फोटोशॉप की गई तस्वीरों से लेकर गलत तरीके से क्लिप किए गए या संदर्भ से बाहर प्रसारित वीडियो तक की ‘बहुरूपता’ वाली भ्रामक सूचनाओं से सितंबर 2019 की शुरुआत होती है। हमेशा की तरह, इनका आधार बने वे प्रमुख समाचार घटनाक्रम, जिनके चारों ओर भ्रामक/विघटनाकारी सूचनाएं रहीं। उदाहरण के लिए, चंद्रयान-2 मिशन और मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम जैसे घटनाक्रम। कश्मीर का मुद्दा और बच्चों के अपहरण की अफवाहों का फैलना अगस्त से इस महीने तक जारी रहा। गलत सूचनाओं से वशीभूत कई मीडिया संगठनों ने इन घटनाक्रमों के समाचारों को गलत तरीके से पेश किया।
मीडिया की गलत खबरें
1. केरल के कॉलेज में पाकिस्तानी झंडा नहीं उठाया गया; मीडिया में भ्रामक खबर प्रकाशित
31 अगस्त को कई मीडिया संगठनों द्वारा प्रकाशित एक ‘ब्रेकिंग’ खबर में बताया गया कि कोझिकोड के सिल्वर आर्ट्स कॉलेज के चुनाव अभियान के दौरान पाकिस्तानी झंडा उठाने पर केरल पुलिस ने कॉलेज के 30 छात्रों (टाइम्स नाउ के अनुसार 25 छात्र) को गिरफ्तार किया।
टाइम्स नाउ के अलावा, टाइम्स ऑफ इंडिया, डेक्कन क्रॉनिकल, मायनेशन, ओपइंडिया और दैनिक जागरण, वैसे अन्य मीडिया संगठन थे जिन्होंने ऐसी ही खबरों में दावा किया था कि मुस्लिम स्टूडेंट फ्रंट (MSF) ने कॉलेज परिसर में कथित रूप से पाकिस्तान का झंडा उठाया था। उल्लेखनीय है कि इनमें से किसी भी लेख के शीर्षक में “कथित” शब्द का कोई उल्लेख नहीं था। केवल कुछ ने लेखों में अंदर इस शब्द का इस्तेमाल किया था।
#Breaking | 25 students booked in Kerala for waving Pakistani flags in their college as a part of election campaign.
Details by TIMES NOW’s Vivek Karandalam. pic.twitter.com/1kwcMEKiEy
— TIMES NOW (@TimesNow) August 31, 2019
छात्रों द्वारा उठाया गया झंडा पाकिस्तान का नहीं, बल्कि मुस्लिम छात्र मोर्चा (MSF) का बैनर था। MSF, UDF से जुड़ा छात्र संगठन है।
2. फोटोशॉप तस्वीर के आधार पर इमरान खान की पत्नी के बारे में ANI का बेतुका दावा
29 सितंबर को, मल्टीमीडिया समाचार एजेंसी ANI ने पाकिस्तान के पीएम की पत्नी बुशरा बीबी पर एक लेख प्रकाशित किया जिसमें लिखा था, “पाकिस्तान की प्रथम महिला बुशरा बीबी दर्पण में नहीं दिखाई देतीं : पीएम हाउस स्टाफ”। PM हाउस स्टाफ के एक गुमनाम सदस्य के हवाले से, ANI ने बताया कि पाकिस्तान की प्रथम महिला का प्रतिबिम्ब दर्पण में नहीं दिखाई देता है। यह रिपोर्ट पाकिस्तान की कैपिटल टीवी के एक स्क्रीनशॉट पर आधारित थी जिसमें लिखा था, “پی ایم ہاؤس کے ٹاف کے مطابق خاتون اول کا آئینے میں عکس نظر نہیں آتا (पीएम हाउस के कर्मचारियों के अनुसार, प्रथम महिला आइने में दिखाई नहीं देती हैं।)”
Pakistan’s first lady Bushra Bibi’s image does not appear in mirrors: PM House staff
Read @ANI story | https://t.co/H5eej6qq6R pic.twitter.com/b4Q17GIWu1
— ANI Digital (@ani_digital) September 29, 2019
Capital TV की इस रिपोर्ट की खोज करते हुए ऑल्ट न्यूज़ को ANI की निंदा करते इस चैनल के कई ट्वीट मिले जिनमें इस बात से इनकार किया गया था कि उन्होंने इस तरह की कोई रिपोर्ट प्रकाशित की थी। एक ट्वीट में, Capital TV ने Capital TV के टेम्पलेट के साथ “फोटोशॉप किए हुए पोस्टर” का उपयोग करने के लिए ANI और उनकी “गैरज़िम्मेदार पत्रकारिता” बताया। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।
3. News18, CNBC Awaz ने भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास को ‘हाउडी मोदी’ की तैयारी बताया
‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की ह्यूस्टन यात्रा के दौरान, CNN News18 ने अमेरिकी सेना द्वारा भारतीय राष्ट्रगान बजाने का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि यह आयोजन पीएम मोदी के ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में आने की तैयारी में किया गया था। News18 के ट्वीट में लिखा था- “देखिए – #HowdyModi इवेंट में पीएम @narendramodi के आगमन की तैयारी में भारतीय राष्ट्रगान बजाती अमेरिकी सेना।” (अनुवाद)। इसी वीडियो को CNBC Awaaz ने भी ट्वीट किया था।
ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच में पाया गया कि यूएस आर्मी बैंड ने भारतीय राष्ट्रगान बजाया था, लेकिन यह वाशिंगटन के लुईस मैककॉर्ड स्थित संयुक्त बेस (सैन्य स्थापना) में आयोजित भारत और अमेरिकी सेना के संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास’ के समापन दिन के दौरान हुआ था।
4. बेंगलुरु दुर्घटना में आरटीओ इंस्पेक्टर को ‘शराबी’ बताने की मीडिया की गलत खबर
12 सितंबर को, बेंगलुरु में एक RTO इंस्पेक्टर ने अपने वाहन को ऑटो रिक्शा के साथ टकरा दिया, जिसकी वजह से ड्राइवर को काफी गंभीर चोट आयी थी। उसी दिन बेनेट कोलमैन समूह के अंग्रेजी समाचार चैनल, मिरर नाउ, ने इस शीर्षक के साथ रिपोर्ट प्रकाशित की, “नशे में RTO इस्पेक्टर ने ऑटो रिक्शा को टककर मारी, जीवन के लिए संघर्ष कर रहा ऑटो ड्राइवर” (अनुवाद)। कर्नाटक स्थित एक क्षेत्रीय समाचार चैनल News9 ने, इस दुर्घटना के वीडियो का प्रसारण,‘नशे में आरटीओ इंस्पेक्टर ने कार को ऑटो में घुसा दिया (अनुवाद)’ और ‘नशे में ड्राइविंग (अनुवाद)’ जैसे शब्दों के साथ किया।
मीडिया के कुछ वर्गों ने इस घटना पर साफ तौर से गलत खबर की थी। ऑल्ट न्यूज़ ने इलेक्ट्रॉनिक सिटी ट्रैफिक पुलिस स्टेशन, बेंगलुरु से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की कि आरोपी के नशे में होने की खबर झूठी है। वह व्यक्ति शराब के नशे में नहीं था। इसे निर्धारित करने के लिए यातायात पुलिस द्वारा ‘ब्रेथ एनालाइज़र’ का उपयोग किया गया था। अफसोस कि घटना के एक दिन बाद आरटीओ इंस्पेक्टर मंजूनाथ का निधन हो गया।
