Support BJP for Bengal on Sunday, November 25, 2018

ऑल्ट न्यूज ने पाया कि अयोध्या में भीड़ की सघनता दिखाने के लिए उपयोग किए गए वीडियो और तस्वीरें विभिन्न संदर्भों से ली गई थीं और किसी भी तरह ‘धर्म सभा’ ​​से संबंधित नहीं थीं। वीडियो में से एक मराठा के लिए आरक्षण के पक्ष में हुए मार्च का था, जबकि एक तस्वीर करणी सेना के प्रदर्शन की थी।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.