5. रघुराम राजन के पैरोडी अकाउंट के झांसे में फंसा IANS, अन्य कई मीडिया संगठनों ने भी खबर प्रकाशित की
13 सितंबर को, कई मीडिया संगठनों ने एक खबर प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था –“यह एक संकेत है कि आप असली डाटा को छिपा रहे है: रघुराम राजन, गोयल के गलत शब्दों पर” (अनुवाद)। यह खबर RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा की गई एक गलती, जिसमें उन्होंने आइजैक न्यूटन के बजाय अल्बर्ट आइंस्टीन को गुरुत्वाकर्षण का खोजकर्ता बताया था, की कथित प्रतिक्रिया पर थी।
मूल खबर IANS ने चलाई जिसकी सिंडिकेटेड फ़ीड को ABP News, The Quint, The Economic Times, Outlook और Caravan Daily द्वारा प्रकाशित किया गया। इकोनॉमिक टाइम्स ने बाद में इस कहानी को हटा लिया।
राजन के नाम से किया गया ट्वीट एक पैरोडी अकाउंट, जो रघुराम राजन के नाम से बनाया गया है, ने पोस्ट किया था। हैंडल के ट्विटर परिचय में इस बात को बताया गया है। रघुराम राजन ट्विटर पर नहीं हैं।
6. मीडिया ने अमेरिकी कांग्रेस की महिला सदस्य तुलसी गैबार्ड को गलत तरीके से ‘भारतीय मूल’ का बताया
“भारतीय मूल की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार तुलसी गैबार्ड ने अमेरिका की यात्रा पर नरेंद्र मोदी का स्वागत किया, ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने के लिए उन्होंने माफी मांगी” –यह शीर्षक, फर्स्टपोस्ट द्वारा प्रकाशित एक लेख का है, जिसमें समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) को इस खबर का श्रेय दिया गया है। NDTV, द स्टेट्समैन, द फ्रेस प्रेस जर्नल, और मनीकंट्रोल सहित कई अन्य मीडिया संगठनों ने भी लेख प्रकाशित किए हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि गैबार्ड अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए पहली भारतीय मूल की महिला उम्मीदवार हैं। NDTV और द फ्रेस प्रेस जर्नल ने अपनी खबर का श्रेय ANI को दिया है।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य 37 वर्षीया तुलसी गैबार्ड भारतीय मूल की नहीं हैं। यह उन्होंने खुद अक्टूबर 2012 में ट्विटर पर सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया है। उनके द्वारा इसे 2014 में भी दोहराया गया था। इसके अलावा, द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक विवरण के अनुसार, गैबार्ड का जन्म अमेरिकी सामोन वंश के एक परिवार में हुआ था, जो अमेरिका के राज्य हवाई के मूल निवासी हैं।
7. मीडिया की खबरों के अनुसार पाकिस्तान से बच्चा किडनैप कर बैग में दुबई लाया गया
सोशल मीडिया में एक बैग में छुपे एक बच्चे के मिलने का 24-सेकंड का वीडियो वायरल हुआ। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में कार्यकारी सुरक्षा निदेशक एचजीएस धालीवाल ने 15 सितंबर को यह वीडियो इस कैप्शन के साथ साझा किया था –“बैग में बच्चा!!5 महीने के बच्चे का अपहरण कर लिया और उसे ट्रैवल बैग के अंदर कराची से दुबई ले जाया गया। सौभाग्य से, दुबई हवाई अड्डे पर इस बच्चे को सुरक्षित पाया गया।” (अनुवाद)। ट्वीट के वायरल होने के तुरंत बाद, कई मीडिया संगठनों – आज तक, पत्रिका, टाइम्स नाउ हिन्दी, पंजाब केशरी ,मिरर नाउ, द ट्रिब्यून, Latestly – ने धालीवाल के दावों के आधार पर लेख लिखे।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि विचाराधीन वीडियो हाल का नहीं, बल्कि पुराना है। इसके अलावा, इसके साथ का दावा झूठा है।
8. रवीश कुमार के 2013 के शो का क्लिप किया हुआ वीडियो पत्रकारों ने भी किया साझा
जिस दिन रवीश कुमार प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मनीला जा रहे थे, उसी दिन उनके आलोचकों ने 35-सेकंड की एक वीडियो क्लिप के ज़रिये उनपर निशाना साधने की कोशिश की। सोशल मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित इस फुटेज में, समान विषय पर हाल ही के प्रसारण के साथ, 5% जीडीपी ग्रोथ पर रवीश कुमार के 2013 के शो को जोड़ दिया गया था। इस वीडियो का मकसद कुमार के ‘पाखंड’ को उजागर करना था। दीपक चौरसिया सहित कई पत्रकारों ने वीडियो को साझा किया था।
इन्हें सुनिए और इनका असली सच समझिए
इनको GDP से, देश से, युवाओं से, रोजगार से कहीं कोई लेना देना नहीं
शुद्ध धंधेबाज हैं, आज इनके चोर माई बाप जेल में जा रहे हैं, इसलिए विधवा विलाप चालू हैं pic.twitter.com/rxiZj6Rp1T
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) September 5, 2019
भ्रामक तस्वीर पेश करने के लिए 2013 का वीडियो क्लिप किया गया है। यह प्रसारण फरवरी 2013 का है जब आर्थिक सर्वेक्षण में निराशाजनक वृद्धि संख्याओं का खुलासा हुआ था। ऑल्ट न्यूज़ ने पूरा वीडियो देखा तो पाया कि कुमार ने 2013 में भी इसी तरह से प्रस्तुति दी थी जैसे उन्होंने 2019 में दिया था। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।
9. HW न्यूज़ ने आज तक के पुराने प्रोमो की फोटोशॉप तस्वीर की प्रसारित, बाद में दिया स्पष्टीकरण
10 सितंबर को, HW न्यूज़ ने एंकर अभिसार शर्मा के एक शो का प्रसारण किया, जिसमें शर्मा ने चंद्रयान-2 पर आज तक के प्रोमो की फ़ोटोशॉप की हुई तस्वीर दिखलाई।
So @abhisar_sharma used a photoshopped image to target Modi govt and to show that Media is working for him.
No wonder channels throw him out for fake news.
cc @chitraaum pic.twitter.com/CWrpYOreec
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 10, 2019
HW न्यूज़ के प्रसारण में, चंद्रयान-2 के लॉन्च पर आज तक के 22 जुलाई के प्रसारण की बदली हुई तस्वीर दिखलाई। मूल तस्वीर में, पीएम मोदी का कोई संदर्भ नहीं था।
चंद्रयान-2
इसरो का महत्वाकांक्षी चंद्र अन्वेषण मिशन, चंद्रयान-2, सितंबर 2019 में चांद की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था। इस मिशन से जुड़े कई गलत दावे प्रसारित किए गए।
1. ABP News का चंद्रयान-2 पर प्रोमो फोटोशॉप करके सोशल मीडिया में साझा
एक तस्वीर, जो ABP न्यूज़ के प्रसारण के प्रोमो की तरह दिखती है, जिसमें एंकर रुबिका लियाक़त भी दिख रही हैं, सोशल मीडिया में पोस्ट और शेयर की गई। “मैं बहुत अचंभित थी अभी तक किसी ने नेहरू जी का नाम किऊ नहीं लिया!! आख़िर में ठीकरा फूट ही गया”। इस प्रसारण के ‘प्रोमो’ के शब्द हैं–“क्या चंद्रयान 2 की असफलता के लिए कांग्रेस ज़िम्मेदार?”
मैं बहुत अचंभित थी अभी तक किसी ने नेहरू जी का नाम किऊ नहीं लिया!!
आख़िर में ठीकरा फूट ही गया 😅😅👏 https://t.co/cKAqPPoQAh— Preeti Chobey (@preeti_chobey) September 9, 2019
रुबिका लियाकत और चंद्रयान-2 मिशन वाले एबीपी न्यूज़ प्रोमो का यह ग्राफिक नकली है। इस पर अंकित शब्द Memerao सुझाव देता है कि यह एक मीम हो सकता है। इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने ABP न्यूज़ की ऐसी प्रोमो तस्वीर को ना ही प्रसारण में और ना ही ट्वीट किया हुआ पाया। लियाकत ने खुद इसे ट्विटर पर खारिज किया।
2. इसरो को ‘ब्राह्मणवादी’ व ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ कहते रवीश कुमार का नकली उद्धरण
“इसरो ब्राह्मणवादी है और अल्पसंख्यक विरोधी भी चाँद पर विक्रम ही क्यों भेजा उस्मान अब्दुल या पीटर क्यों नहीं? चन्द्रयान से क्या हासिल होगा हजार करोड़ फूक दिए दक्षिण की सतह पर उतर कर केवल सेल्फी लेने के लिए जबकि आज भी भारत मे एक कटोरा दाल भात के लिए लोग मर रहे है ..!”
पत्रकार रवीश कुमार के नाम से उपरोक्त बयान उनकी एक तस्वीर के साथ सोशल मीडिया में साझा किया गया।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि रवीश कुमार के नाम से सोशल मीडिया में वायरल हुआ यह उद्धरण फ़र्ज़ी है। रवीश कुमार ने खुद पुष्टि की कि उन्होंने कभी इस तरह का बयान नहीं दिया था। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।
3. डिजिटल कलाकृति की तस्वीरें, चंद्रयान-2 द्वारा भेजी गई ‘पृथ्वी की पहली तस्वीरों’ के रूप में साझा
सोशल मीडिया में ‘चंद्रयान-2 द्वारा ली गईं पृथ्वी की पहली तस्वीरों’ के रूप में कई तस्वीरें प्रसारित हो रही हैं। भारत के चंद्रमा मिशन द्वारा लिए जाने के दावे वाली तस्वीरों के साथ साझा किया गया संदेश इस प्रकार था- “चंद्रयान -2 ने खींची पृथ्वी माँ की पहली फ़ोटो। आप भी देखिए और निहाल हो जाइए कि हम ब्रम्हाण्ड के कितने अद्भुत स्थल पर रहते हैं।”
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि साझा की गई सभी तस्वीरें या तो पुरानी या डिजिटल रूप से बनाई गई थीं, इस प्रकार भारतीय अंतरिक्ष यान द्वारा प्रेषित तस्वीरों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। उदाहरण के लिए, इनमें से एक तस्वीर नासा द्वारा 2008 में अपलोड की गई थी। एक अन्य, आईफोन का एक वॉलपेपर चित्रण थी। तीसरी तस्वीर एक फिल्म का पोस्टर थी।
मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019
मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019, जो कि यातायात के उल्लंघन के लिए कठोर दंड निर्धारित करता है, 1 सितंबर से लागू हुआ। इसके तुरंत बाद, सोशल मीडिया नागरिकों और पुलिसकर्मियों के बीच टकराव वाले कई वीडियो से भर गया। ये वीडियो नए अधिनियम के कार्यरूप में आने के परिणाम के तौर पर प्रसारित किए गए।
1. कर्नाटक का पुराना वीडियो, भारी जुर्माने को लेकर ट्रैफिक पुलिस पर हमला के रूप में साझा
“लो काट लो चालान खोल दिया एक भाई ने पुलिस वालो का खोपड़ा”। उपरोक्त संदेश को सोशल मीडिया में एक वीडियो क्लिप के साथ साझा किया गया। वीडियो में एक व्यक्ति को एक पुलिसकर्मी पर हमला करते हुए दिखाया गया, और साथ के संदेश में दावा किया गया कि यह यातायात पुलिस द्वारा लगाए गए कठोर दंड के कारण था। वीडियो को ट्विटर और फेसबुक पर समान दावे के साथ साझा किया गया था।
लो काट लो चालान खोल दिया एक भाई ने पुलिस वालो का खोपड़ा 🤯🤯👇👇👇👇 pic.twitter.com/m85l5noQ2l
— साध्वी मिश्रा 🇮🇳🙏🙏 (@sadhvi006) September 6, 2019
ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच में साथ के दावे को झूठा पाया गया। वीडियो 2018 में कर्नाटक में शूट किया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, वह व्यक्ति नशे की हालत में था और उसने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की, जिन्होंने उसे हेलमेट नहीं पहनने के कारण रोका था। ध्यान रहे कि नए नियम 1 सितंबर, 2019 से लागू हुए।
2. पुलिसकर्मियों के बीच हाथापाई का पुराना वीडियो, यातायात दंड पर हाल के विवाद के रूप में साझा
ट्रैफिक दंड के नए कानून लागू होने के बाद, खाकी वर्दी पहने लोगों में झड़प दिखाने वाला एक वीडियो ट्विटर और फेसबुक पर इस दावे के साथ साझा किया गया- “चालान के पैसे का बँटवारे के लिए पुलिस वाले आपस में ही भीड़ गए”।
चालान के पैसे का बँटवाड़ा के लिए जब पुलिस आपस में ही लड़ मरी🤭🤸😂🤣🤫🤔😬👇#गुंडा_टैक्स pic.twitter.com/bETIollhQq
— CPभाईYADAV #BanEVM #BanGST (@cp4bhai) September 9, 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो से एक फ्रेम लेकर विशिष्ट कीवर्ड्स का उपयोग करके उसकी गूगल पर रिवर्स-सर्च की तो परिणाम में उस घटना से संबंधित 27 जून, 2016 का डेक्कन क्रॉनिकल का एक लेख सामने आया। इसका शीर्षक था, ‘देखिए : रिश्वत के बंटवारे को लेकर झगड़ने वाले उत्तर प्रदेश पुलिसकर्मी निलंबित’। यह घटना यूपी के लखनऊ में घटी थी। जाहिर है, यह घटना नए यातायात नियमों से संबंधित नहीं थी।
फोटोशॉप तस्वीरें
1. इमरान खान को G7 में छुपते हुए दिखलाने के लिए दावोस में पुरानी तस्वीर फोटोशॉप की गई
एक तस्वीर, जिसमें पीएम मोदी का स्वागत किया जा रहा है, सोशल मीडिया में साझा किया गया। इस तस्वीर में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान दुबके हुए से दिखलाई पड़ते हैं। “जब जी-7 के कॉन्फ्रेंस हॉल में मोदीजी ने प्रवेश किया, तो हॉल में इकट्ठा सभी लोगों ने उनका खड़े होकर स्वागत किया। उनमें छिपता हुआ एक आदमी बैठने या खड़े होने में सक्षम नहीं था। उसकी स्थिति देखें और पता करें कि कौन है…?” -(अनुवाद) यह संदेश इस तस्वीर के साथ है जिसमें इमरान खान का मज़ाक उड़ाने का प्रयास करते हुए यह दिखाने की कोशिश की गई है कि फ्रांस में हाल ही में आयोजित जी-7 सम्मेलन में पीएम मोदी के हुए कथित स्वागत से इमरान खान साफ तौर पर शर्मिंदा हैं।
गूगल पर एक सरल रिवर्स-सर्च से, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि दावोस के एक कार्यक्रम की एक पुरानी तस्वीर फ़ोटोशॉप की गई थी। मूल तस्वीर में इमरान खान नहीं हैं। तालियों के साथ पीएम मोदी के स्वागत के दौरान उन्हें दुबका हुआ दिखलाने के लिए, एक अज्ञात व्यक्ति के चेहरे को पाकिस्तानी पीएम के चेहरे से बदल दिया गया था।
2. अमित शाह-ममता बनर्जी की मुलाकात की फोटोशॉप तस्वीर
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की एक तस्वीर सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर साझा की गई। तस्वीर में, बनर्जी और शाह एक साथ एक सफेद लिफाफा जैसा पकड़े हुए दिखते हैं, जिसपर ‘जय श्री राम’ लिखा है।
ममता बनर्जी और अमित शाह की एक साथ वाली यह तस्वीर फोटोशॉप की हुई है। गूगल पर एक साधारण रिवर्स इमेज सर्च से सामने आई मूल तस्वीर से इसकी पुष्टि हो गई, जिसमें लिफाफे पर फोटोशॉप की हुई तस्वीर में अंकित ‘जय श्री राम’ शब्दों से उलट, कुछ भी लिखा हुआ नहीं लगता।
3. इमरान खान को दुनिया के राजनेताओं से घिरा हुआ दिखलाने के लिए किया पुरानी तस्वीर का फोटोशॉप
“इस वर्ष का चित्र ✌ प्रत्येक पाकिस्तानी के लिए गर्व का क्षण ❤ भारतीय इस तस्वीर के लिए बरनॉल का उपयोग कर सकते हैं।”– (अनुवाद) यह संदेश, 26 सितंबर को फेसबुक पर एक पेज It’s all about Pakistan द्वारा पोस्ट किया गया। इस संदेश के साथ एक दिलचस्प तस्वीर है, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान वैश्विक राजनेताओं के समूह से घिरे दिखलाई पड़ते हैं जो उनकी बातों से मंत्रमुग्ध लगते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इमरान खान के दाहिने बैठे दिखाई दे रहे हैं, जबकि तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान उनके बाईं ओर हैं।
विचाराधीन तस्वीर फोटोशॉप की हुई है। ऑल्ट न्यूज़ ने इसकी पहले भी तथ्य-जाँच की थी जब इसे सोशल मीडिया में हेरफेर के साथ साझा किया गया था- उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अन्य नेताओं से घिरे हुए केंद्र में बैठे थे। मूल तस्वीर हैम्बर्ग, जर्मनी में 2017 के G20 समिट में खींची गई थी।
साम्प्रदायिक भ्रामक सूचनाएं
1. झारखंड में एक व्यक्ति द्वारा महिला को चाकू मारने का वीडियो सांप्रदायिक दावे से वायरल
42-सेकंड की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया में शेयर की गई, जिसमें एक महिला के गले और दाएँ गाल पर चाकू से चोट का निशान और कुछ ही दूरी पर उस महिला को कथित रूप से चाकू मारने वाले व्यक्ति को पकड़े एक भीड़ दिख रहा है। यह क्लिप फेसबुक और ट्विटर दोनों पर इस दावे के साथ वायरल हुई कि झारखंड के रामगढ़ में “हिन्दू भाइयों ने एक हिन्दू लड़की को बचाया।”
ये घटना है झारखंड के रामगढ़ जिले के पतरातू घाटी की जहां हिन्दू भाइयो की सतर्कता ने एक हिन्दू लड़की की जान बचाई।
शांतिदूत लड़की को मारने के उद्देश्य से घुमाने ले आया था ।। pic.twitter.com/6FORWhdvgs— ѕαffяσи ℓισи🏇 (@ethan_mi7) September 19, 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि घटना में कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है। यह घटना 15 सितंबर, 2019 की है, जब अरविंद कुमार नाम के युवक ने अपनी कथित प्रेमिका को यह शक करते हुए कि उसका किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध है, चाकू मारी थी। इस घटना की खबर प्रभात खबर और ईटीवी भारत ने दी थी।
2. श्रीलंका का वीडियो, भारत में मुस्लिम व्यक्ति को जबरन शराब और गोमूत्र पिलाने के दावे से साझा किया गया
सोशल मीडिया में एक वीडियो, जिसमें एक व्यक्ति के हाथ बंधे हैं और एक अन्य व्यक्ति उसे बोतल से कुछ तरल पदार्थ पिला रहा है, इस दावे से साझा किया गया-“भारत में, वृद्ध मुस्लिम व्यक्ति को शराब और गौमूत्र पीने के लिए भारतीयों द्वारा मज़बूर किया गया“ (अनुवादित)।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वीडियो भारत का नहीं बल्कि श्रीलंका का है। इस घटना की रिपोर्ट श्रीलंकाई पोर्टल Hiru News और Sri Lanka Muslims ने की थी। इस वीडियो का एक लंबा संस्करण यह स्पष्ट करता है कि उस आदमी को ज़बरदस्ती नहीं पिलाया गया था क्योंकि वह, उस व्यक्ति को पिलाने को रोकता या उसका विरोध नहीं करता है। हमारी तथ्य-जांच यहाँ देखी जा सकती है।
3. बिहार में भीड़ हमले की घटना, झूठी सांप्रदायिक संदेश के साथ साझा की गई
27 सितंबर को, प्रशांत पटेल उमराव जिन्होंने कई मौकों पर अपने ट्विटर अकाउंट से गलत सूचनाएँ फैलाईं, अभिनेता एजाज़ खान का एक ट्वीट उद्धृत करते हुए ट्वीट किया, जिसमें एजाज़ पर “नफरत फैलाने” और देश में “सांप्रदायिक तनाव पैदा करने” के प्रयास का आरोप लगाया। एजाज़ खान ने एक घायल व्यक्ति की तस्वीर ट्वीट की थी, जिसमें दावा किया गया था कि वह बिहार के महुआ का एक मुस्लिम शिक्षक अबु कामिल है, जिसे भीड़ ने पीटा था। प्रशांत पटेल उमराव ने ट्वीट किया कि एजाज़ खान झूठ बोल रहे हैं, और अबु कामिल ने “एक लड़की का बलात्कार” किया था, जिसके बाद उसके अपने समुदाय के सदस्यों द्वारा उसे पीटा गया था।
Dear @MumbaiPolice, This fake news peddler @AjazkhanActor is again spreading hatred & want to create Communal Tension in Country. He is on bail, still doing mischief again.
Truth is that Abu Kamil raped a girl & was beaten by his community members only. https://t.co/oWcGRIpKVV
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) September 27, 2019
प्रशांत पटेल उमराव का यह दावा कि फोटो में दिख रहा घायल व्यक्ति अबु कामिल अपने ही समुदाय के सदस्यों द्वारा एक लड़की का यौन उत्पीड़न करने के कारण पीटा गया, सरासर गलत है। ऑल्ट न्यूज़ ने पुलिस से संपर्क किया जिन्होंने पुष्टि की कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है।
4. हिन्दू रिवाज़ का वीडियो भारत में मुस्लिमों पर ज़बरदस्ती गायों को दौड़ाने के रूप में साझा
1 सितंबर को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के यूके और यूरोप में व्यापार और निवेश के प्रवक्ता साहिबज़ादा जहांगीर ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें कुछ लोगों को सड़क पर लेटे हुए और उनके ऊपर से गायों को दौड़ते हुए देखा जा सकता है। वीडियो को ट्वीट करते हुए, जहांगीर ने दावा किया कि भारत में मुस्लिम व्यक्तियों के साथ बच्चों को भी सड़क पर लेटाया जाता है और उन पर से “दर्जनों भारी गायों” को दौड़ाया जाता है।
Civilisation at its lowest. Indians forcing Muslims men & children to lie on ground & running dozens of heavy cows over their bodies while the spectators applauding the exhibition. Barbaric & inhuman. Modi developing sick Nazi RSS ideology. pic.twitter.com/ufUnqt2oHX
— Sahibzada Jahangir (@ChicoJahangir) September 1, 2019
वीडियो क्लिप के ऑडियो को ध्यानपूर्वक सुनने पर “हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की” सुनाई देता है, जो भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है और किसी हिन्दू धर्म के अनुष्ठान या परंपरा के बारे में बताता है। गूगल पर कीवर्ड्स से सर्च करने पर, ऑल्ट न्यूज़ को उज्जैन, मध्य प्रदेश के ग्रामीणों का इस प्रथा का एक वीडियो मिला, जिसमें लोग अपनी मर्ज़ी से सड़क पर लेटते हैं और उनपर से गायों को दौड़ाया जाता है। यह प्रथा हिंदू त्योहार दिवाली के बाद आने वाली एकादशी के शुभ दिन मनाई जाती है।
5. मंगलुरु मॉल में हाथापाई का वीडियो झूठी, सांप्रदायिक कथा के साथ साझा किया गया
“यह मैंगलोर में हुआ जब शांतिप्रिय छात्रों ने एक मॉल में लड़कियों को छेड़ा एक हिंदू ने हस्तक्षेप किया और उन गड़बड़ियों पर सवाल उठाया, लेकिन देखो कि कैसे शांतिप्रिय लोगों ने उस हिन्दू के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट किया क्या यह मॉब लींचिंग में नहीं आता है? सेकुलरों ने फेविकोल का लगा रखी है #IstandwithManjunathShenoy” -(अनुवाद)
उपरोक्त संदेश के साथ, कुछ लोगों के बीच तकरार के बाद हाथापाई दर्शाने वाली एक वीडियो क्लिप, गलत सूचना फैलाने के लिए प्रसिद्ध पोस्टकार्ड न्यूज के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई। वीडियो 42-सेकंड लंबा है। पूरे समय में कैमरा भूरे रंग की शर्ट पहने एक युवा पर केंद्रित है, जो दूसरे लोगों से घिरा है। वीडियो के अंत में, उससे मारपीट होते देखा गया।
This happened in Mangalore
When PEACEFUL students eve-teased girls in a Mall
A Hindu interrupted & questioned those perverts
But look how PEACEFULs abused & assaulted the Hindu
Doesn’t this come under mob lynching?
Seculars have consumed Fevicol#IstandwithManjunathShenoy pic.twitter.com/H7VmkZPAj3
— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) September 26, 2019
विवाद और मारपीट की यह घटना 25 सितंबर को मंगलुरु के फोरम फिजा मॉल में घटी थी। ऑल्ट न्यूज ने मंगलुरु के पुलिस आयुक्त से संपर्क किया, जिन्होंने महेश विक्रम हेगड़े द्वारा फैलाए गए दावे को खारिज करते हुए कहा, “हमारी जांच इस कथन की पुष्टि नहीं करती है। यह युवाओं के बीच हुआ एक छोटा विवाद है। एक युवक पर दूसरे युवकों के समूह द्वारा हमला किया गया था। हमने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।”
कश्मीर को लेकर भ्रामक सूचनाएं
1. मुहर्रम के जुलूस की पुरानी तस्वीर, कश्मीरियों पर भारतीय सेना के अत्याचार के रूप में चलाई
“कश्मीर जहां यजीद का लश्कर दिखाई देता है वहां पर हमको बेहतर दिखाई देता है हमारी लाश किसी को नजर नहीं आती हमारे हाथ का पत्थर दिखाई सबको देता है #Save Kashmir#Save kashmri”
उपरोक्त संदेश एक फेसबुक उपयोगकर्ता द्वारा खून से लथपथ महिला की तस्वीर के साथ साझा किया गया है, जिसके सिर से खून बह रहा है। संदेश में बताया गया है कि यह महिला कश्मीर की है और इसे भारतीय सेना ने घायल किया है।
गूगल पर इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें पता चला कि यह तस्वीर भारत की नहीं है। हमें फरवरी 2005 में JafariyaNews.com नामक एक शिया समाचार वेबसाइट द्वारा प्रकाशित लेख मिला, जिसके अनुसार यह तस्वीर मुहर्रम के दसवें दिन की है। इस तस्वीर को “लेबनान” शीर्षक वाले कैप्शन के साथ पोस्ट किया है, जिससे यह पता चलता है कि यह तस्वीर संभवतः लेबनान से हो सकती है।
2. द न्यूयॉर्क टाइम्स में कश्मीर पर प्रायोजित पृष्ठ को फ्रंट पेज रिपोर्ट बताया गया
एक तस्वीर जो द न्यूयॉर्क टाइम्स के फ्रंट पेज जैसी दिखती है, सोशल मीडिया में पोस्ट की गई थी। अखबार के पेज पर कश्मीर के मुद्दे पर भारत सरकार पर निशाना साधा गया था। इसमें लिखा है, ‘कश्मीर के 80 लाख लोग 5 अगस्त से लाखों सैनिकों की घेराबंदी में हैं’ और ‘कश्मीर की यह घेराबंदी घोर नस्लवाद है।’ -(अनुवाद) इस तस्वीर को कई ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने इस निहितार्थ के साथ साझा और रिट्वीट किया है कि द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कश्मीर मुद्दे पर व्यापक कवरेज दिया है और 5 अगस्त से इस क्षेत्र में हुए कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर किया है।
अखबार की तस्वीर को गौर से देखने पर पता चलता है कि जिसे द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बतलाया गया है, वह वास्तव में एक प्रायोजित पेज है। इस तस्वीर के निचले बाएं कोने में छपे शब्द ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवीय फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित’ साफ देखे जा सकते हैं। एक प्रायोजित पृष्ठ को रिपोर्ताज के रूप में चला दिया गया था। इस पर ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।
3. कश्मीर में ‘आतंकी घुसपैठ’ बताता वीडियो, पाकिस्तान की पुलिस अकादमी का निकला
बुलेटप्रूफ जैकेट पहने और असॉल्ट राइफलें ले जाते युवकों का एक वीडियो सोशल मीडिया में इस दावे के साथ साझा किया गया कि कश्मीर में “आतंकवादी घुसपैठ” हुई है। वीडियो में “मुजाहिदीन कश्मीर” शब्द लिखा है और पहले कुछ सेकंड में एक आदमी की आवाज़ सुनाई देती है। वीडियो में “जिहाद” और “कश्मीर” शब्द को सुना जा सकता है। इसके बाद, वीडियो में ‘ऐ वतन तेरा इशारा आ गया’ गाना बजता है।
Here is the first proof what I said yesterday about Infiltration of Terrorists.
I don’t post useless things untill and unless I don’t confirm it from my sources. I got confirmation from many people.
Tweet Link:- https://t.co/qitKAMVUtB
— Ibn Sina (@Ibne_Sena) September 2, 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वीडियो असल में खैबर पख्तूनख़्वा, पाकिस्तान के एक पुलिस ट्रेनिंग सेंटर का था। वीडियो में इसके स्रोत की ओर संकेत करने वाले कई सुराग थे। पूरा विवरण ऑल्ट न्यूज़ के लेख में पढ़ा जा सकता है।
बच्चा चोरी की अफवाहें
1. हिमाचल में बच्चा उठाने की झूठी अफवाहों पर मानसिक रूप से बीमार आदमी की पीटाई
सोशल मीडिया में बच्चा चोरी के संदेह में एक व्यक्ति को पीट रही भीड़ का वीडियो इस दावे के साथ साझा किया गया कि हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नालागढ़ में बच्चा चोर गिरोह को पकड़ा गया है। वीडियो के साथ प्रसारित संदेश था, “नालागढ़ में पकड़ा बच्चा चोर घिरोर”।
नालागढ़ में पकड़ा बच्चा चोर घिरोर
Posted by Babloo panwar on Sunday, 11 August 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने सोलन जिले की बद्दी पुलिस से संपर्क किया। वीडियो को देखने के बाद, पुलिस ने हमें सूचना दी कि मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति को बच्चा चोरी की झूठी अफवाहों पर साल्हेवाल में स्थानीय लोगों ने पकड़ा और पीटा था।
2. हरियाणा में महिलाओं की तरह कपड़े पहने चार लोगों को बच्चा चोरी की झूठी अफवाहों पर भीड़ ने पीटा
पुलिस द्वारा ले जाए जा रहे महिलाओं की तरह कपड़े पहने चार लोगों का एक वीडियो फेसबुक पेज ‘पहचान फरीदाबाद’ द्वारा साझा किया गया। वीडियो पोस्ट करते हुए, इस पेज ने दावा किया कि ये लोग बच्चा चोर थे, जिन्हें पुलिस ने हरियाणा में बल्लभगढ़ शहर के डीग इलाके में गिरफ्तार किया था। वीडियो के साथ संदेश था- “सुरक्षित हुए शहर के बच्चे, पकड़ी गई बच्चा चोरी करने वाली गैंग”।
सुरक्षित हुए शहर के बच्चे , पकड़ी गई बच्चा चोरी करने वाली गैंग
फरीदाबाद : शहर में फतेहपुर बिल्लौच के पास में दीग गांव में बच्चा चोर पकड़े जा चुके हैं। अजीबोगरीब पहनावा पहनकर छुप कर बैठे थे ये चोर प्रशासन और गांव के लोगों ने मिलकर उन्हें धर दबोचा ।
Posted by Pehchan Faridabad on Sunday, 25 August 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि महिलाओं के कपड़े पहने ये लोग एक धार्मिक नृत्य मंडली के थे, जिन्होंने थोड़े समय पहले ही पास के गाँव साहुपुरा में अपना प्रदर्शन किया था। ऑल्ट न्यूज़ ने सदर बल्लभगढ़ पुलिस थाने से संपर्क किया। पुलिस ने दोहराया कि ये लोग बच्चे उठाने वाले नहीं थे और वास्तव में एक नृत्य मंडली के सदस्य थे जिन्होंने महिलाओं की तरह कपड़े पहने थे। सत्यापन के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
3. बच्चों के अंग व्यापार की अफवाह: सीरिया की तस्वीर भड़काऊ ऑडियो के साथ साझा
सितंबर में, व्हाट्सएप पर एक ऑडियो क्लिप प्रसारित की गई, जिसमें हिंदी में एक संदेश था। इसमें कहा गया था कि तमिलनाडु पुलिस को बच्चों के शवों से भरा एक कंटेनर मिला है, जिनमें से महत्वपूर्ण अंग गायब थे। इसे जमीन पर लेटे बच्चों के शवों को दिखलाती एक तस्वीर के साथ साझा किया गया था।
इस दावे के दो पहलू थे- ऑडियो संदेश और इसके साथ प्रसारित तस्वीर। ऑल्ट न्यूज़ ने इस संदेश की पहले तथ्य-जाँच की थी, जब इसे उसी तस्वीर के साथ साझा किया गया था जिसके साथ अब इसे प्रसारित किया गया है। इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है। यह एक अफवाह है, जो कम से कम पिछले दो वर्षों यानी 2017 की शुरुआत से ऑनलाइन चल रही है। इसके अलावा, यह तस्वीर 2013 में सीरिया के घोउटा में हुए रासायनिक हमले के बाद ली गई थी।
विविध
1. भारतीय राजनीति पर लक्ष्मी मित्तल की टिप्पणी बताकर झूठी ऑडियो क्लिप व्हाट्सप्प पर वायरल
यूनाइटेड किंगडम निवासी स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल के नाम से व्हाट्सएप पर एक ऑडियो फ़ाइल प्रसारित की गई। भारत में जन्मे मित्तल, दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत इस्पात और खनन कंपनी, आर्सेलर मित्तल, के अध्यक्ष हैं। ऑडियो फाइल में वक्ता को पीएम मोदी, धर्मनिरपेक्षता, भारत की हिंदू पहचान और राम जन्मभूमि जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सुना जा सकता है। यह फ़ाइल इस संदेश के साथ प्रसारित की गई थी – “यह भाषण श्री लक्ष्मी मित्तल (भारत के दूसरे सबसे बड़े इस्पात निर्माता) द्वारा दिया गया था।”
इस क्लिप में कई ऐसे सुराग हैं जो इस तथ्य को जताते हैं कि आर्सेलर मित्तल समूह के अध्यक्ष लक्ष्मी मित्तल ये बयान नहीं दे रहे हैं। सबसे पहले, ऑडियो में जो आवाज़ और लहज़ा है वह लक्ष्मी मित्तल के आवाज़ के नमूनों से नहीं मिलते है। अन्य कई संकेत है जो इस बात का इशारा करते है कि यह लक्ष्मी मित्तल की आवाज़ नहीं है। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।
2. स्विस बैंक में काला धन जमा करने वालों की फ़र्ज़ी विकीलीक्स सूची सोशल मीडिया में वायरल
सोशल मीडिया में वायरल एक संदेश में दावा किया गया कि विकीलीक्स ने स्विस बैंक में काला धन रखने वाले शीर्ष लोगों की एक सूची जारी की है। आश्चर्यजनक रूप से सूची में सभी नाम भारतीय ही हैं। संदेश के अंत में लिखा गया है कि,“अविश्वसनीय खबर: स्विस बैंक में भारतीयों का काला धन रु. 358,679,863,300,000 (लगभग 1.3 खरब डॉलर ) यह पैसा 2000 भारतीयों का है जिन्होंने कर से बचने के लिए पैसों को वहां रखा है, यह पैसा हमारे भारत के लिए 10 अमेरिका बनने और अगले सौ साल तक दुनिया के सबसे शक्तिशाली विकसित देशों में से एक बनने के लिए पर्याप्त है, अगर आपके पास संदेश को भेजने की मुफ्त सुविधा है तो इसे कृपया फॉरवर्ड करिये। जैसे कि मैं एक भारतीय होने के नाते इसे साझा कर रहा हूँ” (अनुवादित)।
WIKI LEAKS Published 1st List of black money holders in SWISS bank…… The Top Most 30 members are…..(money is in…
Posted by Sreekumar Gopalapillai on Thursday, 27 December 2018
दावा झूठा है। स्विस बैंक में काले धन को इक्क्ठा करने वाले शीर्ष भारतियों की सूची को विकीलीक्स ने साझा नहीं किया है। संगठन द्वारा प्रकाशित की गई आखिरी रिपोर्ट जनवरी 2019 की थी और यह कैथोलिक चर्च के बारे में थी।
3. 2018 में कैलिफोर्निया के जंगल की आग का वीडियो, अमेज़न के जंगल की आग के रूप में वायरल
ब्राज़ील के अमेज़न में लगी आग वर्ष की शुरुआत से लगातार बढ़ रही है। इस दौरान एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। यह वीडियो 1:55 मिनट का है, और एक गाड़ी में से लिया गया है, जो जंगल की आग से प्रभावित क्षेत्र से गुज़र रही है। वीडियो क्लिप पोर्ट्रेट मोड में है, जिससे पता चलता है कि इसे मोबाइल फोन से शूट किया गया है। दावा किया गया कि यह वीडियो अमेज़ॅन बेसिन के जंगल की आग का प्रतिनिधित्व करता है।
Highway in Brazil through Amazon forest on fire
Posted by Zalak Amin on Saturday, 31 August 2019
ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो क्लिप से एक फ्रेम लेकर विशिष्ट कीवर्ड्स के साथ गूगल पर रिवर्स-सर्च की तो हमें एक रूस के वेबसाइट पर 14 नवंबर, 2018 का एक लेख मिला जिसका शीर्षक था- ”रोएं नहीं। प्रार्थना करें” : कैसे एक यूक्रेनी लड़की और उसकी बेटी कैलिफोर्निया की आग से बच जाती है (वीडियो)।’ (गूगल अनुवाद) इस वीडियो को कैलिफोर्निया में 2018 की जंगल की आग के दौरान शूट किया गया था।
4. शशि थरूर ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की सोवियत संघ की तस्वीर को अमेरिका का बताया
23 सितंबर को, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लोगों के हुजूम के बीच भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी की एक तस्वीर ट्वीट की। ‘हाउडी मोदी’ का मज़ाक उड़ाते हुए थरूर ने दावा किया कि यह तस्वीर 1954 में अमेरिका में ली गई थी। उन्होंने लिखा, “किसी भी विशेष प्रचार अभियान, NRI भीड़ प्रबंधन या अति मीडिया प्रचार के बिना।” (अनुवाद)। भारतीय युवा कांग्रेस की ऑनलाइन पत्रिका ने भी समान दावे के साथ यह तस्वीर साझा की।
यांडेक्स पर एक सरल रिवर्स-इमेज सर्च ने कई रूसी वेबसाइटों तक पहुंचाया, जिनमें कहा गया था कि यह तस्वीर तब शूट की गई थी जब नेहरू ने 1955 में मैग्नीटोगोर्स्क का दौरा किया था। MagMettal का एक लेख लिखता है, “अगस्त 1955 में, जवाहरलाल नेहरू अपनी पुत्री इंदिरा गांधी के साथ मैग्नीटोगोर्स्क आए। गाड़ी के बाहर मोटरक्रेड से हज़ारो लोग अभिवादन करते हुए” (अनुवाद)। ऑल्ट न्यूज़ की विस्तृत तथ्य-जाँच यहाँ पढ़ी जा सकती है।
5. अमेरिकी झंडे को जलाना अमेरिका में गैरकानूनी है; गौतम गंभीर ने एक नकली उद्धरण साझा किया
भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने 4 सितंबर को एक इन्फोग्राफिक साझा किया, जिसमें पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव, जेम्स मैटिस के हवाले से एक उद्धरण दिया गया है- “जेल भूल जाओ: यदि आप अमेरिकी ध्वज जलाएंगे, तो आप दो साल सेना में गुजारेंगे। मैं आपसे वादा करता हूं, झंडे को दुबारा जलाने की आपकी इच्छा दूर हो जाएगी। आप इसे लहराते हुए और सलामी देते हुए या उसके नीचे लेटे हुए होंगे” (अनुवाद)। यह बताते हुए कि अमेरिकी झंडे को जलाने पर नागरिकों को सेना में डाल देने का कानून है, उसमें यह भी लिखा हुआ है कि, “यह हमारे देश में भी लागू होना चाहिए” (अनुवाद)।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह एक फर्जी उद्धरण है। पूर्व रक्षा सचिव जेम्स मैटिस ने ऐसा बयान कभी नहीं दिया था। इसके अलावा, यह दावा कि अमेरिकी ध्वज को जलाना गैरकानूनी है, सच नहीं है। इसके जलने सहित, अमेरिकी ध्वज का अपमान, अमेरिकी संविधान के प्रथम संशोधन के तहत संरक्षित है। हालाँकि, नागरिकों को दोषी ठहराया जा सकता है यदि चोरी का झंडा जला दिया जाता है या आग से संपत्ति को नुकसान होता है। इस बारे में अधिक विवरण ऑल्ट न्यूज़ के इस लेख में देखा जा सकता है।
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